NCERT Solutions for Class 6 Hindi Chapter 1 – अवधपुरी में राम

NCERT Solutions for Class 6 Hindi Chapter 1 – अवधपुरी में राम

NCERT Solutions Class 6 Hindi Bal Ram Katha Chapter 1 अवधपुरी में राम – आज हम आपको कक्षा 6 बाल रामकथा पाठ 1 अवधपुरी में राम पाठ के प्रश्न-उत्तर (Awadhpuri Mein Ram Question Answer) के बारे में बताने जा रहे है । जो विद्यार्थी 6th कक्षा में पढ़ रहे है उनके लिए यह प्रश्न उत्तर बहुत उपयोगी है . यहाँ एनसीईआरटी कक्षा 6 हिंदी अध्याय 1 (अवधपुरी में राम) का सलूशन दिया गया है. जिसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप Class 6th Hindi Chapter 1 अवधपुरी में राम के प्रश्न उत्तरों को ध्यान से पढिए ,यह आपकी परीक्षा के लिए फायदेमंद होंगे.

Class6
SubjectHindi
Bookबाल रामकथा
Chapter Number1
Chapter Nameअवधपुरी में राम

NCERT Solutions For Class 6 हिंदी (बाल रामकथा) Chapter 1 अवधपुरी में राम

अभ्यास एवं अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. पुस्तक के पहले अध्याय के पहले अनुच्छेद में लेखक ने सजीव ढंग से अवध की तस्वीर प्रस्तुत की है। तुम भी अपने आसपास की किसी जगह का ऐसा ही बारीक चित्रण करो। यह चित्रण मोहल्ले के चबूतरे, गली की चहल-पहल, सड़क के नजारे आदि किसी का भी हो सकता है जिससे तुम अच्छी तरह परिचित हो।

उत्तर- दून की पहाड़ियों पर बसा एक छोटा-सा नगर है। नगर की शोभा देखते ही बनती है। प्राकृतिक सुंदरता का तो क्या कहना! झरनों में पानी का बहना देखते ही बनता है। इस नगर में लोग विभिन्न प्रांतों से आकर बसे हुए हैं। उनमें कुछ गढ़वाली, कुछ कश्मीरी तथा कुछ डोगरी लोग हैं। सभी लोग मिल-जुलकर रहते हैं। वे सुख-दुःख में एक-दूसरे का साथ देने के लिए हर समय तैयार रहते हैं। बाजार विभिन्न प्रकार की वस्तुओं, कढ़ाई के सूट, कंबल, शाल आदि से भरे पड़े हैं। यहाँ के सभी लोग ईमानदार हैं।

प्रश्न 2. विश्वामित्र जानते थे कि क्रोध करने से यज्ञ पूरा नहीं होगा, इसलिए वे क्रोध को पी गए। तुम्हें भी कभी-कभी गुस्सा आता होगा। तुम्हें कब-कब गुस्सा आता है और उसका क्या परिणाम होता है?

उत्तर- हाँ, हमें भी कभी-कभी गुस्सा आता है जैसे कि-
(1) सुबह जल्दी उठने में,
(2) विद्यालय से बहुत अधिक गृहकार्य मिलने पर,
(3) घर में मम्मी-पापा के द्वारा मैगी, मैक्रोनी आदि फॉस्ट फूड खाने से मना करने पर,
(4) माँगे गए सामान को पापा द्वारा न लाने पर,
(5) अचानक घर में बहुत-से मेहमानों के आ जाने पर। परंतु क्या करें, इन सभी अवसरों पर गुस्सा पीना ही पड़ता है। यदि न पीए तो इसका परिणाम हानिकारक हो सकता है।

प्रश्न 3. मान लो कि तुम्हारे स्कूल में रामकथा को नाटक के रूप में खेलने की तैयारी चल रही है। तुम इस नाटक में उसी पात्र की भूमिका निभाना चाहते हो जो तुम्हें सबसे ज़्यादा अच्छी, दिलचस्प या आकर्षक लगती है। वह पात्र कौन सा है और क्यों?

