हर्षवर्धन और तत्कालीन समाज Class 7 इतिहास के प्रश्न उत्तर

हर्षवर्धन और तत्कालीन समाज Class 7 इतिहास के प्रश्न उत्तर

Haryana Board Class 7 History Chapter 1 हर्षवर्धन और तत्कालीन समाज Solution: – सातवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए जो अपनी क्लास में सबसे अच्छे अंक पाना चाहता है उसके लिए यहां पर कक्षा 7th इतिहास अध्याय 1. (हर्षवर्धन और तत्कालीन समाज) के प्रश्न उत्तर दिए गए है. इस HBSE Solution For Class 7 History Chapter 1 Harshvardhan Aur Tatkalin Samaj की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. इसे आप अच्छे से पढ़े यह आपकी परीक्षा के लिए फायदेमंद होगा .हमारी वेबसाइट पर HBSE Class 7 इतिहास – हमारा भारत II के सभी चेप्टर के सलुसन दिए गए है .निचे आपको हमारा भारत II Book for HBSE कक्षा 7 इतिहास अध्याय 1 हर्षवर्धन और तत्कालीन समाज का सलुसन दिया गया है .

अभ्यास के प्रश्न-उत्तर

सही उत्तर छांटें :

1. गुप्त साम्राज्य के पतन के पश्चात् किस वंश की स्थापना हुई?
(क) चालुक्य
(ख) मौर्य
(ग) पुष्यभूति
(घ) राजपूत
उत्तर ‌- (ग) पुष्यभूति

2. राजा हर्षवर्धन के दरबारी कवि कौन थे?
(क) तुलसीदास
(ख) बाणभट्ट
(ग) सूरदास
(घ) रसखान
उत्तर ‌- (ख) बाणभट्ट

3. संस्कृत नाटक ‘नागानंद’ की रचना किस शासक द्वारा की गई थी ?
(क) प्रभाकरवर्धन
(ग) राज्यवर्धन
(ख) हर्षवर्धन
(घ) नरवर्धन
उत्तर ‌- (ख) हर्षवर्धन

4. नर्मदा नदी पर सम्राट हर्षवर्धन के दक्षिणवर्ती अग्रगमन को रोका-
(क) पुलकेशिन – I ने
(ख) पुलकेशिन-II ने
(ग) विक्रमादित्य-I ने
(घ) विक्रमादित्य-II ने
उत्तर ‌- पुलकेशिन- II ने

5. बंगाल का कौन-सा शासक हर्षवर्धन का समकालीन था?
(क) शशांक
(ख) ध्रुवसेन
(ग) पुलकेशिन-I
(घ) भास्करवर्मा
उत्तर ‌- (क) शशांक

रिक्त स्थान की पूर्ति करें :
1. पुष्यभूति ने थानेसर में ………… नामक वंश की स्थापना की।
2. प्रभाकरवर्धन ने अपनी पुत्री का विवाह कन्नौज के शक्तिशाली राजा ……….. से किया।
3. हर्षवर्धन ने ……… नामक बौद्ध संन्यासी की सहायता से अपनी बहन को खोज लिया ।
4. हर्षवर्धन का जन्म ………….ई० में हुआ।
5. बाणभट्ट ने ……….. एवं ………. जैसे ग्रन्थों की रचना की।

उत्तर- 1. पुष्यभूति, 2. गृहवर्मन मौखरी, 3. दिवाकरमित्र, 4. 4 जून, 590, 5. हर्षचरित, कादम्बरी ।

उचित मिलान करो :

1. कादंबरी
2. नालंदा विश्वविद्यालय
3. भाग
4. बलि
5. कटुक
(क) स्वेच्छा से दिया गया उपहार
(ख) भूमि कर
(ग) कुमारगुप्त
(घ) सेना का नेतृत्व करने वाला
(ड़) बाणभट्ट

उत्तर-

1. कादंबरी
2. नालंदा विश्वविद्यालय
3. भाग
4. बलि
5. कटुक
(ड़) बाणभट्ट
(ग) कुमारगुप्त
(ख) भूमि कर
(क) स्वेच्छा से दिया गया उपहार
(घ) सेना का नेतृत्व करने वाला

