NCERT Solutions for Class 6 Hindi Chapter 13 – मैं सबसे छोटी होऊँ
NCERT Solutions for Class 6 Hindi (Vasant) Chapter 13 मैं सबसे छोटी होऊँ – छठी कक्षा के विद्यार्थियों जो अपनी क्लास में सबसे अच्छे अंक पाना चाहता है उसके लिए यहां पर एनसीईआरटी कक्षा 6th हिंदी अध्याय 13 (मैं सबसे छोटी होऊँ) का सलूशन दिया गया है. यह सलूशन एक सरल भाषा में दिया गया है ताकि विद्यार्थी को इसके प्रश्न उत्तर आसानी से समझ में आ जाएँ . इस NCERT Solutions For Class 6th Hindi Chapter 13 Main Sabse Chhoti Hun की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. इसलिए नीचे आपको एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 हिंदी (वसंत) अध्याय 13 मैं सबसे छोटी होऊँदिया गया है।
Class | 6 |
Subject | Hindi |
Book | वसंत |
Chapter Number | 13 |
Chapter Name | मैं सबसे छोटी होऊँ |
NCERT Solutions For Class 6 हिंदी (वसंत) Chapter 13 मैं सबसे छोटी होऊँ
अभ्यास के सभी प्रश्नों के उत्तर
कविता से
उत्तर– कवि सबसे छोटे होने की कल्पना इसलिए करता है ताकि उसे हमेशा माँ का साथ तथा प्यार मिलता रहे।
प्रश्न 2. कविता में ‘ऐसी बड़ी न होऊँ मैं’ क्यों कहा गया है ? क्या तुम भी हमेशा छोटे बने रहना पसंद करोगे?
उत्तर- ‘ऐसी बड़ी न होऊँ मैं’ ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि बड़ा होते ही माँ खिला-पिलाकर खिलौने देकर बहला देती है और परियों की कहानी नहीं सुनाती है। हाँ, मैं भी हमेशा छोटा रहना चाहूँगी।
उत्तर- बच्ची अपनी माँ से कहती है कि हे माँ, बड़ा होते ही तू मुझे नहला-धुलाकर खिलौने देकर अपने आप खेलने के लिए छोड़ देती है। तू न तो मेरे साथ रहती है और न ही मेरे साथ घूमती फिरती है।
उत्तर–इस कविता में छुटपन में माँ की गोदी में सोने, आँचल पकड़-पकड़कर घूमने, खिलौने से खेलने, परियों की कहानी सुनने आदि की स्थितियों को बताया गया है।
कविता से आगे
उत्तर- मेरी माँ मुझे सुबह उठाती है। फिर नहला-धुलाकर स्कूल जाने के लिए तैयार करती है। नाश्ता कराकर स्कूल भेजती है। स्कूल से आने पर खाना आदि खिलाती है। मेरी माँ मेरा हर प्रकार से ख्याल रखती है।
उत्तर- ‘धड़ा बनाकर माँ बच्चे को छलती है’ ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि माँ दिन-रात अब साथ नहीं रहती। न तो माँ अपने हाथों से खाना खिलाती है, न ही परियों की कहानी सुनाती है और न ही नहलाती धुलाती है।
प्रश्न 3. उन क्रियाओं को गिनाओ जो इस कविता में माँ अपनी छोटी बच्ची या बच्चे के लिए करती है।
उत्तर–माँ अपनी छोटी बच्ची या बच्चे को गोदी में सुलाती है। वह दिन-रात बच्चे का ख्याल रखती है। उसे नहलाती धुलाती है। उसे कपड़े आदि पहनाकर सुंदर बनाती है। सोते समय सुखद परियों की कहानी सुनाती है।
अनुमान और कल्पना
उत्तर–कवि माँ से चंद्रोदय दिखाने की बात इसलिए कह रहा है क्योंकि चंद्रोदय का दृश्य बहुत ही मनोरम होता है। बच्चे चाँद को प्यार से चंदा मामा कहते हैं। मामा का माँ से संबंध भी होता है। इसी बहाने बच्चे माँ का स्नेह व स्पर्श भी चाहते हैं।
