Class 7 Social Science History Chapter 9 – क्षेत्रीय संस्कृतियों का निर्माण

Class 7 Social Science History Chapter 9 – क्षेत्रीय संस्कृतियों का निर्माण

NCERT Solutions For Class 7th History Chapter 9. क्षेत्रीय संस्कृतियों का निर्माण  जो विद्यार्थी 7th कक्षा में पढ़ रहे है ,उन सब का सपना होता है कि वे अपनी कक्षा में अच्छे अंक से पास हो ,ताकि उन्हें आगे एडमिशन या किसी नौकरी के लिए फॉर्म अप्लाई करने में कोई दिक्कत न आए . इसलिए आज हमने इस पोस्ट में एनसीईआरटी कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान इतिहास अध्याय 9 (क्षेत्रीय संस्कृतियों का निर्माण) का सलूशन दिया गया है जोकि एक सरल भाषा में दिया है . क्योंकि किताब से कई बार विद्यार्थी को प्रश्न समझ में नही आते .इसलिए यहाँ NCERT Solutions For Class 7th History Chapter 9 The Making Of Regional Cultures  दिया गया है. जो विद्यार्थी 7th कक्षा में पढ़ रहे है उन्हें इसे अवश्य देखना चाहिए . इसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप Ch .9 क्षेत्रीय संस्कृतियों का निर्माण के प्रश्न उत्तरों ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे

कक्षा: 7th Class
अध्याय: Chapter 9
नाम: क्षेत्रीय संस्कृतियों का निर्माण
भाषा: Hindi
पुस्तक: हमारे अतीत II

NCERT Solutions For Class 7 इतिहास (हमारा अतीत – II) Chapter 9 क्षेत्रीय संस्कृतियों का निर्माण

1. निम्नलिखित में मेल बैठाएँ
(क) अनंतवर्मन (i) केरल
(ख) जगन्नाथ (ii) बंगाल
(ग) महोदयपुरम (iii) उड़ीसा
(घ) लीला तिलकम (iv) कांगड़ा
(च) मंगलकाव्य (v) पुरी .
(छ) लघुचित्र (vi) केरल
उत्तर-
(क) अनंतवर्मन (iii) उड़ीसा
(ख) जगन्नाथ (v) पुरी
(ग) महोदयपुरम (i) केरल
(घ) लीला तिलकम (vi) केरल
(च) मंगलकाव्य (ii) बंगाल
(छ) लघुचित्र (iv) कांगड़ा

प्रश्न 2. मणिप्रवालम् क्या है ? इस भाषा में लिखी पुस्तक का नाम बताएँ।
उत्तर- संस्कृत और किसी क्षेत्रीय भाषा का एक साथ प्रयोग करके लिखी गई लिपि को मणिप्रवालम कहते हैं। चौदहवीं शताब्दी । का एक ग्रंथ लीला तिलकम, जो व्याकरण तथा काव्यशास्त्र की विषय-वस्तु पर आधारित है, मणिप्रवालम् शैली में लिखा गया है।

प्रश्न 3. कत्थक के प्रमुख संरक्षक कौन थे ?
उत्तर- मुगल बादशाह और उनके अभिजात कत्थक के प्रमुख संरक्षक थे। उनके समय में कत्थक नृत्य राजदरबार में प्रस्तुत किया जाता था। अवध के नवाब वाजिद अली शाह के संरक्षण में यह एक प्रमुख कला के रूप में उभरा।

प्रश्न 4. बंगाल के मंदिरों की स्थापत्य कला के महत्त्वपूर्ण लक्षण क्या थे ?
उत्तर- बंगाल के मंदिरों की स्थापत्य कला के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित थे
(1) मंदिर दोचाला (दो छतों वाली) अथवा चौचाला (चार छतों वाली) छप्परदार झोंपड़ियों की तरह बने होते थे।
(2) चार छतों वाले मंदिरों के ढाँचे के चार त्रिकोणीय छतें चारदीवारों पर रखी जाती थीं जो ऊपर तिर्यक रेखा या एक बिंदु तक जाती थीं।
(3) मंदिर आमतौर पर एक वर्गाकार चबूतरे पर बनाए जाते थे।
(4) मंदिरों के आंतरिक भाग में कोई सजावट नहीं होती थी परन्तु अनेक मंदिरों की बाहरी दीवारें चित्रकारियों, सजावटी टाइलों तथा मिट्टी की पट्टियों से सजी होती थीं।

प्रश्न 5. चारण-भाटों ने शूरवीरों की उपलब्धियों की उद्घोषणा क्यों की ?
उत्तर- चारण-भाटों द्वारा शूरवीरों की उपलब्धियों की उदघोषणा करने के मुख्य कारण निम्नलिखित थे
(1) चारण-भाटों के ये काव्य और गीत शुरवीरों की स्मृति को सुरक्षित रखते थे और उनसे यह आशा की जाती थी कि वे अन्य लोगों को भी उन शूरवीरों का अनुकरण करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।
(2) साधारण लोग भी चारण-भाटों के इन शरवीरों से प्रभावित होते थे।
(3) शूरवीरों की इन कहानियों में प्रायः नाटकीय स्थितियों और स्वामीभक्ति, मित्रता, प्रेम, शौर्य, क्रोध आदि प्रबल संवेगों का चित्रण होता था।

