NCERT Solutions for Science Class 9th Chapter 12. ध्वनि
Class 9th Science Chapter 12. ध्वनि – बहुत से विद्यार्थी हर साल 9th की परीक्षा देते है ,लेकिन बहुत से विद्यार्थी के अच्छे अंक प्राप्त नही हो पाते जिससे उन्हें आगे एडमिशन लेने में भी दिक्कत आती है .जो विद्यार्थी 9th कक्षा में पढ़ रहे है उनके लिए यहां पर एनसीईआरटी कक्षा 9 विज्ञान अध्याय 12 (ध्वनि) के लिए सलूशन दिया गया है.यह जो NCERT Solutions For Class 9th Chapter 12. Sound दिया गया है वह आसन भाषा में दिया है .ताकि विद्यार्थी को पढने में कोई दिक्कत न आए . इसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है.ध्वनि के बारे में जानकारी होना हमारे सामान्य ज्ञान के लिए भी महत्वपूर्ण है .इसलिए आप Ch. 12 ध्वनि प्रश्नोत्तर विज्ञान को अच्छे से पढ़े .
पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर
उत्तर- ध्वनि स्रोत से उत्पन्न होकर वायु के माध्यम में पहुँचती है। कंपन करने वाली कोई भी वस्तु अपने चारों ओर के माध्यम में विद्यमान कणों को कंपमान करती है। ये कण स्वयं हमारे कानों तक नहीं पहुँचते बल्कि अपने संपर्क में आने वाले माध्यम के अन्य कणों को अपने बल से संतुलित अवस्था से विस्थापित कर देते हैं। निकट के कणों को विस्थापित करने के बाद प्रारंभिक कण अपनी मूल अवस्थाओं में वापिस लौट आते हैं। यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक माध्यम में उत्पन्न विक्षोभ आगे संचरित होकर कानों तक पहुँच नहीं जाता।
उत्तर- जब घंटी लगातार आगे तथा पीछे की ओर गति करती है, तो ध्वनि उत्पन्न करने के लिए संपीडन और विरलन की एक श्रेणी बन जाती है|
उत्तर- ध्वनि एक ऊर्जा है जो स्वयं उत्पन्न नहीं हो सकती। इसे उत्पन्न करने के लिए किसी-न-किसी प्रकार की यांत्रिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। चाहे हम ताली बजाएं या हथौड़े से घंटी बजाएं-यांत्रिक ऊर्जा ही ध्वनि ऊर्जा को उत्पन्न करती है जो तरंगों के रूप में आगे बढ़ती है इसीलिए ध्वनि तरंगों को यांत्रिक तरंगें कहते हैं।
उत्तर- चंद्रमा पर वायु नहीं है। ध्वनि के संचरण के लिए किसी-न-किसी माध्यम की आवश्यकता अवश्य होती है। यह निर्वात में नहीं चल सकती है इसलिए चंद्रमा पर अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को नहीं सुन पाएंगे।
(a) प्रबलता
(b) तारत्व।
उत्तर- (a) प्रबलता- किसी ध्वनि तरंग की प्रबलता उस के आयाम के द्वारा निर्धारित की जाती है। बड़ा आयाम प्रबल ध्वनि को तथा छोटा आयाम मृदु ध्वनि का कारण होता है।
(b) तारत्व- ध्वनि का तारत्व उस की आवृत्ति पर निर्भर करता है। निम्न आवृत्ति की ध्वनि का तारत्व नीचा होता है और उच्च आवृत्ति का तारत्व ऊँचा होता है।
उत्तर- गिटार
उत्तर- (i) ध्वनि तरंग की तरंग दैर्व्य – दो क्रमागत संपीडनों अथवा दो क्रमागत विरलनों के बीच की दूरी तरंगदैर्ध्य कहलाती है| इसका SI मात्रक मीटर (m) है ।
