भूमंडलीकृत विश्व का बनना Class 10th Social Science Chapter 3 Solution
NCERT Solutions For Class 10th Social Science Chapter-3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना – कक्षा 10 के छात्रों के लिए यहां पर एनसीईआरटी समाधान कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान (इतिहास) अध्याय 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना पूरा सलूशन दिया गया है। यह सलूशन एक सरल भाषा में दिया गया है ताकि विद्यार्थी को इसके प्रश्न उत्तर आसानी से समझ में आ जाएँ .जो भी इतिहास विषय में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते है उन्हें यहां पर तीसरे अध्याय का पूरा हल मिल जायेगा। जिससे की छात्रों को तैयारी करने में किसी भी मुश्किल का सामना न करना पड़े। इस पोस्ट पर NCERT BOOK के अध्याय 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना का पूरा हल प्राप्त कर सकते है।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान (इतिहास) अध्याय 3 – भूमंडलीकृत विश्व का बनना
पाठ्यपुस्तक प्रश्नोत्तर
उत्तर -सत्रहवीं सदी से पहले होने वाले आदान प्रदान के दो उदाहरण निम्नलिखित हैं:
एशिया से उदाहरण: नूडल चीन से आया है और भारत, इटली और दुनिया के अन्य देशों तक पहुँचा है।
अमेरिका से उदाहरण: आलू अमेरिका से आया है और आयरलैंड तक पहुँचा।
उत्तर- सोलहवीं सदी के मध्य तक अमेरिका में पुर्तगाली और स्पैनिश उपनिवेशों की शुरुआत ठोस रूप से हो चुकी थी। लेकिन यह जीत हथियारों की बदौलत नहीं हुई बल्कि बीमारियों की वजह से हुई। यूरोप के लोग पहले ही चेचक से प्रभावित हो चुके थे इसलिए उनमे इस बीमारी से लड़ने की प्रतिरोधन क्षमता विकसित हो चुकी थी। लेकिन अमेरिकी लोग दुनिया के अन्य भागों से कटे हुए थे इसलिए उनमें इस बीमारी से लड़ने की प्रतिरोधन क्षमता नहीं थी। जब यूरोप के लोग अमेरिका पहुँचे तो अपने साथ इस बीमारी के रोगाणु भी लेकर आए। अमेरिका के कुछ हिस्सों में इस बीमारी ने पूरी आबादी को नष्ट कर दिया। इस प्रकार से यूरोपियन आसानी से अमेरिका पर कब्जा कर सके।
(क) कॉर्न ला के समाप्त करने के बारे में ब्रिटिश सरकार का फैसला।
उत्तर – कॉर्न लॉ को खत्म करने के ब्रिटिश सरकार के फैसले के परिणामस्वरूप कृषि क्षेत्र में नुकसान हुआ, लेकिन औद्योगिक क्षेत्र में प्रगति। भोजन को ब्रिटेन ने सस्ते में और अधिक आयात करना शुरू किया, और खेती में शामिल हजारों श्रमिक बेरोजगार हो गए। हालांकि, खपत में वृद्धि हुई और औद्योगिक क्षेत्र बढ़ गया, और शहरों में श्रमिकों की संख्या ग्रामीण इलाकों की तुलना में बढ़ गई ।
अथवा
अफ्रीका में 1890 के दशक में रिडरपेस्ट नामक बीमारी के प्रभावों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर – रिंडरपेस्ट का अफ्रिका में आगमन 1880 के दशक के आखिर में हुआ था। यह बीमारी उन घोड़ों के साथ आई थी जो ब्रिटिश एशिया से लाए गए थे। ऐसा उन इटैलियन सैनिकों की मदद के लिए किया गया था जो पूर्वी अफ्रिका में एरिट्रिया पर आक्रमण कर रहे थे। रिंडरपेस्ट पूरे अफ्रिका में किसी जंगल की आग की तरह फैल गई। 1892 आते आते यह बीमारी अफ्रिका के पश्चिमी तट तक पहुँच चुकी थी। इस दौरान रिंडरपेस्ट ने अफ्रिका के मवेशियों की आबादी का 90% हिस्सा साफ कर दिया।
अफ्रिकियों के लिए मवेशियों का नुकसान होने का मतलब था रोजी रोटी पर खतरा। अब उनके पास खानों और बागानों में मजदूरी करने के अलावा और कोई चारा नहीं था। इस तरह से मवेशियों की एक बीमारी ने यूरोपियन को अफ्रिका में अपना उपनिवेश फैलाने में मदद की।
उत्तर- प्रथम विश्व युदध एक विनाशकारी युदध था। इसमें हजारों सैनिक तथा आम नागरिक मारे गए या घायल हए। मारे गए लोगों में : अधिकतर कामकाजी उम्र (आयु) के पुरुष थे। परिणामस्वरूप यूरोप में कामकाज करने वाले लोगों में भारी कमी आ गई। परिवार । के कामकाजी सदस्य कम हो जाने से परिवारों की आय कम हो गई। अतः अब औरतों को वे काम करने पड़े जो केवल पुरुष ही
