NCERT Solutions For Class 9 Hindi Chapter 3 – उपभोक्तावाद की संस्कृति
NCERT Solutions For Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 3 उपभोक्तावाद की संस्कृति – बहुत से विद्यार्थी हर साल 9th की परीक्षा देते है ,लेकिन बहुत से विद्यार्थी के अच्छे अंक प्राप्त नही हो पाते जिससे उन्हें आगे एडमिशन लेने में भी दिक्कत आती है . जो विद्यार्थी 9th कक्षा में पढ़ रहे है उनके लिए यहां पर एनसीईआरटी कक्षा 9 हिंदी अध्याय 3 (उपभोक्तावाद की संस्कृति) के लिए सलूशन दिया गया है. इस पोस्ट में आपको को क्षितिज भाग- 1 के कक्षा-9 का पाठ-3 उपभोक्तावाद की संस्कृति पाठ के प्रश्न-उत्तर (Upbhoktawad Ki Sanskriti Question Answer) के बारे में बताने जा रहे है जो कि श्यामाचरण दुबे द्वारा लिखित है। इसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप Class 9th Hindi Chapter 3 उपभोक्तावाद की संस्कृति के प्रश्न उत्तरों को ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे.
Class | 9 |
Subject | Hindi |
Book | क्षितिज |
Chapter Number | 3 |
Chapter Name | उपभोक्तावाद की संस्कृति |
NCERT Solutions for Class 9 Hindi (Kshitij) Chapter 3 उपभोक्तावाद की संस्कृति
अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर
प्रश्न1. लेखक का मत है कि जीवन में ‘सुख’ क्या है?
उत्तर: लेखक का कहना है कि आज के जीवन में सुख देने वाले उत्पादों को खाना और उनसे खुशी पाना है। इसलिए आज उपभोग ही सुख है।
प्रश्न 2. आज की उपभोक्तावादी संस्कृति का हमारे दैनिक जीवन पर क्या प्रभाव है?
उत्तर: आज की उपभोक्तावादी संस्कृति हमारे दैनिक जीवन पर बहुत अधिक प्रभाव डालती है। विज्ञापनों से लोग सब कुछ खरीदते हैं। वे किसी वस्तु के प्रचार से प्रभावित हो जाते हैं, उसके गुण-अवगुण को विचार किए बिना। वे सिर्फ बहुप्रचलित उत्पाद खरीदते हैं।
प्रश्न 3. गांधी जी ने उपभोक्ता संस्कृति को हमारे समाज के लिए एक चुनौती क्यों बताया?
गांधीजी ने उपभोक्ता संस्कृति को हमारे समाज के लिए एक चुनौती बताया क्योंकि वे चाहते थे कि हम अपनी परंपराओं पर कायम रहें और नवीन सांस्कृतिक मूल्यों को अच्छी तरह से विचार करके ही स्वीकार करें। हम बिना सोचे समझे किसी को भी अंधानुकरण नहीं करना चाहिए, अन्यथा हमारा समाज भ्रष्ट हो जाएगा।
प्रश्न चार आपका आशय स्पष्ट करें।
(क) आज के माहौल में आपका व्यक्तित्व भी बदल रहा है और आप उत्पाद को समर्पित होते जा रहे हैं, यह अनजाने में होता है।
उत्तर: आज का आदमी भोग-भोग को ही सुख मानने के कारण अधिक से अधिक भौतिक सुख-सुविधाओं को प्राप्त करने में लग गया है। यही कारण है कि आज के उपभोक्तावादी समाज में हर व्यक्ति का चरित्र बदल रहा है, चाहते हुए भी हम सभी उत्पादों को खरीदने की कोशिश करते हैं और भोजन को ही खुशी मानते हैं।
(ख) हास्यास्पद हो या नहीं, प्रतिष्ठा के कई रूप हैं।
उत्तर– लेखक का विचार है कि लोग प्रतिष्ठा प्राप्त करने के लिए बहुत कुछ करते हैं। उनके कुछ काम इतनी मूर्खतापूर्ण हैं कि उन्हें देखकर हँसी आती है। इससे उनकी गरिमा नहीं बढ़ती, बल्कि मजाक ही होता है।
प्रश्न 5. हमारे लिए उपयोगी हो या न हो, लेकिन टीवी पर विज्ञापन देखकर किसी वस्तु को खरीदने की इच्छा होती है? क्या वजह है?