उत्तर–मेरे पड़ोस में सेठी साहब रहते हैं। उनकी एकमात्र पुत्री स्नेहा है। वह अपने माता-पिता की लाडली बेटी है। वह हर समय माँ का आँचल पकड़-पकड़कर चलती है। माँ उसे अपनी गोदी में ही सुलाती है। वह माँ के हाथों से ही खाना खाती है। सोते समय माँ से परियों की कहानी सुनकर ही सोती है। वह माँ से तोतली बोली में बातें करती है।
उत्तर– माँ अपना दिन घर के कामकाज तथा बच्चों की देखभाल में गुजारती है। परंतु कुछ मौकों पर उसकी दिनचर्या बदल जाया करती है। जैसे-
मेहमानों के आ जाने पर – मेहमानों के आ जाने पर माँ का अधिक समय मेहमानों की देखभाल में व्यतीत होता है। अतः वह घर का कार्य जल्दी-जल्दी करके बच्चे को नहला-धुलाकर तैयार करती है। उसे घुमाने-फिराने के समय में भी कमी कर देती है। अतः उसे इस अवसर पर अपनी दिनचर्या में परिवर्तन करना पड़ता है।
घर में किसी के बीमार पड़ जाने पर-घर में किसी के बीमार पड़ जाने पर माँ को अधिक समय बीमार व्यक्ति की सेवा में देना पड़ता है। इसलिए वह अपने घर के अन्य कार्यों सफाई, खाना पकाना तथा बच्चे की देखभाल आदि कार्यों की तरफ कम ध्यान देती है। इन कार्यों को उसे जल्दी-जल्दी निपटाना पड़ता है। अतः उसे इस अवसर पर अपनी दिनचर्या में परिवर्तन करना पड़ता है।
त्योहार के दिन – त्योहार के दिन माँ सारे घर की अच्छी प्रकार से सफाई करती है। घर में आने वाले लोगों के लिए विभिन्न प्रकार की खाने-पीने की वस्तुएँ बनाती है। इन कार्यों के साथ बच्चों की देखभाल के लिए भी उसे समय निकालना पड़ता है। अतः इस अवसर पर उसे अपनी दिनचर्या में परिवर्तन करना पड़ता है।
भाषा की बात
- स्नेह – प्रेम
- ग्रह – गृह
- शांति – सन्नाटा
- निधन – निर्धन
- धूल – राखे
- समान – सामान
उत्तर–
स्नेह- बच्चों के प्रति प्रेम। प्रेम- किसी के प्रति सहज प्रेम।
ग्रह- आकाशीय नक्षत्र। गृह– घर।
शान्ति- मन की स्थिरता। सन्नाटा– निर्जनता, एकदम चुप्पी।
निधन– मौत। निर्धन– गरीब।
धूल– मिट्टी के कण। राख– जले हुए पदार्थ की भस्म ।
समान- सदृश, एक-सा। सामान– वस्तुएँ आदि।
उत्तर-सुख-दुःख = जीवन में सुख-दुःख तो आते-जाते रहते हैं।
यश-अपयश = जीवन में यश-अपयश को समझना चाहिए।
जीवन-मरण = जीवन-मरण तो केवल ईश्वर के हाथ में हैं।
अपने-पराए = अपने-पराए की बात छोड़कर तुम न्याय की बात करो।
कुछ करने को
(क) एक समूह में वे जो छोटे बने रहना चाहते हैं।
(ख) दूसरे समूह में वे जो बड़े होना चाहते हैं।
इन दोनों समूह के सभी बच्चे एक-एक कर बताएँगे कि वे क्यों छोटा बने रहना चाहते हैं या क्यों बड़ा होना चाहते हैं।
उत्तर– कक्षा में छात्र समूहों में बँट कर अपनी-अपनी इच्छा व्यक्त करें। जैसे
मोहन – मैं छोटा बना रहना चाहता हूँ क्योंकि माँ के साथ रहना मुझे अच्छा लगता है।
सोहन – मैं बड़ा होकर अपने माता-पिता की सेवा करना चाहता हूँ।
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