निम्नलिखित कथनों में सही (✓) अथवा गलत (X) का निशान लगाओ
1. प्रभाकरवर्धन राजा आदित्यवर्धन तथा रानी महासेन गुप्त देवी का पुत्र था । ( )
2. गौड़ अथवा कर्नाटक का राजा शशांक हर्षवर्धन का सबसे बड़ा शत्रु था। ( )
3. महासंधि विग्रहाधिकृत हर्षवर्धन का युद्ध व शांति मंत्री था। ()
4. नालंदा विश्वविद्यालय में 10000 विद्यार्थी तथा 5000 शिक्षक कार्यरत थे । ( )
5. ह्वेनसांग ने नालंदा विश्वविद्यालय में 5 साल तक शिक्षा ग्रहण की। ( )

उत्तर—1. (), 2. (x), 3. (), 4. (x), 5. (x)

हर्षवर्धन और तत्कालीन समाज के लघु प्रश्न :

प्रश्न 1. हर्षचरित क्या है और यह किसने लिखा ?
उत्तर – हर्षचरित में वर्धन वंश का परिचय, प्रभाकरवर्धन के प्रारंभिक जीवन, भारत की स्थिति उस समय, हर्षवर्धन के विजय अभियान, हर्ष और जनता के मध्य संबंध, तत्कालीन शासन व्यवस्था और न्याय व्यवस्था का विशेष वर्णन है। हर्षवर्धन के दरबारी कवि बाणभट्ट ने हर्षचरितं लिखा था।

प्रश्न 2. हर्षवर्धन के शासन काल के बारे में जानकारी देने वाले स्रोत कौन-से हैं?
उत्तर— बाणभट्ट का हर्षचरित तथा ह्वेनसांग का सी-यू-की ( पश्चिमी देश का वृत्तान्त) हर्षवर्धन शासन काल के बारे में जानकारी देने वाले प्रमुख स्रोत हैं।

प्रश्न 3. गौड़ राज्य का अधिकरण करने के लिए हर्षवर्धन की क्या मंशा थी?
उत्तर – गौड़ का शासक शशांक हर्षवर्धन का सबसे बड़ा दुश्मन था। उसने पहले हर्षवर्धन की बहन को कैद कर लिया और फिर उसके भाई की हत्या कर दी। 606 ई. में हर्षवर्धन के भाई राज्यवर्धन को धोखे से मार डाला गया। बौद्ध धर्म का प्रचारक था हर्षवर्धन। शशांक शैव धर्म का पक्षधर था और बौद्ध धर्म का विरोधी था। उसने पवित्र बौद्ध वृक्ष, “गया” भी काट डाला था। यही सब हर्षवर्धन को दुखी करता था और गौड़ के शासक शशांक से बदला लेना चाहता था। यही कारण था कि वह गौड़ राज्य को नियंत्रित करना चाहता था।

प्रश्न 4. राज्याभिषेक के बाद राजा हर्षवर्धन ने सबसे पहले क्या कार्य किया? इस कार्य में उनकी सहायता किसने की?
उत्तर- राज्याभिषेक के बाद, राजा हर्षवर्धन ने अपने विरोधियों से पहले बदला लिया। हर्षवर्धन अपनी बहन को खोजना चाहता था जब वह जानता था कि राज्य श्री कारागार से भागकर विंध्याचल के जंगलों में चली गई है। अंततः उसने अपनी बहन की तलाश की। दिवाकरमित्र नामक बौद्ध संन्यासी ने हर्षवर्धन को इस काम में मदद की।

आइए विचार करें :

प्रश्न 1. “ हर्षवर्धन एक विशाल साम्राज्य बनाने में सफल रहा।” इस कथन को तर्क सहित सिद्ध करें ।
उत्तर – हर्षवर्धन महान विजेता, साम्राज्य निर्माता और सक्षम प्रशासक था। हर्षवर्धन ने कुशल शासन व्यवस्था का उपयोग करके एक बड़ा साम्राज्य बनाया, जिसका विवरण निम्नलिखित है: 1. गौड़ प्रदेश की विजय—गौड़ का शासक शशांक हर्षवर्धन का सबसे बड़ा शत्रु था। शशांक से भी हर्षवर्धन को अपने भाई और बहनोई की हत्या का बदला लेना था। हर्षवर्धन ने कामरूप के राजा भास्करवर्मन के साथ मिलकर शशांक को मार डाला।

