NCERT Solutions for Class 8 Hindi – भारत की खोज

NCERT Solutions for Class 8 Hindi – भारत की खोज

NCERT Solutions for Class 8 Hindi Bharat ki Khoj भारत की खोज – आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए जो अपनी क्लास में सबसे अच्छे अंक पाना चाहता है उसके लिए यहां पर एनसीईआरटी कक्षा 8th हिंदी (भारत की खोज ) के लिए समाधान दिया गया है. इस NCERT Solutions For Class 8 Hindi Bharat ki Khoj की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. इसे आप अच्छे से पढ़े यह आपकी परीक्षा के लिए फायदेमंद होगा .हमारी वेबसाइट पर Class 8 Hindi के सभी चेप्टर के सलुसन दिए गए है .

अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1. आखिर यह भारत है क्या? अतीत में यह किस विशेषता का प्रतिनिधित्व करता था? उसने अपनी प्राचीन शक्ति को कैसे खो दिया? क्या उसने इस शक्ति को पूरी तरह खो दिया है? विशाल जनसंख्या का बसेरा होने के अलावा क्या आज उसके पास ऐसा कुछ बचा है जिसे जानदार कहा जा सके?
ये प्रश्न अध्याय दो के शुरुआती हिस्से से लिए गए हैं। अब तक आप पूरी पुस्तक पढ़ चुके होंगे। आपके विचार से इन प्रश्नों के क्या उत्तर हो सकते हैं? जो कछ आपने पढा है उसके आधार पर और अपने अनुभवों के आधार पर बताइए।

उत्तर- भारत अतीत काल से शक्तिशाली एवं श्रेष्ठ संस्कृति और सभ्यता वाला देश रहा है। यहाँ की संस्कृति एवं सभ्यता की महानता आरंभ से आज तक पूरे संसार में प्रसिद्ध रही है। यही कारण है कि विश्व के लोग भारत को सम्मान की दृष्टि से देखते थे। किंतु भारत ने अपनी प्राचीन शक्ति एवं प्रतिष्ठा को दूसरों पर निर्भर रहने व सामंती मनोवृत्तिं और भोग-विलास में लीन रहने के कारण खो दिया था। फिर भी भारत की यह शक्ति पूर्ण रूप से नष्ट नहीं हुई। आज भी भारत की संस्कृति एवं सभ्यता अपनी रा में जीवित है। आज भारत के लोगों ने अपनी खोई हई प्राचीन शक्ति को पहचान कर उसे पुनः प्राप्त करने के प्रयास ही नहीं किए, अपितु बहुत कुछ प्राप्त भी कर लिया है। आज भारत का स्थान विश्व के प्रमुख देशों में गिना जाता है।

प्रश्न 2. आपके अनुसार भारत यूरोप की तुलना में तकनीकी विकास की दौड़ में क्यों पिछड़ गया था?

उत्तर- भारत यूरोप की तुलना में तकनीकी विकास की दौड़ में इसलिए पिछड़ गया था क्योंकि यूरोप में तेजी से विज्ञान के क्षेत्र में विकास हुआ। वहाँ के लोगों में उत्साह और उमंग था, जबकि भारत उस समय विदेशियों के अधीन था। उनके पास उन्नति के साधनों का अभाव था। शिक्षा की सुविधाएँ नहीं थीं। इसलिए उनमें आत्मविश्वास की भी कमी थी। वे हीन-भावना से भी ग्रस्त थे। भारत में विदेशी प्रशासन होने के कारण यहाँ के साधनों का प्रयोग भी सही ढंग से नहीं हो रहा था। ब्रिटिश सरकार ने यहाँ उद्योगों का विकास भी नहीं किया। इन्हीं कारणों से भारत यूरोप के देशों की अपेक्षा तकनीकी-विकास की दौड़ में पीछे रह गया था।

प्रश्न 3. नेहरू जी ने कहा कि “मेरे ख्याल से, हम सब के मन में अपनी मातृभूमि की अलग-अलग तसवीरें हैं और कोई दो आदमी बिल्कुल एक जैसा नहीं सोच सकते।” अब आप बताइए कि
(क) आपके मन में अपनी मातृभूमि की कैसी तस्वीर है?
(ख) अपने साथियों से चर्चा करके पता करो कि उनकी मातृभूमि की तस्वीर कैसी है और आपकी और उनकी तस्वीर (मातृभूमि की छवि) में क्या समानताएँ और भिन्नताएँ हैं?

