समाज में सामाजिक संरचना, स्तरीकरण और सामाजिक प्रक्रियाएँ अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. संरचना का अर्थ बताएं ।
उत्तर. अलग-अलग इकाइयों के क्रमबद्ध रूप को संरचना कहते हैं अर्थात् अगर अलग-अलग इकाइयों को एक क्रम में लगा दिया जाए तो एक व्यवस्थित रूप हमारे सामने आता है जिसे हम संरचना कहते हैं। परिवार, धर्म, समुदाय, संगठन, समूह, मूल्य, पद इत्यादि जैसी सामाजिक संस्थाएं तथा प्रतिमान संरचना का निर्माण करते हैं ।
प्रश्न 2. सामाजिक संरचना की एक परिभाषा दें ।
उत्तर. एस० एफ० नैडल (S. F. Nadal) के अनुसार, “मूर्त जनसंख्या हमारे समाज के सदस्यों के बीच एक-दूसरे के प्रति अपनी भूमिका निभाते हुए सम्बन्धों के जो व्यावहारिक प्रतिबन्धित तरीके या व्यवस्था पहचान में आती है, उसे हम समाज की संरचना कहते हैं । ”
प्रश्न 3. क्या सामाजिक संरचना अमूर्त होती है ?
उत्तर. जी हां, सामाजिक संरचना अमूर्त होती है क्योंकि सामाजिक संरचना का निर्माण करने वाली संस्थाएं, प्रतिमान, आदर्श इत्यादि अमूर्त होते हैं तथा इन्हें हम देख नहीं सकते । इसलिए सामाजिक संरचना भी अमूर्त होती है।
प्रश्न 4. सबसे पहले शब्द सामाजिक संरचना का प्रयोग किस समाजशास्त्री ने किया था ?
उत्तर. – सबसे पहले शब्द सामाजिक संरचना का प्रयोग हरबर्ट स्पेंसर नाम के समाजशास्त्री ने किया था ।
प्रश्न 5. प्रकार्य क्या होते हैं ?
उत्तर. प्रकार्य वह निरीक्षत परिणाम हैं जो एक व्यवस्था विशेष के साथ सामंजस्य स्थापित करने में मदद करते हैं ।
सामाजिक संरचना की कोई भी इकाई, मूल्य तथा भूमिका इत्यादि यदि उस संरचना की ज़रूरतों को पूर्ण करने में सहायक होती हैं तथा उसके साथ सामंजस्य में पना सहयोग देती हैं तो उसे उस इकाई, मूल्य या भूमिका का प्रकार्य कहते हैं ।
प्रश्न 6. अकार्य क्या होता है ?
उत्तर. अकार्य प्रकार्य का उल्टा रूप है । यह निरीक्षत परिणाम हैं जो व्यवस्था अथवा सामाजिक संरचना के अनुकूलन को कम करने में अपनी भूमिका निभाते हैं । सामाजिक संरचना की कोई भी इकाई यदि उस संरचना की व्यवस्था को बनाए रखने में सहयोग न दे तो उस इकाई के द्वारा किए गए कार्य या भूमिका को अकार्य कहते हैं ।
प्रश्न 7. स्तरीकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर. स्तरीकरण समाज को उच्च तथा निम्न समूहों में बांट कर उसके अनुसार सामाजिक संरचना में इन समूहों के पदों तथा भूमिकाओं को निर्धारित करने की प्रक्रिया होती है । प्रत्येक समूह का निश्चित स्थान होता है तथा सभी समूह
आपस में उच्चता तथा अधीनता के सम्बन्ध से जुड़े होते हैं ।
प्रश्न 8. स्तरीकरण की दो विशेषताएं बताएं ।
उत्तर– (i) सर्वव्यापक प्रक्रिया – स्तरीकरण सर्वव्यापक प्रक्रिया है क्योंकि कोई भी समाज ऐसा नहीं है जिसमें स्तरीकरण न पाया गया हो ।
(ii) पदों की असमानता- इसमें प्रत्येक सदस्य की स्थिति एक समान नहीं होती। किसी की स्थिति उच्च तथा किसी की निम्न होती है।
प्रश्न 9. मार्क्स के अनुसार स्तरीकरण का आधार क्या है ?
