NCERT Solutions For Class 6 Hindi Chapter 11 – जो देखकर भी नहीं देखते
NCERT Solutions Class 6 Hindi (Vasant) Chapter 11 जो देखकर भी नहीं देखते – आज हम आपको कक्षा 6 पाठ-11 जो देखकर भी नहीं देखते पाठ के प्रश्न-उत्तर (Jo Dekhkar Bhi Nahi Dekhte Question Answer) के बारे में बताने जा रहे है । जो विद्यार्थी 6th कक्षा में पढ़ रहे है उनके लिए यह प्रश्न उत्तर बहुत उपयोगी है . यहाँ एनसीईआरटी कक्षा 6 हिंदी अध्याय 11 (जो देखकर भी नहीं देखते) का सलूशन दिया गया है. जिसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप Class 6th Hindi Chapter 11 जो देखकर भी नहीं देखते के प्रश्न उत्तरों को ध्यान से पढिए ,यह आपकी परीक्षा के लिए फायदेमंद होंगे.
Class | 6 |
Subject | Hindi |
Book | वसंत |
Chapter Number | 11 |
Chapter Name | जो देखकर भी नहीं देखते |
NCERT Solutions For Class 6 हिंदी (वसंत) Chapter 11 जो देखकर भी नहीं देखते
अभ्यास के सभी प्रश्नों के उत्तर
निबंध से
उत्तर-हेलेन केलर को ऐसा इसलिए लगता है क्योंकि जब प्रकृति की वस्तुओं को छूने से इतना आनंद मिलता है, तो देखकर तो मन मुग्ध हो जाना चाहिए, परंतु दुनिया के सुंदर रंग लोगों की संवेदना को नहीं छू पाते।
उत्तर-ऋतुओं का परिवर्तन, बसंत ऋतु में रंग-बिरंगे फूलों का खिलना, कलियों की पंखुड़ियों की मखमली सतह, बागों में वृक्षों पर चहचहाते पक्षी, कलरव करते बहते हुए झरने, कालीन के समान फैले हुए घास के मैदान आदि प्रकृति के जादू हैं।’
उत्तर- ‘कुछ खास तो नहीं यह जवाब उसकी मित्र ने तब दिया जब वह जंगल की सैर करके वापस आई थी। हेलेन को यह जवाब सुनकर आश्चर्य इसलिए नहीं हुआ क्योंकि हेलेन का मानना था कि जिन लोगों की आँखें होती हैं वे बहुत कम देखते हैं। आँखें होने के बाद भी इन प्राकृतिक दृश्यों को देखकर उसका मन मुग्ध नहीं होता।
उत्तर- हेलेन केलर भोज-प्रत्र की चिकनी छाल, चीड़ की खुरदरी छाल, कलियों व फूलों की पंखुड़ियों की बनावट को छूकर तथा पक्षियों के गीतों को सुनकर पहचान लेती थी।
उत्तर-जबकि इस नियामत से जिंदगी को खुशियों के इंद्रधनुषी रंगों से हरा-भरा किया जा सकता है, का अर्थ है कि प्रकृति की अनेक रमणीय वस्तुओं को देखकर आनंद उठाया जा सकता है और अपने सारे दुःखों को भुलाया जा सकता है।
निबंध से आगे
उत्तर-आज अपने घर से आते हुए मैंने अनेक चीजें देखीं, जिनका वर्णन मैं इस पत्र में कर रहा हूँ। घर से निकलने पर सबसे पहले खिले हुए फूल और चटकती कलियों को देखकर मन प्रसन्न हो उठा। थोड़ा-सा आगे जाने पर पेड़ पर बैठे पक्षियों का चहचहाना सुना। वे इतने खुश दिख रहे थे, मानों उन्हें जीवन का कोई खजाना मिल गया हो। बाग में खिले हुए फूलों के आस-पास भँवरे मंडरा रहे थे। कुछ पौधों की लताएँ एक साथ ऐसे मनमोहक लग रही थीं, मानों वे मिल-जुलकर रहने का संदेश दे रही हों। पार्क में हरी घास की दूर तक फैली हुई चादर देखकर मन प्रसन्नता से भर उठा। मैंने मन-ही-मन ईश्वर को धन्यवाद किया कि उन्होंने इतने सुंदर उपहारों को मुझे देखने की क्षमता प्रदान की। आशा है तुम भी इनकी सुंदरता महसूस करोगे। शेष अगले पत्र में।
उत्तर- कान से न सुनने पर आस-पास की दुनिया अजीब तरह की लगेगी। प्रकृति की आनंददायी आवाज को न सुन पाने के कारण मन अशांत रहेगा। मन तुरंत कहेगा कि किसी भी तरह से इन ध्वनियों का आनंद लिया जाए। मनुष्य एवं प्रकृति के क्रिया-कलापों को कान से न सुनने पर हम मूक फिल्मों की तरह देखते हैं।
उत्तर- हम उनसे निम्न प्रश्न कर सकते हैं
(क) वे सुनकर कैसे जान जाते हैं कि आवाज किस पक्षी की है?