उत्तर- (क) हमारी मातृभूमि संसार के सभी देशों से सुंदर है। यहाँ प्राकृतिक साधनों एवं प्राकृतिक सुंदरता की भरमार है। यहाँ के सागर मातृभूमि के चरण धोते हैं और हिमालय उसका ताज है।
(ख) मेरे मित्र एवं साथी भी मेरी तरह ही मातृभूमि से प्यार करते हैं। मेरे साथियों का कहना है कि भारतवर्ष नदियों का देश है। यहाँ साल में छः ऋतुएँ हैं। हर ऋतु का अपना ही महत्त्व है। मेरे साथियों का कहना है कि भारतवर्ष विविधताओं में एकता वाला देश है। सारे संसार में यह सबसे सुंदर देश है।

प्रश्न 4. जवाहरलाल नेहरू ने कहा, “यह बात दिलचस्प है कि भारत अपनी कहानी की इस भोर-बेला में ही हमें एक नन्हें बच्चे की तरह नहीं, बल्कि अनेक रूपों में विकसित सयाने रूप में दिखाई पड़ता है।” उन्होंने भारत के विषय में ऐसा क्यों और किस संदर्भ में कहा है?

उत्तर- पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा है कि भारत की कहानी उसके आरंभिक काल में भी छोटे बच्चे की भाँति अबोध नहीं, अपितु एक बड़ी आयु वाले सयाने व्यक्ति की भाँति विकसित और गंभीर जान पड़ती है। नेहरू जी का यह कथन पूर्णतः सही है, क्योंकि भारत की सभ्यता एवं संस्कृति प्राचीन है। भारत विश्व में सबसे पहले ज्ञानवान बना था। इसका निरंतर विकास भी यह बताता है कि अतीत में इसने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। यह गणित, विज्ञान, खगोलशास्त्र, ज्योतिषशास्त्र, औषध-विज्ञान आदि विषयों के रूप में अत्यंत विकसित देश था। इसलिए इसे नन्हें बच्चे के रूप में नहीं, अपितु सयाने पुरुष के रूप में देखना उचित होगा।

प्रश्न 5. सिंधु घाटी सभ्यता के अंत के बारे में अनेक विद्वानों के कई मत हैं। आपके अनुसार इस सभ्यता का अंत कैसे हुआ होगा? तर्क सहित लिखिए।

उत्तर- सिंधु घाटी की सभ्यता के अवशेष सिंध में मोहनजोदड़ो और पश्चिमी पंजाब में हड़प्पा में मिले हैं। इसके अंत के विषय में कोई भी निश्चित नहीं बता सका। विभिन्न विद्वानों ने भी अपने-अपने अनुमान ही बताए हैं। हमारे विचार के अनुसार सिंधु घाटी का अंत प्राकृतिक प्रकोप से संभव है। कहा भी गया है कि सिंधु नदी अपने प्रकोप एवं बाढ़ के लिए प्रसिद्ध थी। जब भी उसमें बाढ़ आती तो अपने साथ गाँव-के-गाँव बहाकर ले जाती थी। सिंधु घाटी भी उसके जल में जलमग्न हो गई होगी, जिससे उसका अंत हो गया होगा।

प्रश्न 6. उपनिषदों में बार-बार कहा गया है कि “शरीर स्वस्थ हो, मन स्वच्छ हो और तन-मन दोनों अनुशासन में रहें।” आप अपने दैनिक क्रिया-कलापों में से कितना लागू कर पाते हैं? लिखिए।

उत्तर- उपनिषदों में बार-बार इस बात पर बल दिया गया है कि सही ढंग से प्रगति करने के लिए स्वस्थ शरीर, स्वस्थ मन और शरीर और मन दोनों में अनुशासन का होना आवश्यक है। हम उपनिषदों के इस विचार को अपने दैनिक क्रिया-कलाप में लागू करने का प्रयास करते हैं। हम प्रातः सैर करके या खेलकूद से शरीर को स्वस्थ बनाते हैं और प्रातः स्कूल में प्रार्थना करके मन को पवित्र एवं स्वस्थ बनाने का प्रयास करते हैं। विद्यालय के नियमों का पालन करते हुए तन और मन को अनुशासित करते हैं।

