Class 10 Physical Education Chapter 1 – पर्यावरणीय स्वास्थ्य

Class 10 Physical Education Chapter 1 – पर्यावरणीय स्वास्थ्य

NCERT Solutions For Class 10 Physical Education Chapter 1 पर्यावरणीय स्वास्थ्य – दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों जो अपनी क्लास में सबसे अच्छे अंक पाना चाहता है उनके लिए यहां पर एनसीईआरटी कक्षा 10th शारीरिक शिक्षा अध्याय 1 (पर्यावरणीय स्वास्थ्य) के लिए समाधान दिया गया है. इस NCERT Solutions For Class 10th Physical Education Chapter 1. Environmental Health की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. अगर आपको यह समाधान फायदेमंद लगे तो अपने दोस्तों को शेयर जरुर करे . हमारी वेबसाइट पर सभी कक्षाओं के सलूशन दिए गए है .

प्रश्न 1. वातावरण से क्या अभिप्राय है? खेलों के लिए स्वस्थ वातावरण संबंधी ध्यान रखने योग्य बातों के बारे में लिखें।
अथवा
वातावरण कितने प्रकार के होते हैं? खेलकूद के लिए स्वस्थ वातावरण रखने के लिए किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?

उत्तर- वातावरण का अर्थ (Meaning of Environment)-हमारे चारों ओर सामाजिक, भौतिक या प्राकृतिक व रासायनिक आदि तत्त्वों का मेल है जिनसे हम निरंतर प्रभावित होते हैं। ये सभी तत्त्व जो मानव जीवन को किसी-न-किसी रूप में प्रभावित कर * वातावरण/पयांवरण कहलाता है। डगलस व डॉलैंड के अनुसार, “वातावरण उन सभी बाह्य शक्तियों व प्रभावों का जो संपूर्ण प्राणी जगत् के जीवन, स्वभाव, व्यवहार, विकास व परिपक्वता को प्रभावित करता है।”

वातावरण के प्रकार (Types of Environment)- वातावरण निम्नलिखित दो प्रकार का होता है
1. भौतिक वातावरण (Physical Environment)- भौतिक वातावरण को प्राकृतिक वातावरण भी कहते हैं, क्योंकि इसमें हमारे चारों ओर उपस्थित घटकों या वस्तुओं को शामिल किया जाता है; जैसे हवा, पानी, भूमि, पेड़-पौधे, मौसम, जलवायु, आकाश, पशु-पक्षी, जीव-जन्तु आदि।

2. सामाजिक वातावरण (Social Environment)- सामाजिक वातावरण को मानव निर्मित या कृत्रिम वातावरण भी कहा जाता केदसमें घर. स्कल. हॉस्पिटल, सार्वजनिक भवन, व्यावसायिक संस्थाएँ, उद्योग, रीति-रिवाज, परम्पराएँ, कानून आदि शामिल होते हैं।

खेलों के लिए स्वस्थ वातावरण संबंधी ध्यान रखने योग्य बातें (Things to Maintaining a Healthy Environment for Sporns)-खेलों के लिए स्वस्थ वातावरण संबंधी ध्यान रखने योग्य बातें निम्नलिखित हैं
(i) खेल के मैदानों की देखभाल या रख- रखाव के लिए इनके चारों तरफ दीवार बना देनी चाहिए, ताकि जानवर आदि इनको खराब न कर सकें।
(ii) खेल के मैदानों के आस-पास दर्शकों के बैठने के लिए उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
(iii) खेल के मैदानों की नियमित साफ-सफाई की जानी चाहिए, ताकि इनमें खेलते समय किसी को चोट आदि न लगे।
(iv) खेल के मैदानों, ट्रैकों और जिम्नेजियमों में खेल मुकाबले करवाने से पहले इनमें चूने आदि से मार्किंग कर देनी चाहिए। की सभी प्रकार के खेल मुकाबले विशेषज्ञों व खेल अधिकारी की उपस्थिति में ही करवाने चाहिएँ। इससे खेल मुकाबलों में निरंतरता व निष्पक्षता रहती है।
(vi) खेलों का आयोजन नियमों के अनुसार करना चाहिए। नियमों का उल्लंघन करने वाले खिलाड़ियों को खेल इवेंट्स से बाहर करने का प्रावधान होना चाहिए, ताकि खेलों में अनुशासनात्मक बनी रहे।
(vii) खेल स्टेडियम में कुशल व योग्य प्रशिक्षकों या कोचों की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि खिलाड़ी उनके मार्गदर्शन से अपने कौशल को बढ़ा सके।
(viii) खेल स्टेडियम में पीने के पानी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
(ix) खेल स्टेडियम या मैदानों में प्राथमिक सहायता बॉक्स और कुशल प्राथमिक चिकित्सक का उचित प्रबन्ध होना चाहिए, ताकि खेलों में खिलाड़ियों को लगने वाली चोटों का तुरंत प्राथमिक उपचार किया जा सके।
(x) खेलों के लिए स्वस्थ वातावरण हेतु खेल स्टेडियम में शौचालय की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। महिला खिलाड़ियों के लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिए।

