NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 5 – मिठाईवाला
NCERT Solutions for Class 7 Hindi (Vasant) Chapter 5. मिठाईवाला – 7वीं कक्षा में हर साल लाखो उम्मीदवार पढ़ते और अपनी परीक्षा की तैयारी करते है जो उम्मीदवार 7th कक्षा में पढ़ रहे है उन्हें बस की यात्रा Chapter के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है . इसके बारे में 7th कक्षा के हिंदी एग्जाम में काफी प्रश्न पूछे जाते है .इसलिए यहां पर हमने एनसीईआरटी कक्षा 7 हिंदी अध्याय 5 (मिठाईवाला) का सलूशन दिया गया है .इस NCERT Solutions For Class 7 Hindi Chapter 5. Mithaiwala की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. इसलिए आप Ch.5 मीठाईवाला के प्रश्न उत्तरों ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे.
Textbook | NCERT |
Class | Class 7 |
Subject | Hindi |
Chapter | Chapter 5 |
Chapter Name | मीठाईवाला |
NCERT Solutions For Class 7 हिंदी (वसंत) Chapter 5 मीठाईवाला
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
कहानी से
मिठाईवाला अलग-अलग चीज़ें इसलिए बेचता था ताकि वह अलग-अलग ढंग से बच्चों को मोहित कर सके। उनमें प्रेम बाँट सके तथा अपने दुख कम कर सके। वह महीनों बाद इसलिए आता था क्योंकि खिलौने बेचना उसका कार्य नहीं था। वह एक अमीर आदमी था । वह तो केवल उन बच्चों में अपने बच्चों की छवि देखने आता था ।
मिठाईवाले की आवाज़ बहुत मीठी थी । वह मधुर आवाज़ गीत गाता था । वह सबके साथ प्रेम से बात करता था । उसमें अपनत्व का भाव था । वह बच्चों की पसंद की वस्तुएँ लेकर आता था । उसका स्वभाव बहुत मधुर और कोमल था। उसके इन्हीं गुणों की वज़ह से बच्चे तो बच्चे बड़े भी उसकी ओर खिंचे चले आते थे
विजय बाबू का तर्क—‘” तुम लोगों की झूठ बोलने की आदत होती है। देते होंगे सभी को दो-दो पैसे में, पर एहसान का बोझ मेरे ही ऊपर लाद रहे हो ।” मुरलीवाले का तर्क–‘“आपको क्या पता बाबू जी कि इनकी असली लागत क्या है? यह तो ग्राहकों का दस्तूर होता है कि दुकानदार चाहे हानि उठाकर चीज़ क्यों न बेचे, पर ग्राहक यही समझते हैं कि दुकानदार मुझे लूट रहा है। आप भला काहे को विश्वास करेंगे ?”
खिलौनेवाले के आने पर उद्यानों में खेलते और इठलाते बच्चों का समूह आकर उसे घेर लेता था। बच्चे खिलौने देखकर खुश हो जाते थे । वे पैसे लेकर अपनी तोतली भाषा में खिलौनों का भाव पूछने लगते थे। वे खिलौने खरीदते ही उछलने-कूदने लगते थे । अपने-अपने खिलौने को एक-दूसरे से सुंदर बताने लगते थे ।
रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण इसलिए हो आया क्योंकि खिलौनेवाला भी इसी तरह ‘ बच्चों को बहलाने वाला, खिलौनेवाला’ गा-गाकर खिलौने बेचा करता था । उसकी आवाज़ भी इतनी ही मीठी थी ।
उत्तर – दादी की बात सुनकर मिठाईवाला भावुक उठा था क्योंकि उसे अपनी पत्नी और बच्चों की याद आ गई थी। उसे अपने वे दिन याद आ गए थे जब वह एक अमीर आदमी था और पत्नी, बच्चों के साथ आराम से जीता था । उसने इन व्यवसायों को अपनाने का कारण बताया कि उसे इन बच्चों में अपने बच्चों की झलक – सी मिल जाती है । वह अपने बच्चों की खोज में ही निकला है।
दादी ने जब मिठाईवाले से उसके बीते जीवन के बारे में पूछा तो वह बहुत भावुक हो उठा। उसे अपनी पत्नी और बच्चों की याद आ गई। वह अपने सुंदर संसार को याद करके फूट-फूटकर रोने लगा। उसे चुन्नू – मुन्नू में ही अपने बच्चों की झलक दिखाई पड़ी। उसने उन्हें कागज़ की पुड़िया में मिठाई दे दी। इसलिए कहानी के अंत में मिठाईवाले ने ऐसा कहा कि अब इस बार
मैं पैसे न लूँगा।