(ii) आवृत्ति- एकांक समय में दोलनों की कुल संख्या ध्वनि तरंग की आवृत्ति कहलाती है| इसका SI मात्रक हर्ट्ज़ (Hz) है।
(iii) आवर्त काल- एक माध्यम में घनत्व के एक संपूर्ण दोलन में लिया गया समय ध्वनि तरंग का आवर्त काल कहलाता है| इसका SI मात्रक सेकंड है।
(iv) आयाम- किसी माध्यम में मूल स्थिति के दोनों ओर अधिकतम विक्षोभ को तरंग का आयाम कहते हैं।
उत्तर.- किसी ध्वनि की तरंगदैर्ध्य तथा आवृत्ति उसके वेग से निम्नलिखित समीकरण द्वारा संबंधित है।
मान लो
v = तरंग का वेग
v = तरंग की आवृत्ति (अर्थात् माध्यम के कोणों के दोलन की आवृत्ति)
λ = तरंग की तरंग-लंबाई
T = किसी कण के एक दोलन का दोलन-काल (माध्यम के किसी एक कण द्वारा एक दोलन पूरा करने में लगा समय)
हम जानते हैं कि तरंग लंबाई माध्यम के किसी कण द्वारा एक दोलन पूरा करने में लगे समय में तय दूरी है।
… T समय में तरंग द्वारा तय दूरी = λ
इकाई समय में तरंग द्वारा तय दूरी =λ/T
किंतु इकाई समय में तय दूरी तरंग वेग है अर्थात्
v = λ/T
v = vλ (1/T=v)
तरंग-वेग = आवृत्ति x तरंग
लंबाई यह संबंध अनुप्रस्थ और अनुदैर्घ्य दोनों तरंगों के लिए सत्य है।
हल – वेग = 440 M/S ,
आवृत्ति = 220 Hz
तरंग दैर्ध्य = ?
वेग = तरंग दैर्ध्य x आवृत्ति
हल – T = ?
v = 500 Hz
Time period (t) = 1/v
T= 1/500
T = 0.002 s
उत्तर-
प्रबलता | तीव्रता |
1. ध्वनि के लिए प्रबलता कानों की संवेदनशीलता की माप है। 2. ध्वनि की प्रबलता को नापा नहीं जा सकता। 3. भिन्न-भिन्न प्रेक्षकों के लिए ध्वनि की प्रबलता अलग-अलग हो सकती है। 4. पराश्रव्य और अवश्रव्य ध्वनि तरंगों की प्रबलता सुनाई न देने के कारण शून्य होती है। | 1. तीव्रता किसी एकांक क्षेत्रफल से एक सेकेंड में गुजरने | वाली ध्वनि ऊर्जा है। 2. ध्वनि की तीव्रता को नापा जा सकता है। 3. सभी के लिए ध्वनि की तीव्रता एक समान होती है। 4. पराश्रव्य और अवश्रव्य ध्वनि तरंगों में तीव्रता का होना संभव है। |
उत्तर- लोहे में से ध्वनि वायु और जल भी अपेक्षा तेज चलती है। लोहे में ध्वनि की चाल 5950 मी०से है।
हल- ध्वनि की चाल, v = 342 ms-1
प्रतिध्वनि सुनने में लिया गया समय, t = 3 s
ध्वनि द्वारा चली गई दूरी = V x t
= 342 mms-1 x 3 s
= 1026 m
3 S में ध्वनि ने परावर्तक सतह तथा स्रोत के बीच की दोगुनी दूरी तय की।
अतः उन दोनों के बीच की दूरी = 1026 : 2 = 513 m।
उत्तर- कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार इसलिए होती हैं। कि ध्वनि के परावर्तन के पश्चात् वह हॉल के सभी साफ-साफ सुनी जा सके।
उत्तर- 20 Hz से 20,000 Hz तक।
(a) अवश्रव्य ध्वनि
(b) पराध्वनि।
उत्तर- (a) अवश्रव्य ध्वनि = 20 Hz से कम आवृत्ति |
(b) पराध्वनि = 20 K Hz से अधिक आवृत्ति
हल:- प्रेषण तथा संसूचन के बीच लगा समय = 1.02 s
समुद्र जल में पराध्वनि की चाल V = 1531 m/s
पराध्वनि द्वारा चली गई दूरी = 2d (d = समुद्र की गहराई)
2d = ध्वनि की चाल x समय
= 1531 m/s X 1.02 S
= 1561.62 m
.:. जहाज़ से समुद्र तल की दूरी 780.81 मीटर है।