Class 7 Social Science History Chapter 10 – अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन

Class 7 Social Science History Chapter 10 – अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन

NCERT Solutions For Class 7th History Chapter 10. अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन – ऐसे छात्र जो कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान इतिहास विषय की परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते है उनके लिए यहां पर एनसीईआरटी कक्षा 7th इतिहास अध्याय 10 (अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन) के लिए सलूशन दिया गया है.यह जो NCERT Solution For Class 7 Social Science History Chapter 10 Eighteenth Century Political Formations दिया गया है वह आसन भाषा में दिया है .ताकि विद्यार्थी को पढने में कोई दिक्कत न आए . इसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है.इसलिए आप Class 7  History Chapter 10 अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन के प्रश्न उत्तरों को ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे.

कक्षा: 7th Class
अध्याय: Chapter 10
नाम: अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन
भाषा: Hindi
पुस्तक: हमारे अतीत II

NCERT Solutions For Class 7 इतिहास (हमारा अतीत – II) Chapter 9 अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन

प्रश्न 1. निम्नलिखित में मेल बैठाएँ
(क) सूबेदार (i) एक राजस्व कृषक
(ख) फ़ौजदार (ii) उच्च अभिजात
(ग) इजारादार (iii) प्रांतीय सूबेदार
(घ) मिस्ल (iv) मराठा कृषक योद्धा
(च) चौथ (v ) एक मुगल सैन्य कमांडर
(छ) कुनबी (vi) सिख योद्धाओं का समूह
(ज) उमरा (vii) मराठों द्वारा लगाया गया कर
उत्तर-
(क) सूबेदार (iii) प्रांतीय सूबेदार
(ख) फ़ौजदार (v) एक मुगल सैन्य कमांडर
(ग) इजारादार (i) एक राजस्व कृषक
(घ) मिस्ल (vi) सिख योद्धाओं का समूह
(च) चौथ (vii) मराठों द्वारा लगाया गया कर
(छ) कुनबी (iv) मराठा कृषक योद्धा
(ज) उमरा (ii) उच्च अभिजात

प्रश्न 2. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
(क) औरंगज़ेब ने …………. में एक लंबी लड़ाई लड़ी।
(ख) उमरा और जागीरदार मुग़ल ………….. के शक्तिशाली अंग थे।
(ग) आसफजाह ने हैदराबाद राज्य की स्थापना …………….. में की।
(घ) अवध राज्य का संस्थापक ………….. था।
उत्तर-(क) दक्षिण,
(ख) साम्राज्य,
(ग) 1724,
(घ) बुरहान-उल-मुल्क सआदत खान।

प्रश्न 3. बताएँ सही या गलत
(क) नादिरशाह ने बंगाल पर आक्रमण किया।
(ख) सवाई राजा जयसिंह इन्दौर का शासक था।
(ग) गुरु गोबिंद सिंह सिक्खों के दसवें गुरु थे।
(घ) पुणे अठारहवीं शताब्दी में मराठों की राजधानी बना।
उत्तर-(क) गलत,
(ख) गलत,
(ग) सही,
(घ) सही।

प्रश्न 4. सआदत खान के पास कौन-कौन से पद थे?
उत्तर-(i) सूबेदारी,
(ii) दीवानी तथा
(ii) फौजदारी।
इसमें वह सूबे के राजनीतिक, वित्तिय और सैनिक मामलों का एकमात्र कर्ता-धर्ता बन गया।

प्रश्न 5. अवध और बंगाल के नवाबों ने जागीरदारी प्रथा को हटाने की कोशिश क्यों की?
उत्तर-अवध और बंगाल के नवाबों ने निम्नलिखित कारणों से जागीरदारी प्रथा को हटाने की कोशिश की
(1) उन्होंने मुगलों द्वारा नियुक्त जागीरदारों को हटाकर उनके स्थान पर अपने निष्ठावान सेवकों को नियुक्त किया।
(2) वे अपने शासन पर मुगल साम्राज्य के प्रभाव को खत्म करना चाहते थे।
(3) वे राजस्व का पुनर्निर्धारण करना चाहते थे।
(4) वे सरकारी खजाने में जमा करवाए जाने वाले राजस्व में जागीरदारों द्वारा की जाने वाली बेईमानी को रोकना चाहते थे।