2. पांच प्रदेशों की विजय — हर्षवर्धन ने अपने शासन काल के आरम्भिक 6 वर्षों तक लगातार युद्ध किए। इस समय हर्षवर्धन ने पंजाब, कन्नौज, बिहार, बंगाल और उड़ीसा आदि राज्यों पर विजय प्राप्त की ।
3. वल्लभी की विजय — 630 ई. में हर्षवर्धन ने वल्लभी का शासक ध्रुवसेन द्वितीय को हराया। हार के बाद हर्षवर्धन ने ध्रुवसेन से प्रेम किया और अपनी पुत्री को ध्रुवसेन से विवाह कर दिया।
4. कामरूप की विजय — कामरूप के शासक भास्करवर्मन ने हर्षवर्धन की अधीनता स्वीकार कर ली, लेकिन हर्षवर्धन ने फिर भी उसका राज्य वापिस कर दिया।
5. सिंध की विजय – हर्षवर्धन ने अपनी विशाल और सुदृढ़ सेना के साथ सिंध पर आक्रमण किया और सिंध के राजा
को पराजित किया ।
6. कश्मीर की विजय – हर्षवर्धन ने कश्मीर के राजा दुर्लभवर्धन को हराकर अधीनता स्वीकार करवाई।
7. नेपाल की विजय – नेपाल के शासक अंशुवर्मन ने भी हर्षवर्धन की अधीनता को स्वीकार किया था।
8. गंजम विजय — हर्षवर्धन की अंतिम विजय गंजम थी। 643 ई० में हर्षवर्धन ने इस क्षेत्र को जीत लिया।

प्रश्न 2. हर्षवर्धन साम्राज्य में आय और व्यय के स्रोत क्या थे?
उत्तर— हर्षवर्धन साम्राज्य में आय और व्यय के कई स्रोत थे, जिनका वर्णन इस प्रकार है-
1. आय के स्रोत- भू-राजस्व राज्य की आय का मुख्य स्रोत था। “भौगिक” कर वसूलने का प्रभारी था। कुल उपज का 1/6 भाग लिया गया था। यह ‘भाग’ या ‘उद्रंग’ था। राजा को अपनी इच्छा से उपहार देने वाले लोगों को “बलि” कहा जाता था। इसके अलावा अतिरिक्त कर लगाए जाते थे; जैसे वन कर, चुंगी कर, ब्रिकी कर आदि
2. व्यय के स्रोत — हर्षवर्धन साम्राज्य के व्यय के स्रोत इस प्रकार हैं-
(1) दान देना – हर्षवर्धन एक दानवीर सम्राट था। उसने नालंदा विश्वविद्यालय को 200 गाँव दान किए तथा
के अतिरिक्त अपने वस्त्र तक भी दान कर दिए थे।
(2) प्रजा हितकारी कार्य — हर्षवर्धन अपनी अधिकतर आय प्रजा के कल्याणकारी कार्यों पर खर्च करता था; जैसे विश्रामगृह, चिकित्सालय बनवाना, शिक्षा, पानी का प्रबंध, सड़कें बनवाना तथा पुल निर्माण आदि।
( 3 ) वेतन — हर्षवर्धन अपनी आय का एक भाग कर्मचारियों को वेतन देने में खर्च कर देता था। वह अपने शासन
में एक साधारण सिपाही से लेकर एक सेनापति को निर्वाह के लिए पर्याप्त वेतन देता था ।
( 4 ) सेना पर व्यय – हर्षवर्धन अपनी आय का बड़ा भाग सेना पर खर्च करता था। वह अपनी आप से ही सेना के
कवच, अस्त्र-शस्त्र, कुंडल, घोड़े एवं हाथियों का प्रबंध करता था ।
(5) राज परिवार पर व्यय – हर्षवर्धन राजपरिवार की जरूरत की वस्तुओं एवं महल की मरम्मत पर खर्च
करता था।

