महादेवी वर्मा का जीवन परिचय | Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay
महादेवी वर्मा जीवन परिचय, रचनाएं और भाषा शैली | Mahadevi Verma Biography In Hindi :– इस लेख में, हम महादेवी वर्मा के जीवन के बारे में जानेंगे, जिसमें उनकी जन्म तिथि, उनका जन्म कहाँ हुआ था और उनकी मृत्यु कब हुई थी। हम उनके बेटे और उनके कुछ सबसे प्रसिद्ध कार्यों के बारे में भी जानेंगे।
महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma) का जीवन परिचय, साहित्यिक विशेषताएँ, एवं भाषा शैली और उनकी प्रमुख रचनाएँ । महादेवी वर्मा का जीवन परिचय एवं साहित्यिक परिचय नीचे दिया गया है।
पूरा नाम | महादेवी वर्मा |
अन्य नाम | आधुनिक मीरा |
जन्म तिथि | 26 मार्च 1907 |
जन्म स्थान | फर्रुखाबाद |
मृत्यु तिथि | 11 सितंबर 1987 |
मृत्यु स्थान | इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश (भारत) |
आयु (मृत्यु के समय) | 80 वर्ष |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
शिक्षा | एम. ए. संस्कृत, प्रयागराज विश्वविद्यालय |
भाषा | साहित्यिक खड़ी बोली |
शैली | छायावादी, मुक्तक शैली |
रचनाएँ | नीरजा, सान्ध्य गीत, दीपशिखा, सप्तपर्णा, नीहार, रश्मि, हिमालय |
पुरस्कार | (1956 -पद्म भूषण), (1982 – ज्ञानपीठ पुरस्कार), (1988 – पद्म विभूषण) |
पिता का नाम | गोविन्द सहाय वर्मा |
माता का नाम | हेम रानी |
पति का नाम | डॉ स्वरूप नारायण वर्मा |
महादेवी वर्मा का जीवन परिचय (Mahadevi Verma Ka Jeevan Parichay)
महादेवी वर्मा का जन्म 1907 में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में एक बहुत ही महत्वपूर्ण परिवार में हुआ था। नौ साल की उम्र में उनका विवाह कर दिया गया था, लेकिन यह विवाह टिक नहीं सका। उन्होंने अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना शुरू किया और 1932 में उन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। इनकी योग्यताओं से प्रभावित होकर इन्हें प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्राचार्या के रूप में नियुक्त किया गया। उन्हें छायावादी हिंदी कविता के चार स्तंभों में से एक माना जाता है। उन्हें 1984 में प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित विभिन्न साहित्यिक पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था। 11 सितंबर, 1987 को उनका निधन हो गया।
महादेवी वर्मा की शिक्षा
महादेवी जी ने अपनी शिक्षा इंदौर के एक मिशन स्कूल में शुरू की। उसने घर पर शिक्षकों से संस्कृत, अंग्रेजी, संगीत और पेंटिंग सीखी। शादी करने के बाद, उसने एक बच्चा पैदा करने के लिए अपनी शिक्षा से एक साल की छुट्टी ले ली। जब वह स्कूल लौटी, तो उसने इलाहाबाद के क्रास्थवेट कॉलेज में पढ़ना शुरू किया। महादेवी जी अपने आठवीं कक्षा में पूरे प्रांत में सबसे अच्छी छात्रा थीं। उनकी कविताएँ पत्रिकाओं में प्रकाशित होने लगीं और वे अपने मित्रों के बीच बहुत लोकप्रिय थीं। 1932 में, उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत में एमए के साथ स्नातक किया। उनके दो कविता संग्रह, निहार और रश्मि, इस बिंदु पर पहले ही प्रकाशित हो चुके थे।
महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनाएँ
महादेवी वर्मा ने कविता, रेखाचित्र, आलोचना आदि अनेक साहित्यिक विधाओं में रचना की है।
इनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं
(i) काव्य-ग्रंथ- ‘नीहार’, ‘रश्मि’, ‘नीरजा’, ‘सांध्यगीत’, ‘दीपशिखा’, ‘यामा’ आदि।
(ii) नारी- साहित्य-‘श्रृंखला की कड़ियाँ’।
(ii) रेखाचित्र -संस्मरण-‘अतीत के चलचित्र’, ‘स्मृति की रेखाएँ’, ‘पथ के साथी’, ‘क्षणदा’।
(iv) आलोचना- ‘हिंदी का विवेचनात्मक गद्य’, ‘विभिन्न काव्य-संग्रहों की भूमिकाएँ।
(v) संपादन -‘चाँद’, ‘आधुनिक कवि काव्यमाला’।
महादेवी वर्मा की साहित्यिक विशेषताएँ
महादेवी वर्मा एक कवयित्री हैं और उन्होंने अपनी काव्य रचनाओं के लिए बहुत ख्याति प्राप्त की है। उन्होंने हिंदी गद्य साहित्य के विकास में भी बहुमूल्य योगदान दिया है। महादेवी जी संगीत, चित्रकला, प्रकृति और पशु-पक्षियों सहित विभिन्न विषयों में रुचि रखती हैं। उसने इन विषयों से संबंधित निबंध भी लिखे हैं। महादेवी जी के निबन्ध-साहित्य में जहाँ राष्ट्रीय स्वर मुखरित हुआ है, उन्होंने दलितों की पीड़ा और कष्टों का वर्णन किया है। उन्होंने भारत की प्राचीन उज्ज्वल परंपराओं और समाज की आधुनिक आवश्यकताओं की ओर भी छात्रों का ध्यान आकर्षित किया है। महादेवी जी का निबंध-साहित्य समाज को पहचानने में मदद करता है। उन्होंने नारी जागरण पर विशेष बल दिया है।
महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य में स्थान
महादेवी जी एक ऐसी कवयित्री हैं जिन्होंने नारी हृदय की सुंदरता और सरलता पर कविताएं लिखी हैं। उन्होंने अपनी कुछ कविताओं में स्त्री के अकेलेपन को भी दर्शाया है। हिंदी भाषा के सौंदर्यीकरण और अपनी कविताओं को अर्थ प्रदान करने में उनका कार्य प्रशंसनीय है। महादेवी जी हिंदी साहित्य की सबसे प्रसिद्ध और श्रद्धेय कवियों में से एक हैं।
महादेवी वर्मा की भाषा-शैली
महादेवी वर्मा एक कवयित्री हैं और उन्होंने अपनी काव्य रचनाओं के लिए बहुत ख्याति प्राप्त की है। उन्होंने हिंदी गद्य साहित्य के विकास में भी बहुमूल्य योगदान दिया है। महादेवी जी संगीत, चित्रकला, प्रकृति और पशु-पक्षियों सहित विभिन्न विषयों में रुचि रखती हैं। उसने इन विषयों से संबंधित निबंध भी लिखे हैं। महादेवी जी के निबन्ध-साहित्य में जहाँ राष्ट्रीय स्वर मुखरित हुआ है, उन्होंने दलितों की पीड़ा और कष्टों का वर्णन किया है। उन्होंने भारत की प्राचीन उज्ज्वल परंपराओं और समाज की आधुनिक आवश्यकताओं की ओर भी छात्रों का ध्यान आकर्षित किया है। महादेवी जी का निबंध-साहित्य समाज को पहचानने में मदद करता है। उन्होंने नारी जागरण पर विशेष बल दिया है।
महादेवी वर्मा को किस रचना के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला
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Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay FAQ (महादेवी वर्मा से जड़े कुछ प्रश्न और उनके उत्तर)
प्रश्न 1 महादेवी वर्मा का जन्म कब हुआ?
उत्तर महादेवी वर्मा जी का जन्म 26 मार्च सन् 1907 में हुआ था।
प्रश्न 2 महादेवी वर्मा की कितनी रचनाएं हैं?
उत्तर निहार, रश्मि, नीरजा,गीत, दीपशिखा, यामा
प्रश्न 3 महादेवी वर्मा की मृत्यु कब हुई?
उत्तर 11 सितंबर 1987 ई
प्रश्न 4 महादेवी वर्मा के पिता का क्या नाम था?
उत्तर श्री गोविंद प्रसाद वर्मा
प्रश्न 5 महादेवी वर्मा का जन्म किस स्थान पर हुआ?
उत्तर महादेवी वर्मा जी का जन्म फर्रुखाबाद में हुआ था।