कक्षा 11 समाजशास्त्र अध्याय 2 के अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. सामाजिक समूह का अर्थ बताएं ।
उत्तर. यदि एक स्थान पर कुछ व्यक्ति एकत्र हो जाएं तो उसे समूह नहीं केवल भीड़ कहा जाएगा। परन्तु अगर उन व्यक्तियों में अर्थपूर्ण सम्बन्ध स्थापित हो जाएं तो उसे समूह का नाम दिया जाएगा। इस प्रकार जब समाज में रहने वाले लोगों के बीच अर्थपूर्ण सम्बन्ध स्थापित हो जाते हैं तो उसे सामाजिक समूह कहा जाता है।
प्रश्न 2. सामाजिक समूह की दो विशेषताएं बताएं ।
उत्तर. (1) सामाजिक समूह के सदस्यों में आपसी सम्बन्ध पाए जाते हैं । सामाजिक समूह व्यक्तियों की एकता को नहीं कहा जाता बल्कि समूह के सदस्यों में आपसी सम्बन्धों के कारण यह सामाजिक समूह कहलाता है।
(2) समूह में एकता की भावना भी पाई जाती है। सामाजिक समूह के सदस्यों में एकता की भावना के कारण ही व्यक्ति आपस में एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। इस कारण हमदर्दी व प्यार इत्यादि भी इसके तत्त्व हैं।
प्रश्न 3. मनुष्य ने समूह का निर्माण क्यों किया ?
उत्तर. प्राचीन समय में समूह नहीं हुआ करते थे। आदिम मानव अकेले ही शिकार किया करते थे तथा कभी-कभार स्वयं भी शिकार हो जाया करते थे । इसलिए स्वयं शिकार होने से बचने के लिए आदिम मानवों ने समूह की रचना की ताकि न केवल अपने आपको बचाया जा सके बल्कि अपनी आवश्यकताओं को पूर्ण किया जा सके। वैसे भी अकेला व्यक्ति अपनी आवश्यकताएं पूर्ण नहीं कर सकता है। उसे समूह तथा और व्यक्तियों के सहयोग की आवश्यकता पड़ती है । इसलिए समूह का निर्माण हुआ।
प्रश्न 4. सामाजिक समूह की दो परिभाषाएं दीजिए ।
उत्तर. (i) हैरी एम० जानसन के अनुसार, “सामाजिक समूह अन्तर्क्रियाओं की व्यवस्था है।”
(ii) मैकाइवर तथा पेज के अनुसार, “समूह से हमारा अभिप्राय किसी भी ऐसे व्यक्तियों के संकलन से है जिनमें
आपस में सामाजिक सम्बन्ध है । ”
प्रश्न 5. प्राथमिक समूह का अर्थ बताएं ।
उत्तर. चार्ल्स हट्टन कूले के अनुसार प्राथमिक समूह वह समूह होते हैं जिनके सदस्यों के बीच के सम्बन्ध बहुत प्यार, आदर, हमदर्दी तथा सहयोग से भरपूर होते हैं । यह समूह स्वार्थ भी भावना से रहित होते हैं । तथा इनमें ईर्ष्या, द्वेष, वाले सम्बन्ध नहीं होते । व्यक्ति इन समूहों में रहकर ही अपनी आवश्यकताएं पूर्ण करता है ।
प्रश्न 6. प्राथमिक समूह की दो विशेषताएं बताएं ।
उत्तर. (1) इन समूहों का आकार छोटा अर्थात् सीमित होता है इसी कारण ही व्यक्ति एक-दूसरे को जानने लग जाते
हैं। आकार छोटा होने से उनमें सम्पर्क पैदा होता है और उनमें सम्बन्ध गहरे व करीबी पाए जाते हैं। जिससे सामाजिक सम्बन्धों पर भी प्रभाव पड़ता है।
(ii) प्राथमिक समूहों में स्थिरता होती है। नज़दीकी सम्बन्धों के कारण इन समूहों में अधिक स्थिरता रहती है।
प्रश्न 7. कूले ने प्राथमिक समूह के कौन-से प्रकार बताए हैं ?