प्रश्न 6. अठारहवीं शताब्दी में सिक्खों को किस प्रकार संगठित किया गया? . .
उत्तर-अठारहवीं शताब्दी में सिक्खों के संगठित होने के प्रमुख चरण इस प्रकार से हैं
(1) 1699 में गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की और सिक्खों का एक शक्तिशाली संगठन खड़ा कर दिया।
(2) 1708 में गुरु गोबिंद सिंह जी के ज्योति-ज्योत समाने के बाद बंदा बहादुर के नेतृत्व में ‘खालसा’ ने मुगल सत्ता के खिलाफ विद्रोह किए।
(3) 1716 में बंदा बहादुर की हत्या के बाद कई योग्य सिक्ख नेताओं के नेतृत्व में सिक्खों ने अपने आपको पहले ‘जत्थों’ में और बाद में ‘मिस्लों’ में संगठित किया।
(4) खालसा ने 1765 में अपना सिक्का गढ़कर सार्वभौमिक शासन की घोषणा की।
(5) प्रसिद्ध सिक्ख शासक महाराजा रणजीत सिंह ने विभिन्न सिक्ख समूहों में एकता स्थापित करके 1799 में लाहौर को अपनी राजधानी बनाया और एक शक्तिशाली सिक्ख राज्य का गठन किया।

प्रश्न 7. मराठा शासक दक्कन के पार विस्तार क्यों करना चाहते थे?
उत्तर- मराठा शासक निम्न कारणों से दक्कन के पार विस्तार करना चाहते थे
(1) वे मराठा राज्य को समृद्ध और शक्तिशाली बनाने के लिए दक्कन पार के क्षेत्रों पर नियंत्रण करना चाहते थे।
(2) वे दक्कन पार के विशाल खनिज भण्डारों और उपजाऊ कृषि क्षेत्रों को हथियाना चाहते थे।
(3) मराठे दक्कन पार के राज्यों को जीतकर, मराठा प्रभुसत्ता को स्वीकार करने के तरीके के रूप में उनसे भेंट की रकम वसूल करते थे।
(4) वे दक्कन के प्रदेशों में चौथ और सरदेशमुखी लगाने तथा इनकी वसूली करने का अधिकार प्राप्त करना चाहते थे।

प्रश्न 8. आसफजाह ने अपनी स्थिति को मजबूत बनाने के लिए क्या-क्या नीतियाँ अपनाई?
उत्तर-
आसफजाह ने अपनी स्थिति को मजबूत बनाने के लिए निम्नलिखित नीतियाँ अपनाईं
(1) आसफजाह अपने लिए कुशल सैनिकों तथा प्रशासकों को उत्तरी भारत से अपने साथ लाया था। उसने उनमें से कुछ को मनसबदार नियुक्त किया और जागीरें प्रदान की। इससे ये लोग दक्षिण भारत में नए अवसर प्राप्त करके बहुत खुश हुए।
(2) मुगल साम्राज्य का सेवक होने पर भी वह पूरी आजादी से शासन चलाता था। न तो वह दिल्ली से कोई निर्देश लेता था और न ही दिल्ली उसके कामकाज में कोई दखल देती थी।

प्रश्न 9. क्या आपके विचार से आज महाजन और बैंकर उसी तरह का प्रभाव रखते हैं जैसा वे अठारहवीं शताब्दी में रखा करते थे?
उत्तर- हमारे विचार से आज महाजन और बैंकर उसी तरह का प्रभाव नहीं रखते हैं जैसा वे अठारहवीं शताब्दी में रखते थे। अठारहवीं शताब्दी में राज्य ऋण प्राप्त करने के लिए स्थानीय सेठ, साहूकारों और महाजनों पर निर्भर रहता था। राज्य, राजस्व का ठेका सबसे ऊँची बोली लगाने वाले इजारेदार को देता था। इजारेदार राज्य को एक निश्चित रकम के भुगतान का वचन देते थे। स्थानीय साहूकार राज्य को ठेके की इस रकम के भुगतान की गारंटी देते थे। दूसरी ओर इजारदारों को कर का मूल्यांकन करने और उसे एकत्र करने की खासी छूट दे दी गई थी। वर्तमान समय में इन महाजनों और बैंकरों का स्थान बैंकों ने ले लिया है जो कि भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा निर्देशों के अनुसार कार्य करते हैं।