प्रश्न 3. शिक्षा के क्षेत्र में हर्षवर्धन का क्या योगदान रहा? उदाहरण सहित पुष्टि करें।
उत्तर— शिक्षा का प्रेमी हर्षवर्धन को कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। उसने शिक्षा के लिए मठों और मंदिरों को बनाया। तक्षशिला धार्मिक शिक्षा और चिकित्सा में प्रसिद्ध थे। नालंदा विश्वविद्यालय उसके शासनकाल में सबसे प्रसिद्ध संस्था था। वर्तमान में यह राजगृह जिले में पटना के निकट है। ह्वेनसांग ने बताया कि यहाँ 10,000 विद्यार्थी थे और 1510 शिक्षक थे। हर्षवर्धन ने नालंदा विश्वविद्यालय को 200 कर-मुक्त गाँवों का दान दिया था। वह अपने राज्य की आय का एक चौथाई हिस्सा विद्वानों को पुरस्कार के रूप में देता था।

प्रश्न 4. “ राजा हर्षवर्धन विद्वानों, कला और साहित्य के महान संरक्षक थे।” आप इस कथन से सहमत हैं, तर्क सहित अपने उत्तर की पुष्टि करें।
उत्तर – राजा हर्षवर्धन विद्वानों को बहुत प्यार करता था। उनके दरबार में कई बौद्ध एवं साहित्यिक विद्वान थे। उसने विद्वानों के लिए कई मठ बनाए। दिवाकर, मयूर, जयसेन, बाण और भास उसके दरबार में रहते थे। साथ ही, हर्षवर्धन को शिक्षा और साहित्य का प्रेमी कहना भी सही होगा। वह स्वयं एक उत्कृष्ट लेखक था। रत्नावली, नागानंद और प्रियदर्शिका उसने बनाईं। बाणभट्ट ने बताया कि वह कविता बनाने में काबिल है। उसने बाणभट्ट को बचाया, जिसने ‘हर्षचरित’ और ‘कादम्बरी’ जैसे ग्रन्थ लिखे थे। जयसेन, जो योगशास्त्र, वेद, ज्योतिष, भूगोल, गणित और चिकित्सा के बारे में लिखा था, उसके दरबार का दूसरा महत्वपूर्ण सामान था। जयसेन को हर्षवर्धन ने आठ सौ गाँवों की आय दान में दी थी, लेकिन उसने इसे स्वीकार नहीं किया। मयूर और मांतग भी उसके दरबार में थे । मयूर ने सूर्यशतक बनाया।

प्रश्न 5. हर्षवर्धन की प्रमुख विजय कौन-सी हैं ? किन्हीं दो का वर्णन करें।
उत्तर — हर्षवर्धन की प्रमुख विजय गौड़, पाँच प्रदेश, (पंजाब, कन्नौज, बिहार, बंगाल और उड़ीसा) वल्लभी, कामरूप, सिंध, कश्मीर, नेपाल तथा गंजम की विजय हैं जिनमें से दो का वर्णन इस प्रकार है-
1. वल्लभी की विजय — हर्षवर्धन के समय, “वल्लभी”, या गुजरात, एक अमीर और शक्तिशाली राज्य था। यह भी भौगोलिक महत्व था। 630 ई. में हर्षवर्धन ने वल्लभी पर एक बड़ी सेना से हमला किया। उस समय वहाँ ध्रुवसेन द्वितीय का शासन था। इस युद्ध में ध्रुवसेन पराजित हो गया और भड़ौच के राजा दद्दा द्वितीय के पास शरण लेना पड़ा। ध्रुवसेन ने दद्दा के कहने पर अपना राज्य वापस लिया, और हर्षवर्धन ने अधीनता को स्वीकार कर लिया। ध्रुवसेन हर्षवर्धन का जमाई था, जब उसने अपनी पुत्री से शादी की।
2. गंजम की विजय – गंजम (उड़ीसा) की विजय हर्षवर्धन की अन्तिम विजये थी। यह प्रदेश पूर्वी तट (उड़ीसा) पर स्थित है। यहाँ पर हर्षवर्धन के आरम्भिक आक्रमण असफल रहे। वह इस क्षेत्र पर 643 ई० में विजय प्राप्त करने में सफल हुआ, क्योंकि उसके समकालीन शासक पुलकेशिन द्वितीय की मृत्यु हो चुकी थी। उसने उड़ीसा के 80 नगरों को स्थानीय बौद्ध मंदिर को दान में दे दिया था।

