Class 6th Science Chapter 14 – जल
NCERT Solutions for Class 6 Science Chapter 14 – Water – हर विद्यार्थी का सपना होता है कि वे अपनी कक्षा में अच्छे अंक से पास हो ,ताकि उन्हें आगे एडमिशन या किसी नौकरी के लिए फॉर्म अप्लाई करने में कोई दिक्कत न आए . जो विद्यार्थी छठी कक्षा में पढ़ रहे है उनके लिए यहां पर एनसीईआरटी कक्षा 6th विज्ञान अध्याय 14 (जल) के लिए सलूशन दिया गया है.जोकि एक सरल भाषा में दिया है .क्योंकि किताब से कई बार विद्यार्थी को प्रश्न समझ में नही आते .इसलिए यहाँ NCERT Solutions for Class 6th Chapter 14 Water दिया गया है वह आसन भाषा में दिया है .ताकि विद्यार्थी को पढने में कोई दिक्कत न आए . इसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप Ch 14 जल के प्रश्न उत्तरों ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे
पाठ्य-पुस्तक के अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर
(क) जल को वाष्प में परिवर्तित करने के प्रक्रम को …………… कहते हैं।
(ख) जलवाष्प को जल में परिवर्तित करने के प्रक्रम को …………… कहते हैं।
(ग) एक वर्ष या इससे अधिक समय तक वर्षा न होना उस क्षेत्र में …………. लाता है।
(घ) अत्यधिक वर्षा से …………… आती है।
उत्तर- (क) वाष्पन (ख) संघनन (ग) सूखा (घ) बाढ़।
(क) ठंडे जल से भरे गिलास की बाहरी सतह पर जल की बूंदों का दिखना।
(ख) गीले कपड़ों पर इस्त्री करने पर भाप को ऊपर उठना।
(ग) सर्दियों में प्रात:काल कोहरे का दिखना।
(घ) गीले कपड़े से पोंछने के बाद श्यामपट्ट कुछ समय बाद सूख जाता है।
(ङ) गर्म छड़ के ऊपर जल छिड़कने से भाप का ऊपर उठना।
उत्तर- (क) संघनन, (ख) वाष्पन, (ग) संघनन, (घ) वाष्पन, (ङ) वाष्पन।
(क) वायु में जलवाष्प केवल मानसून के समय में उपस्थित रहती है। ( )
(ख) जल महासागरों, नदियों तथा झीलों से वाष्पित होकर वायु में मिलता है परंतु भूमि से वाष्पित नहीं होता। ( )
(ग) जल के जलवाष्प में परिवर्तन की प्रक्रिया वाष्पन कहलाती है। ( )
(घ) जल का वाष्पन केवल सूर्य के प्रकाश में ही होता है। ( )
(ङ) वायु की ऊपरी परतों में, जहाँ यह और अधिक ठंडी होती है, जलवाष्प संघनित होकर छोटी-छोटी जलकणिकाएँ बनाती है। ( )
उत्तर- केवल (ग) और (ङ)
उत्तर– हाँ, हम अँगीठी या हीटर के पास यूनिफार्म फैला कर शीघ्र सुखा सकते हैं। क्योंकि अंगठी या हीटर की ऊष्मा के कारण यूनिफार्म में उपस्थित जल का वाष्पन होगा जिससे जल, वाष्प बन कर उड़ जायेगा और यूनिफार्म सूख जायेगी।
उत्तर- क्योंकि ठंडी जल की बोतल की बाहरी सतह ठंडी होती है इसलिए वायु में उपस्थित जलवाष्प बोतल की बाहरी सतह पर लग जाएंगे। इसलिए जल की ठंडी बोतल फ्रिज से निकाल कर बाहर रखने पर कुछ समय बाद बोतल की बाहरी सतह पर जल की बूंदें दिखाई देंगी।
उत्तर- क्योंकि जब हम लेंस साफ़ करने के लिए उस परं फूक मारते हैं, तो हमारे द्वारा मारी गई फैंक में वायु के साथ जल वाष्प भी होते हैं, जो शीशे के संपर्क में आते ही पानी की बूंदों में परिवर्तित हो जाते हैं और लेंस भीग जाते हैं।
उत्तर- बादलों का बनना-समुद्रों और महासागरों की सतहे से वाष्पन द्वारा बने जल। वाष्प जैसे-जैसे वायु के साथ ऊपर जाते हैं तो पर्याप्त ऊँचाई पर वायु इतनी ठंडी हो जाती है | कि इसमें उपस्थित जलवाष्प संघनित हो कर | : : छोटी-छोटी जल कणिकों में परिवर्तित हो जाते हैं। ये छोटी जल कणिकाएं, जो वायु में तैरती हैं, हमें बादलों के रूप में दिखाई देती हैं।
उत्तर- सूखा-जब किसी क्षेत्र में एक वर्ष या उससे अधिक समय तक वर्षा न हो। तो सूखा पड़ता है। जल की कमी से पौधे सूख जाते हैं और भूमि बंजर हो जाती है।
दीर्घ उत्तव्रात्मक प्रश्न
उत्तर- जल भिन्न-भिन्न स्रोतों से प्राप्त होता है। जल के मुख्य स्रोत हैं
(1) भूमिगत जल (Underground water subsoil water) .
