NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 3 – हिमालय की बेटियाँ

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 3 हिमालय की बेटियाँ

NCERT Solutions Class 7 Hindi (Vasant) Chapter 3 हिमालय की बेटियाँ – हर विद्यार्थी का सपना होता है कि वे अपनी कक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करे ,ताकि उन्हें आगे एडमिशन और किसी नौकरी के लिए फॉर्म अप्लाई करने में कोई दिक्कत न हो .इसलिए जो विद्यार्थी 7th में पढ़ रहे है उन्हें अपनी पढाई मन लगाकर करनी चाहिए . इसलिए आज हमने इस पोस्ट में 7th में पढ़ रहे विद्यार्थियों के लिए Class 7th Hindi Vasant Chapter 3 (हिमालय की बेटियाँ) के लिए सलूशन दिया गया है.इसलिए आप इस NCERT Solutions For Class 7 Hindi 3 Himalaya Ki Betiyan की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है.

TextbookNCERT
ClassClass 7
SubjectHindi
ChapterChapter 3
Chapter Nameहिमालय की बेटियां

NCERT Solutions For Class 7 हिंदी (वसंत) Chapter 3 हिमालय की बेटियां

पाठ का सार

महान लेखक नागार्जुन ने हिमालय की बेटियाँ लिखी हैं। लेखक ने इस लेख में हिमालय से निकलने वाली नदियों को अपनी बेटियों के रूप में बताया है। हिमालय से बहने वाली नदियाँ, जैसे गंगा, यमुना, सतलुज, लेखक को दूर से शांत और गंभीर लगीं। वे एक संभ्रांत महिला की तरह लगती थीं। लेखक उनके प्रति कृतज्ञ थे। वह अपनी माँ, दादी, मौसी और मामी की गोद में डुबकियाँ लगाता था। लेखक ने हिमालय के कंधे पर चढ़कर इन नदियों को देखा, जो समतल मैदानों में विशाल दिखाई देती थीं। इन नदियों का उछलना, कूदना, हँसना, उत्साह कहाँ गायब हो गया है? हिमालय की इन बेटियों की बाल-लीलाओं को देखकर लेखक हैरान रह गया। किसी लड़की और कली को देखकर वे इतने आश्चर्यचकित नहीं होते।
हिमालय की ये बेटियां इतनी बेचैन होकर बह रही हैं कि कोई नहीं जानता कि उनका क्या लक्ष्य है। ये बर्फ़ की पहाड़ियों, घाटियों और चोटियों पर अपने काम करते हैं। इन नदियों को शायद अपना अतीत याद आ जाता होगा जब वे देवदार, चीड़, सरसों, चिनार जैसे जंगलों में जाते हैं। हिमालय इन बेटियों की क्रूरता को कैसे सहेगा?
हिमालय से निकलकर दो महानदियाँ सिंधु और ब्रह्मपुत्र समुद्र में मिलती हैं। लेखक ने इन नदियों को पुराने हिमालय की गोद में खेलते हुए देखा है। लेखक को भी हिमालय को ससुर और समुद्र को दामाद कहने में कोई हिचक नहीं होती।
यक्ष कालिदास ने अपने मेघदूत में कहा कि बेतवा नदी को प्रेम के बदले देते जाना चाहिए। कालिदास जैसे बड़े लेखक को भी शायद नदियों का प्राकृतिक रूप पसंद था। नदियों को काका कालेलकर ने भी लोकमाता कहा है। लेखक इन्हें माता से पहले बेटियों की तरह देखता है। लेखक तिब्बत में सतलुज के किनारे बैठकर पवित्र हो गया। वह खुश होकर गाने लगा।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1. नदियों को माँ मानने की परंपरा हमारे यहाँ काफ़ी पुरानी है। लेकिन लेखक नागार्जुन उन्हें और किन रूपों में देखते हैं ?
उत्तर –

लेखक नागार्जुन नदियों को माँ, दादी, मौसी, मामी, बहन, प्रेमिका, बेटी, लड़की, बच्ची आदि रूपों में देखते हैं।

प्रश्न 2. सिंधु और ब्रह्मपुत्र की क्या विशेषताएँ बताई गई हैं ?
उत्तर –

सिंधु और ब्रह्मपुत्र हिमालय पर जमी बर्फ़ के पिघलने से उत्पन्न जल की बूँदों से महानदी के रूप में बहती हैं। ये दोनों नदियाँ उछलती-कूदती समुद्र में मिल जाती हैं। जब ये समुद्र में मिलती हैं तो इनकी उछलती – उफनती तरंगों को अनूठा रूप प्राप्त हो जाता है। ऐसा लगता है जैसे बेटियाँ अपने पिता की गोद में प्रसन्नता और उत्साहपूर्वक खेल रही हैं।