उत्तर. कूले ने प्राथमिक समूह के तीन प्रकार बताएं हैं तथा वह हैं—
(i) परिवार
(ii) पड़ोस
(iii) खेल समूह।
प्रश्न 8. द्वितीय समूह का अर्थ है कि ……………… I
उत्तर. वह समूह जिनमें व्यक्ति अपना स्वार्थपूर्ण करने के लिए सदस्यता होता है तथा जिनके सदस्यों के बीच औपचारिक, स्वार्थ से भरपूर सम्बन्ध होते हैं उन्हें द्वितीय समूह कहते हैं । इनका आकार प्राथमिक समूह की बड़ा होता है।
प्रश्न 9. द्वितीय समूह की तीन विशेषताएं बताएं ।
उत्तर. (i) इनका घेरा विशाल होता है। क्योंकि सदस्यों की संख्या अधिक होती है।
(ii) इन समूहों का निर्माण विशेष उद्देश्यों के लिए किया जाता है तथा इन उद्देश्यों की पूर्ति के कारण ही व्यक्ति इनका सदस्य बनता है।
(iii) द्वितीय समूहों में व्यक्तियों के बीच अप्रत्यक्ष सम्बन्ध पाए जाते हैं ।
प्रश्न 10. अनौपचारिक समूह का अर्थ
उत्तर. अनौपचारिक समूह का अर्थ उन समूहों से है जिनका निर्माण अचानक तथा अपने आप ही हो जाता है। समान उद्देश्यों वाले व्यक्ति एक-दूसरे से अन्तर्क्रिया करते हैं जिससे यह समूह बन जाते हैं। बच्चों के खेल समूह इसकी उदाहरण है। यह आकार में छोटे होते हैं।
प्रश्न 11. औपचारिक समूह का अर्थ बताएँ ।
उत्तर. वह समूह जो नियमों की स्तरीकृत व्यवस्था से भरपूर होते हैं तथा जिनका निर्माण जान-बूझकर किया जाता है उन्हें औपचारिक समूह कहा जाता है। यह समूह आकार में विशाल होते हैं । उदाहरण के लिए सेना, पुलिस इत्यादि । सामाजिक संरचना
प्रश्न 12. सामाजिक स्तरीकरण का अर्थ बताएं ।
उत्तर. सामाजिक स्तरीकरण समाज को उच्च तथा निम्न समूहों में विभाजित कर उसके अनुसार में इन समूहों के पदों तथा भूमिकाओं को निर्धारित करने की प्रक्रिया होती है । प्रत्येक समूह का निश्चित स्थान होता है तथा सभी समूह में उच्चता तथा अधीनता के सम्बन्ध से जुड़े होते हैं।
प्रश्न 13. स्तरीकरण की दो विशेषताएं बताएं ।
उत्तर. (i) सर्वव्यापक प्रक्रिया – स्तरीकरण सर्वव्यापक प्रक्रिया है क्योंकि कोई भी समाज ऐसा नहीं है। जिसमें
स्तरीकरण न पाया गया हो ।
(ii) पदों की असमानता – इसमें प्रत्येक सदस्य की स्थिति एक समान नहीं होती। किसी की स्थिति उच्च तथा किसी
की निम्न होती है।
प्रश्न 14. स्तरीकरण सामाजिक होता है । कैसे ?
उत्तर. सामाजिक स्तरीकरण सामाजिक होता है क्योंकि समाज के सदस्यों के लिए यह महत्त्वपूर्ण होता है । कोई भी जीव वैज्ञानिक विशेषता उस समय तक सामाजिक स्तरीकरण का आधार नहीं बनती जब तक वह समाज में सदस्यों की कीमतों, विश्वासों, विचारों का हिस्सा न बन जाए। इसके बाद यह सामाजिक हो सकती है।
प्रश्न 15. सामाजिक स्तरीकरण के मुख्य आधार बताओ ।
उत्तर. सामाजिक स्तरीकरण को साधारणतः दो भागों में बांटा जाता है-
(i) जैविक आधार
(ii) सामाजिक सांस्कृतिक आधार
प्रश्न 16. स्तरीकरण के जैविक आधार बताओ ।
उत्तर. (i) लिंग
(ii) आयु
(iii) प्रजाति
(iv) जन्म
प्रश्न 17. स्तरीकरण के कौन-से सामाजिक-सांस्कृतिक आधार हैं ?
