NCERT Solutions For Class 9 Hindi Chapter 10 – वाख
NCERT Solutions For Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 10 वाख – जो उम्मीदवार 9th कक्षा में पढ़ रहे है उन्हें ललद्यद के वाख कविता के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है .इसके बारे में 9th कक्षा के एग्जाम में काफी प्रश्न पूछे जाते है .इसलिए यहां पर हमने एनसीईआरटी कक्षा 9th हिंदी क्षितिज अध्याय 10 (वाख) का सलूशन दिया गया है .इस NCERT Solutions For Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 10 Laldhyad ke vakh की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. इसलिए आप Ch.10 ललद्यद के वाख कविता के प्रश्न उत्तरों ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे. इसलिए नीचे आपको एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 10 ललद्यद के वाख दिया गया है ।
Class | 9 |
Subject | Hindi |
Book | क्षितिज |
Chapter Number | 10 |
Chapter Name | वाख |
अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर
ललद्यद के वाख
उत्तर- ‘रस्सी’ निरंतर चलने वाली साँसों के लिए प्रयुक्त किया गया है जो स्वाभाविक रूप से बहुत कमजोर है।
प्रश्न 2. कवयित्री द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास व्यर्थ क्यों हो रहे हैं ?
उत्तर- कवयित्री स्वाभाविक रूप से कमजोर साँसों रूपी रस्सी से जीवन रूपी नोंका को भवसागर के पार ले जाना चाहती है पर शरीर रूपी कच्चे बर्तन से जीवन रूपी जल टपकता जा रहा है, इसलिए उनके प्रयास व्यर्थ होते जा रहे हैं।
उत्तर- सभी संतों के समान कवयित्री भी मानती है कि उसका वास्तविक घर तो वह है जहाँ परमात्मा बसते हैं। क्योंकि जीवात्मा वहीं से आई थी और उसे वहीं लौट जाना है इसलिए उस की उसी घर जाने की चाह है।
(क) जेब टटोली कौड़ी न पाई।
(ख) खा-खा कर कुछ पाएगा नहीं,
न खा कर बनेगा अहंकारी।
उत्तर- (क) इस संसार में रहते हुए माया के जाल से मुक्ति ही नहीं पाई। परमात्मा के प्रति ध्यान ही नहीं लगाया ; सद्कर्म नहीं किए। जब आत्म लोचन किया तो पता लगा कि हमने जीवन व्यर्थ गंवा दिया है।
ख) इस मायात्मक संसार में सुखों की प्राप्ति की कामना ही करते रहे। तरह-तरह के सुख उपभोग के साधन जुटाते रहे जिन से परमात्मा नहीं मिलते। बाह्याडंबर करते हुए व्रत और साधना का सहारा लिया। स्वयं को कष्ट देकर सिद्धि पानी चाही। भूखे रह कर ब्रह्म पाना चाहा पर इससे और तो कुछ नहीं मिला। बस स्वयं को संयमी समझ कर अहंकार का भाव मन में अवश्य समा गया।
उत्तर- कश्मीरी संत कवयित्री ललयद ने सुझाया है कि मानव तू अपने अंत: करण और बाह्य-इंद्रियों का निग्रह कर। अपने तन-मन पर नियंत्रण रख। जब तेरी चेतना व्यापक हो जाएगी ; तेरे भीतर समानता की भावना उत्पन्न हो जाएगी। तब तेरे मन रूपी बंद द्वार की साँकल खुल जाएगी। आडंबर करने से तुझे कुछ प्राप्त नहीं होगा। |
उत्तर- आई सीधी राह से, गई न सीधी राह,
सुषुम-सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह। |
जेब टटोली कौड़ी न पाई, ।
माझी को दें क्या उतराई ?
उत्तर- कवयित्री का ‘ज्ञानी’ से अभिप्राय उस मानव से है जो बिना आडंबर रचाए सच्चे मन से परमात्मा को अपने भीतर से ही खोजने की चेष्टा करता है। वह माया-जाल से दूर रहता है। जात-पात और भेद-भाव से दूर रह आत्मलोचन करता हुआ सद्कर्मों में लीन रहता है। रचना और अभिव्यक्ति
(क) आपकी दृष्टि से इस कारण देश और समाज को क्या हानि हो रही है ?
(ख) आपसी भेदभाव को मिटाने के लिए अपने सुझाव दीजिए।
उत्तर- (क) यद्यपि संतों, भक्तों और महापुरुषों ने मनुष्यों को आपसी भेद भाव दूर करने के लिए बार-बार चेताया पर फिर भी जात-पात, छोटे-बड़े, गरीब-अमीर, शिक्षित-अशिक्षित, ऊँच-नीच आदि तरह-तरह के भेदभाव उन्हें सदा घेरे रहते हैं। इस कारण लोगों में मानसिक विद्वेष भाव बढ़ता है ; वे एक-दूसरे से घृणा करने लगते हैं। इस का सीधा प्रभाव उन के जीवन और काम-काज पर पड़ता है। संकीर्ण विचारधारा मनुष्य को मनुष्य का दुश्मन बना देती है। मनुष्य हीन बुद्धि के हो जाते हैं। वे एक-दूसरे को छूने से भी परहेज़ करने लगते हैं। ऐसे लोग मिल बाँट कर खाते-पीते नहीं ; पारिवारिक संबंध भी नहीं बनाते। इस से समाज छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटने लगता है। जिस समाज या देश में जितने छोटे टुकड़े होंगे वह उतना ही कमज़ोर होगा और समुचित उन्नति नहीं कर पाएगा।
ख) आपसी भेदभाव मिटाने के लिए लोगों को सहनशील बनना होगा, सर्वधर्म समभाव की भावना लानी होगी तथा कट्टरता त्याग कर धार्मिक सौहार्द का वातावरण बनाना होगा। सभी धर्मों के अनुयायियों के साथ समानता का व्यवहार करना होगा तथा वोट की खातिर किसी धर्म विशेष का तुष्टीकरण बंद करना होगा ताकि अन्य धर्मानुयायियों को अपनी उपेक्षा न महसूस हो।
वाख के बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर
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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Bhag 1 क्षितिज भाग 1
गद्य – खंड
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- Class 9 Hindi Chapter 2 ल्हासा की ओर
- Class 9 Hindi Chapter 3 उपभोक्तावाद की संस्कृति
- Class 9 Hindi Chapter 4 साँवले सपनों की याद
- Class 9 Hindi Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया
- Class 9 Hindi Chapter 6 प्रेमचंद के फटे जूते
- Class 9 Hindi Chapter 7 मेरे बचपन के दिन
- Class 9 Hindi Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना
काव्य – खंड
- Class 9 Hindi Chapter 9 साखियाँ एवं सबद
- Class 9 Hindi Chapter 10 वाख
- Class 9 Hindi Chapter 11 सवैये
- Class 9 Hindi Chapter 12 कैदी और कोकिला
- Class 9 Hindi Chapter 13 ग्राम श्री
- Class 9 Hindi Chapter 14 चंद्र गहना से लौटती बेर
- Class 9 Hindi Chapter 15 मेघ आए
- Class 9 Hindi Chapter 16 यमराज की दिशा
- Class 9 Hindi Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Bhag 1 कृतिका भाग 1
- Class 9 Hindi Chapter 1 इस जल प्रलय में
- Class 9 Hindi Chapter 2 मेरे संग की औरतें
- Class 9 Hindi Chapter 3 रीढ़ की हड्डी
- Class 9 Hindi Chapter 4 माटी वाली
- Class 9 Hindi Chapter 5 किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया
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