अभ्यास के प्रश्न
उत्तर- ध्वनि एक ऊर्जा है जो स्वयं उत्पन्न नहीं हो सकती। यह हमारे कानों में श्रवण का संवेदन उत्पन्न करती है| यह कंपन करने वाली वस्तुओं द्वारा वायु में उत्पन्न स्पंद के कारण उत्पन्न होता है|
उत्तर- जब कोई कंपमान वस्तु आगे की ओर कंपन करती है, तो इसके आस-पास उच्च दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है| इस क्षेत्र को संपीडन कहते हैं. जब कंपमान वस्तु पीछे की ओर कंपन करती है तो एक निम्न दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है जिसे विरलन कहते हैं| जब वस्तु कंपन करती है अर्थात आगे और पीछे तेजी से गति करती है तो वायु में संपीडन और विरलन की एक श्रेणी बन जाती है| इसे चित्र में दिखाया गया है
चित्र-कंपमान वस्तु किसी माध्यम में संपीडन तथा विरलन की श्रेणी उत्पन्न करते हुए
उत्तर- एक विद्युत घंटी और निर्वात पंप से जुड़े एक काँच का वायुरूद्ध बेलजार लीजिए| विद्युत घंटी को बेलजार में लटकाइए| घंटी के स्विच को दबाने पर आप उसकी ध्वनि को सुन सकते हैं| अब निर्वात पंप को चलाइए| जब बेलजार की वायु धीरे-धीरे बाहर निकलती है, घंटी की ध्वनि धीमी हो जाती है यद्यपि उसमें पहले जैसी ही विद्युतधारा प्रवाहित हो रही है| कुछ समय पश्चात् जब बेलजार में बहुत कम वायु रह जाती है तब आपको बहुत धीमी ध्वनि सुनाई पड़ती है| बेलजार की समस्त वायु निकाल देने पर कोई ध्वनि सुनाई नहीं देती| यह दर्शाता है कि ध्वनि के संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है।
उत्तर- ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य तरंगें कहलाती हैं। इन तरंगों में माध्यम के कणों का विस्थापन विक्षोभ के संचरण की दिशा के समांतर होता है। कण एक स्थान से दूसरे स्थान तक गति नहीं करते बल्कि अपनी विराम अवस्था से आगेपीछे दोलन करते हैं। क्योंकि ध्वनि तरंगें इसी प्रकार संचरित होती हैं, इसलिए ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य तरंगें हैं।
उत्तर- ध्वनि की गुणता (Timbre) मित्र की आवाज को पहचानने में सहायता करता है।
उत्तर- तड़ित की चमक तथा गर्जन साथ-साथ उत्पन्न होते हैं पर प्रकाश की गति बहुत तीव्र है जबकि ध्वनि की गति अपेक्षाकृत बहुत कम है जिस कारण गर्जन देर से सुनाई देती है जबकि चमक तत्काल दिखाई दे जाती है।
उत्तर- (I) आवृत्ति V = 20 Hz
ध्वनि का वेग v= 344 ms-1
तरंग दैर्घ्य (λ) = ?
u = vλ
(II) आवृत्ति (v) = 20,000 Hz [ 20 kHz X 1000 = 20,000 Hz ]
वेग (u) = 344 ms-1
u = vλ
= 0.0172 m
हल :- मान लो पाइप की लंबाई = l
वायु में ध्वनि का वेग = 346 ms-1
एल्यूमीनियम में ध्वनि का वेग = 6420 ms-1
Ta : TAL = 18.55:1
हल :- आवृत्ति (v) = 100 Hz
समय (T) = 1 मिनट = 60 सेकंड
कंपन = 100 x 60
= 6000 बार
उत्तर- ध्वनि के परावर्तन के नियम पूर्ण रूप से वहीं हैं जो प्रकाश की तरंगें प्रदर्शित करती हैं। प्रकाश की तरह ध्वनि भी ठोस या द्रव की सतह से परावर्तित होती है। ये नियम हैं
(i) परावर्तक सतह पर खींचे गए अभिलंब तथा ध्वनि के आयतन होने की दिशा तथा परावर्तन की दिशा के बीच बने कोण आपस में बराबर होते हैं।
(ii) ये तीनों दिशाएं एक ही तल में होती हैं।
उत्तर- (i) जिस दिन तापमान अधिक हो।
उत्तर- (i) चिकित्सकों के द्वारा हृदय तथा फेफड़ों में उत्पन्न ध्वनि को सुनने के लिए स्टेथोस्कोप का प्रयोग किया जाता है। इससे रोगी के हृदय की धड़कन बार-बार परावर्तन के कारण डॉक्टर के कानों तक पहुँचती है।।
(ii) मेगाफ़ोन, लाऊडस्पीकर, हॉर्न, शहनाई आदि को आगे से खुला शंक्वाकार बनाया जाता है ताकि स्रोत से उत्पन्न होने वाली ध्वनि तरंगों को बार-बार परावर्तित करके श्रोताओं की ओर आगे की दिशा में भेजा जा सके।
हल:- u = 0, s = 500 m, g= 10 ms-2, t = ?
