NCERT Solutions For Class 9 Hindi Chapter 14 – चंद्र गहना से लौटती बेर
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Class | 9 |
Subject | Hindi |
Book | क्षितिज |
Chapter Number | 14 |
Chapter Name | चंद्र गहना से लौटती बेर |
NCERT Solutions For Class 9 हिंदी (क्षितिज) Chapter 14 चंद्र गहना से लौटती बेर
अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर
उत्तर- कवि नगरीय संस्कृति के प्रति वैसे सहज भाव नहीं रखता जैसे ग्रामीण आंचल की सुंदरता के प्रति उस के हृदय में हैं। नगरों में प्रत्येक वस्तु व्यापारिक दृष्टि से देखी-परखी जाती है। वहां के जीवन में पाखंड और स्वार्थ की छाया सदा ही रहती है। वहाँ का प्रेम भी बनावटी ही होता है। इसलिए कवि के हृदय में ऐसी संस्कृति के प्रति आक्रोश छिपा हुआ है।
उत्तर- कवि सरसों को सयानी कह कर यह बताना चाहता है कि उसके पीले-पीले फूलों से सारे खेत दूर-दूर तक पीले रंग में रंगे हुए दिखाई देते हैं। ऐसा लगता है जैसे प्रकृति ने उसके हाथ-पीले कर देने का निश्चय कर लिया है। वह विवाह-मंडप में सजी संवरी पधारी है।
उत्तर- सजे-संवरे चने के पास ही दुबले-पतले शरीर और लचीली कमर वाली अलसी अपने सिर पर नीले फूलों को सजाकर खड़ी है। वह चंचलता से परिपूर्ण है। शरारत भरे स्वर में कहती है कि जो उसे छू देगा वह उसे अपना हृदय दान में दे देगी।
उत्तर- कवि ने अलसी के लिए ‘हठीली’ विशेषण का प्रयोग किया है क्योंकि वह यह जिद्द कर रही है कि जो कोई उसे छू देगा वह उसी को अपना हृदय दे देगी, उसी की हो जाएगी।
उत्तर- कवि अति कल्पनाशील है। शाम का समय है और आकाश में संध्या का डूबता सूर्य अपना प्रकाश दिखा रहा है जिसका प्रतिबिंब पोखर के जल में बन रहा है। पोखर का जल धीरे-धीरे लहरियां ले रहा है जिस कारण सूर्य का प्रतिबिंब हिल-हिल कर लंबे गोल खंभे के समान प्रतीत हो रहा है। कवि ने उसे ‘चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा’ कह कर अपनी सूक्ष्म कल्पना का परिचय दिया है।
उत्तर- छोटा-सा एक बलिश्त के बराबर हरा ठिगना चना अपने सिर पर छोटे गुलाबी फूल से संवरा मुरैठा बाँध कर सज-धज कर खड़ा है। उसका सौंदर्य अनुपम है। कवि उस की सुंदरता पर मुग्ध होकर एक टक उसे निहारता है।
उत्तर- श्री केदार नाथ अग्रवाल के द्वारा रचित कविता ‘चंद्र गहना से लौटती बेर’ वास्तव में प्रकृति के मानवीकरण का अनूठा रूप है। कवि ने सारी प्रकृति पर ही मानवीय भावनाओं का आरोप किया है। बीते भर का चना गुलाबी फूलों की पगड़ी लपेटे खेत में सज-संवर कर खड़ा है तो दुबले-पतले शरीर वाली हठीली अलसी अपने सिर पर नीले फूलों को सजाकर खड़ी है जो किसी को भी अपना दिल दे देने को तैयार है। सरसों जवान हो चुकी है जो पीले फूलों से सज सँवर कर ब्याह मंडप में पधार गई है। प्रकृति का अनुराग-अंचल हिल रहा है। पोखर के किनारे पानी में अधडूबे पत्थर भी पानी पी रहे हैं। चित्रकूट की भूमि बाँझ है जिस पर काँटेदार कुरूप पेड़ खड़े हैं।
उत्तर-बांझ भूमि पर
इधर-उधर रीवां के पेड़
काँटेदार कुरूप खड़े हैं।
सुन पड़ता है।
मीठा-मीठा रस टपकाता
सुग्गे का स्वर
टें टें यें टें
सुन पड़ता है।