उत्तर. (i) आर्थिक आधार
(ii) कार्य का आधार
(iii) शिक्षा का आधार
(iv) राजीतिक आधार
(v) धार्मिक आधार ।
प्रश्न 18. प्रस्थिति का अर्थ बताएं ।
उत्तर. किसी व्यवस्था विशेष में किसी समय में एक व्यक्ति को जो स्थान प्राप्त होता है, वह ही उस व्यवस्था के बीच उस व्यक्ति की स्थिति होती है । अपनी स्थिति को वैध सिद्ध करने के लिए व्यक्ति को जो कुछ करना पड़ता है उसे प्रस्थिति कहते हैं ।
प्रश्न 19. भूमिका का अर्थ बताएं ।
उत्तर. प्रत्येक सामाजिक परिस्थिति के साथ सम्बन्धित कार्य निश्चित होते हैं। इसमें व्यक्ति अपनी स्थिति से सम्बन्धित कार्यों को पूर्ण करता है तथा अपने अधिकारों का प्रयोग करता है। व्यक्ति अपनी परिस्थिति की आवश्यकताओं को पूर्ण करने के ढंग अपनाता है जिसे भूमिका कहा जाता है।
प्रश्न 20. सामाजिक नियन्त्रण का अर्थ बताएं ।
उत्तर. समाज में कुछ व्यक्ति नकारात्मक प्रवृत्तियों वाले होते हैं जो समाज के लिए खतरनाक होते हैं। अगर नियन्त्रण में न रखा जाए तो वह समाज का काफ़ी नुकसान कर सकते हैं। इसलिए समाज को नुकसान से बचाने के लिए इन नकारात्मक प्रवृत्तियों वाले व्यक्तियों को नियन्त्रण में रखने की काफ़ी आवश्यकता होती है । इस प्रकार सामाजिक नियन्त्रण इन नकारात्मक प्रवृत्तियों को नियन्त्रित करता है ।
प्रश्न 21. सामाजिक नियन्त्रण की विशेषताएं बताओ ।
उत्तर. (i) सामाजिक नियन्त्रण हमारी सामाजिक व्यवस्था को कायम रखता है तथा नकारात्मक प्रवृत्तियों वाले व्यक्तियों को दबाव में रखता है।
(ii) सामाजिक नियन्त्रण व्यक्तिगत व्यवहार पर दबाव डालता है ताकि वह समाज को नुकसान न पहुंचा सकें।
प्रश्न 22. सामाजिक नियन्त्रण के मुख्य कार्य क्या हैं ?
उत्तर. (i) सामाजिक नियन्त्रण का मुख्य कार्य है नकारात्मक प्रवृत्ति वाले व्यक्तियों को नियन्त्रण में रखना ताकि वह समाज को नुकसान न पहुंचा सकें।
(ii) सामाजिक नियन्त्रण का मुख्य कार्य संस्कृति की रक्षा करना है ताकि यह अगली पीढ़ी को आसानी से हस्तान्तरित
हो सके ।
प्रश्न 23. अनौपचारिक सामाजिक नियन्त्रण का अर्थ बताएं ।
उत्तर. अनौपचारिक सामाजिक नियन्त्रण वह नियन्त्रण होता है जो समाज के सदस्यों का व्यवहार अनौपचारिक ढंग से बनाए गए साधनों द्वारा नियन्त्रण करता है । व्यक्ति इनको सामूहिक दबाव की शक्ति के कारण मानता है। उदाहरण के तौर पर धर्म, परिवार, लोकाचार, लोकरीतियाँ इत्यादि ।
प्रश्न 24. औपचारिक सामाजिक नियन्त्रण का आशय …….. |
उत्तर. औपचारिक सामाजिक नियन्त्रण का आशय उस नियन्त्रण से है जो समाज के सदस्यों का व्यवहार जान- बूझकर बनाए गए नियन्त्रण के साधनों से करता है । इन्हें जान-बूझकर बनाया जाता है तथा प्रत्येक व्यक्ति को इन्हें मानना ही पड़ता है। जैसे- -कानून, जेल, न्यायालय इत्यादि ।
प्रश्न 25. चार्ल्स कूले (Cooley) द्वारा दिए सामाजिक नियन्त्रण के प्रकार बताओ ।
उत्तर. चार्ल्स कूले ने दो प्रकार के सामाजिक नियन्त्रण के प्रकार दिए हैं-
(i) चेतन – चेतन साधनों को सोच-समझकर निर्मित किया जाता है तथा उन्हें लागू किया जाता है । जैसे- पुलिस, कानून, अदालतें इत्यादि ।
(ii) अचेतन – अचेतन साधन अपने आप ही विकसित हो जाते हैं तथा वह अचेतन रूप में सामाजिक व्यवहार को नियन्त्रित करते हैं। उदाहरण के लिए धर्म, लोकरीतियां, रूढ़ियां, परम्पराएं इत्यादि ।
प्रश्न 26. जाति एक बन्द वर्ग कैसे है ?
