NCERT Solutions For Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 3 – सिंधु घाटी सभ्यता

प्रश्न 22. भारत के प्राचीन महाकाव्य महाभारत के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- महाभारत विश्व की प्रमुख रचनाओं में से एक है। यह भारतीय परंपराओं, दंतकथाओं तथा प्राचीन भारत की राजनीतिक तथा सामाजिक संस्थाओं का विश्वकोश माना जाता है। इसमें विरोधी विचारों एवं परंपराओं का अद्भुत मिश्रण है। यद्यपि आर्यों में स्त्रियों के अनेक विवाह की परंपरा नहीं थी तथापि महाभारत में एक नारी के पाँच पतियों को दिखाया गया है। महाभारत में नई परिस्थितियों के अनुसार वैदिक धर्म का संशोधन किया गया। इसके परिणामस्वरूप ही हिंदू धर्म का आरंभ हुआ। महाभारत में समाज की मूलभूत एकता पर बल दिया गया है। महाभारत का युद्ध एकाधिकार स्थापित करने की लड़ाई थी, जिससे एक अखंड भारत की अवधारणा का आरंभ हो सका। महाभारत का एक अंश भगवद्गीता भी है, जिसमें दर्शन के साथ-साथ शासन कला तथा नैतिक सिद्धांतों का भी विवेचन हुआ है। महाभारत में स्पष्ट किया गया है कि धर्म की मज़बूत नींव के बिना सच्चा सुख प्राप्त नहीं हो सकता तथा न ही समाज में एकता की स्थापना की जा सकती है। धर्म का रूप बदलता रहता है। अहिंसा और अच्छे उद्देश्य के लिए किए गए संघर्ष का प्रत्यक्ष रूप में विरोध नहीं किया गया। इस प्रकार महाभारत एक विशद् महाकाव्य है, जिसमें . अनेक विषयों का विस्तृत उल्लेख किया गया है।
प्रश्न 23. महाभारत से प्राप्त प्रमुख शिक्षाओं का सार रूप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर- महाभारत एक महान महाकाव्य है, जिसमें जीवन से संबंधित अनेक शिक्षाएँ हैं। उनमें से प्रमुख शिक्षाएँ निम्नलिखित हैं

(1) दूसरों के साथ ऐसा व्यवहार न करें, जिसे हम स्वयं के लिए स्वीकार नहीं करते।
(2)जो कार्य लोक -हित में नहीं है या जिसे करते हुए लज्जा अनुभव हो, उसे कभी न करें।
(3) असंतोष ही प्रगति का प्रेरक है।
(4) सच्चे सुख या आनंद की अनुभूति दुख या कष्ट के बाद ही होती है।
(5) सत्य, आत्म-संयम, अहिंसा, उदारता, धर्म का पालन आदि जीवन में सफलता के मार्ग हैं।
(6) जाति या कुल के बड़ा होने से कोई बड़ा नहीं होता, बल्कि व्यक्ति अपने कर्म से बड़ा होता है।
(7) धन का लालच नहीं करना चाहिए, रेशम का कीड़ा अपने धन के कारण ही मरता है।