उत्तर. कार्ल मार्क्स के अनुसार समाज में स्तरीकरण का मुख्य आधार धन है। उसके अनुसार समाज में श्रेणियां धन तथा सम्पदा के अनुसार विभाजित होती हैं। एक तरफ तो पूंजीपति तथा दूसरी तरफ मज़दूर होते हैं तथा समाज अमीरी तथा निर्धनता के विभाजन के आधार पर ही बंटा होता है। अमीर व्यक्ति को समाज में उच्च स्थान तथा निर्धन को निम्न स्थान प्राप्त होता है ।
प्रश्न 10. सामाजिक स्तरीकरण की एक परिभाषा दीजिए।
उत्तर. पी० गिज़बर्ट (P. Gisbert ) – सामाजिक स्तरीकरण का अर्थ समाज को कुछ ऐसे स्थायी समूहों अथवा
वर्गों में विभाजित करते की व्यवस्था से है जिसके अन्तर्गत सभी समूह उच्चता तथा अधीनता के सम्बन्धों द्वारा एक-दूसरे से जुड़े होते हैं।
प्रश्न 11. सामाजिक स्तरीकरण के दो मुख्य आधार कौन से हैं?
उत्तर. सामाजिक स्तरीकरण के दो मुख्य आधार हैं-
(i) जैविक आधार – लिंग, आयु, प्रजाति, जन्म इत्यादि ।
(ii) सामाजिक सांस्कृतिक आधार – आर्थिकता, शिक्षा, राजनीति, धर्म, कार्य इत्यादि ।
प्रश्न 12. स्तरीकरण का शाब्दिक अर्थ क्या है ?
उत्तर. अंग्रेज़ी भाषा के शब्द Strata की उत्पत्ति लातीनी भाषा के शब्द Stratum से हुई है जिसका अर्थ स्तर है। इसका अर्थ है वस्तु विशेष विभिन्न स्तरों में विभाजित है तथा इन स्तरों में उच्चता तथा निम्नता की व्यवस्था पाई जाती है।
प्रश्न 13. सामाजिक असमानता का अर्थ बताएं ।
उत्तर. जब समाज के सभी व्यक्तियों को अपने व्यक्तित्व के सम्पूर्ण विकास के अवसर प्राप्त न हों तो उनके बीच जाति, जन्म, नस्ल, रंग, पेशे, पैसे, सम्पत्ति, आय, भाषा इत्यादि के आधार पर अंतर हो तो अलग-अलग समूहों में अलग-अलग आधारों पर अन्तर पाया जाता है। इसे असमानता कहते हैं।
प्रश्न 14. स्तरीकरण के कितने प्रकार होते हैं ?
उत्तर. स्तरीकरण के दो प्रकार होते हैं—
(i) बन्द स्तरीकरण – वह स्तरीकृत व्यवस्था जिसमें लचकीलापन नहीं बल्कि कठोरता पाई जाती है जैसे कि जाति व्यवस्था ।
(ii) मुक्त ‘स्तरीकरण – वह स्तरीकृत व्यवस्था जो कठोर नहीं बल्कि लचकीली होती है जैसे कि वर्ग व्यवस्था ।
प्रश्न 15. प्राचीन भारतीय समाज कितने भागों में बंटा हुआ था ?
उत्तर. प्राचीन भारतीय समाज चार मुख्य भागों अथवा जातियों में बंटा हुआ था तथा वह थे-
(i) ब्राह्मण ( Brahmin)
(ii) क्षत्रिय (Kshatriya)
(iii) वैश्य (Vaishya)
(iv) शूद्र (Shudra)
प्रश्न 16. सामाजिक प्रक्रिया क्या होती है ?
