Class 7 Social Science History Chapter 6 – नगर, व्यापारी और शिल्पीजन
NCERT Solutions For Class 7th History Chapter 6 नगर, व्यापारी और शिल्पीजन – ऐसे छात्र जो कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान इतिहास विषय की परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते है उनके लिए यहां पर एनसीईआरटी कक्षा 7th सामाजिक विज्ञान इतिहास अध्याय 6 (नगर, व्यापारी और शिल्पीजन) के लिए सलूशन दिया गया है.यह जो NCERT Solution For Class 7 Social Science History Chapter 6 Towns, Traders, And Craftspersons दिया गया है वह आसन भाषा में दिया है .ताकि विद्यार्थी को पढने में कोई दिक्कत न आए . इसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है.इसलिए आपClass Class 7 History Chapter 6 नगर, व्यापारी और शिल्पीजन के प्रश्न उत्तरों को ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे.
कक्षा: | 7th Class |
अध्याय: | Chapter 6 |
नाम: | नगर, व्यापारी और शिल्पीजन |
भाषा: | Hindi |
पुस्तक: | हमारे अतीत II |
NCERT Solutions For Class 7 इतिहास (हमारा अतीत – II) Chapter 6 नगर, व्यापारी और शिल्पीजन
प्रश्न 1. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :
(क) राजराजेश्वर मंदिर ………… में बनाया गया था।
(ख) अजमेर सूफी संत ……….. …….. से संबंधित है।
(ग) हम्पी ………. …. साम्राज्य की राजधानी थी।
(घ) हॉलैंडवासियों ने आंध्र प्रदेश में …….. ……… पर अपनी बस्ती बसाई।
उत्तर-(क) राजा राजराज चोल द्वारा 999 ई०,
(ख) मुइनुद्दीन चिश्ती,
(ग) विजयनगर,
(घ) मसूलीपट्टनम।।
प्रश्न 2. बताएँ क्या सही है और क्या गलत : .
(क) हम राजराजेश्वर मंदिर के मूर्तिकार (स्थपति) का नाम एक शिलालेख से जानते हैं।
(ख) सौदागर लोग काफ़िलों में यात्रा करने की बजाय अकेले यात्रा करना अधिक पसंद करते थे।
(ग) काबुल हाथियों के व्यापार का मुख्य केंद्र था।
(घ) सूरत बंगाल की खाड़ी पर स्थित एक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक पत्तन था।
उत्तर-(क) सही,
(ख) गलत,
(ग) गलत,
(घ) गलत।
प्रश्न 3. तंजावूर नगर को जल की आपूर्ति कैसे की जाती थी ?
उत्तर-तंजावूर नगर को जल की आपूर्ति इसके पास से पूरा साल बहने वाली कावेरी नदी से की जाती थी।
प्रश्न 4. मद्रास जैसे बड़े नगरों में स्थित ‘ब्लैक टाउन्स’ में कौन रहता था ?
उत्तर-अठारहवीं शताब्दी में बम्बई, मद्रास और कलकत्ता जैसे बड़े नगरों का उदय हुआ। इन नगरों में यूरोपीय कंपनियों ने ‘ब्लैक टाउन्स’ की स्थापना की। इन ‘ब्लैक टाउन्स’ में भारतीय मूल के कारीगर और सौदागर रहते थे। –
प्रश्न 5. आपके विचार से मंदिरों के आस-पास नगर क्यों विकसित हुए ?
उत्तर-निम्नलिखित कारणों से मंदिरों के आस-पास नगरों का विकास हुआ
(1) मंदिर सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों के प्रमुख केंद्र बन गए थे। इसलिए मंदिरों के आस-पास अनेक शिल्पियों और व्यापारियों के बस जाने से नगरों का विकास हुआ।
(2) मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए आने वाले लोगों की बढ़ती संख्या के कारण व्यापार फलने-फलने लगा और नगरों का विकास हुआ।
(3) मंदिरों में बहुत सारे पर्यटक घूमने आते थे। इन पर्यटकों की आवश्यकताओं का ध्यान रखते हुए मंदिरों के निकट अनेक निर्माण करवाए गए।
(4) तीर्थस्थल भी धीरे-धीरे नगरों के रूप में विकसित हो गए। उत्तर प्रदेश में वृंदावन तथा तमिलनाडु में तिरुवन्नमलाई इस प्रकार के नगरों के उदाहरण हैं।
प्रश्न 6. मंदिरों के निर्माण तथा उनके रख-रखाव के लिए शिल्पीजन कितने महत्त्वपूर्ण थे ?
उत्तर-मंदिरों के निर्माण तथा रख-रखाव के लिए शिल्पीजनों की भूमिका का वर्णन निम्नलिखित प्रकार से है
(1) विश्वकर्मा समुदाय जिसमें सुनार, कसेरे, लोहार, राजमिस्त्री और बढ़ई शामिल थे ने राजमहलों, बड़े-बड़े भवनों, तालाबों और जलाशयों के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
(2) इस वर्ग के लोगों ने मंदिरों की साज-सज्जा तथा मीनाकारी करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
(3) सालियार तथा कैक्कोलार जैसे बुनकर जो अमीर समुदाय बन गए थे वे मंदिरों को भारी दान-दक्षिणा दिया करते थे।
(4) शिल्पी अपना अतिरिक्त धन मंदिरों के प्रबंधन के पास जमा करते थे जिसको वे आवश्यकता पड़ने पर वापिस ले
लेते थे और यदि उन्हें अतिरिक्त धन की भी आवश्यकता होती थी तो वे मंदिरों से ब्याज पर भी उधार ले लेते थे।
प्रश्न 7. लोग दूर-दूर के देशों-प्रदेशों से सूरत क्यों आते थे ?