प्रश्न 7. नेहरू जी ने कहा कि-“इतिहास की उपेक्षा के परिणाम अच्छे नहीं हुए।” आपके अनुसार इतिहास लेखन में क्या-क्या शामिल किया जाना चाहिए है? एक सूची बनाइए और उस पर कक्षा में अपने साथियों और अध्यापकों से चर्चा कीजिए।

उत्तर- भारतीय इतिहासकारों ने यूनानियों, चीनियों और अरबवासियों की भाँति इतिहास को कालक्रमानुसार नहीं लिखा। अतः इतिहास की उपेक्षा के परिणाम अच्छे नहीं हुए। इतिहास लेखन के लिए निम्नलिखित बातों को सम्मिलित किया जाना चाहिए
(1) घटनाओं को तिथियों सहित लिखना चाहिए।
(2) प्रमुख घटनाओं का वर्णन अनिवार्य है।
(3) प्रमुख व्यक्तियों के जीवन को, जो समय को प्रभावित करते हों।
(4) प्रमुख तिथियों को उनके संदर्भ सहित।
(5) प्रमुख युद्धों और उनके परिणाम को।
(6) प्रमुख साहित्यिक रचनाओं एवं उनके रचनाकारों को भी इतिहास लेखन में सम्मिलित करना चाहिए।

प्रश्न 8. “हमें आरंभ में ही ऐसी सभ्यता और संस्कृति की शुरुआत दिखाई पड़ती है जो तमाम परिवर्तनों के बावजूद आज भी बनी हुई है।”आज की भारतीय संस्कृति की ऐसी कौन-कौन सी बातें/चीजें हैं जो हज़ारों साल पहले से चली आ रही हैं। आपस में चर्चा करके पता लगाइए।

उत्तर- नेहरू जी का यह कथन पूर्णतः सत्य है कि भारतीय संस्कृति में हमें आज भी बहुत-सी बातें एवं चीजें दिखाई पड़ती हैं जो प्राचीन काल में भी उसका अंग थीं। यदि हम आज अपनी संस्कृति को ध्यानपूर्वक देखें तो पाएंगे कि सत्य, अहिंसा, आस्तिकता, गुरूजनों का आदर, अतिथि-सत्कार, समन्वय की भावना आदि प्राचीनकाल से आज तक परंपरा से चली आ रही हैं। समय के बदलाव के साथ इनमें विशेष अंतर नहीं आया है।

प्रश्न 9. आपने पिछले साल (सातवीं कक्षा में) ‘बाल महाभारत कथा’ पढ़ी। ‘भारत की खोज’ में भी महाभारत के सार को सूत्रबद्ध करने का प्रयास किया गया है-“दूसरों के साथ ऐसा आचरण नहीं करो जो तुम्हें खुद अपने लिए स्वीकार्य न हो।” आप अपने साथियों से कैसे व्यवहार की अपेक्षा करते हैं और स्वयं उनके प्रति कैसा व्यवहार करते हैं? चर्चा कीजिए।

उत्तर- ‘महाभारत’ एवं ‘भारत की खोज’ दोनों पुस्तकों में इस बात को सही बताया गया है कि हमें दूसरों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए जो हमें स्वयं को स्वीकार न हो। हम अपने साथियों से ऐसे व्यवहार की अपेक्षा करते हैं जो हमें ठीक लगे। वे हमारा सम्मान करें और हमारी बात मानें। हम अपने साथियों की बातों की कदर करते हैं और उन्हें कोई ऐसी बात नहीं कहते जो उन्हें बुरी लगे।

प्रश्न 10. प्राचीनकाल से लेकर आज तक राजा या सरकार द्वारा ज़मीन और उत्पादन पर ‘कर’ लगाया (tax) जाता रहा है। आजकल हम किन-किन वस्तुओं और सेवाओं पर कर देते हैं, सूची बनाइए।

उत्तर- हम सरकार को निम्नलिखित वस्तुओं एवं सेवाओं पर कर देते हैं
(क) आय कर
(ख) बिक्री कर
(ग) आयात-निर्यात कर
(घ) भूमि कर
(ङ) संपत्ति कर
(च) चुंगी कर आदि .

