HTET Level 3 PGT Hindi Question Paper PDF

41. ‘जो नायिका अपने प्रेमी से मिलने स्वयं जाए’ -के लिए एक शब्द है।

⚪दुहिता
⚪अभिसारिका
⚪प्रोषितपतिका
⚪स्वयंगमना
Answer
अभिसारिका

42. “वाय’ शब्द में कौन-सा प्रत्यय लगा है?

⚪य
⚪एय
⚪इय
⚪अय
Answer
एय

43. व्याकरण की दृष्टि से ‘प्रेम’ शब्द क्या है?

⚪अव्यय
⚪भाववाचक संज्ञा
⚪विशेषण
⚪शुद्धता
Answer
भाववाचक संज्ञा

44. ‘गौरव’ शब्द की सही व्युत्पत्ति है?

⚪गुरु + व
⚪गुरु + अ
⚪गुरु + अव
⚪गौर + व
Answer
गुरु + अ

45. ‘नेत्री’ शब्द का पुंल्लिग क्या होगा?

⚪नेताइन
⚪नेतृ
⚪नेता
⚪अभिनेता
Answer
नेता

46. ‘बंदूक एक उपयोगी …………. है।’ रिक्त स्थान के लिए उचित शब्द का चयन करें?

⚪अस्त्र
⚪शस्त्र
⚪रक्षक
⚪औजार
Answer
शस्त्र

47. ‘वह जिस पर हमला किया गया हो’ – के लिए एक शब्द चुनें?

⚪आत्मघात
⚪आघात
⚪आक्रांत
⚪आक्रांता
Answer
आक्रांत

48. ‘मैं खाना खा चुका हूँ।’ इस वाक्य में भूतकालिक भेद इंगित कीजिए।

⚪पूर्ण भूत
⚪सामान्य भूत
⚪आसन्न भूत
⚪संदिग्ध भूत
Answer
पूर्ण भूत

49. ‘योगीश्वर’ शब्द का सम्यक् संधि विच्छेद होगा?

⚪योगी + इश्वर
⚪योगि + ईश्वर
⚪योगि + श्वर
⚪योगिन् + ईश्वर
Answer
योगिन् + ईश्वर

50. किस शब्द में विसर्ग संधि का प्रयोग नहीं हुआ?

⚪नभोमण्डल
⚪शिरोभाग
⚪क्षुधोत्तेजन
⚪सर्वतोमुखी
Answer
क्षुधोत्तेजन

51. किस शब्द में समास की दृष्टि से विभक्ति का लोप नहीं, अपितु विभक्ति सहित प्रयोग किया गया है?

⚪सरसिज
⚪कृतघ्न
⚪स्वस्थ
⚪स्वर्णकार
Answer
सरसिज

52. कौन-सा शब्द ‘धनुष’ का पर्यायवाची नहीं है?

⚪कोदंड
⚪विशिखासन
⚪चाप
⚪विशिख
Answer
विशिख

53. उपसर्ग रहित शब्द है?

⚪सुरेश
⚪सुयोग
⚪अत्यधिक
⚪विदेश
Answer
सुरेश

54. अशुद्ध विकल्प को पहचानिए?

⚪विश्वामित्र = विश्व + मित्र
⚪मूसलाधार = मूसल + धार
⚪सभी = सब + ही
⚪दीनानाथ = दीना + नाथ
Answer
दीनानाथ = दीना + नाथ

55. ‘भूल गए राग रंग भूल गए छकड़ी, तीन चीज़ याद रही नून, तेल, लकड़ी’ – लोकोक्ति के लिए सही अर्थ का चयन कीजिए।

⚪महँगाई के आगे की विवशता
⚪नून, तेल, लकड़ी के बिना संसार अधूरा है
⚪अत्यावश्यक वस्तुओं से ही प्रेम
⚪गृहस्थी के चक्कर में फँस जाना
Answer
गृहस्थी के चक्कर में फँस जाना