उत्तर: टीवी पर किसी भी वस्तु के विज्ञापन इतने दिलचस्प तरीके से दिखाए जाते हैं कि वे हमें आवश्यकता न होने पर भी खरीदने के लिए प्रेरित करते हैं। विज्ञापन हमें अनावश्यक सामान खरीदने को मजबूर करता है।
प्रश्न 6. गुणवत्ता या विज्ञापन, आपके अनुसार, किसी वस्तु को खरीदने का आधार होना चाहिए? कारण बताकर स्पष्ट करें।
उत्तर– मुझे लगता है कि किसी भी वस्तु को खरीदने से पहले उसकी गुणवत्ता को देखना चाहिए। इसके अलावा, उस वस्तु की उपयोगिता को भी विचार करना चाहिए। विज्ञापन केवल आपको कुछ नहीं खरीदना चाहिए। क्योंकि विज्ञापन में उत्पादक उत्पाद को इतना खूबसूरत दिखाता है कि ग्राहक सिर्फ उसे देखकर खरीदने के लिए उत्सुक हो जाते हैं। वह उस वस्तु के गुणों या उपयोगिता पर विचार नहीं करता। वह वस्तु हमें नहीं खरीदनी चाहिए अगर वह हमारे लिए उपयोगी नहीं है या उसकी गुणवत्ता से हम संतुष्ट नहीं हैं।
प्रश्न 7. पाठ के आधार पर आज के उपभोक्तावादी युग में पनप रही “दिखावे की संस्कृति” पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर: आज के उपभोक्तावादी युग में हर कोई दूसरे से होड़ लगाने में व्यस्त है। वह अपनी छोटी कार से खुश नहीं है, बल्कि दूसरों की बड़ी कार देखकर दुखी रहता है। विवाह में एक व्यक्ति ने जो धन खर्च किया, उसे दिखाने के लिए दूसरा व्यक्ति दोगुना धन खर्च करना चाहता है, चाहे उसे ऋण लेना पड़े। इस तरह आज के उपभोक्तावादी युग में दिखावे की संस्कृति पनप रही है।
प्रश्न 8. आज की उपभोक्ता संस्कृति हमारे रिवाजों और त्योहारों पर क्या प्रभाव डाल रही है? अपने अनुभव पर एक लेख लिखिए।
उत्तर: कुछ दिन पहले श्री संतोष कुमार के पुत्र ने मुझे मुंडन का निमंत्रण पत्र भेजा था। यह निमंत्रण-पत्र सुनहरे अक्षरों में छपा हुआ था और बहुमूल्य मखमल के लिफ़ाफे में था। जब मैं पाँच सितारा क्लब में आयोजन स्थल पर पहुंचा, तो मैं वहाँ की सजावट को देखकर दंग रह गया। मुंडन में पहले से ही शहनाई वादन, नृत्य और अन्य कार्यक्रम होते रहे हैं। भव्य पंडाल के नीचे मंत्रोच्चारण में बाद में मुंडन संस्कार हुआ। बच्चे के ननिहाल को सोने-हीरे के अलावा लाखों के अन्य उपहार दिए। और लोगों ने छोटी साइकिल से लेकर बच्चे के कपड़े तक कई उपहार दिए। इसके बाद भोजन की बहुत सी व्यवस्थाएं हुईं। भारत से चाइनीज़ तक। उपभोक्ता संस्कृति में पनपते दिखावे की प्रवृत्ति को मैं सिर्फ देखता रहा। लाखों रुपये सिर्फ मुंडन पर खर्च किए गए, जबकि मुंडन संस्कार पहले किसी तीर्थस्थल पर जाकर या घर में ही पूजा करके परिवार के सदस्यों के बीच सादगी से संपन्न होता था।
प्रश्न 9. सब कुछ धीरे-धीरे बदल रहा है।
यह वाक्य बदल रहा है क्रिया है। यह कार्य कैसे होता है-अतः यहाँ धीरे-धीरे क्रिया-विशेषण है क्रिया-विशेषण शब्द हैं जो एक क्रिया की कुछ विशेषताओं को बताते हैं। शब्द “क्रिया-विशेषण” का अर्थ है कि क्रिया को वाक्य में कैसे, कब, कितनी बार और कहाँ किया जाता है।
(क) ऊपर दिए गए उदाहरण को ध्यान में रखते हुए पाठ में से क्रिया-विशेषण से युक्त लगभग पाँच वाक्य लिखिए।
उत्तर: (i) नवीन स्थिति में एक छोटा सा बदलाव हुआ है।
(ii) कई बुटीक खुल गए हैं और नए डिजाइन के कपड़े आए हैं।
(iii) संगीत का ज्ञान हो या नहीं, महंगा संगीत सिस्टम आवश्यक है।
(iv) कॉलेज और विश्वविद्यालय भी जल्द ही बन सकते हैं।
(v) हमारे संसाधनों का बहुत कम उपयोग हो रहा है।
(ख) ज़ोर से, धीरे-धीरे, लगातार, आजकल, कम, ज्यादा, यहाँ, उधर, बाहर-इन क्रिया विशेषण शब्दों का प्रयोग करके वाक्य बनाइए।
उत्तर- धीरे-धीरे = धीरे-धीरे चलो, नहीं तो गिर जाओगे।
जोर से = कल ज़ोर से बारिश हो रही थी।
लगातार = सोहन निरंतर तीन घंटे साइकिल चला।
हमेशा = सुषमा हमेशा कक्षा में देर से आती है।
आजकल = आजकल महँगाई बढ़ गई है।
कम = लाला रामलाल कम तोलता है।
ज्यादा = रमेश को ज्यादा बुखार नहीं था।
यहाँ = यहाँ सर्दी अधिक नहीं है।
उधर = उधर बर्फ पड़ रही है।
बाहर = कोई तुम्हें बाहर कह रहा है।
उपभोक्तावाद की संस्कृति के बहुविकल्पीय प्रश्न
इस पोस्ट में हमने आपको
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