प्रश्न 11. (क) प्राचीन समय में विदेशों में भारतीय संस्कृति के प्रभाव के दो उदाहरण बताइए।
(ख) वर्तमान समय में विदेशों में भारतीय संस्कृति के कौन-कौन से प्रभाव देखे जा सकते हैं। अपने साथियों के साथ मिलकर सूची बनाइए।
संकेत-(खान-पान, पहनावा, फिल्में, हिंदी, कंप्यूटर, टेलीमार्केटिंग आदि।)

उत्तर- (क) प्राचीन भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के विदेशों में अनेक प्रभाव थे; यथा
(1) व्यक्तिवादी दर्शन
(2) बौद्ध मत का प्रभाव
(ख) वर्तमान युग में विदेशों में भारतीय संस्कृति के निम्नलिखित प्रभाव देखे जा सकते हैं
(1) योग
(2) अहिंसा की विचारधारा
(3) अतिथि-सत्कार
(4) मैत्री भाव
(5) वैवाहिक पद्धति
(6) खान-पान एवं रहन-सहन
(7) फिल्में
(8) कंप्यूटर, टेलीमार्केटिंग आदि

प्रश्न 12. पाठ्य पुस्तक की पृष्ठ संख्या 34 पर कहा गया है कि जातकों में सौदागरों की समुद्री यात्राओं/यातायात के हवाले भरे हुए हैं। विश्व/भारत के मानचित्र में उन स्थानों रास्तों को खोजिए जिनकी चर्चा इस पृष्ठ पर की गई है।

उत्तर- पाठ्य पुस्तक की पृष्ठ संख्या 34 पर कहा गया है कि दक्षिण पूर्वी एशिया अर्थात् इंडोनेशिया, जावा, बाली, सुमात्रा, चीन एवं पश्चिम में मिस्र, रोम और यूनान तक हमारे व्यापारी जाते थे। उत्तर में अफगानिस्तान एवं ईरान आदि देशों से भी आर्थिक संबंध थे। विद्यार्थी इन स्थानों को विश्व के मानचित्र या एटलस पर अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से देख सकते हैं।

प्रश्न 13. कौटिल्य के ‘अर्थशास्त्र’ में अनेक विषयों की चर्चा है, जैसे “व्यापार और वाणिज्य, कानून और न्यायालय, नगर-व्यवस्था, सामाजिक रीति-रिवाज़, विवाह और तलाक, स्त्रियों के अधिकार, कर और लगान, कृषि, खानों और कारखानों को चलाना, दस्तकारी, मंडियाँ, बागवानी, उद्योग-धंधे, सिंचाई और जलमार्ग, जहाज़ और जहाज़रानी, निगमें, जन-गणना, मत्स्य-उद्योग, कसाई खाने, पासपोर्ट और जेल-सब शामिल हैं। इसमें विधवा विवाह को मान्यता दी गई है और विशेष परिस्थितियों में तलाक को भी।” वर्तमान में इन विषयों की क्या स्थिति है? अपनी पसंद के किन्हीं दो-तीन विषयों पर लिखिए।

उत्तर- वर्तमान में इन विषयों के बारे में पूर्णतः जागृति है। आजकल निम्नलिखित विषयों का स्वरूप इस प्रकार है-

1. कृषि-भारत आरंभ से ही कृषि-प्रधान देश रहा है। यहाँ की 70 प्रतिशत जनता कृषि पर निर्भर है। भारत के उद्योग-धंधे भी कृषि पर निर्भर हैं। आज कृषि के पुराने तौर-तरीकों के स्थान पर नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं। नए-नए बीजों का निर्माण किया जा रहा है. जिससे खेती में उन्नति हो रही है। किसानों के हित के लिए सरकार ने अनेक योजनाएँ लाग की हैं, किंत आज के किसान का खेती के प्रति दृष्टिकोण बदल रहा है। उसे वह एक उद्योग के नज़रिये से देखने लगा है।

