Class 12 Hindi Antra Chapter 2 – गीत गाने दो मुझे, सरोज स्मृति
NCERT Solutions for Class 12 Hindi Antra Chapter 2 गीत गाने दो मुझे, सरोज स्मृति – कक्षा ऐसे छात्र जो कक्षा 12 हिंदी विषय की परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते है उनके लिए यहां पर एनसीईआरटी कक्षा 12 हिंदी अध्याय 2 (गीत गाने दो मुझे, सरोज स्मृति) के लिए सलूशन दिया गया है. यह जो NCERT Solution For Class 12 Hindi Chapter 2 Geet Gane Do Mujhe, Saroj Smriti दिया गया है वह आसन भाषा में दिया है . ताकि विद्यार्थी को पढने में कोई दिक्कत न आए. इसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप Class 12 Hindi Chapter 2 गीत गाने दो मुझे, सरोज स्मृति के प्रश्न उत्तरों को ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे.
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Hindi अंतरा (भाग-2) पद्य खंड |
Chapter | Chapter 2 |
Chapter Name | गीत गाने दो मुझे, सरोज स्मृति |
Class 12 Hindi Antra Chapter 2 Question Answer गीत गाने दो मुझे, सरोज स्मृति
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
[su_note] (क) गीत गाने दो मुझे [/su_note]
प्रश्न 1. कंठ रुक रहा है, काल आ रहा है – यह भावना कवि के मन में क्यों आई ?
उत्तर- कवि दुनिया में हो रहे लुटेरों को देखकर घबरा गया है। वह जीवन भर कई चुनौतियों का सामना करता है। जीवन भर परेशान रहने के कारण वह स्वस्थ नहीं रहा है। उसे ऐसा लगता है मानो उसकी मृत्यु ही निकट आ रही है, क्योंकि वह ऐसे अव्यवस्थापूर्ण, छल-कपट वाले वातावरण में दम घुटता है। कवि का मन इसी दुःख से भर गया है।
प्रश्न 2. ‘ठग ठाकुरों’ से कवि का संकेत किसकी ओर है ? (A.I.C.B.S.E. 2008, Set-I)
उत्तर – ‘ठग – ठाकुरों’ के माध्यम से कवि समाज के उन लोगों की ओर संकेत कर रहा है। जो अपने बाहुबल से समाज का निरंतर शोषण करते रहते हैं । कवि ने व्यवस्था के पहरेदारों, धर्म के ठेकेदारों तथा समस्त शोषक वर्ग को जन-साधारण को लूटने वाला माना है। चोर-डकैत तो खुले आम लूटते हैं परंतु ये लोग परदे की आड़ में सबको लूट जाते हैं और लुटने वाला हाथ मलता रह जाता है।
प्रश्न 3. ‘जल उठो फिर सींचने को ‘ इस पंक्ति का भाव- सौंदर्य स्पष्ट कीजिए ।
अथवा
‘बुझ गई है लौ पृथा की, जल उठो फिर सींचने को ‘ कवि ने किस आधार पर यह कहा है ? (A.I.C.B.S.E. 2008, Set-II)
उत्तर- इस पंक्ति के माध्यम से कवि यह प्रेरणा देता है कि संसार में जो अव्यवस्था छा रही है उसे दूर करने के लिए हमें स्वयं आगे बढ़ना होगा । धरती से जो सहनशीलता समाप्त हो रही है उसे फिर से पल्लवित करने के लिए स्वयं में तेज उत्पन्न करना होगा। लोक-वेदना दूर करने के लिए आशा के गीत गाने होंगे। धरती की बुझती हुई लौ को जलाए रखने के लिए स्वयं को जलाना होगा ।
प्रश्न 4. प्रस्तुत कविता दुख और निराशा से लड़ने की शक्ति देती है। स्पष्ट कीजिए ।
अथवा