प्रश्न 2. स्वस्थ वातावरण किसे कहते हैं? अच्छे स्वास्थ्य हेतु हमें किन-किन नियमों का पालन करना चाहिए?
– अथवा
स्वस्थ रहने के लिए हमें किन-किन नियमों का पालन करना चाहिए?

उत्तर- स्वस्थ वातावरण का अर्थ (Meaning of Healthy Environment) यह व्यक्ति का वह ज्ञान है जो उसको अपनी अच्छी सेहत बनाए रखने के लिए और आस-पास की सफाई आदि का ज्ञान प्रदान करता है जिससे व्यक्ति तंदुरुस्त व खुशियों से भरपूर जीवन का आनंद उठा सके। व्यक्ति स्वच्छ वातावरण में रहकर ही स्वस्थ रह सकता है। यदि हम आस-पास की सफाई; जैसे घर, गली, मोहल्ला, गाँव, कस्वा और शहर आदि को साफ रखें तो हम स्वास्थ्यवर्द्धक वातावरण बनाए रखने में सफल होंगे। यदि कोई देश अपने देशवासियों के स्वास्थ्य को उत्तम बनाना चाहता है तो उसे स्वस्थ वातावरण बनाना पड़ेगा। स्वस्थ वातावरण में ही हम अपने स्वास्थ्य को सेहतमंद और नीरोग बना सकते हैं।

स्वस्थ रहने के आवश्यक नियम (Important Rules of Healthy Life)- स्वस्थ रहने के लिए हमें निम्नलिखित आवश्यक नियम ध्यान में रखने चाहिएँ- .

1. शारीरिक संस्थानों या अंगों का ज्ञान (Knowledge of Body System or Organs)- हमें अपने शरीर के संस्थानों या अंगों; जैसे दिल, आमाशय, फेफड़े, तिल्ली, गुर्दे, कंकाल संस्थान, माँसपेशी संस्थान, उत्सर्जन संस्थान आदि का ज्ञान होना चाहिए।

2. डॉक्टरी जाँच (Medical Check-up)– समय-समय पर हमें अपने शरीर की डॉक्टरी जाँच अवश्य करवानी चाहिए। इससे हमें अपने स्वास्थ्य के बारे में जानकारी रहती है।

3.निद्रा व विश्राम (Sleep and Rest)-रात को समय पर सोना चाहिए और शरीर को पूरा विश्राम देना चाहिए।

4. व्यायाम (Exercises)-प्रतिदिन नियमित व्यायाम या सैर आदि करनी चाहिए। हम नियामा करने चाहिएँ। मित व्यायाम या सैर आदि करनी चाहिए। हमें नियमित योग एवं आसन आदि भी

5. सास (Breath)-हमें हमेशा नाक द्वारा साँस लेनी चाहिए। नाक से साँस लेने से हमारे शरीर को शुद्ध हवा प्राप्त होती है, किनाक के बाल हवा में उपस्थित धल-कणों को शरीर के अंदर जाने से रोक लत ह।

6. साफ वस्त्र (Clean Cloth)-हमें हमेशा साफ-सथरे और ऋतु के अनुसार कपड़े पहनने चाहिए।