उत्तर – 1928 और 1934 के बीच भारतीय अर्थव्यस्था में महामंदी का काफी प्रभाव रहा | यह भारतीय आयत और निर्यात को आधा तक कम कर दिया | इस समय गेंहू की कीमत आधा लगभग 50% गिर गए | महामंदी के कारण कृषि और उत्पादन क्षेत्र काफी गिर गया था
उत्तर – उद्योगों को कम वेतन वाले देशों में ले जाने से वैश्विक व्यापार और पूँजी प्रवाहों पर भी असर पड़ा। पिछले दो दशक में भारत, चीन और ब्राज़ील आदि देशों की अर्थव्यवस्थाओं में आए भारी बदलावों के कारण दुनिया का आर्थिक भूगोल पूरी तरह बदल चुका है।
उत्तर- रेल के प्रसार के कारण विभिन्न देशों से यूरोप तक खाद्यान्न पहुँचाना आसान हो गया। खाद्य पदार्थों के बड़े पैमाने पर ढ़ुलाई के कारण भोजन सस्ता और सुलभ हो गया। इससे यूरोप में खाना अच्छी क्वालिटी का हो गया और लोगों की जेब की पहुँच में आ गया।
स्टीम से चलने वाले जहाजों और रेफ्रिजरेशन टेक्नॉलोजी के कारण मीट को तैयार करके अमेरिका से यूरोप तक ले जाना संभव हो गया। अब ब्रिटेन के लोगों के लिए मीट सस्ता हो गया जिससे उनका खान पान बेहतर हो सका।
उत्तर- 1944 की जुलाई में अमेरिका के न्यू हैंपशायर के ब्रेटन वुड्स नामक जगह पर यूनाइटेड नेशंस मॉनिटरी ऐंड फिनांशियल कॉन्फ्रेंस हुआ। इस कॉन्फ्रेंस में इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड की स्थापना हुई। आइएमएफ और वर्ल्ड बैंक को ब्रेटन वुड्स इंस्टिच्यूशन भी कहा जाता है।
अथवा
अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनियमों में तीन तरह की गतियों या प्रवाहों की व्याख्या करें। तीनों प्रकार की गतियों के भारत और भारतीयों से संबंधित एक-एक उदाहरण दें और उनके बारे में संक्षेप में लिखें।
अथवा
1815-1914 के मध्य अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक विनियमों में तीन तरह की गतियों या प्रवाहों की व्याख्या करो।
उत्तर – अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में तीन तरह के प्रवाह निम्नलिखित हैं:
व्यापार का आदान प्रदान:भारत सदियों से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अभिन्न हिस्सा रहा है। अंग्रेजी शासन शुरु होने के पहले भारते के मसाले सुदूर देशों तक जाते थे और बाहर से जवाहरात यहाँ आते थे।
श्रम का आदान प्रदान:आधुनिक भारत से सॉफ्टवेयर के ज्ञाता अमेरिका में जाकर काम करते हैं।
पूँजी का आदान प्रदान:आयात और निर्यात के कारण पूँजी का प्रवाह दोनों दिशाओं में होता रहता है।
अथवा
1929 की आर्थिक मन्दी के परिणामों की व्याख्या करें।
उत्तर- महामंदी कई कारकों का परिणाम था –
(क)1920 के दशक में आवास एवं निर्माण क्षेत्र में आए उछाल से अमेरिकी संपन्नता का आधार पैदा हो चुका था| अधिक निवेश और अधिक रोजगार ने अटकलों की प्रवृत्तियों को जन्म दिया जो 1929 के मध्य तक 1929 की महान अवसाद को जन्म दे रहा था।
(ख) शेयरों के मूल्य में गिरावट: शेयरों के भाव एकदम गिर गए। कुछ कंपनियों के शेयरों का मूल्य तो बिल्कुल समाप्त हो गया। परिणामस्वरूप जिन लोगों का शेयरों में धन लगा था, उन्हें भारी क्षति उठानी पड़ी।
(ग) बैंकों का बंद होना: देश के हज़ारों बैंक बंद हो गए और कारखानेदारों को कारखानों में लगाने के लिए पूँजी न मिल सकी। परिणाम यह हुआ कि कारखाने एकाएक बंद होने लगे और लोगों में बेरोजगारी बढ़ने लगी।
(घ) बेरोज़गारी-बेरोज़गारी के कारण लोगों की क्रय-शक्ति और भी कम हो गई जिसका पूरा प्रभाव तैयार माल की बिक्री पर पड़ा। धीरे-धीरे विश्व के अन्य पूँजीवादी देशों में भी यही दुश्चक्र चल पड़ा। इस प्रकार आर्थिक मंदी ने गंभीर रूप धारण कर लिया।
उत्तर – ये संस्थाएँ पुरानी उपनिवेशी ताकतों के नियंत्रण में थी। इसलिए ज्यादातर विकासशील देशों पर अभी भी इस बात का खतरा था कि पुरानी उपनिवेशी ताकतें उनका शोषण कर सकती हैं। एक नए आर्थिक ढ़ाँचे की माँग रखने के लिए इन देशों ने G – 77 (77 देशों का समूह) बनाया। चूँकि इस संगठन का निर्माण उन देशों द्वारा किया गया था जो ब्रेटन वुड्स के संस्थापक देशों में से कुछ के गुलाम थे इसलिए जी-77 को ब्रेटन वुड्स की जुड़वा संतानों की प्रतिक्रिया कहा जा सकता है।