(2) सतह जल (Surface Water)
1. भूमिगत जल– मानसून मौसम के दौरान वर्षा का कुछ जल मिट्टी के नीचे चला जाता है। यह एक विशेष स्तर पर जाकर एकत्रित हो जाता है। धरती के नीचे छिद्रयुक्त चट्टानों (Impervious Rocks) से ऊपर, जल के इस भंडार को भूमिगत जल कहते. हैं।
भूमिगत जल में निलंबित (Suspended) अशुधियां नहीं होतीं। भूमिगत जल मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है
(i) कुएँ का जल (Well water)
(ii) चश्मे का जल (Spring water) –
(i) कुएँ का जल-तह दार चट्टानों के ऊपर एकत्रित हुए जल भंडार को कुएँ कहते हैं तथा इसमें उपस्थित जल को कुएँ का जल कहते हैं। कुएँ के जल में कई घुलनशील अशुधियाँ मिल जाती हैं।
आजकल शहरों तथा गाँव में ट्यूबवैल में बोर करके हम कुओं की अपेक्षा अधिक जल निकाल सकते हैं।
(ii) चश्मों का जल-वर्षा का जल तहदार चट्टानों से ऊपर भूमिगत के रूप में एकत्रित हो जाता है। धरती के नीचे कमज़ोर भाग पर दाब डालकर कई बार यह जल चश्मा बन कर धरती की सतह से बाहर फूट पड़ता है। जल की ऐसी धारा को चश्मा का जल कहते हैं। चश्मे के जल में आमतौर पर खनिज तथा कई तरह के लवण घुले होते हैं।
यह पानी निलंबित अशुधियों से रहित होता है। कभी-कभी खनिज चश्मे के जल को विशेष रोगनाशक (Curable) गुण प्रदान करते हैं तथा औषधि के रूप में प्रयुक्त होता हैं।
2. सतह जल (Surface Water)–धरती की सतह के ऊपर स्थित जल को सतह । जल कहा जाता है। यह जल तीन प्रकार का होता है
(i) वर्षा का जल (Rain Water)
(ii) नदी तथा झीलों का जल (River and Lake Water)
(iii) समुद्रीय जल (Sea Water)।
(i) वर्षा का जल – प्राकृतिक जल का यह सबसे अधिक शुद्ध रूप है। परंतु वर्षा के कुछ छरांटों से पूर्व वातावरण में से धूल, रोगाणु, कीटाणु तथा कई तरह की घुलनशील गैसें मिल जाती हैं।
(ii) नदी तथा झीलों का जल – नदियाँ भी जल का एक मुख्य स्रोत हैं। कुछ नदियों में सारा वर्ष ही जल बहता रहता है। परंतु कुछ नदियों का जल गर्मियों में बहुत कम हो जाता है या वे सूख जाती हैं। यह जल पहाड़ियों से बहता हुआ नदियों में गिरता है। इस जल में कीटाणु, गारा, मिट्टी, रेत तथा अन्य कई घुलनशील लवण होते हैं।
(iii) समुद्रीय जल– नदियाँ अंत में समुद्र में गिरती हैं। इसलिए समुद्र प्राकृतिक जल का सबसे बड़ा भंडार है। इसके जल में नदियों के जल वाली सभी अशुदधियाँ शामिल होती हैं। इससे बड़ी मात्रा में लवण घुले होने के कारण समुद्र का जल खारा होता है। समुद्रीय जल पीने तथा सिंचाई करने योग्य नहीं होता।