7. शुद्ध एव स्वच्छ वातावरण (Pure and Clean Environment) हमें हमेशा शद्ध एवं स्वच्छ वातावरण म रहना चाहिए।

8. संतुलित भोजन (Balanced Diet)-हमें ताजा, पौष्टिक और संतुलित भोजन खाना चाहिए।

9 . शुद्ध आचरण (Good Conduct)- हमेशा अपना आचरण व विचार शद्ध व सकारात्मक रखने चाहिएं और हमशा खुश ङ्केएवं सन्तुष्ट रहना चाहिए। कभी भी किसी की बुराई नहीं करनी चाहिए। हमेशा बड़ों का आदर करना चाहिए।

10. मादक वस्तुओं से परहेज (Away from Intoxicants)- अफीम. शराब, च परहण (Away from Intoxicants)-अफीम, शराब, चरस, गाँजा, तंबाकू आदि नशीली वस्तुओं के सेवन से बचना चाहिए।

11. अचत मनारजन (Proper Recreation)- आज के इस दबाव एवं तनाव-यक्त यग में स्वास्थ्य को बनाए रखन हतु मनोरंजनात्मक क्रियाओं का होना अति आवश्यक है। हमें मनोरंजनात्मक क्रियाओं में अवश्य भाग लेना चाहिए। इनसे हमें आनंद एव संतुष्टि की प्राप्ति होती है।

12. चामत दिनचया (Daily Routine)-समय पर उठना. समय पर सोना. समय पर खाना. ठीक ढंग से खड हाना, बैठना, चलना, दौड़ना आदि क्रियाओं से व्यक्ति स्वस्थ रहता है। व्यक्तिगत स्वच्छता व आस-पास की सफाई दिनचर्या के आवश्यक अंग होने चाहिएँ।

प्रश्न 3. पर्यावरणीय या पर्यावर्णिक स्वास्थ्य को परिभाषित कीजिए। यह हमारे स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है?
अथवा
आस-पड़ोस के स्वास्थ्य से आपका क्या अभिप्राय है? स्वच्छ पर्यावरण का हमारे स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर- पर्यावरणीय स्वास्थ्य का अर्थ (Meaning of Environmental Health)-पर्यावरण दो शब्दों परि’ एवं ‘आवरण’ से मिलकर बना है जिसका अर्थ है-हमारे चारों ओर का वातावरण। हमारे चारों ओर सामाजिक, भौतिक व रासायनिक आदि तत्त्वों का मेल है जिनसे हम निरंतर प्रभावित होते रहते हैं, यही तत्त्व पर्यावरण कहलाते हैं। स्वास्थ्य व्यक्ति का वह गुण है जिससे वह शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ होता है तथा जिसके सभी शारीरिक संस्थान व्यवस्थित रूप से कार्य करते हैं।
अतः पर्यावरणीय स्वास्थ्य या आस-पास का स्वास्थ्य वह स्वास्थ्य है जो व्यक्ति के स्वास्थ्य को उन्नत एवं उत्तम बनाने में सहायक होता है। यह व्यक्ति का वह ज्ञान है, जो उसको अपनी अच्छी सेहत बनाए रखने के लिए और आस-पास की सफाई आदि का ज्ञान प्रदान करता है जिससे वह तंदुरुस्त व खुशियों से भरपूर जीवन का आनंद उठा सकता है।