(ख) वे सँघकर ही कैसे जान लेते हैं कि पास में किसे फूल को वृक्ष है?
(ग) वे स्वाद से किसी खाद्य पदार्थ की पहचान लंबे समय तक कैसे याद रख पाते हैं ?
(घ) वे छूकर कैसे जान लेते हैं कि उनके पास उनका कौन-सा मित्र खड़ा है?
सुनकर, चखकर, सूंघकर, छूकर।
भाषा की बात
चिकना, चिपचिपा, मुलायम, खुरदरा, लिजलिजा, ऊबड़-खाबड़, सख्त, भुरभुरा।
उत्तर-
• ऊपर रेखांकित संज्ञाएँ क्रमशः किसी भाव और किसी की विशेषता के बारे में बता रही हैं। ऐसी संज्ञाएँ भाववाचक कहलाती हैं। गुण और भाव के अलावा भाववाचक संज्ञाओं का संबंध किसी की दशा और किसी कार्य से भी होता है। भाववाचक संज्ञा की पहचान यह है कि इससे जुड़े शब्दों को हम सिर्फ महसूस कर सकते हैं, देख या छू नहीं सकते। आगे लिखी भाववाचक संज्ञाओं को पढ़ो और समझो। इनमें ये कुछ शब्द संज्ञा और कुछ क्रिया से बने हैं। उन्हें भी पहचानकर लिखो
मिठास, भूख, शांति, भोलापन, बुढ़ापा, घबराहट, बहाव, फुर्ती, ताज़गी, क्रोध, मज़दूरी, अहसास
उत्तर-
मिठास = मीठा = विशेषण
बुढ़ापा = बूढ़ा = विशेषण
ताज़गी = ताज़ा = विशेषण
भूख = भूखा = विशेषण
घबराहट = घबराना = क्रिया
क्रोध = क्रोधी = विशेषण
शांति = शांत = विशेषण
बहाव = बहना = क्रिया
मजदूरी = मजदूर = संज्ञा
भोलापन = भोला = विशेषण
फुर्ती = फुर्तीला = विशेषण
• उस बगीचे में आम, अमलतास, सेमल आदि तरह-तरह के पेड़ थे।
ऊपर दिए गए दोनों वाक्यों में रेखांकित शब्द देखने में मिलते-जुलते हैं, पर उनके अर्थ भिन्न हैं। नीचे ऐसे कुछ और शब्द दिए गए हैं। वाक्य बनाकर उनका अर्थ स्पष्ट करो
अवधि – अवधी ओर – और
में – मै दिन – दीन
मेल – मैल सिल – शील
उत्तर-अवधि अवधि बीत जाने पर नाम नहीं लिखा जा सकता।
अवधी = तुलसीदास की मुख्य भाषा अवधी है।
में = बच्चे मैदान में खेल रहे हैं।
मैं = मैं कठिन परिश्रम करूँगा।
मेल = चित्र में रंगों का सुंदर मेल है।
मैल = गरीब के कपड़ों पर मैल जमी रहती है।
ओर = चलो! मंदिर की ओर चलें।
और = राम और श्याम विद्यालय जा रहे हैं।
दिन = वसंत ऋतु के दिन सुहावने होते हैं।
दीन = दीन दुःखियों की सेवा परोपकार है।
सिल = इस बूटी को सि ल पर पीस लो।
शील = सुनीता शील स्वभाव की लड़की है।
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