2. वाणिज्य- और व्यापार-वाणिज्य और व्यापार का स्वरूप एवं दिशा पहले की अपेक्षा बदल रही है। आज न केवल नगरों में, अपितु गाँवों में भी हर प्रकार की वस्तुएँ उपलब्ध हैं। आज प्राचीनकाल की भाँति वस्तु-विनिमय का प्रचलन समाप्त हो गया है।
आज इंटरनेट के द्वारा विश्वभर की मंडियों के भाव घर बैठे हुए ही जान सकते हैं और हर वस्तु घर बैठे ही प्राप्त की जा सकती है। बैंकों के विकास के कारण वाणिज्य और व्यापार और भी सरल हो गया है। तेज़ चलने वाले संचार-साधनों के कारण वस्तुओं को बहुत कम समय में एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचा दिया जाता है। अतः आज भारत में वाणिज्य एवं व्यापार में तेजी से विकास हो रहा है।

3. न्यायालय-भारतवर्ष में न्यायालय महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारत में न्याय-प्रणाली में पूर्ण विश्वास व्यक्त किया जाता है। न्यायालय जहाँ कानून को लागू करने के आदेश देता है, वहाँ कार्यपालिका को आवश्यक निर्देश भी जारी करता है। पिछले वर्षों में न्यायालय ने नयी भूमिका निभाई है। आम आदमी सरकार पर भरोसा करे या न करे, किंतु न्यायालय पर उसे पूर्ण विश्वास है कि उसे न्याय अवश्य मिलेगा।

प्रश्न 14. आज़ादी से पहले किसानों की समस्याएँ निम्नलिखित थीं-“गरीबी, कर्ज, निहित स्वार्थ, ज़मींदार, महाजन, भारी लगान और कर, पुलिस के अत्याचार ” आपके विचार से आजकल किसानों की समस्याएँ कौन-कौन सी हैं?

उत्तर- निश्चय ही आज़ादी के बाद किसानों की भलाई के लिए सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। आज के किसानों की समस्याएँ पहले की अपेक्षा भिन्न हैं
(1) फसल का उचित मूल्य न मिलना
(2) गरीबी
(3) कर्ज का बोझ
(4) खेती के नए-नए साधनों का दूर-दराज़ के गाँवों तक न पहुँचना।

प्रश्न 15. “सार्वजनिक काम राजा की मर्जी के मोहताज नहीं होते, उसे खुद हमेशा इनके लिए तैयार रहना चाहिए।” ऐसे कौन-कौन से सार्वजनिक कार्य हैं जिन्हें आप बिना किसी हिचकिचाहट के करने को तैयार हो जाते हैं?

उत्तर- हम निम्नलिखित सार्वजनिक काम बिना किसी हिचकिचाहट के करने को तैयार हो जाते हैं
(1) छायादार वृक्षों को लगाने का काम।
(2) गरीब बच्चों की सहायता करने का काम।
(3) अपने आस-पास की सफाई का काम।
(4) लोगों को सड़क के नियमों के बारे में बताने का काम।
(5) वृद्धाश्रमों में जाकर वृद्धों की सहायता करने का काम आदि।

प्रश्न 16. महान सम्राट अशोक ने घोषणा की कि वह प्रजा के कार्य और हित के लिए ‘हर स्थान पर और हर समय’ हमेशा उपलब्ध है। हमारे समय के शासक/लोक-सेवक इस कसौटी पर कितना खरा उतरते हैं? तर्क सहित लिखिए।

उत्तर- महान सम्राट अशोक राजा ही नहीं अपितु महान इंसान भी थे। वे अपनी प्रजा के हित के लिए सदा तत्पर रहते थे। वे जो कुछ कहते थे, उसे कर दिखाते थे। किंतु आज के शासकों अथवा नेताओं की करनी और कथनी में बहुत अंतर होता है। आज के नेता केवल वोट लेने के समय जनता में उपलब्ध होते हैं। चुनाव में जीत जाने के पश्चात् वे अपने वायदे भूल जाते हैं। आज के नेता भ्रष्ट और धन के लालची हैं। बहुत कम नेता ही जनता के हितैषी हैं।

प्रश्न 17. ‘औरतों के परदे में अलग-थलग रहने से सामाजिक जीवन के विकास में रुकावट आई।’ कैसे?

