NCERT Solutions For Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 3 – सिंधु घाटी सभ्यता
NCERT Solutions For Class 8 Hindi (Bharat Ki Khoj ) Chapter 3. सिंधु घाटी सभ्यता –बहुत से विद्यार्थी हर साल 8th की परीक्षा देते है ,लेकिन बहुत से विद्यार्थी के अच्छे अंक प्राप्त नही हो पाते जिससे उन्हें आगे एडमिशन लेने में भी दिक्कत आती है .जो विद्यार्थी 8th कक्षा में पढ़ रहे है उनके लिए यहां परएनसीईआरटी कक्षा 8 हिंदी भारत की खोज अध्याय 3 (सिंधु घाटी सभ्यता) के लिए सलूशन दिया गया है.यह जो NCERT Solutions For Class 8 Hindi Sindhu Ghati Sabhyata दिया गया है वह आसन भाषा में दिया है .ताकि विद्यार्थी को पढने में कोई दिक्कत न आए . इसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में जानकारी होना हमारे सामान्य ज्ञान के लिए भी महत्वपूर्ण है .इसलिए आप Class 8th Hindi bharat ki khoj Chapter 3 सिंधु घाटी सभ्यता के प्रश्न उत्तरों को ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे.
पाठ संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. सिंधु घाटी सभ्यता के चिह्न कहाँ-कहाँ विद्यमान हैं?
उत्तर- सिंधु घाटी सभ्यता के चिह्न सिंधु में मोहनजोदड़ो तथा पश्चिमी पंजाब में हड़प्पा में विद्यमान हैं।
प्रश्न 2. पठित पाठ में सिंधु घाटी सभ्यता की कौन-कौन सी विशेषताएँ बताई गई हैं?
उत्तर- सिंधु घाटी की सभ्यता की निम्नलिखित विशेषताएँ बताई गई हैं-
(1) सिंधु घाटी की सभ्यता भारत की प्राचीन सभ्यता है।
(2) यह सभ्यता धर्मनिरपेक्ष सभ्यता थी।
(3) सिंधु घाटी के व्यापारी लोग धनी थे।
(4) सिंधु घाटी सभ्यता फ़ारस, मैसोपोटामिया और मिस्र की सभ्यताओं से बेहतर थी।
(5) इस सभ्यता के नगर अत्यंत सुनियोजित थे।
प्रश्न 3. ‘सिंधु घाटी’ की सभ्यता में उन्नत तकनीकी भी थी-पठित पाठ के आधार पर सिद्ध कीजिए।
उत्तर- सिंधु घाटी की खुदाई से जिन हमामों एवं नालियों की जानकारी प्राप्त हुई है, वे नाली तंत्र आज भी उपयोगी सिद्ध होते हैं। ये तथ्य यह सिद्ध करते हैं कि सिंधु घाटी सभ्यता में उन्नत तकनीकी भी थी।
प्रश्न 4. सिंधु घाटी’ की सभ्यता का अंत कैसे हुआ होगा? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
उत्तर- सिंधु नदी में बहुत भयंकर बातें आती थीं जो अपने साथ गाँव-के-गाँव बहा ले जाती थीं। सिंधु घाटी भी इस नदी के । प्रकोप का शिकार बनी होगी।
प्रश्न 5. आर्य कौन थे और वे कहाँ से आए थे?
