NCERT Solutions For Class 8 Hindi Chapter 18 – टोपी
NCERT Solutions For Class 8 Hindi Vasant Chapter 18 टोपी – जो उम्मीदवार आठवीं कक्षा में पढ़ रहे है उन्हें हिंदी विषय के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है .इसके बारे में 8th कक्षा के एग्जाम में काफी प्रश्न पूछे जाते है .इसलिए यहां पर हमनेएनसीईआरटी कक्षा 8 हिंदी अध्याय 4. (टोपी) का सलूशन दिया गया है .इस NCERT Solutions For Class 8 Hindi Chapter 18. Topi की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. इसलिए आप Ch.4 टोपी के प्रश्न उत्तरों ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे.
Class | 8 |
Subject | Hindi |
Book | वसंत |
Chapter Number | 18 |
Chapter Name | टोपी |
टोपी पाठ के अभ्यास के प्रश्न
उत्तर- गवरइया और गवरा के बीच मनुष्य द्वारा कपड़े पहनने और न पहनने की बात को लेकर बहस हुई थी। दोनों ने अपने-अपने तर्क प्रस्तुत किए। गवरा कपड़े पहनने को अनुचित बताता है, जबकि गवरइया कपड़ों को मानव की सुंदरता की वृद्धि का कारण मानती है। गवरा का मत है कि कपड़े पहनने से मनुष्य की सहनशीलता की शक्ति कम हो जाती है और वह आलसी भी बन जाता है। अंत में दोनों दाना चुगने के लिए निकल पड़ते हैं। दाना चुगते हुए गवरइया को रुई का.एक फाहा मिल गया। इस रुई के फाहे से उसने सूत कतवाया, कपड़ा बनवाया और दर्जी से अपनी टोपी सिलवाई। इस प्रकार गवरइया की टोपी पहनने की इच्छा पूरी हुई।
उत्तर- गवरइया – आदमी को देखते हो? कैसे रंग-बिरंगे कपड़े पहनता है। कितना फबता है उन पर कपड़ा।
गवरा – खाक फबता है! कपड़ा पहन लेने के बाद तो आदमी और बदसूरत लगने लगता है।
गवरइया – लगता है आज तुम लटजीरा चुग आए हो?
गवरा – कपड़ा पहन लेने से आदमी की कुदरती खूबसूरती बँक जो जाती है।
गवरइया – कपड़े केवल अच्छा लगने के लिए ही नहीं, मौसम की मार से बचने के लिए भी पहनता है आदमी।
गवरा – कपड़ा पहनते ही पहनने वाले की औकात पता चल जाती है।
आदमी-आदमी की हैसियत में भेद हो जाता है। गवरइया – मेरा मन भी टोपी पहनने का करता है।
गवरा – टोपी तू पाएगी कहाँ से? टोपी तो आदमी का राजा पहनता है। मेरी मान तू इस चक्कर में पड़ ही
मत।
उत्तर-टोपी बनवाने के लिए गवरइया सबसे पहले रुई धुनने वाले धुनिया के पास गई। उससे रुई धुनवाने के पश्चात् वह सूत कातने वाले कोरी के पास गई। तत्पश्चात् वह कपड़ा बुनने वाले बुनकर के पास गई। उसके बाद वह दर्जी के पास गई। दर्जी ने उसकी प्रार्थना पर उसके लिए बहुत सुंदर टोपी बनाकर दी। इन सब कार्यों के लिए उसने सबको उचित मेहनताना भी दिया। सबने उसके कार्य खुशी-खुशी और बहुत अच्छे ढंग से किए।
उत्तर- गवरइया ने दर्जी को कपड़ा देते हुए यह कहा कि उस कपड़े से तुम दो टोपियाँ सिल देना। इनमें एक अपने लिए मेहनताने के रूप में रख लेना। दर्जी गवरइया की बात से बहुत खुश हुआ। इसलिए उसने गवरइया की टोपी पर पाँच फुदने जड़ दिए।
कहानी से आगे
उत्तर-एक व्यक्ति लुहार का काम करता है। एक दिन एक व्यक्ति उससे अपने खुरपें और कस्सियाँ ठीक करवाने आया। उसने उसका काम सही ढंग से कर दिया। किंतु जब मेहनताना माँगा तो वह उससे बहस करने लगा और कम पैसे देकर चला गया। किंतु जब मैं उसके पास अपने काम के लिए गया तो वह बहुत खिन्न था और बुड़बुड़ा रहा था। मैंने उसकी खिन्नता का कारण पूछा तो उसने कहा कि बाबू जी जमाना बहुत खराब है। लोग गरीबों को तो कुछ समझते ही नहीं। हमें भी तो अपने बाल-बच्चों को रोटी देनी है किंतु लोग हमारी मजबूरी नहीं समझते।
प्रश्न 2. गवरइया की इच्छा पूर्ति का क्रम घूरे पर रुई के मिल जाने से प्रारंभ होता है। उसके बाद वह क्रमशः एक-एक कर कई कारीगरों के पास जाती है और उसकी टोपी तैयार होती है। आप भी अपनी कोई इच्छा चुन लीजिए। उसकी पूर्ति के लिए योजना और कार्य-विवरण तैयार कीजिए।
उत्तर-यह प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं है। विद्यार्थी इस प्रश्न का उत्तर अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से लिखें।
उत्तर- किसी भी कार्य की सफलता के लिए उत्साह की आवश्यकता पड़ती है क्योंकि उत्साह व्यक्ति में विशेष प्रकार की शक्ति और लगन उत्पन्न करता है। उत्साह व्यक्ति को कार्य के प्रति समर्पण करने की प्रेरणा देता है। उत्साह व्यक्ति को कार्य में कुशलता दिलाकर सफलता प्राप्त करने के योग्य बनाता है। इसीलिए सफलता प्राप्त करने के लिए उत्साह की आवश्यकता रहती है।
अनुमान और कल्पना
उत्तर- गवरइया को गवरा ने व्यंग्य में कहा था कि टोपी तो आदमियों का राजा पहनता है। टोपी उछलते देर नहीं लगती। यही कारण था कि वह फँदनेदार टोपी पहनकर राजा से मुकाबला करने उसके महल के कंगूरे पर जा पहुँची। वह यह जताना चाहती थी कि उसकी टोपी राजा की टोपी से बेहतर है। वह राजा पर यह व्यंग्य भी करना चाहती थी कि कारीगरों से बेगार कराना ठीक नहीं है। यदि अच्छा काम करवाना चाहते हो तो मेहनताना भी अच्छा देना पड़ेगा।
उत्तर-यदि राजा कारीगरों को उनके श्रम का उचित मूल्य देता तो सभी कारीगर राजा की प्रशंसा करते तथा गवरइया का काम राजा के काम के बाद करते और राजा के काम से बढ़िया काम नहीं करते। गवरइया को अपने काम के लिए काफी देर तक प्रतीक्षा भी करनी पड़ती।
उत्तर- चारों कारीगरों ने राजा का काम छोड़कर गवरइया का काम इसलिए किया था क्योंकि गवरइया ने उन सभी को उचित मेहनताना दिया था। राजा उन सभी से बेगार में काम करवाता था। वह न तो उन्हें कोई वेतन देता था और न ही कोई मेहनताना देता था। जबकि गवरइया ने उन चारों कारीगरों को अपने-अपने सामान में से आधा-आधा हिस्सा दिया था, इसलिए उन्होंने गवरइया का काम खुशी से किया था।
भाषा की बात
उत्तर- बख्त = वक्त
टूशन = ट्यूशन
घनी = ज्यादा
इस्कूल = स्कूल
कित को = किधर को
फिलम = फिल्म।
उत्तर- टोपी पहनना = मूर्ख बनना
टोपी उछालना = बेइज्जती करना, अपमान करना।
टोपी सलामत रहना = इज्ज़त बनी रहना।
टोपी पहनाना = मूर्ख बनाना