Class 12th History Chapter 1. ईंटें, मनके तथा अस्थियाँ

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

[su_note]प्रश्न 1. हड़प्पा अथवा सिंधु घाटी सभ्यता की मुहरों की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।[/su_note]
उत्तर– मुहरें हड़प्पा सभ्यता की सबसे विशिष्ट वस्तुएँ मानी जाती हैं। ये सेलखड़ी नामक पत्थर से बनी हैं। इन पर प्रायः जानवरों के चित्र तथा एक ऐसी लिपि के चिह्न खुदे हुए हैं जिन्हें अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है। इनका प्रयोग लंबी दूरी के संपर्को को | सुविधाजनक बनाने के लिए होता था।
[su_note]प्रश्न 2. सिंधु घाटी (हड़प्पा) सभ्यता के बारे में कौन-कौन से पुरातात्विक साक्ष्यों से जानकारी मिलती है?[/su_note]
उत्तर– हमें सिंधु घाटी की सभ्यता की जानकारी उस समय बसे लोगों द्वारा पीछे छोड़ी गई पुरावस्तुओं अथवा पुरातात्विक साक्ष्यों से होती है। इनमें उनके आवास, मृदभांड, औजार, आभूषण, बाट, मोहरें आदि शामिल हैं।
[su_note]प्रश्न 3. हड़प्पा-पूर्व की बस्तियों की क्या विशेषताएँ थीं? कोई तीन बताइए।[/su_note]
(1) हड़प्पा-पूर्व की बस्तियाँ प्राय: छोटी होती थीं और इनमें बड़ी संरचनाएँ नाममात्र ही थीं।
(2) इनकी अपनी विशिष्ट मृदभांड शैली थी
(3) इनमें कृषि तथा पशुपालन भी प्रचलित था। लोग शिल्पकारी भी करते थे।

उत्तर- हड़प्पा-पूर्व की बस्तियाँ प्राय: छोटी होती थीं और इनमें बड़ी संरचनाएँ नाममात्र ही थीं।
[su_note]प्रश्न 4. हड़प्पा सभ्यता के पालतू जानवर कौन-कौन से थे? उस समय के जंगली जानवरों के नाम भी बताओ।[/su_note]
उत्तर– पालतू जानवर–मवेशी, भैंस, भेड़, बकरी तथा सूअर ।
जंगली जानवर–जंगली सूअर (वराह), हिरण तथा घड़ियाल ।
[su_note]प्रश्न 5. हड़प्पा सभ्यता में सिंचाई के लिए नहरों के अवशेष कहाँ से मिले हैं? सिंचाई के अन्य साधन कौन-कौन से थे?[/su_note]
उत्तर- हड़प्पा सभ्यता में सिंचाई के लिए नहरों के अवशेष अफ़गानिस्तान में शोर्तुघई नामक पुरास्थल से मिले हैं। सिंचाई के अन्य साधन थे

(1) कुओं से प्राप्त जल।
(2) जलाशयों में एकत्रित जल।।
[su_note]प्रश्न 6. आहार संबंधी आदतों को जानने के लिए पुरातत्त्वविद् किन साक्ष्यों का इस्तेमाल करते हैं?[/su_note]
उत्तर- आहार संबंधी आदतों को जानने के लिए पुरातत्वविद् पुरास्थलों से प्राप्त निम्नलिखित वस्तुओं का इस्तेमाल करते हैं