प्रश्न 10. क्या अध्याय में उल्लेखित कोई भी राज्य आपके प्रांत में विकसित हुए थे? यदि हाँ तो आपके विचार से अठारहवीं शताब्दी का जनजीवन आगे इक्कीसवीं शताब्दी के जनजीवन से कैसे भिन्न था?
उत्तर-मैं हरियाणा राज्य में रहता हूँ जो कि अठारहवीं शताब्दी में पंजाब राज्य का अंग था। अठारहवीं शताब्दी में पंजाब राज्य में काफी कुछ बिखरा हुआ था। अधिकतर भाग पर मुगल शासक औरंगजेब का अधिकार था। 1699 में गुरु गोबिंद सिंह जी ने ‘खालसा पंथ’ की सृजना करके पंजाब को एक संगठित राज्य बनाने का कदम उठाया और उसके बाद बंदा बहादुर तथा अन्य सिक्ख योद्धाओं ने सिक्खों को संगठित करने का प्रयास किया। 1799 में महाराजा रणजीत सिंह । ने लाहौर को अपनी राजधानी बनाया। वर्तमान समय (इक्कीसवीं सदी) में हमारे राज्य में लोकतांत्रिक सरकार है। हम अपने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री का चयन करते हैं। वर्तमान समय में हमें अठारहवीं शताब्दी के समय की तुलना में अनेक व्यक्तिगत स्वतंत्रताएँ और सुविधाएं प्राप्त हैं।

प्रश्न 11. औरंगजेब की मृत्यु के बाद केंद्रीय सरकार की सत्ता का पतन क्यों हुआ?
उत्तर- 1707 ई० में औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात केंद्रीय सरकार की सत्ता का बहुत तेज़ी से पतन हुआ। इसके तुरंत बाद बंगाल, अवध, हैदराबाद, पंजाब, मैसूर तथा मराठा राज्यों का उदय हुआ। इनमें से कई राज्य तो बहुत ही शक्तिशाली हुए। औरंगजेब के उत्तराधिकारी, जिन्हें हम परवर्ती मुगल के नाम से जानते हैं, बहुत ही कमजोर और अयोग्य सिद्ध हुए। 1712 ई० में मुगल सम्राट बहादुरशाह प्रथम मृत्यु के पश्चात उसके उत्तराधिकारी गद्दी प्राप्त करने के लिए आपस में उलझ पड़े, जिससे केंद्रीय सत्ता कमजोर होती चली गई और एक-एक करके अनेक स्वतंत्र राज्यों का गठन होता चला गया।

प्रश्न 12. औरंगजेब की मृत्यु के बाद राजपूत सत्ता का पतन क्यों हो गया?
उत्तर-राजपूत सरदार अकबर के समय से ही मुगल साम्राज्य को दृढ़ समर्थन देते आ रहे थे। मगर उनमें से बहुतों ने औरंगजेब के विरुद्ध विद्रोह किया। इसका कारण यह था कि औरंगजेब उनकी पैतृक भूमि के उत्तराधिकार में हस्तक्षेप करने लगा था। औरंगजेब की मृत्यु के बाद उन्होंने मुगल साम्राज्य के बंधन से अपने को मुक्त करने के प्रयास किए। उन्होंने अपना प्रभाव क्षेत्र बढ़ाने के भी प्रयास किए। परंतु राजपूतों का प्रभाव अधिक दिनों तक नहीं टिका। वे आपसी कलहों में इतने अधिक उलझे रहे कि अपने प्रभाव क्षेत्रों के बाहर सत्ता की होड़ के लिए उनमें न ताकत थी और न ही क्षमता। जाटों, मराठों और सवाई शासकों की शक्ति बढ़ी तो राजपूतों के हाथों से राज्यों के बाहर की उनकी जागीरें निकल गईं और उनका प्रभाव कम होने लगा।

प्रश्न 13. सआदत खां कौन था?
उत्तर- सआदत खां एक ईरानी शिया था। उसे मुगल सम्राट् मुहम्मद शाह ने 1722 ई० में अवध का सूबेदार नियुक्त कर दिया। सआदत खां के नेतृत्व में ही अवध एक स्वतंत्र सूबा बन गया। सआदत खां शीघ्र ही प्रसिद्ध हो गया। नादिर शाह के आक्रमण (1738-1739) के समय मुगल सम्राट में उसे नादिर शाह को यह समझाने की जिम्मेदारी लगाई कि वह एक बड़ी धनराशि लेकर अपने देश लौट जाए तथा दिल्ली पर आक्रमण न करे। परंतु सआदत खां ने नादिर शाह को पूरी रकम नहीं दी। इस प्रकार उसने मुगल सम्राट् व साम्राज्य दोनों के साथ विश्वासघात किया। फलतः नादिर शाह ने दिल्ली की जनता का कत्लेआम किया। इस घटना से अपमानित होकर सआदत खां ने आत्महत्या कर ली।

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