इस कविता में कवि ने जीवन में व्याप्त निराशा को आशा का स्वर और मनुष्य में समाप्त हो रही जिजीविषा को पुनः प्रकाश देने की बात कहकर हमें जीने की प्रेरणा दी है। क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? तर्कयुक्त उत्तर दीजिए । (A.I. C.B.S.E. 2010, Set – III, 2014 Set-I)
उत्तर- कवि ने अपनी कविता “गीत गाने दो मुझे” में दुनिया भर के लोगों को जीवन के संघर्षों से निराश कर दिया है। वे अपनी पूरी जमा पूँजी खर्च कर चुके हैं। उनका जीवन हर जगह छल-कपट का दानव बनता जा रहा है। प्रत्येक व्यक्ति को लगता है कि इस धूसर वातावरण में जीवित रहना असंभव हो गया है। उसका जीवन दुखमय और निराशाजनक हो गया है। ऐसे में कवि दुख और निराशा से उसे छुटकारा दिलाने के लिए एक गीत गाना चाहता है। वह अपने गीतों से सद्भावना फैलाना चाहता है और लोगों को दुख और निराशा से लड़ने का साहस देना चाहता है। वह अपने गीतों की ऊर्जा से जीवन की जो ज्योति मंद हो रही है, उसे निरंतर जलते रहने की शक्ति देना चाहता है। इस तरह, इस कविता ने कवि को जीवन भर संघर्ष करने की प्रेरणा दी है।
[su_note] (ख) सरोज स्मृति[/su_note]
प्रश्न 1. सरोज के नव-वधू रूप का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए । (C.B.S.E. Delhi, 2009)
उत्तर- नव-वधू के रूप में सरोज के ऊपर कलश से पवित्र जल लगाया गया था। वह मंद स्वर से हँसती हुई अपने पिता की ओर देखती थी। उसके सुंदर चेहरे पर आने वाले दाम्पत्य जीवन की सुखद अनुभूतियाँ झलक रही थीं। वह एक खिली हुई कली की तरह आकर्षक दिखती थी। उसके हर अंग में खुशी थी। उसके होंठ काँप रहे थे और उसके नेत्र झुके हुए थे। वह श्रृंगार की असली मूर्ति लगी।
प्रश्न 2. कवि को अपनी स्वर्गीय पत्नी की याद क्यों आई ?
उत्तर- कवि ने जब अपनी पुत्री सरोज को दुल्हन के रूप में सजा देखा तो उसे अपने यौवन के दिन याद आ गए। उसे उसमें उस शृंगार के दर्शन हो रहे थे जो उसके काव्य में रसधारा बनकर उमड़ रहा था। उस समय उसे वही संगीत उमड़ता दिखाई दे रहा था जो उसने अपनी स्वर्गीय पत्नी के साथ गाया था। समस्त वातावरण दांपत्य भाव से भर गया था। इस कारण कवि को अपनी पत्नी की याद आ गई थी।
प्रश्न 3. ‘आकाश बदलकर बना मही’ में ‘आकाश’ और ‘मही’ किनकी ओर संकेत करते हैं ?
उत्तर- इस पंक्ति में कवि ने ‘आकाश’ को नायक और ‘मही’ को नायिका के रूप में चित्रित किया है । कवि को ऐसा प्रतीत होता है मानो वातावरण में सर्वत्र दांपत्य भाव व्याप्त गया है । इसलिए आकाश भी ऊपर रहने के भाव को त्याग कर अपनी प्रियतमा धरती से मिलने नीचे आकर उसके साथ एकाकार हो गया है।
प्रश्न 4. सरोज का विवाह अन्य विवाहों से किस प्रकार भिन्न था ? (A.I.C.B.S.E. 2008 Set – III, Delhi 2009)
उत्तर- सरोज का विवाह अलग था। उसके पिता ने उसके विवाह में कोई दहेज नहीं दिया था। इस विवाह में उनका कोई सगा नहीं आया था। सरोज के पिता ने किसी को भी निमंत्रण पत्र नहीं भेजा था। इस शादी में विवाह के गीत, रात्रि जागरण आदि भी नहीं थे। इस शादी में केवल कुछ साहित्यकारों और आम लोगों ने भाग लिया था । कवि ने सरोज को विदाई के समय दी जानेवाली शिक्षा भी खुद दी थी।
प्रश्न 5. शकुंतला के प्रसंग के माध्यम से कवि क्या संकेत करना चाहता है ?