(1) विभिन्न अनाजों के दाने।
(2) विभिन्न पशु-पक्षियों की हड्डियाँ।
(3) वनस्पति उत्पादों के अवशेष।
[su_note]प्रश्न 7. पुरातत्त्वविदों द्वारा हड़प्पाकालीन संस्कृति में शिल्प उत्पादन के केन्दों की पहचान के आधार का वर्णन कीजिए।[/su_note]
उत्तर- (1) कच्चा माल जैसे पत्थर के टुकड़े, शंख तथा ताँबा अयस्क।
(2) प्राप्त औजार।
(3) त्यागा गया माल तथा कूड़ा-करकट। इसमें से कूड़ा-करकट बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं। उदाहरण के लिए यदि वस्तुओं के निर्माण शंख अथवा पत्थर को काट कर किया जाता था तो इन पदार्थों के टुकड़े कूड़े के रूप में उत्पादन स्थल पर ही फेंक दिए जाते थे।
(4) कभी-कभी बेकार पड़े बड़े टुकड़ों को छोटे आकार की वस्तुएँ बनाने के लिए भी प्रयोग किया जाता था। छोटे विशिष्ट केन्द्रों के अतिरिक्त मोहनजोदाड़ो तथा हड़प्पा जैसे बड़े शहरों में भी शिल्प उत्पादन किया जाता था।
[su_note]प्रश्न 8. हड़प्पा बस्तियों के विभाजित दो भागों के नाम व उनकी एक-एक मुख्य विशेषता का उल्लेख कीजिए।[/su_note]
उत्तर– हड़प्पा बस्तियों के दो भाग थे-दुर्ग तथा निचला शहर। दुर्ग ऊँचाई पर बनायी गई एक छोटी संरचना थी। निचला शहर कहीं अधिक बड़ा था जिसे दीवार से घेरा गया था।
[su_note]प्रश्न 9. हड़प्पा (सिंधु) सभ्यता का सबसे पहले खोजा गया स्थल कौन-सा था? इसकी दुर्दशा का क्या कारण था?[/su_note]
उत्तर- हड़प्पा सभ्यता का सबसे पहले खोजा गया स्थल हड़प्पा ही था। इसकी दुर्दशा का कारण था-ईंटों की चोरी। ईंट चोरों ने इसे बुरी तरह से नष्ट कर दिया था। इस चोरी के कारण इस स्थल की कई प्राचीन संरचनाएँ नष्ट कर दी गई थीं।
[su_note]प्रश्न 10. सिंधु सभ्यता के किन्हीं चार शहरों (नगरों) के नाम बताइए। इस सभ्यता के दो सबसे महत्त्वपूर्ण स्थल कौन-से थे?[/su_note]
उत्तर- चार शहर : (i) हड़प्पा (ii) मोहनजोदड़ो (iii) लोथल (iv) धौलावीरा।