उत्तर- आर्य कौन थे और वे कहाँ से आए थे? इस प्रश्न का उत्तर ठोस रूप में उपलब्ध नहीं है। इस बारे में विद्वानों ने केवल अनुमान ही लगाए हैं। कुछ विद्वान मानते हैं कि वे दक्षिण भारत से आए थे, क्योंकि आर्यों एवं दक्षिण भारत की द्रविड़ जातियों के बीच कुछ समानताएँ पाई जाती हैं। यह भी कहा जा सकता है कि ये मोहनजोदड़ो से कई हज़ार वर्ष पूर्व आए होंगे। पश्चिमोत्तर दिशा से भी भारत में कई कबीले और जातियाँ आती रहीं और यहाँ समाती गईं। अतः स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता कि आर्य कौन थे और कहाँ से आए थे? यही माना जाता है कि वे भारत की ही संतान थे।
प्रश्न 6. भारतीय संस्कृति का सबसे पुराना इतिहास कौन-सा है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- भारतीय संस्कृति का सबसे पुराना इतिहास ‘वेद’ है। भारतीय विद्वान इसे अति प्राचीन मानते हैं, जबकि यूरोप के विद्वान इसे बहुत बाद का इतिहास मानते हैं। बहुत-से यूरोपीय विद्वानों का मत है कि वेदों का काल ईसा पूर्व 1500 है। किंतु मोहनजोदड़ो की खुदाई के बाद से इन प्रारंभिक भारतीय धार्मिक ग्रंथों को अधिक पुराना माना जाने लगा है। मैक्समूलर ने वेदों को ‘आर्य-मानव के द्वारा कहा गया पहला शब्द’ कहा है।
प्रश्न 7. वेदों और अवेस्ता में क्या समानता है?
उत्तर- वेदों की रचना भारत की भूमि पर हुई, जबकि अवेस्ता की रचना ईरान में हुई। ‘वेदों’ और ‘अवेस्ता’ की भाषा में अद्भुत समानता है। भारत की भूमि पर प्रवेश करने से पहले आर्य अपने साथ उसी कुल के विचारों को लेकर आए थे, जिससे अवेस्ता की रचना हुई थी। ‘वेद’ भारत के अपने महाकाव्यों की संस्कृति की अपेक्षा अवेस्ता के अधिक निकट प्रतीत होते हैं।
प्रश्न 8. ‘वेद’ शब्द का अर्थ बताकर उनकी प्रमुख विशेषताएँ भी बताइए।
उत्तर- ‘वेद’ शब्द की व्युत्पत्ति ‘विद्’ धातु से मानी जाती है, जिसका अर्थ है-जानना। वेद का सामान्य अर्थ है-ज्ञान का संग्रह। . वेदों की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं
(1) वेदों में मूर्ति-पूजा या किसी देव-मंदिर की आराधना का वर्णन नहीं है।
(2) वेदों में आत्मा की अपेक्षा जीवन पर बल दिया गया है।
(3) वेदों में मृत्यु के पश्चात् किसी प्रकार के अस्तित्व का स्पष्ट संकेत या विश्वास नहीं है।
(4) वेदों में प्रकृति के सौंदर्य और रहस्य का वर्णन उपलब्ध है।
(5) वेदों में काव्य-संग्रह है।
(6) वेद मनुष्य के उन साहसिक कार्यों का संग्रह हैं जो प्राचीनकाल में किए गए थे।
प्रश्न 9. भारतीयों के परलोक-परायणता पर नेहरू जी ने क्या कहा था?
उत्तर- नेहरू जी ने परलोक-परायणता में विश्वास रखने वाले लोगों के विषय में कहा था कि किसी देश में गरीब एवं अभागे लोग परलोक में विश्वास करने लगते हैं जब तक वे क्रांतिकारी नहीं हो जाते। यही बात गुलाम देश के लोगों पर लागू होती है। यही हाल भारतीय जनता का भी था।
प्रश्न 10. भारत में जाति-व्यवस्था के क्या दुष्परिणाम सामने आए?