प्रश्न 24. ‘भगवद्गीता’ किस ग्रंथ का अंश है और उसकी प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर- ‘भगवद्गीता’ महाभारत का महत्त्वपूर्ण अंश है। इसमें सात सौ श्लोक हैं। यह ग्रंथ भी अपने-आप में पूरा है। यह काव्य रूप में है। भगवद्गीता को हर धर्म एवं संप्रदाय आदर की दृष्टि से देखता है तथा अपने ढंग से इसकी व्याख्या करता है। यह एक ऐसी रचना है जो संकटकाल में मानव का मार्गदर्शन करती है। गीता में धर्म की रक्षा के लिए युद्ध को उचित बताया गया है। जब भी धर्म की हानि होती है तो उसे दूर करने के लिए संघर्ष जरूरी होता है। संपूर्ण भगवद्गीता अर्जुन और श्रीकृष्ण के बीच होने वाले संवाद के रूप में है। इसमें व्यक्ति के कर्त्तव्य, सामाजिक आचरण एवं मानव-जीवन में सदाचार के महत्त्व को दर्शाया गया है। साथ ही भक्ति पर भी बल दिया गया है। गीता में शरीर को नश्वर और आत्मा को अमर बताया गया है।
प्रश्न 25. जातक-कथाओं का उल्लेख कीजिए। ..
उत्तर- जातक-कथाएँ महात्मा बुद्ध के युग से पहले के युग का वर्णन करने वाली कथाएँ हैं। ये कथाएँ उस काल की कथाएँ हैं, जब द्रविड़ और आर्य जातियों का परस्पर मेल हो रहा था। जातक-कथाएँ पुरोहित अथवा ब्राह्मण परंपरा तथा क्षत्रिय या शासक परंपरा के विरोध में लोक-परंपरा का प्रतिनिधित्व करती हैं।
प्रश्न 26. ‘प्राचीन भारत में जीवन और कर्म’ उपशीर्षक में लेखक ने किस विषय का उल्लेख किया है?
उत्तर- लेखक ने ‘प्राचीन भारत में जीवन और कर्म’ उपशीर्षक के अंतर्गत बताया है कि पुरानी कथाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि भारत ने जब भी उन्नति की ओर बढ़ना आरंभ किया तो कोई भी क्षेत्र इससे अछूता न रहा। उसने जीवन के सभी पक्षों में भरपूर उन्नति की है। इसलिए प्राचीन भारत संसार का सर्वश्रेष्ठ देश माना जाता रहा है। भारत ने दस्तकारी उद्योगों, व्यापारी, समुद्री यातायात, विभिन्न लिपियों एवं लिखित स्वरूप, औषध-विज्ञान तथा शल्य-विज्ञान, शिक्षा आदि क्षेत्र में अपार प्रगति की।
प्रश्न 27. प्राचीन भारत के गाँवों के जीवन एवं दशा का वर्णन पठित पाठ के आधार पर कीजिए।
उत्तर- लेखक के अनुसार, प्राचीन भारत में गाँवों ने खूब उन्नति की थी। लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। पूरे उत्पादन का छठा भाग राजा को लगान के रूप में दिया जाता था। वहाँ की सामाजिक एवं आर्थिक व्यवस्था गाँव के अनुकूल की जाती थी। सबसे उल्लेखनीय बात है कि ग्राम सभाएँ एक सीमा तक स्वतंत्र थीं। गाँवों को दस-दस या सौ-सौ के समूह में बाँटा जाता था। दस्तकारी उद्योगों के आधार पर गाँवों का विभाजन किया जाता था। यथा बढ़ई एक ही गाँव में या फिर लोहार एक ही गाँव में रहते थे। ये लोग संगठित या सामूहिक रूप से भी कार्य करते थे। पेशेवर लोगों के गाँव बड़े-बड़े नगरों के समीप ही बसे हुए थे।
प्रश्न 28. प्राचीन भारत में समुद्री यातायात पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- प्राचीन भारत में विदेशों से व्यापार समुद्र के मार्ग से ही किया जाता था। समुद्री यात्री रेगिस्तान को पार करके भड़ौच की पश्चिमी बंदरगाह, उत्तर में गांधार एवं मध्य एशिया तथा फ़ारस की खाड़ी तक जाते थे। नदियों के मार्ग से भी यातायात पूर्णतः विकसित था। बनारस, पटना, चंपा आदि से बेड़े समुद्र की ओर जाते थे। वहाँ से व्यापारी एवं अन्य लोग दक्षिणी बंदरगाहों, लंका और मलय टापू तक सौदागर यात्रा करते थे। इन यात्राओं के अनेक उदाहरण हैं।
प्रश्न 29. देवनागरी लिपि का विकास किस लिपि से माना गया है?
उत्तर- देवनागरी लिपि का विकास ब्राह्मी लिपि से माना जाता है। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि देवनागरी लिपि की जननी ब्राह्मी लिपि है। ..
प्रश्न 30. पाणिनी कौन था? उसने किस प्रसिद्ध ग्रंथ की रचना किस भाषा में की थी?