सबसे महत्त्वपूर्ण स्थल : हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो।
[su_note]प्रश्न 11. हड़प्पा बस्तियों में प्रयोग में लाई गई ईंटों की कोई दो विशेषताएँ बताओ।[/su_note]
उत्तर-(1) हड़प्पा बस्तियों में प्रयोग में लाई गई ईंटें भट्ठी में अथवा धूप में सुखाकर पकाई गई थीं।
(2) इन ईंटों की लंबाई इनकी ऊँचाई की चार गुनी तथा चौड़ाई, ऊँचाई की दोगुनी होती थी।
[su_note]प्रश्न 12. गृह स्थापत्य से एक उदाहरण दीजिए जिससे यह पता चले कि मोहनजोदड़ो के लोग अपनी एकांतता को बहुत महत्त्व देते थे।[/su_note]
उत्तर–मोहनजोदड़ो में आवास का मुख्य द्वार इस प्रकार बनाया जाता था कि उसमें से आवास का आँगन तथा आंतरिक भाग दिखाई नहीं देता था। इसके अतिरिक्त भूमितल पर बनी दीवारों में खिड़कियाँ नहीं थीं। इससे आवास में रहने वाले परिवार की एकांतता बनी रहती थी।
[su_note]प्रश्न 13. मोहनजोदड़ो के कौन-से वास्तुकला संबंधी लक्षण नियोजन की ओर संकेत करते हैं?[/su_note]
उत्तर- (1) नगर का दो भागों में विभाजन ।
(2) सड़कों तथा गलियों का ग्रिड पद्धति में निर्माण।
(3) समुचित जल निकासी व्यवस्था।
(4) समान आकार की ईंटों का प्रयोग।
(5) आवासों की निश्चित योजना के अनुसार रचना।
[su_note]प्रश्न 14. मोहनजोदड़ो के दुर्ग पर मिली दो महत्त्वपूर्ण संरचनाओं के नाम बताओ। इनका प्रयोग किस उद्देश्य के लिए किया जाता था?[/su_note]
उत्तर- मोहनजोदड़ो के दुर्ग पर मिली दो महत्त्वपूर्ण संरचनाएँ हैं-(1) मालगोदाम, तथा (2) विशाल स्नानागार। इनका प्रयोग संभवतः विशेष सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए किया जाता था।
[su_note]प्रश्न 15. क्या मोहनजोदड़ो के दुर्ग पर मालगोदाम तथा स्नानागार के अतिरिक्त अन्य संरचनाएँ भी हैं?[/su_note]
उत्तर– हाँ, मोहनजोदड़ो के दुर्ग पर अन्य संरचनाएँ भी हैं। इनमें स्तंभों वाला हॉल तथा संरक्षित दीवार के नाम लिए जा सकते हैं।
[su_note]प्रश्न 16. फ़यॉन्स क्या होता है? इससे बने छोटे पात्रों को कीमती क्यों माना जाता था?[/su_note]
उत्तर–फ़यॉन्स बालू (घिसी हुई रेत) तथा रंग और किसी चिपचिपे पदार्थ के मिश्रण को पकाकर बनाया गया पदार्थ होता है। इससे बने छोटे पात्रों को इसलिए कीमती माना जाता था, क्योंकि इन्हें बनाना कठिन था।
[su_note]प्रश्न 17. कार्निलियन का लाल रंग हड़प्पावासियों ने कैसे प्राप्त किया ?[/su_note]
उत्तर- हड़प्पावासी कार्निलियन का लाल रंग प्राप्त करने के लिए पीले रंग के कच्चे माल तथा मनकों को उत्पादन के विभिन्न चरणों में आग में पकाते थे।
[su_note]प्रश्न 18. हड़प्पावासियों की सामाजिक विभिन्नताओं को पहचानने की दो विधियों का उल्लेख कीजिए।[/su_note]
उत्तर- (1) शवाधानों गर्तो की बनावट तथा उनमें मिली वस्तुओं का अध्ययन।