उत्तर. सामाजिक अन्तर्क्रियाओं के अलग-अलग रूप होते हैं। इन अन्तर्क्रियाओं के अलग-अलग रूपों को सामाजिक प्रक्रियाओं का नाम दिया जाता है । सामाजिक प्रक्रिया कुछ सम्बन्धित घटनाओं का वह क्रम है, जोकि जीवन में निरन्तर होती रहती हैं तथा किसी विशेष परिणाम को उत्पन्न करती हैं। सामाजिक प्रक्रियाएं अन्तर्क्रियाओं के फलस्वरूप ही पाई जाती हैं। इसके बीच हम उन सभी अन्तर्सम्बन्धों का अध्ययन करते हैं जो व्यक्तियों या समूहों के बच पाए जाते हैं।
प्रश्न 17. सामाजिक प्रक्रियाओं की दो परिभाषाएं दो ।
उत्तर. मैकाइवर के अनुसार, “सामाजिक प्रक्रियाएं वह तरीका होती हैं जिसमें समूह के सदस्यों के बीच पाए गए सम्बन्ध एक बार इकट्ठे किए जाएं तो किसी अलग चरित्र को प्राप्त करते हैं । ” जिन्सबर्ग के अनुसार, “सामाजिक प्रक्रियाओं का अर्थ व्यक्तियों तथा समूहों के बीच अन्तर्क्रियाओं की भिन्न-भिन्न विधियों से है जिनमें संघर्ष तथा सहयोग, सामाजिक विभेदीकरण तथा एकीकरण का विकास तथा पतन शामिल हैं। ”
प्रश्न 18. सहयोग क्या होता है ?
उत्तर. सहयोग अंग्रेज़ी शब्द Cooperation का हिन्दी रूपांतर है। Cooperation शब्द दो लातीनी भाषा के शब्दों ‘Co’ तथा ‘operori’ से मिलकर बना है । ‘Co’ का अर्थ है इकट्ठे तथा ‘Operori’ का अर्थ है कार्य करना । इस तरह Cooperation का शाब्दिक अर्थ है इकट्ठे मिलकर कार्य करना । मनुष्य उस समय ही मिलकर कार्य करते हैं यदि उनके हित समान हैं। इस तरह यदि एक जैसे हितों को रखने वाले व्यक्ति अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए इकट्ठे मिलकर कोशिश करते हैं तो इस प्रक्रिया को सहयोग कहते हैं ।
प्रश्न 19. व्यवस्थापन क्या होता है ?
उत्तर. जेम्स बाल्डविन के अनुसार, “जब सामाजिक अवस्थाओं के साथ अनुकूलन करते हुए व्यक्ति व्यवहार के नए तरीकों की पालना करता है तो उस प्रक्रिया को व्यवस्थापन अथवा समायोजन कहते हैं।” सरल शब्दों में, जब व्यक्ति अपने आपको वर्तमान अवस्थाओं के अनुसार ढालता है तो वह व्यवस्थापन कर रहा होता है। वर्तमान व्यवस्था के साथ समझौता करने वाली प्रक्रिया को व्यवस्थापन अथवा समायोजन कहते हैं ।
प्रश्न 20. प्रतियोगिता की दो परिभाषाएं दो ।
उत्तर. फेयरचाइल्ड के अनुसार, “प्रतियोगिता सीमित वस्तुओं के उपभोग या अधिकार के लिए किए जाने वाले प्रयत्नों को कहते हैं । ”
गिलिन तथा गिलिन के अनुसार, “प्रतियोगिता वह सामाजिक प्रक्रिया है जिसमें मुकाबला करने वाले व्यक्ति या समूह, लोगों की मेहरबानी के साथ लाभ प्राप्त करना चाहते हैं। अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए हिंसा या हिंसा की धमकी के स्थान पर उन व्यक्तियों या समूहों के हितों या पक्षपातों की अपील करते हैं।”
प्रश्न 21. गिलिन तथा गिलिन ने प्रतियोगिता के कितने प्रकार बताए
उत्तर. गिलिन तथा गिलिन ने प्रतियोगिता के चार प्रकार बताए हैं—
(i) प्रजातीय प्रतियोगता
(ii) पद तथा भूमिका के लिए प्रतियोगिता
(iii) आर्थिक प्रतियोगिता
(iv) सांस्कृतिक प्रतियोगिता
प्रश्न 22. संघर्ष के कितने प्रकार होते हैं ?