आज की औरतें चिक के पीछे से बात नहीं करतीं । यदि कुछ औरतें ऐसा करती भी हैं तो पर्दाप्रथा इसका महत्त्वपूर्ण कारण है। वे अपने दकियानूसी और पिछड़े स्वभाव का परिचय देती हैं । उनमें किसी-न-किसी प्रकार की हीन भावना होती है। वे स्वयं को पिछड़ा हुआ मानती हैं। कभी-कभी ऐसा करने के लिए उन पर उनके घर के सदस्यों का अनावश्यक दबाव भी होता है । मेरी राय में हर औरत को आज के युग के ‘अनुसार खुलकर अपनी बात कहनी चाहिए । यदि पुरुष – स्त्री को समान अधिकार प्राप्त हैं तो स्त्री परदे के पीछे क्यों रहना चाहती है।
कहानी से आगे
मिठाईवाले परिवार को अचानक दुर्घटना हुई होगी। पहले मिठाई एक धनी सेठ था। उसके दो बच्चे और पत्नी थे। दीवाली के अवसर पर वह भिखारियों को भी दान देता था। उसके घर में एक दीवाली की रात पटाखों से अचानक आग लग गई। देवता ने उसकी पत्नी और बच्चों को छीन लिया। अपने बच्चों और पत्नी के जाने से उसे बहुत सदमा लगा। उसकी बीमारी बढ़ गई। उसका उपचार कई वर्षों तक चलता रहा। एक दिन अस्पताल में उसे किसी फेरीवाले की मधुर आवाज़ सुनाई दी। वह उससे बहुत प्रभावित हुआ। बाद में उसने भी अपने नगर में खिलौने बेचने लगे। वह बच्चों को अपने पास बुलाकर उनके साथ बातचीत करता था और उन्हें सस्ते खिलौने बेचता था। चुन्नू: मुन्नू भी खिलौनेवाले से खिलौने लेकर घर आया। यह खिलौने उनकी माँ ने किससे खरीदे? “गली में खिलौनेवाला आया था, उससे बातचीत करने के लिए।”कितना?दो भागों में।रोहिणी ने सोचा कि इतने कम मूल्य के खिलौने कैसे दिए गए? एक सप्ताह बाद वह नगर में खिलौनेवाला मुरली बेचने आया। उसकी मधुर आवाज़ ने बच्चों को अपनी ओर खींच लिया। बच्चे उसके स्वर को सुनते हुए उसके आसपास जमा हो जाते। बच्चे अपनी तोतली आवाज़ में पूछते हैं कि इछका का मूल्य क्या है और उछका का मूल्य क्या है? मुरलीवाला बच्चों को देखकर खुश हो जाता। वह पैसे के बिना ही उन्हें मुरली देता। बच्चों के चले जाने पर भी वह उनका व्यवहार देखता रहता था।
एक बार वह मिठाई लाया। रोहिणी ने अपनी दादी को फोन किया और इतना महंगा सौदा बेचने का कारण पूछा। वह बार-बार मना करती थी। लेकिन रोहिणी ने पूछा तो उसने कहा कि वह नगर का एक धनी आदमी था। उसकी पत्नी और दो सुंदर बच्चे थे। लेकिन विधाता की लीला, सभी को दुर्घटना हुई। अब वह सिर्फ अपने बच्चों को खुश करने के लिए यह काम करने लगा है। उसे इन छोटे-छोटे बच्चों में अपने बच्चों का चेहरा दिखता है। ऐसा कहते ही वह रोने लगा। वह फिर अपनी पोटली उठाकर गाता हुआ चला गया।
हाट – मेले तथा शादी आयोजनों में हमें मिठाइयाँ सबसे ज़्यादा आकर्षित करती हैं। उनको सजाने-बनाने में हलवाइयों और खानसामों का हाथ होगा । हाट- मेले में काम करने वाले दुकान के कर्मचारी वस्तुओं को सजाते होंगे। शादी में हलवाई मिठाई बनाता है तथा अनेक बैरे उसे सजाते हैं ।
अनुमान और कल्पना
हमारे गली में मौसम के अनुसार कई फेरीवाले हैं। जैसे चाट, मूंगफली, फल, सब्जी, खिलौने, आइसक्रीम, कपड़े आदि। वे सब अपनी चीजों को बेचते हुए बड़ी मीठी आवाज़ में चिल्लाते थे। ये लोग कम पैसे में घूम-घूम कर माल बेचते हैं। ये भी बड़े दुकानदार होते अगर उनके पास पैसा होता। फेरीवाल, चाट, आलू, टिक्की
बालक – ऐ चाटवाले भैया दस रुपये के कितने टिक्की दिए हैं ?
चाटवाला – पाँच के एक और दस रुपये के दो टिक्की।
बालक – दस रुपये के तीन आते हैं?
चाटवाला – मेरे आलू के टिक्की विशेष प्रकार के हैं। मैं तो दस रुपया का एक ही देता हूँ।
बालक – अच्छा बीस रुपये का आलू टिक्की दे दो।।
फेरीवाला हमारे माता-पिता के समय में हर कुछ बेचता था। वह गा-गाकर अपना सामान बेचते थे। फेरीवाला लगभग सब कुछ लाया करते थे। लेकिन आज फेरीवालों की संख्या बहुत कम है। लोगों को अक्सर ब्रांडेड सामान खरीदना अच्छा लगता है, इसलिए अधिकांश लोग दुकान से खरीदते हैं। पहले की तरह मधुर स्वर में गाते हुए फेरीवाले नहीं चलते। अब उनका मधुर स्वर गायब हो गया है।
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