पर्यावरणीय स्वास्थ्य के प्रभाव (Effects of Environmental Health)-पर्यावरणीय स्वास्थ्य हमें अत्यधिक प्रभावित करता है। हम स्वच्छ वातावरण में रहकर ही स्वस्थ रह सकते हैं। यदि हम आस-पास की सफाई; जैसे घर, गली, मोहल्ला, गाँव, कस्बा
और शहर आदि की सफाई रखें तो हम स्वास्थ्यवर्द्धक व आरामदायक वातावरण कायम कर सकेंगे। स्वास्थ्यवर्द्धक व आरामदायक वातावरण में ही हम अपने स्वास्थ्य को तंदुरुस्त एवं उत्तम बना सकते हैं। यदि कोई देश अपने देशवासियों के स्वास्थ्य को उत्तम बनाना चाहता है तो उसे स्वस्थ व स्वच्छ वातावरण को बनाए रखना पड़ेगा।
पर्यावरणीय स्वास्थ्य हमें अपने आस-पास की सफाई का ज्ञान प्रदान करता है जिससे हम घर, काम करने के स्थान, स्कूल, कॉलेज, खेल का मैदान, विश्रामगृह, होस्टल, सिनेमा घर, बस-स्टैंड, मोटरगाड़ियों, फैक्ट्रियों आदि की सफाई के अच्छे परिणामों से अवगत होते हैं। उद्योगों, कारखानों या फैक्ट्रियों आदि के व्यर्थ पदार्थों एवं धुएँ के कारण जल-प्रदूषण, वायु-प्रदूषण और ध्वनि-प्रदूषण निरन्तर बढ़ रहा है। वाहनों का धुआँ पर्यावरण की वायु को प्रदूषित करके हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध हो रहा है। इसी प्रकार जल-प्रदूषण भी हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। अतः पर्यावरण की सफाई के बिना सेहतमंद जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। यदि घर, स्कूल, होस्टल, खेल का मैदान और उनके आस-पास की सफाई न की जाए तो इससे कई प्रकार की बीमारियाँ पनप सकती हैं। इसलिए हमें अपने आस-पास के वातावरण की सफाई रखनी चाहिए। पर्यावरण की स्वच्छता बनाए रखने के लिए हमें अधिक-से-अधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिएँ और पर्यावरण के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। अधिक-से-अधिक लोगों को पर्यावरण को स्वच्छ बनाने हेतु जागरूक करना चाहिए।
पयावरणीय स्वास्थ्य के ज्ञान से हमें पता चलता है कि हम समाज में रहते हुए कैसे अपने आस-पास के वातावरण को स्वासवलंक और आरामदायक बना सकते हैं। अत: स्पष्ट है कि हमें आस-पड़ोस का स्वास्थ्य अत्यधिक प्रभावित करता है इसलिए हमें अपने पर्यावरणोच या पर्यावर्णिक स्वास्थ्य की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।

प्रश्न 4. अच्छा घर बनाते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?

उत्तर- मनुष्य अपने जीवन का अधिकांश भाग घर में हो गुजारता है। घर का वातावरण अच्छा होना चाहिए ताकि मनुष्य उसमें स्वस्थ एवं प्रसन रह सके। इसलिए घर बनाते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए
1. स्थिति (Position)-घर हमेशा खुले स्थान पर बनाया जाना चाहिए। यह हमेशा समतल, शुष्क और ऊंची जमीन पर बनाना चाहिए।
2. वायु का उचित प्रबंध (Proper Arrangement of Air)-घर में खिड़कियों, रोशनदानों आदि की उचित व्यवस्था होनी चाहिए ताकि स्वच्छ वायु और प्राकृतिक रोशनी भीतर आ सके।
3. शोर-गुल से दूर (Away to Noisy Area)-घर के निकट कोई कारखाना, मंडी, रेलवे स्टेशन, बस-स्टैंड और ईंटों का भट्ठा आदि नहीं होने चाहिएँ अर्थात् घर हमेशा शोर-गुल से दूर बनाना चाहिए।
4. अच्छे पड़ोसी (Good Neighbours)-घर ऐसे स्थान पर बनाना चाहिए, जहाँ आस-पड़ोस अच्छा और शांतिमय हो। अच्छे पड़ोसी दुःख-सुख के समय हमेशा काम आते हैं।
5. साफ-सुथरा रास्ता (Clean Way)-घर में आने-जाने का रास्ता खुला, पक्का और साफ-सुथरा होना चाहिए। .
6. मजबूत नींव (Solid Base)-घर की नीव गहरी एवं मजबूत होनी चाहिए क्योंकि घर की दृढ़ता नींव पर ही निर्भर करती है।
7. मुख्य सड़क से ऊँचा (High to Main Road)-घर जमीन या सड़क के तल से काफी ऊँचा होना चाहिए, ताकि गली या वां का पानी उसमें प्रवेश न कर सके।
8. पक्का फर्श (Solid Floor)-घर का फर्श पक्का व मजबूत होना चाहिए तथा फर्श न तो खुरदरा और न ही फिसलने वाला होना चाहिए।
9. जालीदार खिड़कियाँ (Latticed Windows)-घर की खिड़कियाँ जालीदार हों ताकि मक्खी, मच्छर और दूसरे जीव-जन्तु अंदर न जा सकें।
10. पक्का मकान (Solid House)-जहाँ तक हो सके मकान पक्की ईंटों का बनाना चाहिए, ताकि सीलन आदि को रोका जा सके। कच्चे मकान को सफाई बहुत कठिन होती है। मकान बनाने में प्रयोग होने वाली वस्तुएं उत्तम किस्म की होनी चाहिए।
11. पक्की नालियाँ (Ripe Sewers)-घर के कूड़े-कर्कट तथा गंदे पानी को बाहर निकालने के लिए पक्की नालियों बनाई जाएं, ताकि गंदे पानी की निकासी आसानी से हो सके।
12. रसोईघर, स्तानघर और शौचालय (Kitchen, Bathroom and Toilet)- रसोईघर, स्नानघर और शौचालय बनाते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। ये अन्य कमरों से दूर होने चाहिएं। रसोई में से धुऔं निकलने के लिए चिमनी लगी होनी चाहिए। शौचालय से गंदे पानी की निकासी का उचित प्रबंध होना चाहिए।