उत्तर. आम तौर पर संघर्ष के पांच प्रकार देखे गए हैं-
(i) प्रजातीय संघर्ष
(ii) श्रेणी संघर्ष अथवा वर्ग संघर्ष
(iii) राजनीतिक संघर्ष
(iv) अन्तर्राष्ट्रीय संघर्ष
(v) निजी संघर्ष अथवा व्यक्तिगत संघर्ष
प्रश्न 23. संघर्ष के तीन कारण बताओ।
उत्तर. (i) व्यक्तियों या समूहों के विचारों के टकराव से संघर्ष उत्पन्न होता है।
(ii) लोगों के बीच के सांस्कृतिक अन्तरों की वजह से भी संघर्ष पैदा होता है ।
(iii) सामाजिक परिवर्तन आने के कारण भी संघर्ष उत्पन्न हो जाता 1
(iv) व्यक्तिगत भिन्नताओं के कारण भी संघर्ष पैदा होता है।
प्रश्न 24. प्रजाति क्या होती है ?
उत्तर. कभी-कभी प्रजाति को समान गुणों वाले व्यक्तियों वाले समूह के लिए प्रयोग किया जाता है । परन्तु वैज्ञानिक प्रजाति के इस अर्थ को स्वीकार नहीं करते। प्रजाति एक ऐसे व्यक्तियों का समूह होता है जिनकी शारीरिक विशेषताएं अथवा लक्षण समान होते हैं । यह लक्षण उन्हें अपने वंश से अर्थात् पीढ़ी दर पीढ़ी प्राप्त होते हैं ।
प्रश्न 25 प्रजाति की दो परिभाषाएं दो ।
उत्तर. होईबल (Hoebal) के अनुसार, “प्रजाति विशिष्ट जननिक रचना के फलस्वरूप उत्पन्न होने वाले शारीरिक लक्षणों का एक विशिष्ट संयोग करने वाले अन्तर्सम्बन्धित मनुष्यों का एक वृहत् समूह है ।” डॉ० डी० एन० मजूमदार ( Dr. D.N. Majumdar) के अनुसार, “यदि व्यक्तियों के एक समूह को शारीरिक लक्षणों के आधार पर अन्य समूहों से पृथक् पहचाना जा सके तो चाहे उस जैविकीय समूह के सदस्य कितने ही बिखरे क्यों न हों, वे एक प्रजाति हैं । ”
प्रश्न 26. लिंग के आधार पर समाज को कितने भागों में बाँट सकते हैं ?
उत्तर. लिंग के आधार पर समाज को दो भागों में बाँटा जा सकता है । स्त्री तथा पुरुष किसी भी मनुष्य को देखकर ही बताया जा सकता है कि स्त्री कौन है तथा पुरुष कौन है। स्त्री तथा पुरुष दोनों के कार्यों को अलग-अलग विभाजित किया गया है कि ज़्यादा ताकत वाला कार्य पुरुष करेंगे तथा कम परिश्रम वाला कार्य स्त्रियाँ करेंगी।
इस पोस्ट में Class 11 Sociology Chapter 6 questions answers sociology class 11 chapter 6 questions and answers social structure, stratification and social processes in society question answer नसीईआरटी सोलूशन्स क्लास 11 समाजशास्त्र चैप्टर 6 समाज में सामाजिक संरचना स्तरीकरण और सामाजिक प्रक्रियाएँ Notes In Hindi समाज में सामाजिक संरचना, स्तरीकरण और सामाजिक प्रक्रियाएँ से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर दिए गए है यह प्रश्न उत्तर फायदेमंद लगे तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और इसके बारे में आप कुछ जानना यह पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट करके अवश्य पूछे.