उत्तर- पाणिनी संस्कृत का महान विद्वान था। उन्होंने संस्कृत भाषा के प्रसिद्ध व्याकरण ग्रंथ ‘अष्टाध्यायी’ की रचना की थी।
प्रश्न 31. धन्वंतरी किस विज्ञान के जनक माने जाते हैं?
उत्तर- धन्वंतरी भारतीय औषध-विज्ञान के जनक माने जाते हैं।
प्रश्न 32. चरक कौन था? उसकी पुस्तकें किस विषय में रचित हैं?
उत्तर-चरक राजा कनिष्क के दरबार में राजवैद्य थे जिनकी राजधानी पश्चिमोत्तर दिशा में थी। उनकी पाठ्य-पुस्तकों में बहुत-सी बीमारियों का वर्णन है तथा उनकी पहचान और उपाय (इलाज) के तरीके भी बताए गए हैं। इनमें शल्य-चिकित्सा, प्रसूति-विज्ञान, स्नान, पथ्य, सफ़ाई, बच्चों को खिलाने और चिकित्सा की जानकारी दी गई है।
प्रश्न 33. सुश्रुत कौन था? उनके द्वारा रचित पुस्तकों में किन-किन विषयों का उल्लेख किया गया है?
उत्तर- सुश्रुत महान शल्य-चिकित्सक था। उन्होंने चिकित्सा विज्ञान संबंधी पुस्तकों की रचना की। उनकी पुस्तकों में शल्य-क्रिया के औज़ारों के वर्णन के साथ-साथ ऑपरेशन, अंगों को काटना, पेट काटना, ऑपरेशन से बच्चे को जन्म देना, मोतियाबिंद का ऑपरेशन आदि विधियों का उल्लेख किया गया है। इनमें घावों के जीवाणुओं को धुआँ देकर मारने का उल्लेख भी किया गया है।
प्रश्न 34. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने वनों में स्थापित विश्वविद्यालयों के विषय में क्या कहा है?
उत्तर- प्राचीन भारत में अकसर वनों में विश्वविद्यालयों की स्थापना की जाती थी। इन विश्वविद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करने हेतु दूर-दूर से लोग आते थे। यहाँ विद्यार्थियों को संयमित एवं ब्रह्मचर्य का जीवन बिताना होता था। यहाँ से प्रशिक्षण प्राप्त करके विद्यार्थी गृहस्थ जीवन बिताने के लिए लौट जाते थे। यहाँ सैनिक-प्रशिक्षण भी दिया जाता था। इन वन शिक्षालयों में अध्यापकों की · अहम भूमिका रहती थी।
प्रश्न 35. तक्षशिला विश्वविद्यालय के विषय में क्या बताया गया है?
उत्तर- तक्षशिला प्राचीन भारत का महान शिक्षा का केंद्र था। यह पुराने पंजाब में पेशावर के पास स्थित था। इसमें विशेष रूप से विज्ञान, चिकित्सा-शास्त्र और विभिन्न कलाओं की शिक्षा दी जाती थी। यहाँ विद्यार्थियों का बहुत सम्मान किया जाता था। महान वैयाकरण पाणिनी ने भी यहीं शिक्षा प्राप्त की थी। किंतु बौद्धकाल में यह बौद्ध-ज्ञान का केंद्र बन गया था। भारत और बाहर के बौद्ध विद्यार्थी यहाँ खिंचे चले आते थे।
प्रश्न 36. प्राचीनकाल के भारतीयों का जीवन कैसा था?
उत्तर- प्राचीनकाल के भारतीय उदार-हृदयीं, आत्मविश्वासी और अपनी परंपराओं पर गर्व करने वाले थे। वे प्रकृति में छुपे रहस्यों को जानने का प्रयास करने में लगे रहते थे। वे अपनी बनाई हुई मर्यादाओं और जीवन-मूल्यों का आदर करते थे। उनका जीवन सरल, सहज और आनंद से परिपूर्ण था। वे सदा कर्म में लीन रहते थे तथा मृत्यु का सामना करने में सक्षम थे।
प्रश्न 37. जैन धर्म, बौद्ध धर्म और वैदिक धर्म में क्या अंतर था?
उत्तर- जैन धर्म और बौद्ध धर्म दोनों वैदिक धर्म से अलग हुए धर्म थे। ये धर्म वेदों को प्रमाण-स्वरूप स्वीकार नहीं करते थे। जैन धर्म और बौद्ध धर्म दोनों ही अहिंसा पर बल देने वाले थे। दोनों ने ब्रह्मचारियों और भिक्षुओं एवं पुरोहितों के संघ बनाए हुए थे। दोनों धर्म यथार्थवादी थे। उनका दृष्टिकोण कुछ सीमा तक बुद्धिवादी था। जैन धर्म का एक मूलाधार सिद्धांत यह था कि सत्य हमारे दृष्टिकोण की सापेक्षता में होता है। जैन धर्म जीवन में तपस्या पर बल देता है। बौद्ध धर्म आध्यात्मिकवाद और अलौकिक चमत्कारों का वर्णन करता था। जैन धर्म जाति-व्यवस्था के प्रति सहिष्ण था, जबकि बौद्ध धर्म जाति-व्यवस्था का खंडन करता था।
प्रश्न 38. महात्मा बुद्ध की प्रमुख शिक्षाओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- महात्मा बुद्ध की प्रमुख शिक्षाएँ निम्नलिखित हैं