प्रश्न 3.काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता क्यों कहा है ?
उत्तर –

नदियाँ धरती पर बहती हैं और सारे प्राणियों के जीवन का आधार बनती हैं। इस लोक के अधिकांश जीव और पेड़-पौधों का पालन-पोषण नदियों के कारण ही होता है । सारी धरती का कूड़ा-करकट नदियाँ अपने आँचल में समेटती हैं और फिर भी धरती का कल्याण करती हैं । दुःख सहकर भी माता ही भला करती है, इसलिए काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है।

प्रश्न 4.हिमालय की यात्रा में लेखक ने किन-किन संबंधों की प्रशंसा की है ?
उत्तर –

हिमालय की यात्रा में लेखक ने माँ, दादी, मौसी, मामी, बहन, पिता, ससुर, बेटियाँ आदि सभी संबंधों की प्रशंसा की है, जो अपने स्नेह और प्रेम से अपनों को सुख प्रदान करते हैं। हिमालय, समुद्र और नदियों की उसने सराहना की है। उसने सतलुज नदी को बहन की तरह संबोधित किया है ।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.प्रस्तुत लेख में नदियों के दृश्य वर्णन पर बल दिया गया है। किसी नदी की तुलना अल्हड़ बालिका से कैसे की जा सकती है ? कल्पना कीजिए ।
उत्तर-

अल्हड़ बालिका जिस प्रकार से अपनी मस्ती में चूर रहती है, अपनी चंचलता से कार्य करती है, उसी प्रकार नदियाँ भी अपनी मस्ती में चूर रहकर ही बहती हैं। जैसे अल्हड़ बालिका किसी की बात नहीं सुनती, वैसे ही नदियाँ भी किसी की परवाह किए बिना समुद्र की ओर बहती जाती हैं ।

प्रश्न 2.नदियों से होने वाले लाभों के विषय में चर्चा कीजिए और इस विषय पर बीस पंक्तियों का एक निबंध लिखिए ।
उत्तर –

नदियाँ प्राणियों के जीवन का आधार हैं । वे अपने जल से धरती की प्यास बुझाती हैं और उसे जीवन – रस प्रदान कर उनका पोषण करती हैं। नदियाँ अनेक स्रोतों से निकलकर धरती के कठोर वक्षस्थल पर बहती हैं। वे असंख्य प्राणियों को अपना जल प्रदान करती हैं और फिर सागरों में जा मिलती हैं। नदियों का उपयोग परिवहन के लिए किया जाता है। नौकाओं के द्वारा लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर सरलता से आते-जाते हैं । जंगलों से काटी गई लकड़ी को बहते पानी के माध्यम दूसरे स्थानों पर भेजा जाता है। नदियों में पर्वतीय क्षेत्रों से बड़ी-बड़ी चट्टानें गिरती रहती हैं । वे आपस में टकरा- टकराकर रेत के कण और मिट्टी तैयार कर देती हैं। रेत का प्रयोग भवन- निर्माण में किया जाता है और चट्टानों के टुकड़ों का सड़क निर्माण में । इमारतों के फ़र्श भी तो इन्हीं से बनते हैं तथा यही कंकरीट बनाते हैं। नदियाँ सभी वनस्पतियों की आधार हैं। ये भूमिगत जल में वृद्धि करती हैं, जो कुओं और ट्यूबवैल के द्वारा फ़सलों की सिंचाई में सहयोग देती हैं। नदियों पर बाँध बनाकर विद्युत उत्पन्न की जाती है, जो केवल हमें रोशनी ही प्रदान नहीं करती, बल्कि सारे उद्योग-धंधों की आधार भी बनती है। नदियाँ पेड़-पौधों के पोषण का आधार बनती हैं। न जाने कितने जीव इनके जल में बसते हैं लोग इनसे मछलियाँ प्राप्त कर अपना पेट भरते हैं। जल कवक, काई, फफूँदियों आदि के लिए ये नमी प्रदान करती हैं, जिनसे अनेक लाभ प्राप्त किए जाते हैं। अनेक नदियाँ आस्था और धार्मिक भावनाओं की आधार बनकर हमें मानसिक शांति प्रदान करती हैं ।

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