उत्तर- यदि हमारे स्कूल में रामकथा को नाटक के रूप में खेलने की तैयारी चल रही है तो मैं नाटक में ‘राम’ की भूमिका निभाना चाहता हूँ क्योंकि राम ही मुझे सबसे दिलचस्प व आकर्षक लगते हैं।
राम में वीरता व पराक्रम की भावना बचपन से ही भरी हुई थी। वे अपने पिता की अनुचित आज्ञा को भी स्वीकार कर उसका पालन करते रहे। राम अपने भाइयों से बहुत प्रेम करते थे। उन्होंने आजीवन एक ही पत्नीव्रत का पालन किया। राम ने सुग्रीव से मित्रता करके उनके संकटों को दूर किया।

प्रश्न 4. अयोध्या के सौंदर्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर- सरयू नदी के तट पर एक सुंदर नगर था। उसका नाम अयोध्या था। यह सही अर्थों में देखने लायक थी। भव्यता जैसे उसका दूसरा नाम था। अयोध्या के राजमहल तथा एक-एक इमारत आलीशान थी। सभी लोगों के घर सुंदर थे। वहाँ की सड़कें चौड़ी थीं। सुंदर बाग बगीचे, पानी से लबालब भरे सरोवर, खेतों में लहलहाती हरियाली। सरयू नदी की लहरों के साथ हवा में झूमती फसलें खेलती थीं। वहाँ की प्रजा हर प्रकार से संपन्न थी। स्त्री-पुरुष, बाल, वृद्ध सभी खुशहाल थे। मानो विपन्नता को उस नगरी में प्रवेश करने की अनुमति ही नहीं थी। इस प्रकार वह नगर पूरी तरह से मनोरम तथा अद्भुत था। .

प्रश्न 5. अयोध्या के राजा (दशरथ) के विषय में आप क्या जानते हैं?

उत्तर- महाराज दशरथ अज के पुत्र थे। वे कुशल योद्धा तथा न्यायप्रिय शासक थे। उनकी तीन रानियाँ थीं, जिनके नाम कौशल्या, कैकेयी तथा सुमित्रा थे। राम, लक्ष्मण, भरत तथा शत्रुघ्न चारों महाराज के पुत्र थे। महाराज दशरथ के कुलगुरु महर्षि वशिष्ठ जी थे। दशरथ रघुवंशी राजा थे। इसलिए रघुकुल की रीति-नीति का प्रभाव उनके राज्य में हर जगह दिखाई देता था। उनके राज्य में प्रजा मर्यादा पालक तथा सदाचारी थी।

प्रश्न 6. महाराज दशरथ की चिंता का कारण क्या था?

उत्तर- हर प्रकार से संपन्न नगरी के राजा महाराज दशरथ की कोई संतान नहीं थी। यह चिंता उनके मन में छिपी हुई थी जो रह-रहकर उभर आती थी। यह चिंता कौशल्या, कैकेयी तथा सुमित्रा तीनों रानियों को भी थी। इससे उनका जीवन सूना-सूना लगता था। राजा दशरथ से रानियों की बातचीत प्रायः इसी विषय पर आकर रुक जाती थी। यह चिंता दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी।

प्रश्न 7. महाराज दशरथ की चिंता मुक्ति का क्या उपाय था?

उत्तर- मुनि वशिष्ठ राजा दशरथ की चिंता समझते थे। उन्होंने राजा को पुत्रेष्टि यज्ञ करने की सलाह दी। महर्षि ने कहा, ‘आप पुत्रेष्टि यज्ञ करें, महाराज आपकी इच्छा अवश्य पूरी होगी।’ ऋष्यशृंग की अध्यक्षता में राजा ने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। इससे उन्हें राम, लक्ष्मण, भरत तथा शत्रुघ्न चार पुत्र रत्नों की प्राप्ति हुई।

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