(1) महात्मा बुद्ध ने अंधविश्वास और कर्मकांड का खंडन किया था।
(2) उन्होंने अपने शिष्यों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने के लिए कहा था।
(3) उनका विश्वास कल्पना की अपेक्षा अनुभव और विवेक पर आधारित था।
(4) उन्होंने जाति-व्यवस्था को स्वीकार नहीं किया था।
(5) वे घृणा को प्रेम से, क्रोध को दया से और शत्रुता को क्षमा से समाप्त करना चाहते थे।
(6) उन्होंने मन के भीतर के सत्य को खोजने पर बल दिया।
(7) उनकी शिक्षाओं में वेदना और दुख का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
(8) उन्होंने साधना के लिए मध्य मार्ग अपनाया था।

प्रश्न 39. चाणक्य कौन था? उसका दूसरा नाम क्या था?
उत्तर- चाणक्य मूल रूप से मगध का रहने वाला था। उसे वहाँ के तत्कालीन सम्राट ने अपने राज्य से निकाल दिया था। वह चंद्रगुप्त मौर्य का मित्र एवं मंत्री था। उसका दूसरा नाम कौटिल्य था।
प्रश्न 40. कौटिल्य के अर्थशास्त्र में किन-किन विषयों का वर्णन किया गया है? सार रूप में लिखिए।
उत्तर- कौटिल्य का अर्थशास्त्र उस समय का महान ग्रंथ है। इस ग्रंथ में शासन के सिद्धांत, व्यवहार, चंद्रगुप्त की सेना, व्यापार और वाणिज्य, कानून और न्यायालय, नगर-व्यवस्था, लगान, विवाह और तलाक, स्त्रियों के अधिकार, कर, विभिन्न उद्योग-धंधे, जहाज़ और जहाज़रानी, निगमें, जन-गणना, जेल, विधवा-विवाह आदि का वर्णन हुआ है।
प्रश्न 41. कलिंग के युद्ध के पश्चात् सम्राट अशोक का मन क्यों बदल गया था?
उत्तर- कलिंग के युद्ध में सम्राट अशोक विजयी हुआ था। युद्ध में घोर कत्लेआम हुआ था। अनेक निर्दोष लोगों की मौत से , अशोक के मन में बहुत पछतावा हुआ। इस युद्ध से उनके मन में युद्ध के प्रति विरक्ति हो गई। उन्होंने कभी भी युद्ध न लड़ने की प्रतिज्ञा की। उन पर बुद्ध की शिक्षाओं का गहरा असर पड़ा। उन्होंने अपने मन में धारणा बना ली थी कि वे दया और कर्त्तव्य की भावना से ही लोगों के मन को जीतेंगे। इस प्रकार सम्राट अशोक का मन बदल गया था।

सिंधु घाटी सभ्यता बहुविकल्पीय प्रश्न

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