प्रश्न 5. विद्यालय/स्कूल भवन बनाते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए? वर्णन करें।
अथवा
बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए स्कूल बनाते समय किन-किन विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए?

उत्तर- स्कूल विद्यार्थियों का भविष्य बनाते हैं। स्कूलों में पढ़ाई करके विद्यार्थी अपने व्यक्तित्व को विकसित करते हैं, ताकि वे समाज और देश के अच्छे नागरिक बन सकें और अपना योगदान दे सकें। स्कूल का वातावरण विद्यार्थियों को बहुत प्रभावित करता है। स्कूल भवन बनाते समय इन बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए
1.स्थिति (Position)-स्कूल मुख्य सड़क से दूर बनाना चाहिए। स्कूल भवन की आकृति E तथा H जैसी होनी चाहिए।
2. श्रेणियों के कमरे (Rooms for Classes)-श्रेणियों के कमरों की छतें लगभग 15 फुट ऊंची होनी चाहिए। स्कूल में श्रेणियों/कक्षाओं के कमरे हवादार हों और उनमें कृत्रिम व प्राकृतिक प्रकाश का उचित प्रबंध हो।
3. अन्य कमरे (Other Rooms)-श्रेणी के कमरों के अलावा अन्य कमरे; जैसे हॉल, स्टाफ-रूम, पुस्तकालय, चिकित्सालय, मनोरंजन-कक्ष, अतिथि-गृह इत्यादि अवश्य होने चाहिएं। इन कमरों या भवनों की स्थिति श्रेणी के कमरे से उचित दूरी पर होनी चाहिए।
4. खेल के मैदान (Playgrounds)-विद्यार्थियों के प्रदान (Playgrounds)-विद्यार्थियों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए खेल के मैदान बहुत जरूरी हैं। इसलिए स्कूल भवन का निर्माण करते समय खेल के मैदानों का भी उचित स्थान पर निर्माण करना चाहिए।
5 .कुसा-मज एव बच (Chair-Table and Benches)-स्कल भवन के श्रेणी कमरों में लग हुए कुता बने हों। इनकी रचना ऐसी होनी चाहिए कि इन पर बैठकर छात्र आसानी से पढ़-लिख एवं श्यामपट्ट को देख सके। -स्कूल भवन के श्रेणी कमरों में लगे हुए कुर्सी-मेज एवं बैंच ठीक
6. वायु एव प्रकाश (Air and Lighty- ताजी और शद्ध वाय हेत श्रेणी के कमरों में रोशनी और खिड़की अचल होनी चाहिए। कमरों में प्रकाश को ठीक से नियंत्रित किया जाना चाहिए। प्रकाश बाईं ओर से आना चाहिए क्योंकि इसे पढ़ते समय रोशनी सीधी नहीं पड़ेगी। स्कूल के हर कमरे या भवन को प्राकृतिक प्रकाश से भरना चाहिए।
7. शोचालय (Toilet)-स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या के आधार पर उनके लिए शौचालय का उचित प्रबंध होना चाहिए। इनके रख-रखाव के लिए उचित व्यवस्था भी करनी चाहिए।
8. पयजल (Drinking Water)- स्कूल भवन में विद्यार्थियों के लिए ताजे तथा शद्ध पानी का उचित प्रबंध होना चाहिए।
9. बगीचे व घास के मैदान (Lawn and Grassy Field) स्कूल के आस-पास बगीचे या घास के मैदान होने चाहिए। दीवारों के साथ सुंदर फूलों वाले गमले अथवा बेलें लगाई जानी चाहिएँ।
10, शार-गुल से दूर (Away to Noisy Area)-स्कूल भवन हमेशा शांत एवं स्वच्छ वातावरण में ही बनाया जाना चाहिए, क्योंकि यदि स्कूल के आस-पास रेलवे स्टेशन या बस-स्टैंड होगा तो इससे विद्यार्थियों को पढ़ाई करने में कई प्रकार की समस्याओं से जूझना पड़ सकता है।