उत्तर- भारत में जाति-व्यवस्था का आरंभ समाज को सुदृढ़ करने के लिए किया गया था। किंतु आगे चलकर जाति-व्यवस्था ने गलत रूप धारण कर लिया। समाज में जातिगत भेदभाव बढ़ गए। इससे समाज की एकता को भारी हानि पहुँची। समाज कई वर्गों में बँट गया जिससे समाज का सही विकास नहीं हो सका।
प्रश्न 11. उपनिषदों की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- (1) उपनिषद् वेदों के बाद की रचनाएँ हैं। इनका समय ईसा पूर्व 800 के आस-पास का बताया जाता है।
(2) उपनिषदों में जाँच-पड़ताल की चेतना और सत्य की खोज पर बल दिया गया है।
(3) उपनिषदों में विचार के लिए वैज्ञानिक पद्धति अपनाई गई है।
(4) उपनिषदों में आत्मबोध पर बल दिया गया है।
(5) इनमें जादू-टोने एवं पाठ-पूजा को व्यर्थ कहा गया है।
(6) इनका सामान्य झुकाव अद्वैतवाद की ओर है।
(7) इनमें सामंजस्य के मार्ग को अपनाया गया है, ताकि समाज में व्याप्त मतभेदों को दूर किया जा सके।
प्रश्न 12. उपनिषदों की प्रार्थना किस हेतु की गई है?
उत्तर- उपनिषदों में प्रार्थना का प्रमुख लक्ष्य मानव-जीवन की बेहतरी है। उनकी प्रार्थना में कहा गया है कि हे ईश्वर! मुझे असत् से सत् अर्थात् अज्ञान से ज्ञान की ओर ले चल। अंधकार से मुझे प्रकाश की ओर ले चल। मृत्यु से मुझे अमरत्व की ओर ले चल। अतः स्पष्ट है कि उपनिषदों की प्रार्थना में निराकार ईश्वर को संबोधित किया गया है कि मनुष्य को जीवन के सही मार्ग पर ले चल।
प्रश्न 13. उपनिषदों में अभिव्यक्त व्यक्तिवादी दर्शन पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- व्यक्तिवाद का अभिप्राय है कि व्यक्ति को केंद्र में रखकर किया गया विचार। उपनिषदों में इस बात पर बल दिया गया है कि मनुष्य द्वारा हर क्षेत्र में उन्नति करने के लिए उसका शरीर स्वस्थ हो, मन स्वच्छ हो, तन और मन दोनों अनुशासन में हों। किसी प्रकार का ज्ञान प्राप्त करने के लिए यह जरूरी है कि मनुष्य में संयम, आत्मपीड़न और आत्मत्याग की भावना हो।
प्रश्न 14. भारतीय आर्यों पर व्यक्तिवाद का क्या प्रभाव पड़ा? .
उत्तर- भारतीय आर्यों पर व्यक्तिवाद का यह प्रभाव पड़ा कि लोग आत्मकेंद्रित हो गए। वे अपने ही बारे में सोचने लगे थे। उन्हें समाज की कोई चिंता नहीं थी। उन्होंने समाज के प्रति अपने कर्त्तव्य का पालन ही नहीं किया। अलगाववाद और ऊँच-नीच की भावना पर बल दिया जाता रहा। जाति-व्यवस्था को बढ़ावा देने के कारण लोगों में जड़ता का विकास हुआ और रचनात्मक शक्ति कमज़ोर पड़ गई।
प्रश्न 15. भौतिकवादी विचारधारा पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- भौतिकवादी विचारधारा एक ऐसी विचारधारा है, जिसमें कर्म पर विश्वास किया जाता है। वे परमात्मा के अस्तित्व में विश्वास नहीं रखते। उनके अनुसार वास्तविक अस्तित्व तो विभिन्न रूपों में विद्यमान पदार्थों और इस दृश्यमान संसार का है। इसके अतिरिक्त न कोई स्वर्ग है, न नरक और न ही शरीर से अलग आत्मा। इस विचारधारा में जादू-टोनों, अंधविश्वास, धर्म और यहाँ तक कि ब्रह्मविज्ञान का भी विरोध किया गया है। इसके अनुसार मनुष्य को बंधन-रहित व्यावहारिक जीवन जीना चाहिए।
प्रश्न 16. कौटिल्य का अर्थशास्त्र कब लिखा गया था और उसमें किन विषयों का वर्णन किया गया है?