(2) पुरावस्तुओं को मोटे तौर पर उपयोगी तथा विलास की वस्तुओं में वर्गीकृत किया जाता है।
[su_note]प्रश्न 19. हड़प्पा निवासियों के कब्रों में मिली किन्हीं पाँच वस्तुओं का उल्लेख कीजिए।[/su_note]
उत्तर- (1) मृदभांड (2) खोपड़ियाँ तथा अस्थियाँ (3) शंखों के छल्ले (4) जैस्पर के मनके (5) आभूषण आदि।
[su_note]प्रश्न 20. हड़प्पा बस्तियों में महँगे पदार्थों से बनी दुर्लभ वस्तुएँ बड़ी बस्तियों में ही केंद्रित हैं, छोटी बस्तियों में ये विरले ही मिलती हैं। इस संबंध में कोई दो उदाहरण दीजिए।[/su_note]
उत्तर- (1) सुगंधित पदार्थों के पात्रों के रूप में प्रयोग होने वाले फ़यॉन्स से बने लघुपात्र मोहनजोदड़ो तथा हड़प्पा से मिले हैं, कालीबंगन जैसी छोटी बस्तियों से नहीं।
(2) इसी प्रकार कीमती तथा दुर्लभ धातु सोने से बने आभूषण भी हड़प्पा स्थलों से प्राप्त हुए हैं।
[su_note]प्रश्न 21. हड़प्पा सभ्यता में शिल्प उत्पादन के लिए कौन-कौन से कच्चे माल बाहर से मँगवाने पड़ते थे? इसके लिए कौन-कौन से परिवहन मार्गों द्वारा मँगवाए जाते थे?[/su_note]
उत्तर– शिल्प उत्पादन के लिए पत्थर, लकड़ी तथा धातु आदि कच्चे माल बाहर से मँगवाने पड़ते थे। ये स्थल तथा जलमार्गों द्वारा मँगवाए जाते थे।
[su_note]प्रश्न 22. प्रथम शताब्दी में सिक्कों का इस्तेमाल कैसे किया जाता था? दो उदाहरण दीजिए।[/su_note]
उत्तर– प्रथम शताब्दी में सिक्कों का इस्तेमाल निम्नलिखित कार्यों के लिए किया जाता था
(1) बहुमूल्य सिक्के जारी करके जनता में शासकों को लोकप्रिय बनाना तथा जनता का समर्थन प्राप्त करना।
(2) व्यापार में विनिमय के रूप में प्रयोग करना।
[su_note]प्रश्न 23. किस बात से संकेत मिलता है कि स्थलमार्ग हड़प्पाई लोगों के लिए परिवहन का महत्त्वपूर्ण साधन थे?[/su_note]
उत्तर–हड़प्पा स्थलों से मिट्टी से बने बैलगाड़ियों के खिलौनों के प्रतिरूप प्राप्त हुए हैं। यही प्रतिरूप यह संकेत देते हैं कि स्थलमार्ग हड़प्पाई लोगों के लिए परिवहन का महत्त्वपूर्ण साधन थे।
[su_note]प्रश्न 24. पुरातत्वविदों ने किस क्षेत्र की संस्कृति को गणेश्वर-जोधपुरा संस्कृति का नाम दिया है? इस संस्कृति के दो विशिष्ट लक्षण बताओ।[/su_note]
उत्तर– पुरातत्त्वविदों ने राजस्थान के खेतड़ी क्षेत्र की संस्कृति को गणेश्वर-जोधपुरा संस्कृति का नाम दिया है।
लक्षण-(1) इस संस्कृति के विशिष्ट मृदभांड हड़प्पा मृदभांडों से भिन्न थे।
(2) यहाँ ताँबे की वस्तुएँ बड़ी मात्रा में मिली हैं।
[su_note]प्रश्न 25. आप कैसे कह सकते हैं कि हड़प्पा सभ्यता के लोग सफ़ाई पसंद करते थे?[/su_note]
उत्तर- निम्नलिखित बातों से पता चलता है कि हड़प्पा सभ्यता के लोग सफ़ाई पसंद करते थे

