Class 10th Science Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास
NCERT Solutions for Science Class 10th Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास – जो विद्यार्थी दसवीं कक्षा में पढ़ रहे है ,अगर वह अपनी क्लास में सबसे अच्छे अंक पाना चाहता है उसके लिए यहां पर एनसीईआरटी कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 9 (आनुवंशिकता एवं जैव विकास) का सलूशन दिया गया है. इस Class 10th Science Chapter 9 Heredity and Biodiversity की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. हमारी वेबसाइट पर सभी सभी 10 कक्षा के Chapter के सलूशन दिए है अगर यह सलूशन पसंद आपको आए तो अपने दोस्तों को शेयर जरुर करे. अगर आपको इसमें कुछ पूछना है तो नीचे कमेंट करके पूछ सकते है
पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न (Textual Questions)
उत्तर- लक्षण-B’ अलैंगिक प्रजनन वाली समष्टि में 60 प्रतिशत जीवों में पाया जाता है जो ‘लक्षण-A’ प्रजनन वाली समष्टि से 50% अधिक है इसलिए ‘लक्षण-B’ पहले उत्पन्न हुआ होगा।
उत्तर-किसी स्पीशीज़ में विभिन्नताओं की उतपत्ति से स्पीशीज़ का अस्तित्व बढ़ जाता है क्योंकि:
(i) विभिन्नताएँ किसी स्पीशीज़ के प्राकृतिक वरण में सहायता करती हैं।
(ii) विभिन्नताएँ अनुकूल को भी बढ़ावा देती हैं।
(iii) पर्यावरण के दबाव के परिणामस्वरूप उतपन्न हुई कुछ विभिन्नताएँ पर्यावरण की विपरीत परिस्थितियों से जूझने में सहायक सिद्ध होती हैं।
उत्तर- जब मेंडल ने मटर के लंबे पौधे और बौने पौधे का संकरण कराया तो उसे प्रथम संतति पीढ़ी F में सभी पौधे लंबे प्राप्त हुए थे। इसे का अर्थ था कि दो लक्षणों में से केवल एक पैतृक लक्षण ही दिखाई दिया। उन दोनों का मिश्रित प्रमाण दिखाई नहीं दिया। उसने पैतृक पौधों और F, पीढ़ी के पौधों को स्वपरागण से उगाया। इस दूसरी पीढ़ी E, में सभी पौधे लंबे नहीं थे। इस में एक चौथाई पौधे बौने थे। मेंडल ने लंबे पौधों के लक्षण को प्रभावी और बौने पौधों के लक्षण को अप्रभावी कहा।
उत्तर- मेंडल ने गोल बीज वाले लंबे पौधों का झुर्रीदार बीजों वाले बिने पौधों से संकरण कराया तो संतति में सभी पौधे प्र्ब्नावी लक्षणों के थे | परन्तु संतति में कुछ पौधे गोल बीज वाले , कुछ झुर्रीदार बीज वाले बौने पौधे थे | अतः ये लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं |
उत्तर-रुधिर समूह O प्रभावी लक्षण है क्योंकि वह F पीढ़ी में रुधिर समूह O प्रकट हुआ है। यह यह सुचना प्रभावी और प्रभावी लक्षण को प्रकट करने के लिए पर्याप्त है।
रुधिर वर्ग O उसी स्थिति में होता है जब रक्त में प्रतिजन A और प्रतिजन B नहीं होता।
उत्तर- मानवों में लिंग का निर्धारण विशेष लिंग गुणसूत्रों के आधार पर होता है। नर में XY गुणसूत्र होते हैं और मादा में XX गुणसूत्र विद्यमान होते हैं। इससे स्पष्ट है कि मादा के पास Y गुणसूत्र होता ही नहीं है। जब नर-मादा के संयोग से संतान उत्पन्न होती है तो मादा किसी भी अवस्था में नर शिशु को उत्पन्न करने में समर्थ हो ही नहीं सकती क्योंकि नर शिशु में XY गुणसूत्र होने चाहिएँ।
निषेचन क्रिया में यदि पुरुष का X लिंग गुणसूत्र स्त्री के X लिंग गुणसूत्र से मिलता है तो इससे XX जोड़ा बनेगा अत: संतान लड़की के रूप में होगी लेकिन जब पुरुष का Y लिंग गुणसूत्र स्त्री के X लिंग गुणसूत्र से मिलकर निषेचन करेगा तो XY बनेगा। इससे लड़के का जन्म होगा। किसी भी परिवार में लड़के या लड़की का जन्म पुरुष के गुणसूत्रों पर निर्भर करता है क्योंकि Y गुणसूत्र को तो केवल स्त्री के पास होता है।
उत्तर-विशेष लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में बढ़ सकती है। इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:
(i) यदि लक्षण जीवित रहने में सहायता करता है, तो यह जनसंख्या में बढ़ेगा तथा प्रकृति इसका चयन कर लेगी।
(ii) किसी जिन के विभिन्न विकल्प किसी जनसंख्या में अचानक परिवर्तित होते हैं।
(iii) इन परवाह-विभिन्न जनसंख्याओं के बीच संकरण से, एक ही गति के जीवों में जीनों का आदान-प्रदान होगा इससे विभिन्नताएँ व लक्षण बढ़ेंगे।
उत्तर- एक एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण उसकी जनन कोशिकाओं की जीन पर प्रभाव नहीं डालते इसलिए वे सामान्यतः अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते।