निर्देश : निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उस पर आधारित पूछे गये प्रश्नों (प्रश्न संख्या 56 से 59) के उत्तर दीजिए :
भारत में परंपरा के प्रयोजन और औचित्य को लेकर दो अतिरेकवादी और परस्पर घोर विरोधी स्वर अकसर सुनाई पड़ते हैं। एक स्तर पर वो परंपरा प्रेमी हैं जो अतीत के प्रत्येक चिहून को परंपरा मानने की जिद पकड़े हैं और दूसरे स्तर पर वो ‘आधुनिक’ हैं जो देश के प्रत्येक प्राचीन को संदेह की दृष्टि से देखते हैं। और एक कथित आधुनिक राष्ट्र के निर्माण में उसे बाधा की तरह पाते हैं।
भारतीय मनीषा ने परंपरा को महत्त्व तो सदैव दिया है परन्तु इसे उचित ही प्रश्नांकित और तदनुसार परिमार्जित भी किया है। भारतीय समाज को एक परंपरावादी समाज के रूप में अभिहित किया जाता है। जिससे कुछ लोग यह धोखा खा जाते हैं कि प्राचीनतम समय से यहाँ कुछ नहीं बदला है। परंपरा के साथ परिवर्तन ही भारतीय समाज की खूबी है।
वैदिक संहिताओं की कतिपय मान्यताओं का विरोध उपनिषदों में ही हो गया जो कि वैदिक वाङ्मय के ही भाग थे। महावीर स्वामी व गौतम बुद्ध ने उस वर्ण व्यवस्था का विरोध किया जिसमें वे स्वयं जन्मे थे। बौद्ध धर्म की नितान्त नीरस हीनयान परंपरा का विरोध महायान संप्रदाय के रूप में सामने आया और महायान संप्रदाय ने सृष्टिविषयक परिकल्पना का वह दार्शनिक वितान रचा जिसका गौतम बुद्ध सदैव विरोध करते रहे। थे। जब पारसिकों एवं शकों से संपर्क हुआ तो उनका क्षत्रप-महाक्षत्रप का ढांचा भारत की राजनीतिक प्रणाली का हिस्सा बन गया। गांधार कला का शिल्प शास्त्र हम भारतीयों को यूनानियों से लेने में कोई संकोच नहीं हुआ इसी प्रकार ज्योतिष में यवन सिद्धान्त को आदर के साथ स्थान मिला अचकन और बूटे मध्य एशिया के ठंडे
प्रदेशों से आये कुषाण लाये थे। भारतीय वस्त्र विन्यास में ये इस प्रकार समाहित हो गए कि इन्हें पृथक् परंपरा के रूप में देखना संभव नहीं।
यह बदलाव ही भारतीय परंपरा की पूँजी है। जब कभी बदलाव को छोड़कर वह जड़ता की ओर उन्मुख हुई है उसने दीर्घकालीन प्रगति को नुकसान पहुँचाया है। सामाजिक इतिहासकारों के अनुसार गुप्तोत्तर काल एक ऐसा युग था जब परंपराओं के पिष्टपेषण का बोलबाला था। परिवर्तन और परिमार्जन की कोई प्रेरणा नहीं थी। उस समय परंपरा के नाम पर कुछ ऐसी बद्धमूल धारणाएँ विकसित हुईं जिनका दुष्परिणाम हम आज भी भोग रहे हैं।
यद्यपि यह सही है कि अतीत की कुछ बद्धमूल परंपराओं का खामियाजा हमें उठाना पड़ा परंतु यह अभीष्ट नहीं है कि संपूर्ण अतीत और तजनित परंपरा सर्वथा त्याज्य हो जाए। स्वातंत्र्योत्तर भारत में आधुनिकता एवं बौद्धिकता के नाम पर समृद्ध अतीत को कटघरे में खड़ा करना एक बौद्धिक विलास बन गया है। हर वह चिहून और धरोहर जो प्राचीन व परंपरा से जुड़ी हुई है। बौद्धिक समाज के एक वर्ग के लिये हेय बन गई है। परंपरा को प्रश्नांकित और तदनुसार परिमार्जित करना तो आवश्यक है परन्तु उसकी पूर्व शर्त यह है कि परंपरा का ठीक से अवगाहन किया जाए।
56. भारतीय समाज की विशेषता है।

⚪घोर परंपरावाद
⚪परंपरा विरोध
⚪परंपरा के साथ परिवर्तन
⚪सभी विकल्प गलत हैं।
Answer
परंपरा के साथ परिवर्तन

57. स्वातन्त्र्योत्तर भारत में बौद्धिक विलास है?

⚪आधुनिकता
⚪परंपरा का अवगाहन
⚪अतीत को कटघरे में खड़ा करना
⚪धरोहर और चिह्न
Answer
अतीत को कटघरे में खड़ा करना

58. भारत की राजनीतिक प्रणाली को अवदान दिया?

⚪शकों ने
⚪यूनानियों ने
⚪कुषाणों ने
⚪बौद्धों ने
Answer
शकों ने
59. पिष्टपेषण से भावार्थ है।
⚪दोहराव
⚪पिसाई
⚪व्याख्या
⚪महिमा मंडन
Answer
दोहराव

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