(1) लगभग प्रत्येक घर में एक स्नानगृह होता था।
(2) गंदे पानी की निकासी की उचित व्यवस्था थी।
(3) गलियों की नालियाँ ढकी हुई थी और उनकी नियमित रूप से सफ़ाई होती थी।
(4) मोहनजोदड़ो के दुर्ग पर मिले विशाल स्नानागार में लोग विशेष अवसरों पर सामूहिक स्नान करते थे।
[su_note]प्रश्न 26. मोहनजोदड़ो के आवासों (घरों) की कोई दो विशेषताएँ बताओ।[/su_note]
उत्तर- (1) मोहनजोदड़ो के हर घर में एक स्नानघर होता था जिसका फ़र्श ईंटों से बना होता था। स्नानघर की नालियाँ दीवार के माध्यम से सड़क की नालियों से जुड़ी हुई थीं।
(2) कई आवासों में कुएँ थे। कुएँ प्रायः एक ऐसे कक्ष में बनाए जाते थे जिसमें बाहर से आया जा सकता था। ऐसा संभवत: इसलिए किया गया था, ताकि राहगीर कुएँ का प्रयोग कर सकें।
[su_note]प्रश्न 27. हड़प्पा लिपि की कोई दो विशेषताएँ बताओ।[/su_note]
उत्तर- (1) हड़प्पा लिपि वर्णमालीय नहीं थी, बल्कि चित्रमय थी।
(2) यह संभवत: दाईं ओर से बाईं ओर लिखी जाती थी, क्योंकि कुछ मोहरों पर दाईं ओर चौड़ा अंतराल है, जबकि बाईं ओर यह संकुचित है, जैसे लिखते-लिखते स्थान कम पड़ गया हो।
[su_note]प्रश्न 28. हड़प्पा स्थलों से किन-किन पुरा-वस्तुओं पर लिखावट मिली है?[/su_note]
उत्तर- मुहरों, ताँबे के औज़ारों, मर्तबानों के अंवठों, आभूषणों, ताँबे तथा मिट्टी की लघुपटकाओं, अस्थिछड़ों आदि पर।
[su_note]प्रश्न 29. हड़प्पाकालीन समाज के शासन और शासकों के बारे में किन्हीं दो विचारों का उल्लेख कीजिए।[/su_note]
उत्तर- (1) कुछ पुरातत्वविदों का मत है कि हड़प्पाकालीन समाज में शासक नहीं थे। समाज में सभी की स्थिति समान थी।
(2) दूसरे पुरातत्त्वविद् यह मानते हैं यहाँ कोई एक शासक नहीं बल्कि कई शासक थे।
[su_note]प्रश्न 30. कनिंघम कौन था ? हड़प्पा संस्कृति को समझने के लिए उसके द्वारा संग्रहित किए गए किसी एक स्रोत का उल्लेख कीजिए।[/su_note]
उत्तर– कनिंघम भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के पहले डायरेक्टर जनरल थे। हड़प्पा सभ्यता को समझने के लिए सर्वेक्षणों के दौरान मिले अभिलेखों को संग्रहित किया।
[su_note]प्रश्न 31. स्तरक़म विज्ञान से क्या अभिप्राय है?[/su_note]
उत्तर– पुरातात्विक टीलों में विभिन्न स्तर होते हैं। इन स्तरों के अध्ययन को स्तरक्रम विज्ञान कहते हैं। सामान्य तौर पर सबसे निचले स्तर प्राचीनतम तथा सबसे ऊपरी स्तर नवीनतम होते हैं।
[su_note]प्रश्न 32. सिंधु घाटी की सभ्यता की खोज में किन दो पुरातत्वविदों का प्रमुख योगदान रहा?[/su_note]
उत्तर- (1) दयाराम साहनी (2) राखलदास बनर्जी ।
[su_note]प्रश्न 33. जॉन मार्शल कौन थे? भारतीय पुरातत्त्व में उन्होंने व्यापक परिवर्तन किस प्रकार किया ?[/su_note]
उत्तर- जॉन मार्शल भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के डायरेक्टर जनरल थे। वह भारत में कार्य करने वाले पहले पेशेवर पुरातत्वविद् थे। वह अपने साथ यूनान तथा क्रीट में अपने कार्यों का अनुभव लेकर आए थे। अपने अनुभवों से ही उन्होंने भारतीय पुरातत्त्व में व्यापक परिवर्तन किया। सिंधु घाटी में एक नई सभ्यता की खोज की घोषणा (1924 में) उन्होंने ही की थी।
[su_note]प्रश्न 34. हड़प्पाई जीवन को जानने अथवा पुनर्निर्मित करने में क्या-क्या समस्याएँ हैं?[/su_note]
उत्तर- (1) हड़प्पा सभ्यता की लिपि को अभी तक पढ़ा नहीं जा सका। अतः इससे इस प्राचीन सभ्यता को जानने में कोई सहायता नहीं मिलती।
(2) कपड़ा, चमड़ा, लकड़ी, सरकंडे आदि जैविक वस्तुएँ गल-सड़ गई हैं।
[su_note]प्रश्न 35. आर०ई०एम० व्हीलर कौन था ? भारतीय पुरातत्व में उसके किसी एक योगदान का उल्लेख कीजिए।[/su_note]
उत्तर– आर०ई०एम० व्हीलर भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण का गवर्नर जनरल था। उसने पुरास्थलों की खुदाई टीलों के स्तर विन्यास के आधार पर की।

Class 12th History Chapter 2. राजा, किसान और नगर

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