उत्तर- कौटिल्य का अर्थशास्त्र ई०पू० चौथी शताब्दी में लिखा गया था। इस ग्रंथ में उस समय की राजनीतिक, आर्थिक व्यवस्था तथा भौतिकवादी दर्शन के सिद्धांतों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है।
प्रश्न 17. भारत के प्राचीन प्रमुख दो महाकाव्य कौन-से हैं?
उत्तर- भारत के प्राचीन प्रमुख काव्य हैं(क) रामायण, (ख) महाभारत।
प्रश्न 18. ‘रामायण’ एवं ‘महाभारत’ दोनों महाकाव्यों का क्या महत्त्व है?
उत्तर- ‘रामायण’ एवं ‘महाभारत’ दोनों महाकाव्यों में भारतीय आर्यों के आरंभ के समय का वर्णन है। इसके अतिरिक्त प्राचीन युग में रचे जाने के बावजूद भारतीयों के जीवन पर आज भी इन महाकाव्यों का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। आज के जीवन में भी ये मार्गदर्शक बने हुए हैं। इन्हीं कारणों से इन दोनों महाकाव्यों का अत्यधिक महत्त्व है।
प्रश्न 19. पुराकथाओं एवं प्रचलित कहानियों की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर- भारतीय पुराकथाएँ महाकाव्यों तक सीमित नहीं हैं। इनका इतिहास वैदिक काल तक जाता है। ये संस्कृत साहित्य में भी विभिन्न रूपों में प्रकट हुई हैं। ये कथाएँ वीरगाथात्मक हैं। इन कथाओं में सत्य का पालन करने और अपने प्रण को पूरा करने का उपदेश दिया गया है। इन कथाओं की अन्य प्रमुख विशेषता-जीवन-पर्यंत और मरणोपरांत भी वफ़ादारी, साहस और लोक-हित के लिए सदाचार और बलिदान की शिक्षा देना है। इन पुराकथाओं में कल्पना और तथ्यों का सुंदर मिश्रण हुआ है। ये कथाएँ दैनिक जीवन को एकरसता और कुरूपता से खींचकर उच्चतर क्षेत्रों तक ले जाती हैं।
प्रश्न 20. प्राचीन भारतीय इतिहास की ठीक-ठीक जानकारी प्राप्त क्यों नहीं हो पाती? इसकी जानकारी के लिए किन साधनों का सहारा लिया जाता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- भारतीय इतिहासकार चीनियों, यूनानियों एवं अरब देशों के इतिहासकारों की भाँति नहीं थे। इन देशों के इतिहासकारों ने घटनाओं को कालक्रमानुसार एवं विभिन्न तिथियों के संदर्भ में वर्णन किया है, जबकि भारतीय इतिहासकारों ने कालक्रम एवं तिथियों के संदर्भ में घटनाओं का वर्णन नहीं किया। इसलिए प्राचीनकाल के इतिहास की सही-सही जानकारी नहीं मिलती। आज तिथियों को सुनिश्चित करना अत्यंत कठिन कार्य है। इनकी स्पष्टता के लिए इतिहास के समकालीन अभिलेखों, शिलालेखों, कलाकृतियों, इमारतों के अवशेषों, सिक्कों, संस्कृत साहित्य एवं विदेशी यात्रियों के सफ़रनामों आदि साधनों का सहारा लेना पड़ता है।
प्रश्न 21. प्राचीन भारत का पहला इतिहास ग्रंथ किसने, कौन-सा और कब लिखा था?
उत्तर- प्राचीन भारत का पहला इतिहास ग्रंथ कल्हण द्वारा लिखा गया, जिसका नाम ‘राजतरंगिनी’ है। इसकी रचना ईसा की . बारहवीं शताब्दी में की गई थी।
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