प्रश्न 6. घर में गन्दगी कैसे फैलती है? घर की सफाई के लिए किन-किन बातों पर ध्यान देना आवश्यक है?

उत्तर- घर में गन्दगी फैलने के कारण (Causes of Insanitation Spreads in House)-घर में गन्दगी फैलने के कारण निम्नलिखित हैं
(j) घरेलू कूड़े-कर्कट के लिए उचित स्थान का न होना।
(ii) छोटे घरों में अधिक पारिवारिक सदस्यों का रहना।
(iii) रसोईघर, स्नानघर तथा शौचालय के गंदे पानी की निकासी व्यवस्था उचित न होना।
(iv) घर के सदस्यों को सफाई के नियमों का ज्ञान न होना।

घर की सफाई हेतु ध्यान देने योग्य आवश्यक बातें (Things should be Kept in Mind While Cleaning the House) – घर एक ऐसा स्थान होता है जहाँ व्यक्ति को लंबे समय तक रहना होता है। गंदे व अस्वच्छ घर में कई तरह की बीमारियाँ पनपने लगती हैं, इसलिए घर हमेशा साफ-सुथरा एवं स्वच्छ होना चाहिए। अतः घर की सफाई हेतु हमें निम्नलिखित बातों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए
(i) घर के आस-पास गंदा पानी इकट्ठा नहीं होने देना चाहिए, ताकि मच्छर-मक्खी आदि पैदा न हो सकें।
(ii) घर के आस-पास कूड़े-कर्कट के ढेर आदि जमा नहीं होने देने चाहिएँ । यदि घर के आस-पास कूड़ा-कर्कट का ढेर लगा हो तो नगरपालिका के सफाई अधिकारी से कहकर उठवा देना चाहिए।
(iii) घर के बाहर को नालियों में बच्चों को शौच आदि के लिए नहीं बैठने देना चाहिए।
(iv) घर के अंदर व बाहर की नालियों में फिनाइल अथवा चूना आदि का छिड़काव करना चाहिए।
(v) घर के आस-पास पक्की और साफ-सुथरी नालियाँ, गलियाँ या सड़कें होनी चाहिएँ।
(vi) घर का कूड़ा-कर्कट बाहर नालियों में नहीं फेंकना चाहिए, बल्कि ढक्कन-बंद कूड़ेदान में डालना चाहिए।
(vii) घर के आस-पास मुर्गी-फार्म तथा डेयरी-फार्म नहीं होने चाहिएँ।
(viii) घर से वर्षा के या घरेलू पानी के बाहर निकलने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
(ix) प्रतिदिन घर के दरवाजों, खिड़कियों, फर्श एवं रोशनदानों की अच्छी तरह से सफाई करनी चाहिए।
(x) घर में घूमते हुए इधर-उधर थूकना नहीं चाहिए।
(xi) घर में निजी च अन्य वस्तुओं को इधर-उधर न फेंककर उचित स्थान पर रखना चाहिए।
(xii) घर में प्रतिदिन झाड़ लगाना चाहिए और फनीचर की नियमित झाड़-पोंछ करनी चाहिए।
(xiii) घर की छतों एवं दीवारों पर जाला नहीं लगने देना चाहिए।
(xiv) शौचालय की सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। प्रतिदिन फिनाइल आदि के घोल से इनकी सफाई करनी चाहिए।
(xv) घर की साल में एक बार सफेदी अवश्य करवानी चाहिए।
(xvi) मक्खी-मच्छरों आदि से छुटकारा पाने हेतु समय-समय पर कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करना चाहिए। (xii) घर के पानी की निकासी की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।
(xiii) घर के प्रत्येक सदस्य को सफाई के नियमों का पालन करना चाहिए।
(xix) घर के सदस्यों को सफाई के प्रति सजग रहना चाहिए।
(xx) घर के पालतू जानवरों के रहने के स्थान निश्चित होने चाहिएँ।