प्रश्न 6. हम जनसाधारण की तुलना में शासकों के सांस्कृतिक रीति-रिवाजों के बारे में बहुत अधिक क्यों जानते हैं ?
उत्तर-
हम निम्नलिखित कारणों से जनसाधारण की तुलना में शासकों के सांस्कृतिक रीति-रिवाजों के बारे में अधिक जानते हैं
(1) सांस्कृतिक कलाकारों; जैसे चित्रकार, राजमिस्त्री, मूर्तिकार आदि को शासकों के द्वारा ही संरक्षण प्रदान किया जाता था। अतः इन सभी कलाकारों ने शासकों के सांस्कृतिक रीति-रिवाजों के बारे में बहुत अधिक कार्य किया है।
(2) विभिन्न शासकों ने रुचि लेकर अपनी पसंद के अनुसार सांस्कृतिक कृतियों का निर्माण कराया है जिनमें उनके भक्तिभाव और वैभवता का पता चलता है।
(3) विभिन्न शासकों के द्वारा लगवाए गए अभिलेखों से भी हमें उनके सांस्कृतिक रीति-रिवाजों की जानकारी मिलती है।
(4) चारण-भाटों के द्वारा अपनी काव्यात्मक रचनाओं में राजाओं के सांस्कृतिक रीति-रिवाजों का बखान मिलता है।’

प्रश्न 7. विजेताओं ने पुरी स्थित जगन्नाथ के मंदिर पर नियंत्रण प्राप्त करने के प्रयत्न क्यों किए ?
उत्तर- यह मंदिर उड़ीसा प्रदेश के सांस्कृतिक जीवन की जान बन चुका था। यह मंदिर एक तीर्थ यात्रा केंद्र के रूप में बहुत अधिक प्रसिद्धि पा चुका था। सामाजिक तथा राजनीतिक मामलों में भी इसकी महत्ता बढ़ती गई। जिन्होंने भी उड़ीसा को जीता; जैसे मुगल, मराठे और अंग्रेज़ी ईस्ट इंडिया कंपनी, सबने इस मंदिर पर अपना नियंत्रण स्थापित करने का प्रयत्न किया। वे सब यह महसूस करते थे कि इस मंदिर पर नियंत्रण प्राप्त करने से स्थानीय जनता में उनका शासन स्वीकार्य हो जाएगा।

प्रश्न 8. बंगाल में मंदिर क्यों बनाए गए ?
उत्तर- बंगाल में पंद्रहवीं शताब्दी से लेकर उन्नीसवीं शताब्दी तक मंदिर बनाने का दौर जोरों पर रहा। इसके पीछे निम्नलिखित कारण थे
(1) बंगाल में जो वर्ग समृद्धशाली और शक्तिशाली बन रहा था, उस वर्ग के लोगों ने अपनी शक्ति तथा भक्ति-भाव का प्रदर्शन करने के लिए मंदिरों का निर्माण करवाया।

(2) बंगाल में साधारण ईंटों तथा मिट्टी-गारे से अनेक मंदिर निम्न सामाजिक समूहों; जैसे कालू (तेली) तथा कंसारी (घंटा धातु के कारीगर) आदि के द्वारा बनाए गए।

(3) यूरोपीय कंपनियों के आगमन से नए आर्थिक अवसर पैदा हुए। इससे कुछ लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ तो उन्होंने इन मंदिरों के निर्माण के माध्यम से अपनी प्रतिष्ठा की घोषणा की।

(4) जब स्थानीय देवी-देवता जो पहले गाँवों में छान-छप्पर वाली झोंपड़ियों में पूजे जाते थे, को ब्राह्मणों द्वारा मान्यता प्रदान कर दी गई और उनकी प्रतिमाएँ मंदिरों में स्थापित की जाने लगी तथा नए मंदिरों का निर्माण हुआ।

प्रश्न 9. भवनों, प्रदर्शन कलाओं, चित्रकला के विशेष संदर्भ में अपने क्षेत्र की संस्कृति के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण लक्षणों/विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर- मैं हरियाणा राज्य में रहता हूँ। यह राज्य अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण जाना जाता है।
1. इमारतें-हमारे राज्य में अधिकतर मकान पक्की ईंटों के बने होते हैं। इनकी छतें सपाट होती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ मकान कच्ची ईंटों से भी बने होते हैं।

2. प्रदर्शन कलाएँ-हमारे राज्य में हरियाणवी नृत्य, गिद्धा तथा सांग जैसे प्रमुख नृत्य कार्यक्रम होते हैं। हरियाणा अपनी हस्तकला की कृतियों के लिए प्रसिद्ध है। हरियाणा के सूरजकुंड में हर साल हस्तशिल्प कला का मेला लगता है जिसमें पूरे हिंदुस्तान के हस्तशिल्पी भाग लेते हैं।

प्रश्न 10. क्या आप (क) बोलने, (ख) पढ़ने, (ग) लिखने के लिए भिन्न-भिन्न भाषाओं का प्रयोग करते हैं ? इनमें से किसी एक भाषा की किसी प्रमुख रचना के बारे में पता लगाएँ और चर्चा करें कि आप इसे रोचक क्यों पाते हैं ?
उत्तर- मैं बोलने, पढ़ने और लिखने के लिए भिन्न-भिन्न भाषाओं का प्रयोग करता हूँ। मेरी बोलचाल की भाषा हिंदी है जबकि – मैं पढ़ने और लिखने के लिए हिंदी, पंजाबी और अंग्रेजी तीनों भाषाओं का प्रयोग करता हूँ।

रचना- मैंने हिंदी भाषा में विष्णुशर्मा द्वारा रचित पंचतंत्र की कहानियाँ पढ़ी हैं। हिंदी भाषा एक बहुत ही सरल और रोचक भाषा है। हिंदी भाषा की ये कहानियाँ हमें जीवन की व्यावहारिक सच्चाइयों का बोध कराती हैं।

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