उत्तर- पर्यावरण के अनुसार यदि कोई व्यक्ति अपने अन्दर बदलाव उत्पन्न करता है तभी वह जीवित रह पता हैं | बाघ पर्यावरण के अनुकूल परिवर्तन नहीं कर रहे | पर्यावरण में मनुष्य के द्र्वारा आए दिन परिवर्तन हो रहे है बाघों की संख्या दिन -प्रतिदिन घटती जा रही है जो चिंता का विषय है
उत्तर- कारक जी नयी स्पीशीज़ के उद्भव में सहायक हैं:
(i) प्रकृतिक वरण (चयन), (ii) आनुवंशिक विचलन।
उत्तर- हाँ, भौगोलिक पृथक्क़रण स्वपरागित स्पीशीज़ के पौधों की स्पीशीज़ के पौधों की स्पीशीज़ के उद्भव का प्रमुख कारण ह सकता है, क्योंकि:
(i) पृथक्क़रण के कारण दो जनसंख्याओं के बीच जीनों के जाती कम हो जाती है और लंबे समय के पश्चात दोनों जनसंख्याएँ आपस में संकरण नहीं कर सकेंगी।
(ii) अनियमित अनियोजित संलयन के कारण भी नए लक्षण उतपन्न होते हैं।
(iii) अर्धसूत्री विभाजन के समय युग्मक बनने में क्रॉसिंग ऑवर के कारण विभिन्नताएँ उतपन्न होती हैं।
(iv) युग्मक जनन के समय नए पुनर्योजन उतपन्न होते हैं।
उत्तर- नहीं। अलैंगिक जनन वाले जीवों में पीढ़ियों तक विभिन्नता उत्पन्न नहीं होती। भौगोलिक पृथक्करण से अनेक पीढ़ियों तक उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि अति न्यून विभिन्नताएँ स्पीशीज के लिए पर्याप्त नहीं होंगी।
उत्तर– यदि दो विभिन्न स्पीशीज़ की उत्पत्ति वसंरचना समान होती है तथा उनके महत्वपूर्ण लक्षण आपस में मिलते-जुलते हैं, हम तब कह सकते हैं कि वे एक-दीसरे से संबंधित हैं, अन्यथा नहीं।
उदाहरण: (i) कीट तथा पक्षियों में पंख होते हैं लेकिन उनकी संरचना तथा उत्पत्ति बहुत ही भिन्न होती है इसलिए वे एक-दूसरे के निकट संबंधी नहीं हैं।
(ii) पक्षी तथा चमगादड़ दोनों में पंख होते हैं, उनकी आंतरिक संरचना तथा उत्पत्ति भी समान है इसलिए वे निकट संबंधी हैं। यह विकासीय संबध निर्धारण कि ओर संकेत करता है।
उत्तर- तितली / पक्षी और चमगादड़ दोनों जीवों के पंख उड़ने का काम करते हैं पर इन्हें समजात / समरूप अंग नहीं कहा जा सकता क्योंकि इन के पंखों की मूल रचना और उत्पत्ति एक समान नहीं होती चाहे इनके कार्य एक समान होते हैं। ये इनके समवृत्ति अंग हैं।
अथवा
मानव विकास के अध्ययन के लिए उपयोग में भरने वाले साधनों की सूची बनाइए।
उत्तर- मृत जीवों के अवशेष ,चट्टानों पर के चिन्ह या उम्नके साँचे व शरीर की छाप जो हजारों साल पूर्व जीवित थे | इस तरह के सुरक्षित अवशेष जीवाश्म कहलाते है | ये जीवाश्म हमें जैव – विकास प्रकम के बारे में कई बातें बताते है जैसे कौन से जीवाश्म नवीन है तथा कौन से पुराने , कौन सी स्पीशीज विलुप्त हो गई है | ये जीवाश्म विकास विभिन्न रूपों तथा वर्गों कभी वर्णन करते गुणों को भी ज्ञात कर सकते है | वर्तमान समय में पाए जाने वाले सभी जीव पहले अस्तित्व में नहीं आए थे।
इनसे निम्नलिखित जानकारियाँ प्राप्त होती हैं:
(i) आज पाए जाने वाले जीवजंतुओं से पुरातन काल में पाए जाने वाले जीव-जंतु बहुत भिन्न थे।
(ii) विभिन्न पौधों और जंतुओं के वर्गों के विकास क्रम का पता चलता है।
(iii) टैरिडोफाइट और जिम्नोस्पर्म से एन्जियोस्पर्म विकसित हुए।
(iv) सरल जीवों से ही जटिल जीवों का विकास हुआ।
(v) पक्षियों का विकास सरीसृपों से हुआ।
(vi) मानव विकास कि प्रक्रिया का पता चलता है।
उत्तर- विभिन्न स्थानों पर मिलने वाले मानवों की आकृति, आकार, रंग-रूप में भिन्नता वास्तव में आभासी है। इनकी भिन्नता का जैविक आधार तो है पर सभी मानव एक ही स्पीशीज़ के सदस्य हैं। उनमें किसी प्रकार का आनुवंशिक विचलन नहीं है। आनुवंशिक विचलन ही किसी स्पीशीज को दूसरे से भिन्न करता है।
उत्तर- जब पृथ्वी पर जीवन का विकास हुआ था तब जीवाणु सबसे पहले बनने वाले जीव थे। युगों बाद वे अभी भी अपना अस्तित्व कायम रखे हुए हैं। उन्होंने पर्यावरण में आने वाले सभी परिवर्तनों को सफलतापूर्वक झेला है और उनके अनुसार अनुकूलन किया है इसलिए वे विस्तार के आधार पर पूर्ण रूप से सफ़ल और समर्थ हैं। इसी प्रकार मकड़ी, मछली तथा चिंपैंजी ने भी अपने-अपने जीवन को विपरीत परिस्थितियों में ढालने के लिए अनुकूलन किया है। इसलिए सभी का शारीरिक अधिकल्प उत्तम है। किसी को भी शारीरिक अधिकल्प निकृष्ट नहीं कहा जा सकता।