Class 8th Science Chapter 18. – वायु तथा जल का प्रदूषण
NCERT Class 8 Science Solutions Chapter 18 वायु तथा जल का प्रदूषण – हर विद्यार्थी का सपना होता है कि वे अपनी कक्षा में अच्छे अंक से पास हो ,ताकि उन्हें आगे एडमिशन या किसी नौकरी के लिए फॉर्म अप्लाई करने में कोई दिक्कत न आए . जो विद्यार्थी 8th कक्षा में पढ़ रहे है उनके लिए यहां पर एनसीईआरटी कक्षा 8th विज्ञान अध्याय 18 ( वायु तथा जल का प्रदूषण) के लिए सलूशन दिया गया है.जोकि एक सरल भाषा में दिया है .क्योंकि किताब से कई बार विद्यार्थी को प्रश्न समझ में नही आते .इसलिए यहाँ NCERT Solutions for Class 8 Science Chapter 18 Pollution of Air and Water दिया गया है वह आसन भाषा में दिया है .ताकि विद्यार्थी को पढने में कोई दिक्कत न आए . इसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप Ch 18 वायु तथा जल का प्रदूषण के प्रश्न उत्तरों ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे
अभ्यास के प्रश्न
जल के संदूषित होने की विभिन्न विधियाँ हैं
(i) कपड़े धोने, नहाने और घर के अन्य कार्यों से।
(ii) सीवेज़ (Sewage) से।
(iii) उद्योग द्वारा फेंके गए जहरीले पदार्थों से।
(iv) कूड़ा-कर्कट और मृत शरीरों को पानी स्रोतों में फेंकने से।
(v) उर्वरकों, कीटनाशकों, जीवनाशकों से।
(vi) खनिजों, धातुओं आदि के नदी तल पर बैठने से।
व्यक्तिगत स्तर पर वायु प्रदूषण कम करने के उपाय
(1) वाहनों के उपयोग को कम करना और उसकी अच्छी तरह रख-रखाव करना। डीज़ल अथवा सीसा रहित पेट्रोल का उपयोग करना।
(ii) पत्तों, टायरों आदि के जलाने पर रोक लगाना ।
(iii) घरों के आस-पास पेड़-पौधे लगाना।
(iv) जन परिवहन का उपयोग करना।
यह कथन सही नहीं है ! स्वच्छ, पारदर्शी जल देखने में साफ़ है, परंतु इसमें कई घुली हुई अशुद्धियाँ और सूक्ष्मजीव हो सकते हैं। ये सूक्ष्मजीव, रोगों के वाहक हो सकते हैं। इसलिए पीने योग्य जल साफ़, स्वच्छ, पारदर्शी, गंधरहित, सूक्ष्मजीवों रहित और घुली हुई अशुधियों रहित होना चाहिए। शुद्ध जल पाने का उत्तम तरीका उबालना है।
शुद्ध जल पाने के उपायों की सूची
(i) उद्योगों के अपशिष्ट का जल स्रोतों में फेंकने से पहले उपचारित करना चाहिए।
(ii) सीवेज का भौतिक और रसायनों से उपचार करने के बाद जल स्रोतों में निष्कासित करना चाहिए।
शुद्ध वायु तथा प्रदूषित वायु में अंतर
शुद्ध वायु (Pure Air) | प्रदूषित वायु (Polluted air) |
(i) वायु साफ़ और पारदर्शी है। (ii) धुआँ और धूलकण दिखाई नहीं देते। (iii) कोई गंध नहीं होती। (iv) सूक्ष्मजीव अनुपस्थित होते हैं। | (i) वायु गंदी और पारभासी है। (ii) धुआँ और धूलकणों की मात्रा अत्यधिक होती है (iii) दुर्गंध हो सकती है। (iv) सूक्ष्मजीव उपस्थित होते हैं। |
अम्ल वर्षा (Acid Rain)-जीवाश्म ईंधनों के अपूर्ण जलने और अधातुओं के परिष्करण से निकली गैसें, जैसे-SO,, SO, NO,, N,0 आदि, जब जल में घुलती हैं, तो H,SO,, H,SO4, HNO, अम्ल बनाती हैं। यह अम्ल वर्षा के रूप में गिरते हैं, जिन्हें अम्ल वर्षा कहते हैं।
अम्ल वर्षा फसल, जंगली पौधों, स्टील, रेल पटरियों और विद्युत् उपकरणों को नष्ट करती है। यह गले, नाक और आँखों में जलन पैदा करती है।
(क) कार्बन डाइऑक्साइड
(ख) सल्फर डाइऑक्साइड
(ग) मेथैन
(घ) नाइट्रोजन।
(घ) नाइट्रोजन ।
पौधा-घर प्रभाव (Green House Effect)-वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की थोड़ी मात्रा उपलब्ध है, जो प्रकाश संश्लेषण क्रिया में सहायक है। यह समुद्री जल में घुल कर कार्बोनेट बनाती है। यह पौधा-घर प्रभाव भी उत्पन्न करती है। पृथ्वी के वातावरण का गर्म होना, इसी के प्रभाव का कारण है। सूर्य से निकली किरणों में आरक्त और पराबैंगनी विकिरणें होती हैं। ओजोन परत, पराबैंगनी विकिरणों को अवशोषित कर लेती है, पर अवरक्त विकिरणें धरती पर पहुँचती हैं। इनमें से कुछ किरणें परावर्तित होती हैं। इन परावर्तित किरणों को CO2 अवशोषित करती है और वातावरण को गर्म करती हैं, क्योंकि अवरक्त किरणों में गर्मी उत्पन्न करने का गुण है। चार गैसें जैसे-CO2, जल कण (H2O), ओज़ोन (O) तथा मिथेन (CHA) अवरक्त किरणों को अवशोषित कर सकती है। इनमें से CO2 ही चारों तरफ फैली है, इसलिए यही पौधा-घर प्रभाव के लिए उत्तरदायी है। यह शब्द शीशा घर से लिया गया है, जहाँ हरे पौधे रखे जाते हैं।
विश्व ऊष्णन-जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, कि यह विश्व के तापमान में वृधि है। कुछ गैसें, जैसेCO, मैथेन, ओजोन इसके लिए उत्तरदायी हैं। इन गैसों की मात्रा वातावरण में धीरे-धीरे बढ़ रही है। यदि इसको समय पर नियंत्रित न किया गया, तो वातावरण में वृद्धि चारों तरफ समस्याएँ उत्पन्न कर देगी। जैसे-हिमपात पिघल जाएँगे, निम्न क्षेत्र डूब जाएँगे, वर्षा पर प्रभाव पड़ेगा। समुद्र तल ऊँचा उठेगा, जिससे कृषि, वन आदि और रहन-सहन पर प्रभाव पड़ेगा। इसलिए विश्व ऊष्णन को रोकने के लिए उचित और शीघ्र उपाय करने चाहिए।
ताज, दुनिया के सात अजूबों में से एक है। यह संगमरमर से बनी सफ़ेद इमारत है।
यु प्रदूषण से इमारत को खतरा है। ताज का क्षेत्र सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों से घिरा हुआ है। ये गैसें जीवाश्म ईंधन के अपूर्ण जलने से उत्पन्न होती हैं। ये गैसें वर्षा के जल में घुलकर अम्ल वर्षा बनाती हैं। यह अम्ल वर्षा, इमारत पर गिरती है, उसे घोलती और पीला करती है। यदि अम्ल वर्षा को न रोका गया तो एक दिन इमारत, गिर जाएगी या इसके पत्थर नष्ट हो जाएंगे।
पोषकों (नाइट्रेट, फास्फेट) के स्तर की वृद्धि से जल में शैवाल (algae) की वृधि होती है। इस शैवाल के नष्ट होने पर अपघटित करने के लिए आक्सीजन की उपस्थिति आवश्यक है। इस कारण जल में आक्सीजन स्तर कम हो जाता है, जिससे जलीय जीवों की उत्तरजीविता प्रभावित होती है।