उत्तर – जलचक्र (Water Cycle)- सूर्य की गर्मी के कारण महासागरों की सतह से जल वाष्पित होकर जलवाष्पों के रूप में वायु में चला जाता है। यह जलवाष्प संघनित होकर बादलों में परिवर्तित हो जाते हैं और इन बादलों से वर्षा के रूप में बरसते हैं। यह वर्षा का पानी नदियों, झीलों, तालाबों और कुओं में आता है। इस प्रकार महासागरों से पानी इन पानी के स्रोतों में आता है। वर्षा तथा हिम के रूप में भूमि पर गिरा अधिकांश जल, अंततः महासागर में वापिस चला जाता है। यह विभिन्न ढंगों से होता है।
पर्वतों पर हिम पिघलकर जल बन जाती है। यह जल पहाड़ों से झरनों तथा नदियों के रूप में नीचे गिरता है। कुछ जल जो वर्षा के रूप में भूमि पर गिरता है, वह भी नदियों और झरनों के रूप में बह जाता है। अधिकांश नदियाँ भूमि पर लंबी दूरी तय करती हैं और अंततः किसी समुद्र या महासागर में गिर जाती हैं तथापि कुछ नदियों का जल झीलों में बह जाता है।
वर्षा का जल भी झीलों तथा तालाबों को भर देता है। वर्षा के जल का कुछ भाग भूमि द्वारा सोख लिया जाता है और मृदा में विलुप्त हुआ प्रतीत होता है। इस जल का कुछ भाग वाष्पन तथा वाष्पोत्सर्जन दवारा वापस वाय में चला जाता है। शेष जल धीरे-धीरे भमि के नीचे रिसता रहता है। इस जल का अधिकांश भाग हमें भौम-जल के रूप में उपलब्ध हो जाता है।
उत्तर- वर्षा जल संग्रहण की दो तकनीकें हैं
(i) छत के ऊपर वर्षा जल संग्रहण जिन्हें इस प्रणाली में भवनों की छत पर एकत्रित वर्षा के जल को भंडारण टैंक में पाइपों द्वारा पहुँचाया जाता है। इस जल में, छत पर उपस्थित मिट्टी के कण हो सकते हैं जिन्हें उपयोग करने से पहले निस्पंदित करना आवश्यक होता है। इस जल को भंडारण टैंक में एकत्रित करने के स्थान पर सीधे ही पाइपों द्वारा ज़मीन में बने किसी खड्डे तक ले जाया जा सकता है। जहाँ से यह मिट्टी में रिसाव द्वारा भौम-जल की पुनः पूर्ति करेगा।
(ii) अन्य विकल्प के तौर पर सड़क के किनारे बनी नालियों द्वारा एकत्रित वर्षा का जल भूमि में सीधे पहुँचने दिया जाए।
अति लघु उत्तात्मक प्रश्न
उत्तर- जल से हम रोज़ाना खाना पकाते, कपड़े धोते, बर्तन साफ़ करते और स्नान करते हैं।
उत्तर- विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को समान मात्रा में जल उपलब्ध नहीं होता।
उत्तर- हाँ, वस्तुओं के उत्पादन में उद्योगों में जल का उपयोग होता है।
उत्तर- लगभग 2 गिलास पानी की।
उत्तर- हमें जल नदियों, झरनों, तालाबों, कुँओं अथवा हैंड पंप से प्राप्त होता है।
उत्तर- 2/3 भाग।
उत्तर- समुद्रों और महासागरों का जल खारा होता है, क्योंकि उनके जल में लवण घुले होते हैं।
उत्तर- नहीं, समुद्रों और महासागरों का जल घरेलू कृषि तथा उद्योगों की आवश्यकता के लिए उचित नहीं है।