उत्तर –कवि शकुंतला की कहानी से संकेत करना चाहता है कि जैसे कण्व ऋषि ने शकुंतला को पति के पास जाने से पहले सुखी वैवाहिक जीवन जीने की शिक्षा दी थी, उसी प्रकार कवि ने सरोज को विवाह के बाद वे सभी शिक्षाएँ दीं जो माता अपनी नववधू को देती है। कवि को सरोज के जन्म के बाद ही माता मर गई थी, इसलिए उसे खुद शिक्षा देनी पड़ी। कवि के पारिवारिक सदस्यों में से कोई भी सरोज से शादी नहीं करने आया था। कवि को माता की जिम्मेदारी भी अकेले निभानी पड़ी।
प्रश्न 6. ‘वह लता वहीं की, जहाँ कली तू खिली पंक्ति के द्वारा किस प्रसंग को उद्घाटित किया गया है ?
उत्तर – इस पंक्ति में कवि यह बताना चाहता है कि सरोज की माता उस परिवार की थी जिसमें वह कुछ दिन ससुराल में रहने के बाद गई थी। उसी लता की माता में सरोज की कली खिली थी । यहाँ लता सरोज की माता को बताया गया है और कली सरोज को बताया गया है। कवि की ससुराल दोनों को बहुत प्यार देती है। वह सरोज की माता का मायका था। उसकी माता की मृत्यु के बाद सरोज को भी ननिहाल से स्नेह मिला। उसका जन्म वहीं हुआ था।
प्रश्न 7. कवि ने अपनी पुत्री का तर्पण किस प्रकार किया ?
उत्तर- कवि ने सभी धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं को खारिज करते हुए अपनी पुत्री सरोज को खुद अर्पित किया था। कवि इस विषय में कहता है कि चाहे उसे अपने शुभ कार्यों से कोई लाभ न मिले। उसे कभी दुःख नहीं होगा। आज वह अपनी पुत्री सरोज को अपने सभी पुण्यकर्मों का फल देता है। कवि ने अपनी पुत्री के प्रति अपने सारे शुभ कार्यों को समर्पित कर दिया था।
प्रश्न 8. निम्नलिखित पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट कीजिए—
(क) नत नयनों से आलोक उतर
(ख) श्रृंगार रहा जो निराकार
(ग) पर पाठ अन्य यह, अन्य कला
(घ) यदि धर्म, रहे नत सदा माथ ।
उत्तर- (क) विवाह के दिन सजी-धजी सरोज इतनी अधिक सुंदर और आकर्षक लग रही थी कि उसके झुके हुए नेत्रों से भी एक अलौकिक प्रकाश छलक रहा था। उसकी आँखें प्रेमपूर्ण दाम्पत्य जीवन की कल्पनाओं से जगमगा रही थीं।
(ख) कवि ने अपनी पुत्री को दुल्हन के रूप में सजी हुई देखकर अपना गर्भपात स्मरण किया। उसे उसके इस शृंगार में वह शृंगार दिखाई देता था जो आकारहीन होकर भी उसके काव्य में रस की धारा बहाता है ।
(ग) विदाई पर कवि अपनी पुत्री को बताता है कि वह भी सरोज को शकुंतला की तरह शिक्षा दे रहा है। तभी उसे याद आता है कि वह अपनी पुत्री को शकुंतला से अलग तरह की शिक्षा दे रहा है क्योंकि उसकी पुत्री सरोज शकुंतला से अलग जगह पर है। इसलिए उसने सरोज को बहुत कुछ सिखाया।
(घ) कवि स्वयं अपनी पुत्री को समर्पित करता है। इसलिए वह कहता है कि मैं झुके सिर से उसे स्वीकार करूँगा यदि मेरा धर्म बना रहेगा और मेरे सभी कर्मों पर बिजली गिर जाएगी। कवि अपनी पुत्री को त्यागने के लिए सब कुछ सहने को तैयार है।
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