उत्तर- यह बात पूर्णतया सत्य है कि औरतों को अलग परदे में रखने से सामाजिक जीवन के विकास में बाधा हुई है। औरतें समाज का अंग ही नहीं अपितु एक बड़ी शक्ति भी हैं। उन्हें परदे में रखने का अर्थ होगा-समाज की एक बड़ी शक्ति को समाज से अलग करना। परदा प्रथा के कारण सामाजिक कार्यों में औरतों की भागीदारी कम हो गई। उनकी शिक्षा एवं स्वास्थ्य में भी गिरावट आई। नारी को परदे में रखने से समाज के विकास में भी बाधा उत्पन्न हुई। .

प्रश्न 18. मध्यकाल के इन संत रचनाकारों की अनेक रचनाएँ अब तक आप पढ़ चुके होंगे। इन रचनाकारों की एक-एक रचना अपनी पसंद से लिखिए।
(क) अमीर खुसरो
(ख) कबीर
(ग) गुरु नानक
(घ) रहीम

उत्तर- (क) अमीर खुसरो – खालिकबारी, पहेलियाँ ।
(ख) कबीर – बीजक
(ग) गुरु नानक देव – आसा दी वार
(घ) रहीम- बरवै नायिका भेद, अथ खेर-कौतुकम्

प्रश्न 19. बात को कहने के तीन प्रमुख तरीके अब तक आप जान चुके होंगे(क) अभिधा (ख) लक्षणा (ग) व्यंजना। बताइए, नेहरू जी का निम्नलिखित वाक्य इन तीनों में से किसका उदाहरण है? यह भी बताइए कि आपको ऐसा क्यों लगता है?
“यदि ब्रिटेन ने भारत में यह बहुत भारी बोझ नहीं उठाया होता (जैसा कि उन्होंने हमें बताया है) और लंबे समय तक हमें स्वराज्य करने की वह कठिन कला नहीं सिखाई होती, जिससे हम इतने अनजान थे, तो भारत न केवल अधिक स्वतंत्र और अधिक समृद्ध होता……… बल्कि उसने कहीं अधिक प्रगति की होती।”

उत्तर- किसी बात को कहने के प्रमुख तीन तरीके हैं-अभिधा, लक्षणा और व्यंजना।
(क) अभिधा-भाषा की जिस शक्ति से सामान्य प्रचलित या मुख्य अर्थ प्रकट होता है, उसे अभिधा शब्द-शक्ति कहते हैं।

(ख) लक्षणा-मुख्य अर्थ की बाधा होने पर प्रयोजन के कारण जब मुख्य अर्थ के साथ कोई अन्य अर्थ भी प्रकट हो तो उसे लक्षणा शब्द-शक्ति कहते हैं।

(ग) व्यंजना-अभिधा और लक्षणा की सीमा से बाहर पड़ने वाले अर्थ को व्यंजना शब्द-शक्ति कहते हैं। व्यंजना पूरे प्रकरण या प्रसंग में होती है।
नेहरू जी द्वारा कहे गए उपर्युक्त वाक्य में लक्षणा शब्द शक्ति का प्रयोग किया गया है। क्योंकि नेहरू जी कहना चाहते हैं कि यदि अंग्रेज़ यहाँ न आते तो हम अधिक स्वतंत्र एवं अधिक समृद्ध होते। उनके आने से हमारी स्वतंत्रता एवं समृद्धि में कमी आई है।

Class 8 Hindi Chapter 1 ध्वनि
Class 8 Hindi Chapter 2 लाख की चूड़ियाँ
Class 8 Hindi Chapter 3 बस की यात्रा
Class 8 Hindi Chapter 4 दीवानों की हस्ती
Class 8 Hindi Chapter 5 चिट्ठियों की अनूठी दुनिया
Class 8 Hindi Chapter 6 भगवान के डाकिए
Class 8 Hindi Chapter 7 क्या निराश हुआ जाए
Class 8 Hindi Chapter 8 यह सबसे कठिन समय नहीं
Class 8 Hindi Chapter 9 कबीर की साखियाँ

Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 1 – अहमदनगर का किला
Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 2 – तलाश
Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 3 – सिंधु घाटी सभ्यता
Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 4 – युगों का दौर
Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 5 – नयी समस्याएँ

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