प्रश्न 7. स्कूल की सफाई हेतु किन-किन बातों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए?
अथवा
स्कूल के वातावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिए कौन-कौन-से कदम उठाने चाहिएँ? .

उत्तर- घर की सफाई के साथ-साथ स्कूल की सफाई करना भी आवश्यक होता है, क्योंकि यहाँ बच्चे अपना अधिकांश समय व्यतीत करते हैं। अगर स्कूल का वातावरण साफ और स्वच्छ नहीं होगा तो बच्चों के स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा। बच्चे स्कूल में शिक्षा प्राप्त करने के लिए जाते हैं। इसलिए स्कूलों में बच्चों के बैठने, पढ़ने और खेलने के स्थान साफ-सुथरे होने चाहिएँ। स्कूल को स्वच्छ एवं साफ-सुथरा बनाए रखने के लिए निम्नलिखित बातों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए
(i) स्कूल के सभी कमरों, डैस्कों और बैंचों को प्रतिदिन अच्छी तरह से साफ करना चाहिए।
(ii) स्कूल के आँगन में कूड़ा-कर्कट और कागज़ आदि नहीं फेंकने चाहिएँ। इनको कूड़ेदानों में ही फेंकना चाहिए। (iii) स्कूल में पानी पीने वाले स्थान को साफ-सुथरा रखना चाहिए।
(iv) स्कूल के शौचालयों आदि को प्रतिदिन फिनाइल आदि के घोल से साफ करना चाहिए।
(v) स्कूल के आँगन, घास के मैदान और खेल के मैदान को भी प्रतिदिन साफ करना चाहिए।
(vi) यदि बच्चों के दोपहर के खाने का प्रबंध स्कूल की ओर से होता है तो खाने की व्यवस्था किसी अध्यापक की देखभाल …..के अधीन होनी चाहिए।
(vii) बच्चों के दोपहर के भोजन के लिए खाने के स्थान का प्रबंध होना चाहिए और वहाँ ढक्कनदार कूड़ेदान भी होने चाहिएँ, ताकि बच्चे खाद्य पदार्थों के छिलके व कागज आदि इधर-उधर फेंकने की बजाय इनमें फेंक सकें।
(viii) स्कूल में घूमते समय इधर-उधर थूकना नहीं चाहिए।
(ix) स्कूल की छतों या दीवारों पर जाला आदि नहीं लगने देना चाहिए। प्रतिदिन इनकी सफाई करनी चाहिए।
(x) मक्खी-मच्छरों आदि को मारने के लिए समय-समय पर स्कूल में कीड़ेमार दवाई का छिड़काव करवाना चाहिए, जिससे स्कूल का वातावरण स्वास्थ्य के अनुकूल बना रहे।
(xi) गंदे पानी की निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
(xii) स्कूल के कमरों के फर्शों एवं बरामदों की सफाई फ़िनाइल-युक्त पानी के साथ करनी चाहिए।

प्रश्न 8. जल-प्राप्ति के स्रोत बताएँ। जल को शुद्ध करने के लिए कौन-कौन-से साधन अपनाए जा सकते हैं?
॥ अथवा
पानी की अशुद्धता के कारण तथा इसे शुद्ध करने के ढंग लिखें।
अथवा
अशुद्ध पानी को पीने लायक बनाने के लिए क्या उपाय किए जाएँ?
अथवा
जल साफ करने की विधियों का विस्तार से वर्णन कीजिए।