प्रश्न 6. हर्षवर्धन के साम्राज्य में सामाजिक एवं आर्थिक व्यवस्थाएँ कौन-सी थीं? विश्लेषण करें।
उत्तर – हर्षवर्धन के साम्राज्य में सामाजिक एवं आर्थिक व्यवस्थाओं का वर्णन इस प्रकार
सामाजिक व्यवस्थाएँ—
1. वर्ण व्यवस्था – हर्षवर्धन काल में समाज में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र वर्ण व्यवस्थाएं थीं। मिश्रित जाति एक उपजाति था। ब्राह्मण समाज को शिक्षित करते थे और सभी पवित्र काम करते थे। राजा भी प्रशासनिक कामों में इनसे सलाह लेते थे। क्षत्रिय रक्षा करते थे। वैश्य व्यापार करते थे। शूद्र सेवा का कार्य करते थे; कृषि, घर बनाना, पशुपालन आदि
2. विवाह — हर्षवर्धन ने अंतर्जातीय शादी की अनुमति दी। धीरे-धीरे अनुलोम और प्रतिलोम विवाह भी मान्यता प्राप्त हुए। विभिन्न जातियों के विवाह के नियम उत्तर भारत में अलग-अलग थे। सती प्रथा और बहुविवाह भी समाज में आम थे । विधवा महिला सफेद कपड़े पहने हुए थी।
3. उच्च नैतिक जीवन – ह्वेनसांग ने भारतीयों को बहुत सम्मानित बताया है। उनका ध्यान हमेशा पाप और पुण्य पर था। यहाँ ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा हमेशा बनी रहती थीं। अतिथि को देवता की तरह देखा जाता था।
4. आवास – यहाँ नगर निश्चित योजना और साधारण योजना के अनुसार बनाए गए थे। इन घरों के आसपास सुरक्षा के लिए परकोटे बनाए गए थे। नगरों में कई मंजिलों की इमारतें थीं। पत्थर और ईंट घर बनाने के लिए प्रयोग किए जाते थे। मकानों को आम तौर पर कच्चा बनाया जाता था। कच्ची मिट्टी और लकड़ी इनमें प्रयोग की जाती थी।
5. खानपान – यहाँ लोग सादा भोजन करते थे। चावल और गेहूँ जन-साधारण का भोजन था। भोजन के मुख्य अंग – घी, दूध, दही, गुड़, सरसों का तेल आदि थे। प्याज और लहसुन का प्रयोग नहीं किया जाता था। कुछ लोग मांसाहारी भी थे।

आर्थिक व्यवस्थाएँ — उस समय देश की आर्थिक स्थिति बहुत विकसित और मजबूत थी, जैसा कि स्रोतों से पता चलता है। उस समय लोगों की आजीविका का मुख्य स्रोत कृषि था। ह्वेनसांग ने कहा कि भोजन और फलों का उत्पादन बहुत अधिक था। हर्षचरित में कहा गया है कि गेहूँ, चावल, ईख के साथ-साथ अंगूर और सेब भी उगाए जाते थे। उस समय अच्छी सिंचाई व्यवस्था थी। कृषि के अलावा वाणिज्य, व्यवसाय और व्यापार भी विकसित हुए। व्यापार ने कुछ शहर को अमीर बनाया; उदाहरण के लिए कन्नौज, थानेसर (थानेश्वर) और उज्जैनी। देश में आंतरिक और बाहरी व्यापार होता था । उस समय के प्रमुख उद्योगों में बर्तन, कपड़ा, चमड़ा और औजार शामिल थे।

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