उत्तर-दूर-दूर के प्रदेशों से लोगों के सूरत आने के निम्नलिखित कारण थे
(1) सूरत एक प्रसिद्ध बंदरगाह होने के कारण पश्चिमी देशों से होने वाले व्यापार का वाणिज्य केंद्र बन गया था।
(2) सूरत एक सर्वदेशीय नगर था जहाँ सभी जातियों और धर्मों के लोग रहते थे।
(3) यहाँ पर विभिन्न विदेशी कंपनियों के कारखाने और मालगोदाम स्थापित थे।
(4) यह थोक और फुटकर कीमतों पर सूती कपड़ा बेचने का एक प्रमुख केंद्र था।
(5) यहाँ पर आने वाले सभी लोगों के रहने के लिए विश्रामगृह बना रखे थे।
(6) यह शहर भव्य भवनों और असंख्य मनोरंजक स्थलों से भरपूर था।
प्रश्न 8. कलकत्ता जैसे नगरों में शिल्प उत्पादन तंजावूर जैसे नगरों के शिल्प उत्पादन से किस प्रकार भिन्न था ?
उत्तर-अठारहवीं शताब्दी में कलकत्ता, बम्बई और मद्रास जैसे अनेक नए नगरों का उदय हुआ। इन नगरों के शिल्प उत्पादन और तंजावूर के शिल्प उत्पादन में निम्नलिखित अंतर थे
(1) तंजावूर के शिल्पी अपनी स्वतंत्रता के आधार पर शिल्पों का सृजन करते थे जबकि कलकत्ता के शिल्पी यूरोपीय एजेन्टों से पहली ली गई पेशगी की अपेक्षाओं के अनुसार काम करते थे।
(2) तंजावूर एक मंदिर नगर था इसलिए यहाँ पर धातु की मूर्तियाँ, धातु के दीपदान, मंदिरों के घंटे तथा मूर्तियों को पहनाए जाने वाले आभूषण शिल्पकला की मुख्य कृतियाँ होती थीं जबकि कलकत्ता में शिल्पकला सूती व रेशमी कपड़े तथा जूट से निर्मित वस्तुओं तक सीमित था।
प्रश्न 9. इस अध्याय में वर्णित किसी एक नगर की तुलना आप, अपने परिचित किसी कस्बे या गाँव से करें। क्या दोनों के बीच कोई समानता या अंतर है ?
उत्तर-समानताएँ .
(1) दोनों शहर भारत की महान सांस्कृतिक विरासत की झलक का प्रदर्शन करते हैं। –
(2) तंजावूर की मंदिर कला से आकर्षित होकर शासकों ने अनेक भव्य मंदिरों का निर्माण कराया है।
(3) तंजावूर शक्तिशाली चोल राज्य की राजधानी था जबकि दिल्ली भी अतीत में अनेक शक्तिशाली राज्यों की राजधानी रह चुका है और वर्तमान में भी स्वतंत्र भारत की राजधानी है।
असमानताएँ
तंजावूर | दिल्ली |
1. यह भारत का एक प्रमुख मंदिर शहर है। 2. इस शहर में राजराजेश्वर मंदिर स्थित है जो यहाँ के प्रशासनिक केंद्र का प्रमुख बिन्दु था। 3. यहाँ के शिल्पकार मूर्तियाँ, घंटे, दीपदान इत्यादि का सृजन और साज-सज्जा करते हैं। | 1. यह भारत का एक प्रमुख प्रशासनिक शहर है। 2. इस शहर में संसद भवन स्थित है जो भारत के प्रशासनिक केंद्र का प्रमुख बिन्दु है। 3. यहाँ के इंजीनियर कम्प्यूटर, मोबाइल तथा अन्य वस्तुओं का निर्माण करने में लगे हैं। |
प्रश्न 10. सौदागरों को किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता था ? आपके विचार से क्या वैसी कुछ समस्याएँ आज भी बनी हुई हैं ?
उत्तर-सौदागरों को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ता था
(1) सौदागरों को कच्चा माल खरीदने या तैयार माल बेचने के लिए दूर-दूर की यात्राओं पर जाना पड़ता था।
(2) सौदागरों को अपने व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए व्यापार संघों (गिल्ड) का सदस्य बनना पड़ता था।
(3) सौदागरों को विभिन्न प्रकार के कर चुकाने पड़ते थे।
(4) सौदागरों को व्यापारिक यात्राओं के दौरान अनेक जोखिमों का सामना करना पड़ता था क्योंकि उन्हें नदियों, नालों और जंगलों को पार करना पड़ता था।
वर्तमान में सौदागरों के सामने निम्नलिखित समस्याएँ बनी हुई हैं
(1) सौदागरों को आज भी विभिन्न प्रकार के करों का भुगतान करना पड़ता है।
(2) सौदागरों को इस समय भी अनेक व्यापारिक संघों का सदस्य बनना पड़ता है।
(3) कई भ्रष्ट अधिकारियों के शोषण का शिकार होना पड़ता है।
(4) दिन-प्रतिदिन की हड़तालों और बंद के कारण उन्हें बहुत अधिक हानि उठानी पड़ती है।
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