उत्तर. जाति एक बन्द वर्ग है क्योंकि व्यक्ति चाहकर भी अपनी योग्यता से अपनी जाति नहीं बदल सकता । जिस जाति में वह जन्म लेता है वह उसकी मौत तक उसके साथ चलती है। इस तरह यह एक बन्द वर्ग है। इसकी सदस्यता जन्म पर आधारित होती है।
प्रश्न 27. व्यक्ति की सामाजिक स्थिति कैसे निर्धारित होती थी ?
उत्तर. जाति -प्रथा में व्यक्ति की सामाजिक स्थिति उसकी जाति पर निर्भर होती थी जबकि वर्ग व्यवस्था में सामाजिक स्थिति उसकी व्यक्तिगत योग्यता पर निर्भर करती है ।
प्रश्न 28. जाति -प्रथा प्रजातन्त्र विरोधी कैसे है ?
उत्तर. प्रजातन्त्र में सारी जनता समान होती है अर्थात् प्रजातन्त्र समानता पर आधारित होता है पर जाति-प्रथा में असमानता का बोलबाला होता है। इसलिए जाति प्रथा प्रजातन्त्र विरोधी है ।
प्रश्न 29. कौन-से कानूनों से जाति प्रथा कमज़ोर हुई है ?
उत्तर. (i) हिन्दू विवाह कानून 1955
(ii) विशेष विवाह अधिनियम 1954
(iii) अस्पृश्यता अधिनियम 1955
(iv) नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम 1971.
प्रश्न 30. कच्चा तथा पक्का खाना क्या होता है ?
उत्तर. जाति व्यवस्था में अलग-अलग जातियों में खाने के लेन-देन पर पाबन्दी थी। कई जातियों से कच्चा खाना तथा कई जातियों से पका हुआ खाना लिया जा सकता था। पानी से बना खाना; जैसे- उबले चावल, दाल इत्यादि कच्चा खाना होता था तथा घी में बना खाना जैसे – खीर, पूरी, कचौरी इत्यादि पका हुआ खाना होता था ।
प्रश्न 31. जाति की उत्पत्ति कैसे मानी जाती है ?
उत्तर. जाति शब्द संस्कृत के शब्द ‘जात’ से लिया गया है जिसका अर्थ है जन्म । इसका अर्थ है कि वह समूह जिसकी सदस्यता तथा सामाजिक स्थिति जन्म पर आधारित होती है वह जाति होती है ।
प्रश्न 32. जाति क्या होती थी ?
उत्तर. जाति एक ऐसा समूह होता थी जिसमें हर व्यक्ति की सामाजिक स्थिति, अधिकार तथा कर्तव्य जन्म पर आधारित होते थे तथा हर व्यक्ति के ऊपर खाने पीने, पेशे, विवाह तथा सामाजिक संबंधों के लिए विशेष प्रतिबंध होते थे।
प्रश्न 33. जातियों का स्तरीकरण क्या होता है ?
उत्तर. जातियों में समाज अलग-अलग हिस्सों में बंटा होता है । इस तरह समाज में ऊँच-नीच की एक निश्चित व्यवस्था होती है। इसी को जातियों का स्तरीकरण कहते हैं।
प्रश्न 34. जाति की सामाजिक तथा धार्मिक निर्योग्यता क्या होती थी ?
उत्तर. समाज में कुछ जातियों को सामाजिक तथा धार्मिक अधिकार नहीं दिए गए थे। वह मंदिरों में नहीं जा सकते थे, तालाबों, कुओं से पानी नहीं ले सकते थे, अन्य जातियों के साथ सामाजिक सम्बन्ध नहीं रख सकते थे। इसी को जाति की सामाजिक तथा धार्मिक निर्योग्यता कहते थे ।
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