उत्तर- जल-प्राप्ति के स्रोत (Sources of Water)- हमारे जीवन का आधार जल है। हमारा जीवन इसके बिना संभव नहीं है। प्यास बुझाने, खाना पकाने, तापमान को नियंत्रित करने, कृषि उत्पादन, कारखानों, सफाई और कपड़ों की धुलाई आदि में इसका उपयोग किया जाता है। धरती की आंतरिक सतह (कुओं, नलों, झरनों) और ऊपरी सतह (नहर, नदी, तालाब) से हमें जल मिलता है। वर्षा भी हमें जल देती है।

पाना का अशुद्धता के कारण (Reasons of Impuritvin water)-पानी की अशुद्धता के कारण निम्नलिखित है
(i) घरलू अपशिष्टों आदि को नदियों व तालावों में डाल देने से पानी में अनेक हानिकारक जीवाणु व कवक पैदा हो जात हैं जो पानी को अशुद्ध बना देते हैं।
(ii) बड़े-बड़े औद्योगिक संयंत्रों से निकले अपशिष्ट पदार्थों से पानी अशुद्ध होता है।
(iii) धूल, मिट्टी, अयस्क, कोयला आदि के कण पानी को अशुद्ध कर देते हैं।
(iv) कार्बनिक तथा अकार्वनिक अवशेष भी पानी की अशुद्धि के कारण बनते हैं।

पानी/जलकोशद्ध करने के साधन या विधियाँ/ढंग (Means or Methods/Ways of Purifying of Water) शद्ध करने के लिए विभिन्न साधन या विधियाँ निम्नलिखित हैं
1. भौतिक विधि (Physical Method) – जल साफ करने की भौतिक विधि मुख्यतः तीन प्रकार की होती है
(i) उबालना (Boil)-जल को उबालने से उसमें उपस्थित अशुद्धियाँ दूर हो जाती हैं। विभिन्न प्रकार के वैक्टीरिया, जीवाणु मर जाते हैं। घरेलू स्तर पर पीने के जल को शुद्ध करने की यह विधि सर्वोत्तम है।
(ii) आसवन विधि (Distillation Method)- इस विधि द्वारा अशुद्ध पानी को भाप में परिवर्तित कर लिया जाता है।
ऐसा करने से पानी में उपस्थित कीटाणु समाप्त हो जाते हैं। इसके बाद जल-वाष्प को ठण्डा करके पुनः पानी में बदल दिया जाता है।
(iii) पराबैंगनी किरणों द्वारा (By Ultraviolet Rays)-प्रकाश में उपस्थित पराबैंगनी किरणें भी पानी को शुद्ध करने में सहायक होती हैं।

2. रासायनिक विधि (Chemical Method)- अशुद्ध जल को शुद्ध करने के लिए कुछ रासायनिक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है। ये रासायनिक पदार्थ हैं-लाल दवाई (पौटेशियम परमैंगनेट), कॉपर सल्फेट, ब्लीचिंग पाउडर, क्लोरीन आदि। ये रासायनिक पदार्थ दो तरह की क्रिया करते हैं। पहली क्रिया में ये अविलेय या विलेय अशुद्धियों को अवक्षेपण द्वारा अलग कर देते हैं और दूसरी क्रिया में ये पदार्थ पानी में उपस्थित कीटाणुओं को नष्ट कर देते हैं।

3. यांत्रिक विधि (Mechanical Method)-यांत्रिक विधि के अंतर्गत आधुनिक यंत्रों के उपयोग से पानी को शुद्ध किया जाता है; जैसे
(i) फिल्टर (Filter)-निथारने वाले बेसिन से पानी फिल्टर में से गुजरता है और गंदे कण तथा बैक्टीरिया फिल्टर द्वारा साफ हो जाते हैं और पानी शुद्ध हो जाता है।
(ii) वाटर प्यूरिफायर (Water Purifier)-आधुनिक युग में वाटर प्यूरिफायर द्वारा पानी को शुद्ध किया जाता है। इससे पानी के जीवाणु नष्ट हो जाते हैं और पानी साफ हो जाता है।

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