औद्योगीकरण का युग Class 10th Social Science Chapter 4 Solution
NCERT Solutions For Class 10th Social Science Chapter- 4.औद्योगीकरण का युग – जो उम्मीदवार दसवीं कक्षा में पढ़ रहे है उन्हें औद्योगीकरण का युग के बारे में पता होना बहुत जरूरी है .औद्योगीकरण का युग 10th कक्षा के विज्ञान के अंतर्गत आता है. इसके बारे में 10th कक्षा के एग्जाम में काफी प्रश्न पूछे जाते है .इसलिए यहां पर हमने एनसीईआरटी कक्षा 10th विज्ञान अध्याय 4 (औद्योगीकरण का युग ) का सलूशन दिया गया है .इस NCERT Solutions For Class 10 Social Science Chapter 4. The Age of Industrialisation की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. इसलिए आप Ch.4 औद्योगीकरण का युग के प्रश्न उत्तरों ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे.
पाठ्यपुस्तक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. निम्नलिखित की व्याख्या करें
उत्तर- स्पिनिंग जेनी ऊन की कताई की एक मशीन थी जिसका आविष्कार 1764 में हरग्रीव्ज़ ने किया था। इस मशीन द्वारा एक मज़दूर एक पहिए की सहायता से बहुत-सी तकलियों को एक साथ घुमा देता था। इसलिए ब्रिटेन में हाथ से ऊन कातने वाली महिलाओं को बेरोज़गारी का डर सताने लगा। इसके कारण इन महिला कामगारों ने स्पिनिंग जेनी मशीनों पर हमले बोले।
उत्तर- शहरी क्षेत्रों में गिल्ड हुआ करते थे जो बहुत प्रभावशाली थे। उनके कारण किसी भी नये व्यवसायी के लिए व्यवसाय में शुरुआत करना बहुत मुश्किल होता था। ऐसे गिल्ड किसी भी क्षेत्र में उत्पादन और कीमत दोनों को नियंत्रित करने का काम करते थे। इसलिए जो व्यापारी अपनी शुरुआत करना चाहते थे उन्होंने गाँवों से सामान बनवाना बेहतर समझा। इसलिए सत्रहवीं शताब्दी में यूरोपीय शहरों के सौदागर गाँवों में किसानों और कारीगरों से काम करवाने लगे।
उत्तर- इस अवधि में ईस्ट इंडिया कम्पनी ने कई अन्य शहरों में अपने व्यापार का केंद्र विकसित कर लिया था। इसके कारण सूरत का व्यापार बुरी तरह से प्रभावित हुआ था और अठारहवीं सदी के अंत तक सूरत हाशिये पर पहुँच चुका था।
उत्तर – ईस्ट इंडिया कम्पनी परंपरागत बिचौलियों और व्यवसायियों को समाप्त करना चाहती थी। इसके पीछे कम्पनी का उद्देश्य था कि व्यापार पर सीधा नियंत्रण बनाया जा सके। इसलिए कम्पनी ने भारत में बुनकरों पर निगरानी रखने के लिए गुमाश्तों को नियुक्त किया था।
(क) उन्नीसवीं सदी के आखिर में यूरोप की कुल श्रम शक्ति का 80 प्रतिशत तकनीकी रूप से विकसित औद्योगिक क्षेत्र में काम कर रहा था।
(ख) अठारहवीं सदी तक महीन कपड़े के अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार पर भारत का दबदबा था।
(ग) अमेरिकी गृहयुद्ध के फलस्वरूप भारत के कपास निर्यात में कमी आई।
(घ) फ्लाई शटल के आने से हथकरघा कामगारों की उत्पादकता में सुधार हुआ।
उत्तर – (क) ग़लत (ख) सही (ग) ग़लत (घ) सही।
उत्तर – इंग्लैंड और यूरोप के अन्य देशों में फैक्टरियों की स्थापना से भी पहले अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार के लिए बड़े पैमाने पर औद्योगिक उत्पादन होता था। यह उत्पादन फैक्टरियों में नहीं होता था। बहुत-से इतिहासकार औद्योगीकरण के इस चरण को आदि औद्योगीकरण (protoindustrialisation) का नाम देते हैं।
उत्तर- इस अवधि में मजदूरों की कोई कमी नहीं थी। मजदूरों की प्रचुर संख्या होने के कारण मजदूरों की कमी का डर नहीं था और अधिक मजदूरी देने की चिंता भी नहीं थी। नई मशीनों को खरीदने के लिए अधिक खर्च करने की बजाय उद्योगपतियों ने हाथ से काम करने वाले श्रमिकों को प्राथमिकता दी।
उत्तर- ईस्ट इंडिया कम्पनी ने भारतीय बुनकरों से सूती और रेशमी कपड़े की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाये। कम्पनी ने बुनकरों पर सीधा नियंत्रण बनाना शुरु किया। ऐसा करने के लिए एडवांस का सिस्टम शुरु किया गया। बुनकरों को एडवांस पैसे दिये जाते थे ताकि वे कच्चा माल और उपकरण खरीद सकें। लेकिन जो बुनकर एडवांस ले लेता था उसे किसी अन्य को अपने उत्पाद बेचने की अनुमति नहीं दी जाती थी।
अथवा
स्पष्ट करें कि प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारत के औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि क्यों हुई?
उत्तर- पहले विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन की मिलें सेना की जरूरतों का सामान बनाने में व्यस्त हो गईं। इससे ब्रिटेन से भारत को आने वाला आयात घट गया। इसके कारण घरेलू बाजार की माँग को पूरा करने के लिए भारत के उद्योगों को अधिक उत्पादन करना पड़ा। भारत के उद्योगों से भी ब्रिटेन की सेना के लिए सामान बनाने के लिये कहा गया। इस तरह से भारत के उत्पादों की माँग बढ़ गई और भारत का औद्योगिक उत्पादन बढ़ गया।