उत्तर- वाष्पन : जल का वाष्पों में परिवर्तित होना वाष्पन (Evaporation) कहलाता है।
उत्तर- गीले कपड़ों, खेतों, सड़कों और अन्य ज़मीनी क्षेत्र से जल वाष्पन द्वारा लुप्त हो जाता है।
उत्तर- वाष्पन के लिए ऊष्मा अनिवार्य है। यह ऊष्मा मुख्यतः सूर्य से प्राप्त होती है।
उत्तर- खुली सतह, ऊष्मा और चलती वायु वाष्पन को तेज करती हैं।
उत्तर- लगभग 500 लीटर।
उत्तर- वाष्पोत्सर्जन (Transpiration)-पौधों के पत्तों की सतह से जल के वाष्पों के उत्सर्जन को वाष्पोत्सर्जन कहते हैं। यह लगातार चलता है। दिन के समय यह अधिक होता है।
उत्तर- संघनन प्रक्रम।
उत्तर- जब वायु पर्याप्त ऊँचाई पर जाकर ठंडी हो जाती है उसमें उपस्थित जलवाष्प संघनित होने लगते हैं।
उत्तर- धरती ठंडी होने के कारण जलवाष्प संघनित हो जाते हैं जो कोहरे के रूप में दिखाई देते हैं।
उत्तर- वाष्पन और वाष्पोत्सर्जन क्रियाओं द्वारा।
उत्तर- वर्षा, ओले तथा हिम के रूप में।
उत्तर- वर्षा तथा हिम के रूप में भूमि पर गिरा अधिकांश जल अंततः महासागरों में वापिस चला जाता है।
उत्तर- भौम जल : भूमिगत पानी को भौम जल कहते हैं।
उत्तर- भौम जल से
उत्तर- जहाँ भूमि की वनस्पति बहुत कम है, अथवा जहाँ अधिकांश जमीन सीमेंट के फर्श से ढकी होती है।
उत्तर- जलचक्र (Water Cycle)।
उत्तर- मानसून (Monsoon) में।
उत्तर- अत्यधिक वर्षा।
उत्तर- बाढ़ की हानि-बाढ़ से फसलें, पालतू-जानवर, संपदा तथा मानव जीवन की अपार क्षति होती है।
उत्तर- जनसंख्या वृद्धि।
उत्तर- हमें जल का विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए। जल को व्यर्थ न होने दें।
उत्तर- वर्षा जल संग्रहण का मूल मंत्र यह है कि जल जहां गिरे वहीं एकत्र कीजिए।
उत्तर- (i) छत के ऊपर वर्षा संग्रहण।
(ii) सड़क के किनारे बनी नालियों द्वारा एकत्रित वर्षा का जल भूमि में सीधा पहुंचने दिया जाना।’
उत्तर- वर्षा जल संग्रहण : वर्षा के जल को एकत्र करना और उसका भंडारण करना।
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NCERT Solutions In Hindi Class 6 Chapter Wise
- Chapter 1: भोजन : यह कहाँ से आता है
- Chapter 2: भोजन के घटक
- Chapter 3: तंतु से वस्त्र तक
- Chapter 4: वस्तुओं के समूह बनाना
- Chapter 5: पदार्थों का पृथक्करण
- Chapter 6: हमारे चारो ओर के परिवर्तन
- Chapter 7: पौधो को जानिए
- Chapter 8: शरीर में गति
- Chapter 9: सजीव एवं उनका परिवेश
- Chapter 10: गति एवं दूरियों का मापन
- Chapter 11: प्रकाश – छायाएं एवं परिवर्तन
- Chapter 12: विद्युत् तथा परिपथ
- Chapter 13: चुंबको द्वारा मनोरंजन
- Chapter 14: जल
- Chapter 15: हमारे चारो ओर वायु
- Chapter 16: कचरा- संग्रहण एवं निपटान