5t2 = 500
t2 = 100
t = 10 s
अब ध्वनि को उपर चोटी की तरफ जाना है और ध्वनि का वेग ‘g’ से मुक्त है
ध्वनि को उपर आने में लगा कुल समय = 10 + 1.47 = 11.47 s
हल : v = 339 ms-1
u = vλ
= 22600 Hz
ये श्रव्य नहीं होगी
उत्तर-ध्वनि परावर्तन करती है। यदि किसी बड़े हॉल में बार-बार परावर्तन हो ध्वनि निबंध होता है, जिसे अनुरणन कहते हैं। यह अवांछनीय हैं क्योंकि इससे स्पष्ट सुनाई नहीं देता। इसे कम करने के लिए भवन की छतों तथा दीवारों पर ध्वनि अवशोषक पदार्थों को लगाया जाता है। संपीडित फाइबर बोर्ड, खुरदरे प्लास्टर या पर्दै लगा कर यह नियंत्रित किया जा सकता है।
उत्तर- ध्वनि की प्रबलता’ कानों की संवेदनशीलता की माप है। यह ‘तीव्रता’ के समान किसी एकांक क्षेत्रफल से एक सेकंड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा नहीं है। दो ध्वनियां समान तीव्रता की हो सकती हैं पर फिर भी इनमें से एक को दूसरे की अपेक्षा अधिक प्रबल ध्वनि के रूप में सुन सकते हैं क्योंकि हमारे कान इसके लिए अधिक संवेदनशील हैं।
उत्तर- चमगादड़ उच्च तारत्व के पराध्वनि उत्पन्न करते हैं. उच्च तारत्व के पराध्वनि स्पन्द अवरोधों या कीटों से परावर्तित होकर चमगादड़ के कानों तक पहुँचते हैं. इससे चमगादड़ को पता चलता है कि शिकार कहाँ और कितनी दूरी पर है।
चित्र-चमगादड़ द्वारा पराध्वनि उत्सर्जित होती है तथा अवरोध या कीटों द्वारा परावर्तित होती है।
उत्तर- जिन वस्तुओं को साफ़ करना होता है उन्हें साफ़ करने वाले मार्जन विलयन में रखते हैं और इस विलयन में पराध्वनि तरंगें भेजी जाती हैं| उच्च आवृत्ति के कारण गंदगी के कण अलग होकर नीचे गिर जाते हैं तथा वस्तु पूर्णतया साफ़ हो जाता है
उत्तर- सोनार (SONAR) से ध्वनि तरंगें उत्पन्न करके समुद्र की गहराई में भेजी जाती हैं। ये तरंगें समुद्र के तल या उसमें डूबी हुई वस्तुओं से टकरा कर वापिस लौटती हैं। प्रतिध्वनि या परावर्तित ध्वनि को ग्रहण किया जाता है। समय और तरंगों की गति को जानकर समुद्र की गहराई जान ली जाती है।
यदि ‘y इन तरंगों की
गति और ‘t’ समय हो तो
उत्तर- t = 5 sec
समुद्र की गहराई (d) = 3625 m
पराध्वनि द्वारा तय कुल दूरी (2d) = 3625 x 2 = 7250 m
2d = ध्वनि की चाल x समय
7250 = ध्वनि की चाल x 5 s
ध्वनि की चाल =7250/5 = 1450 ms-1
उत्तर- पराध्वनि का उपयोग धातु के ब्लॉकों में दरारों तथा अन्य दोषों का पता लगाने के लिए किया जाता है| पराध्वनि तरंगें धातु के ब्लॉक से गुजारी जाती हैं तथा प्रेषित तरंगों का पता लगाने के लिए संसूचकों का उपयोग किया जाता है| यदि थोड़ा-सा भी दोष होता है, तो पराध्वनि तरंगें परावर्तित हो जाती हैं जो दोष की उपस्थिति को दर्शाती है।
उत्तर- मनुष्य के कान के तीन भाग होते हैं :
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NCERT Solutions for Class 9 Science (Hindi Medium)
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