Class 11 Sociology Chapter 6 – समाज में सामाजिक संरचना, स्तरीकरण और सामाजिक प्रक्रियाएँ
NCERT Solutions For Class 11 SociologyChapter 6 समाज में सामाजिक संरचना, स्तरीकरण और सामाजिक प्रक्रियाएँ – ऐसे छात्र जो कक्षा 11 समाजशास्त्र विषय की परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते है उनके लिए यहां पर एनसीईआरटी कक्षा 11 समाजशास्त्र अध्याय 6 (समाज में सामाजिक संरचना, स्तरीकरण और सामाजिक प्रक्रियाएँ) के लिए सलूशन दिया गया है.यह जो NCERT Solution for Class 11 Sociology Chapter 6 Social Structure Stratification and Social Processes in Society दिया गया है वह आसन भाषा में दिया है .ताकि विद्यार्थी को पढने में कोई दिक्कत न आए . इसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है.इसलिए आपClass 11th Sociology Chapter 6 समाज में सामाजिक संरचना, स्तरीकरण और सामाजिक प्रक्रियाएँके प्रश्न उत्तरों को ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे.
Textbook | NCERT |
Class | Class 11 |
Subject | Sociology |
Chapter | Chapter 6 |
Chapter Name | समाज में सामाजिक संरचना, स्तरीकरण और सामाजिक प्रक्रियाएँ |
पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (Textual Questions)
प्रश्न 1. कृषि तथा उद्योग के सन्दर्भ में सहयोग के विभिन्न कार्यों की आवश्यकता की चर्चा कीजिए ।
उत्तर. हम अकेले ही सभी काम नहीं कर सकते, इसलिए किसी और के सहयोग की आवश्यकता होती है। यदि हम कृषि का उदाहरण लेते हैं, तो अकेले व्यक्ति के लिए यह मुमकिन नहीं है। भूमि जोतने, बीज लगाने, पानी देने, फसल काटने और उत्पादन बेचने के लिए लोगों की सहायता की जरूरत है। कृषि कार्य नामुमकिन है अगर और लोग सहयोग नहीं करते। इसी तरह, उद्योगों में हज़ारों लोग मिलकर काम करते हैं तथा उत्पाद बनाते हैं। जैसे कार बनाने के उद्योग में टायर, चैसी, लाइट, सीटें, गियर बॉक्स और इतना कुछ। इस तरह, एक कार बनाने में कई कार्य होते हैं, और एक व्यक्ति सभी कर नहीं सकता। इसके लिए हज़ारों लोगों का सहयोग आवश्यक है।
प्रश्न 2. क्या सहयोग हमेशा स्वैच्छिक अथवा बलात् होता है ? यदि बलात् है तो क्या मंजूरी प्राप्त होती है अथवा मानदण्डों की शक्ति के कारण सहयोग करना पड़ता है ? उदाहरण सहित चर्चा करें।
उत्तर. सहयोग कभी स्वैच्छिक होता है, तो कभी हिंसक होता है। यह सब परिस्थितियों पर निर्भर करता है। उदाहरण के तौर पर, कृषि कार्य में घर के सभी सदस्य मिलकर काम करते हैं ताकि उत्पादन उच्च स्तर पर प्राप्त किया जा सके। यह सहयोग स्वैच्छिक है क्योंकि इससे घर में सुख मिलेगा। लेकिन कभी-कभी मानदंडों की शक्ति के कारण सहयोग देना पड़ता है, न कि व्यक्ति की अनुमति से। उदाहरण के लिए, कुछ लोग काम करना नहीं चाहते, बल्कि बिना काम किए ही सब कुछ पाना चाहते हैं। पर घर के बुजुर्ग उसे काम करने को कहते हैं और उसे घर से बाहर निकाल देंगे। मजबूरी से काम करना ही सहयोग है।
प्रश्न 3. क्या आप भारतीय समाज से संघर्ष के विभिन्न उदाहरण ढूंढ़ सकते हैं ? चर्चा कीजिए ।
उत्तर. भारतीय समाज में संघर्ष के कई उदाहरण हैं। भारतीय समाज में संघर्ष के कई उदाहरण हैं, जैसे जाति प्रथा, साम्प्रदायिकता, अलग-अलग धर्मों में संघर्ष, ज़मीन, स्त्री और अपने विचारों को स्थापित करने के लिए संघर्ष। वास्तव में, भारतीय समाज बहुत विविध है, और इस विविधता के कारण देश के अलग-अलग समूहों में छोटी-छोटी बातों पर संघर्ष होता रहता है। दैनिक समाचार पत्रों में विभिन्न जातियों, धर्मों, विचारों और जमीन के लिए संघर्ष की खबरें पढ़ी जा सकती हैं।
प्रश्न 4. संघर्ष को किस प्रकार कम किया जाता है ? इस विषय पर उदाहरण सहित निबन्ध लिखिए ।
उत्तर. संघर्ष बहुत आसानी से समाप्त हो सकता है। यदि लोग अपने रूढ़िवादी विचारों, तंग विचारों और व्यक्तिगत स्वार्थों को त्याग दें, तो संघर्ष समाज से पूरी तरह खत्म हो सकता है। प्रत्येक व्यक्ति में अधिक संपत्ति इकट्ठा करने की इच्छा, अपनी जाति को उच्च साबित करने की इच्छा, और अपने विचारों की विकासशीलता सुनने की इच्छा होती है, जिससे व्यक्तिगत तथा समूहीय संघर्ष पैदा होते हैं। यह संघर्ष ही समाज में अशांति पैदा करता है और उसे अस्त-व्यस्त करता है। व्यक्ति को अपने निजी हितों को त्यागकर समाज को बचाने की जरूरत है। ऐसा होने लगेगा तो समाज में कोई संघर्ष नहीं होगा और यह समाज से बाहर निकल जाएगा।
प्रश्न 5. ऐसे समाज की कल्पना कीजिए जहां कोई प्रतियोगिता नहीं है, क्या यह सम्भव है ? अगर नहीं तो क्यों ?
उत्तर. हम ऐसे समाज की कल्पना कर ही नहीं सकते जहां पर कोई प्रतियोगिता न हो। अगर ऐसा हो जाए तो सभी व्यक्तियों को समान रूप से प्राप्त होने लग जाएगा । व्यक्ति को बिना प्रतियोगिता के ही सब कुछ प्राप्त होने लग जाएगा। इस स्थिति में वह प्रयत्न करना ही बन्द कर देगा जिससे समाज की प्रगति भी थम जाएगी। इस प्रकार समाज की प्रगति के लिए प्रतियोगिता आवश्यक है। हम ऐसे समाज के बारे में सोच भी नहीं सकते जिसमें प्रतियोगिता न हो।
प्रश्न 6. अपने माता-पिता, बड़े-बुजुर्गों तथा उनके समकालीन व्यक्तियों से चर्चा कीजिए कि क्या आधुनिक समाज सही मायनों में प्रतियोगात्मक है अथवा पहले की अपेक्षा संघर्षों से भरा है और अगर आपको ऐसा लगता है तो आप समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य में इसे कैसे समझाएँगे ?
उत्तर. विद्यार्थी इस प्रश्न पर घर तथा कक्षा में चर्चा करें।