उत्तर- कवि के शब्द चयन और वाक्य संरचना में नाटकीयता का समावेश हुआ है जिससे उसके हृदय में छिपे भाव एक खास अंदाज में प्रकट हुए हैं। जब वह युवा हो चुकी सरसों के लिए कहता है-‘ और सरसों की न पूछो तो उससे यह स्पष्ट रूप से ध्वनित होता है कि अब इसमें कोई संदेह नहीं रह गया कि सरसों बड़ी हो गई है और विवाह के योग्य हो चुकी है। हम सामान्य बोलचाल में इस प्रकार की शैली का प्रयोग तभी और वहीं करते हैं जब हम किसी बात पर पूरे विश्वस्त हो जाते हैं। उस बात की सच्चाई पूरी होती है और उसमें किसी प्रकार का कोई संदेह नहीं रहा जाता।
उत्तर- कविता में वर्णित काले माथे और सफेद पंखों वाली चिड़िया चालाक, मौकापरस्त और चुस्त व्यक्तित्व का प्रतीक हो सकती है जो उचित अवसर मिलते ही अपना स्वार्थ पूरा कर दूर भाग जाता है।
उत्तर- हठीली, लचीली, सयानी, फाग, फागुन, पोखर, लहरियाँ, झपाटे, उजली चटुल, रेल की पटड़ी, ट्रेन का टाइम, सुग्गे, टें टें हें टें, टिरटों टिरटों, चुप्पे-चुप्पे।
उत्तर- 1. बीते के बराबर = छोटा
वाक्य- अरे, इस राकेश को तो देखो यह है तो बीते के बराबर, पर बातें कितनी बड़ी-बड़ी करता है।
2. हाथ पीले करना = विवाह करना।
वाक्य- हर माता-पिता को अपनी जवान बेटी के हाथ पीले करने की चिंता अवश्य होती है।
3. प्यास बुझना = संतोष होना, इच्छा पूरी होना।
वाक्य- शिष्य ने जैसे ही अपने गुरु जी को देखा उसकी आँखों की प्यास बुझ गई।
4. टूट पड़ना = हमला करना।
वाक्य- हमारे खिलाड़ी तो विपक्षी टीम के गोल पर टूट पड़े और एक के बाद एक लगातार चार गोल ठोक दिए।
5. जुगुल जोड़ी = प्रेम करने वाली जोड़ी।
वाक्य -भक्त के हृदय में राधा-कृष्ण की जुगुल जोड़ी सदा जमी ही रहती है।
चंद्र गहना से लौटती बेर के बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर
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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Bhag 1 क्षितिज भाग 1
गद्य – खंड
- Class 9 Hindi Chapter 1 दो बैलों की कथा
- Class 9 Hindi Chapter 2 ल्हासा की ओर
- Class 9 Hindi Chapter 3 उपभोक्तावाद की संस्कृति
- Class 9 Hindi Chapter 4 साँवले सपनों की याद
- Class 9 Hindi Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया
- Class 9 Hindi Chapter 6 प्रेमचंद के फटे जूते
- Class 9 Hindi Chapter 7 मेरे बचपन के दिन
- Class 9 Hindi Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना
काव्य – खंड
- Class 9 Hindi Chapter 9 साखियाँ एवं सबद
- Class 9 Hindi Chapter 10 वाख
- Class 9 Hindi Chapter 11 सवैये
- Class 9 Hindi Chapter 12 कैदी और कोकिला
- Class 9 Hindi Chapter 13 ग्राम श्री
- Class 9 Hindi Chapter 14 चंद्र गहना से लौटती बेर
- Class 9 Hindi Chapter 15 मेघ आए
- Class 9 Hindi Chapter 16 यमराज की दिशा
- Class 9 Hindi Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं
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- Class 9 Hindi Chapter 1 इस जल प्रलय में
- Class 9 Hindi Chapter 2 मेरे संग की औरतें
- Class 9 Hindi Chapter 3 रीढ़ की हड्डी
- Class 9 Hindi Chapter 4 माटी वाली
- Class 9 Hindi Chapter 5 किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया