NCERT Solutions For Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 5 – नयी समस्याएँ
NCERT Solutions For Class 8 Hindi (Bharat Ki Khoj ) Chapter 3. नयी समस्याएँ – आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों जो अपनी क्लास में सबसे अच्छे अंक पाना चाहता है उसके लिए यहां पर एनसीईआरटी कक्षा 8th हिंदी भारत की खोज अध्याय 5 (नयी समस्याएँ) के लिए समाधान दिया गया है. इस NCERT Solutions For Class 8 Hindi Chapter 5. Nayi Samasyayen की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. अगर आपको यह समाधान फायदेमंद लगे तो अपने दोस्तों को शेयर जरुर करे . हमारी वेबसाइट पर सभी कक्षाओं के सलूशन दिए गए है .
पाठ संबंधी प्रश्नोत्तर
उत्तर- हर्ष उत्तर भारत के एक विशाल एवं शक्तिशाली राज्य कन्नौज का शासक था। उसके काल में विभिन्न क्षेत्र खूब विकास हुआ था। उसके शासनकाल में चीनी यात्री हुआन त्सांग नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन करने के लिए आया था। इसी युग में इस्लाम धर्म अपना स्वरूप ग्रहण कर रहा था। हर्ष के समय में उत्तर से होने वाले विदेशी हमलों का मुँहतोड़ जवाब दिया जा रहा था। अरब और भारत के बीच संपर्क बढ़े थे। दोनों ओर से यात्रियों का आना जाना हुआ एवं राजदूतावासों की अदला-बदली हुई। भारतीय पुस्तकों का बगदाद में अरबी में अनुवाद हुआ। बहुत-से भारतीय चिकित्सक बगदाद गए। यह व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध उत्तर भारत तक ही सीमित नहीं थे, बल्कि भारत के दक्षिण राज्यों ने भी इसमें भाग लिया था।
उत्तर- अरब से भारत के संबंध अच्छे होने पर धीरे-धीरे इस्लाम के धर्म प्रचारक भी भारत आए। यहाँ उनका खूब स्वागत हुआ। यहाँ बिना किसी बाधा के कई मस्जिदों का निर्माण हुआ। इसका यहाँ के शासन ने विरोध नहीं किया। अतः स्पष्ट है कि भारत में मुस्लिम राजनीति से पहले भारत में इस्लाम धर्म की शुरूआत हुई थी।
उत्तर- महमूद गज़नवी अफगानिस्तान का शासक था। उसने 1000 ई० के लगभग भारत पर आक्रमण किए। वह तुर्क जाति का था। उसने भारत पर निर्ममतापूर्ण आक्रमण करके लूटमार की थी। उसने भारत का बहुत सारा धन लूटा था। उसने हिंदुओं को धूल के कणों की भाँति बिखेर दिया। उसके घृणित कार्यों के कारण भारतीयों के मन में मुसलमानों के प्रति घृणा उत्पन्न हो गई थी।
उत्तर- महमूद गज़नवी की मृत्यु के पश्चात् शाहबुद्दीन गौरी ने अपनी शक्ति को बढ़ाया। उसने गज़नी पर हमला करके उसे अपने साम्राज्य में मिला लिया। इसके पश्चात् उसने लाहौर और दिल्ली पर आक्रमण किया। दिल्ली में पृथ्वीराज चौहान के हाथों उसने प्रथम बार बुरी तरह से हार खाई थी। किंतु उसने 1192 ई० में पुनः शक्ति बटोरकर आक्रमण किया और दिल्ली की सत्ता का स्वामी बन बैठा।
उत्तर- शाहबुद्दीन गौरी उत्तर में तो सफलता पा गया था, किंतु दक्षिण में चोल शासकों के सामने पराजित हुआ। अफ़गानों को दक्षिण भारत पर कब्जा करने के लिए लगभग 150 वर्ष लग गए। अतः स्पष्ट है कि दक्षिण में चोल वंश के शासकों का ही प्रभुत्व रहा।
उत्तर- महमूद गज़नवी ने पंजाब और सिंध को अपने राज्य में मिला लिया था। वह प्रत्येक लूट के बाद वापिस गज़नी लौट जाता था। उसने कश्मीर पर विजय प्राप्त करने का भरसक प्रयत्न किया, किंतु वह विजय प्राप्त नहीं कर सका। यह पहाड़ी देश महमूद गज़नवी को हराने और मार भगाने में पूरी तरह सफल रहा। काठियावाड़ में सोमनाथ से लौटते हुए राजस्थान के रेगिस्तानी भारी हार का सामना करना पड़ा। इस अंतिम आक्रमण के बाद वह वापिस कभी भी भारत नहीं आया।
उत्तर- शाहबुद्दीन एक शक्तिशाली सेनानायक था। उसने अपनी शक्ति के बल पर दिल्ली के शासक पृथ्वीराज चौहान जैसे शक्तिशाली राजा को हरा दिया। किंतु इसका अभिप्राय यह नहीं कि पृथ्वीराज चौहान को हराने पर वह सारे भारत के राजाओं को हरा देगा। उस समय दक्षिण भारत में चोल शासक बहुत शक्तिशाली थे। शाहबुद्दीन गौरी ने जब दक्षिणं के राज्यों पर आक्रमण किया तो उसे बुरी तरह हार देखनी पड़ी। इसलिए उसका संपूर्ण भारत पर शासन करने का सपना टूट गया और वह दिल्ली तक ही सीमित रहा।
उत्तर- बारहवीं शताब्दी में जो अफ़गान भारत में आए, वे हिंद-आर्य जाति के थे। भारत की जनता से उनका निकट का संबंध था। इसलिए भारतीय उनसे जल्दी ही घुल-मिल गए और इस प्रकार अफगानिस्तान भारत का हिस्सा बन गया।
उत्तर- चौदहवीं शताब्दी में बर्बर शासक तैमूर ने भारत पर उत्तर की ओर से आक्रमण किया। उसने इतनी निर्दयता से आक्रमण किया था कि दिल्ली पूरी तरह से ध्वंस हो गई। दिल्ली मुर्दो का शहर बनकर रह गई थी। इसके पश्चात् दिल्ली भारतीय साम्राज्य की राजधानी न रही। इसका परिणाम यह निकला कि उत्तर भारत की शक्ति क्षीण होती गई तथा दक्षिण के राज्य शक्तिशाली हो गए। बहमनी और विजयनगर जैसे शक्तिशाली राज्यों का उदय इसी काल में हुआ।
उत्तर- दक्षिण में विजयनगर अपनी पूर्ण शक्ति में था। तब उत्तर की पहाड़ियों से होकर एक हमलावर दिल्ली के पास पानीपत के मैदान में आया। उसने दिल्ली के सिंहासन को जीत लिया। मध्य एशिया के तैमूर वंश का यह तुर्क-मंगोल बाबर ही था। 1526 ई० में उसने भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखी। किंतु चार वर्ष पश्चात् ही इसकी मृत्यु हो गई। आगे चलकर इसके उत्तराधिकारियों ने भारत में विशाल मुगल साम्राज्य का विकास किया।
उत्तर- छह सौ वर्षों के पश्चात् जब इस्लाम धर्म भारत में राजनीतिक विजय के साथ आया, तो वह बहुत कुछ बदल चुका था। अब इसके नेता दूसरे लोग बन चुके थे। अरब के लोग भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग तक ही पहुँच पाए थे। वे आगे नहीं बढ़ सके थे। अरब सभ्यता का क्रमशः पतन हो गया था। मध्य एवं पश्चिमी एशिया में तुर्क जातियाँ ही आगे आईं। भारत के सीमावर्ती प्रदेश से यही तुर्क और अफ़गान इस्लाम को राजनीतिक शक्ति के रूप में भारत लाए, जो निरंतर आगे बढ़ता रहा।
उत्तर- साहित्यकारों ने अफ़गानों को सीमावर्ती समुदाय बताया है। ये भारत के लिए पूर्ण रूप से अजनबी नहीं थे। उनके राजनीतिक शासनकाल को हिंद-अफ़गान युग कहा जा सकता है। दूसरी तरफ मुगल भारत के लिए बाहर के और अजनबी थे। किंतु वे भारतीय जीवन-शैली में बड़ी तीव्रता से ढल गए। उनका शासनकाल हिंद-मुगलकाल कहलाया।
उत्तर- अफ़गान शासकों और उनके साथ आए हुए लोग. सभी भारतीय जीवन-शैली से प्रभावित हुए और धीरे-धीरे उसी में समां गए। वे भारत को अपना घर समझने लगे तथा शेष दुनिया को विदेश समझने लगे। वे इसी भाव से भारत में रहने लगे थे। यहाँ के कई राजपूत राजाओं ने भी उन्हें यहाँ का शासक स्वीकार कर लिया था।
उत्तर- लेखक ने अफ़गानों में सबसे शक्तिशाली एवं योग्य शासक शेरशाह सूरी को माना है। वह योग्य एवं कुशल सेनानायक था। उसको दृढ़-व्यवस्था का पूर्ण ज्ञान था। उसे भूमि-प्रबंधन की भी पूरी जानकारी थी। उसने निम्नलिखित प्रमुख कार्य किए
(1) उसने मालगुजारी व्यवस्था की नींव डाली। इससे राज्य की आय बढ़ी। आगे चलकर अकबर ने इसे सुव्यवस्थित किया।
(2) अकबर के सुप्रसिद्ध राजस्व मंत्री टोडरमल की नियुक्ति आरंभ में शेरशाह सूरी ने ही की थी।
(3) सैनिक शक्ति एवं राज्य-व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए शेरशाह सूरी ने सड़कों की व्यवस्था की। भारत की सुप्रसिद्ध जी०टी० रोड़ का निर्माण भी शेरशाह सूरी ने ही किया था।
उत्तर- आरंभ में भले ही मुसलमान भारतीयों के लिए अज़नबी रहे हों, किंतु वे भारत में आकर यहाँ के हो गए। वे भारत को अपना घर समझने लगे। उन्होंने यहाँ की जीवन-शैली को पूर्ण रूप से अपना लिया। उन्होंने यहाँ के लोगों के साथ वैवाहिक संबंध भी जोड़ लिए। सुल्तान फिरोजशाह और गयासुद्दीन तुगलक की माँ हिंदू थी।
उत्तर- भारत पर जितने भी आक्रमण हुए, वे उत्तर की ओर से हुए। इसलिए उत्तर भारत सदा ही विचलित रहा। यहाँ नई-नई विचारधाराओं के लोग आते रहे। किंतु इन विचारधाराओं का प्रभाव केवल उत्तरी भारत तक ही सीमित रहा। दक्षिण भारत इन विचारधाराओं से अछूता रहा। जो लोग पुरानी आर्य संस्कृति को मानने वाले थे, वे दक्षिण भारत में जाकर बस गए। इसी कारण दक्षिण भारत हिंदू रूढ़िवादिता का केंद्र बना।
उत्तर- पंद्रहवीं शताब्दी में दक्षिण में रामानंद एवं उनके शिष्य कबीर हुए, जिन्होंने अपने पदों एवं साखियों के द्वारा लोगों को धार्मिक बंधनों एवं रूढ़िवादिता से दूर करने का प्रयत्न किया। उनके काव्य की भाषा आम बोलचाल की भाषा थी जिसे आम आदमी भी आसानी से समझ सके। उत्तर में गुरु नानक ने अपने विचारों से लोगों को सही मार्ग पर लाने का प्रयास किया। आज भी कबीर एवं नानक के उपदेश मनुष्य के जीवन में सार्थक सिद्ध होते हैं।
उत्तर- अमीर खुसरो फारसी, संस्कृत एवं हिंदी के विद्वान थे। वे मूलतः तुर्क थे। उनका परिवार दो-तीन पीढ़ियों से संयुक्त राज्य में बसा हुआ था। वे चौदहवीं शताब्दी के कई राजाओं के साथ रहे। वे फ़ारसी भाषा के उच्च कोटि के कवि थे। उन्हें संस्कृत का भी ज्ञान था। उन्हें भाषा के साथ-साथ संगीत का भी अच्छा ज्ञान था। उन्होंने भारतीय संगीत की कई नई उभावनाओं को भी आरंभ किया। उन्होंने सितार वाद्य-यंत्र का आविष्कार भी किया था।
उत्तर- अमीर खुसरो न केवल फ़ारसी के, अपितु संस्कृत एवं लोकभाषा हिंदी के भी विद्वान थे। भारत में उनकी प्रसिद्धि का कारण उनके द्वारा रचित लोकगीत थे। उन्होंने आम बोलचाल की भाषा हिंदी में गीत लिखे थे। उन्हें केवल लोक जीवन या ग्रामीण जीवन की भाषा का ही ज्ञान नहीं था, अपितु उन्होंने रहन-सहन, रीति-रिवाज़ों का भी अपने गीतों के माध्यम से वर्णन किया। उन्होंने विभिन्न ऋतुओं और त्योहारों पर भी गीत लिखे हैं। उनके गीत आज भी उत्तर एवं मध्य भारत में गाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने लोकभाषा में पहेलियाँ लिखी हैं। उन्होंने हिंदी में गजलें एवं मुकरियाँ भी लिखी हैं।
उत्तर- बाबर ने 1526 ई० में भारत पर विजय प्राप्त करके मुगल शासन की नींव रखी थी। वह नई जागृति का शहज़ादा था। उसने केवल चार वर्षों तक ही भारत में शासन किया। उसका यह चार वर्षों का समय केवल युद्ध करने एवं आगरा को राजधानी बनाने में ही बीता। वह जहाँ एक वीर सैनिक था, वहीं कला और साहित्य का पारखी भी था। वह अच्छे रहन-सहन का शौकीन था।
उत्तर- अकबर भारत में मुगलवंश का तीसरा शासक था। अकबर अपने दादा से भी अधिक शक्तिशाली और गणवान था। वह अत्यंत साहसी और पराक्रमी था। वह एक योग्य सेनानायक था। इन सबके साथ-साथ वह विनम्र और दयालु था। आदर्शवादिता और स्वप्नदर्शिता उसमें कूट-कूटकर भरी हुई थी। वह जनता के दिलों में अपने लिए विशेष स्थान बनाना चाहता था। वह अपने नेत्रों में अखंड भारत का सपना देखता था। यह कहना गलत न होगा कि मुगल साम्राज्य की नींव उसी ने पक्की की थी।