Class 10th Science Chapter 6 जैव प्रक्रम
NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 6. जैव-प्रक्रम – हर साल बहुत से विद्यार्थी दसवीं की परीक्षा देते है ,लेकिन बहुत से विद्यार्थी के अच्छे अंक प्राप्त नही हो पाते जिससे उन्हें आगे की क्लास में एडमिशन लेने में भी दिक्कत आती है .जो विद्यार्थी दसवीं कक्षा में पढ़ रहे है उनके लिए यहां पर एनसीईआरटी कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 6 (जैव प्रक्रम) के लिए सलूशन दिया गया है.जोकि एक सरल भाषा में दिया है .क्योंकि किताब से कई बार विद्यार्थी को प्रश्न समझ में नही आते .इसलिए यहाँ NCERT Solutions for Class 10th Chapter 6 Life Processes Science दिया गया है वह आसन भाषा में दिया है .ताकि विद्यार्थी को पढने में कोई दिक्कत न आए . इसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप Ch 6 जैव प्रक्रम के प्रश्न उत्तरों ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे
पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न (Textual Questions)
उत्तर– बहुकोशी जीवों में उनकी केवल बहरी त्वचा की कोशिकाएँ और रंध्र ही आस-पास के वातावरण से सीधे संबंधित होते हैं। बहुकोशीय जिव जैसे मनुष्य में शरीर का आकार बहुत बड़ा होता है तथा शरीर की संरचना जटिल होती है। बहुकोशीय जीवों में सभी कोशिकाएँ सीधे ही पर्यावरण के संपर्क में नहीं होती। अत: साधारण विसरण सभी कोशिकाओं की ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने के लिए अपर्याप्त है।
उत्तर- सभी जीवित वस्तुएँ सजीव कहलाती हैं। वे रूप-रंग, आकार आदि में समान भी होते हैं तथा भिन्न भी। अत: कोई वस्तु सजीव है, इसके निर्धारण के लिए निम्नलिखित मापदंड हैं:
1. सजीवों की संरचना सुसंगठित होती है।
2. उनमें कोशिकाएँ और ऊतक होते हैं।
3. उनकी संगठित और सुव्यवस्थित संरचना समय के साथ पर्यावरण के प्रभाव से विघटित होने लगती है।
4. सजीवों की निश्चित रूप से मृत्यु होती है।
5. सजीव अपने शरीर की मरम्मत और अनुरक्षण करते हैं। उनकी संरचना अणुओं से हुई है और उन्हें अणुओं को लगातार गतिशील बनाए रखना चाहिए।
6. सजीवों में विशेष सीमा में वृद्धि होती है।
7. उनके शरीर में रासायनिक क्रियाओं की श्रृंखला चलती है। उनमें उपचय-अपचय अभिक्रियाएँ होती हैं।
उत्तर– किसी जीव के द्वारा जिन कच्ची सामग्रियों का उपयोग किया जाता है, वे हैं
1. ऊर्जा प्राप्ति के लिए उचित पोषण।
2. श्वसन के लिए पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन
उत्तर- जीवन के अनुरक्षण के लिए जो प्रक्रम आवश्यक माने जाने चाहिएं, वे हैं- पोषण, श्वसन, परिवहन और उत्सर्जन।
उत्तर–स्वयंपोषी पोषण –
वे जीव जो प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा सरल अकार्बनिक से जटिल कार्बनिक पदार्थों का निर्माण करके अपना स्वयं पोषण करते हैं, स्वयंपोषी जीव (Autot rophs) कहलाते हैं।
उदाहरण-सभी हरे पौधे, युग्लीना
विषमपोषी पोषण –
वे जीव जो कार्बनिक पदार्थ और ऊर्जा को अपनेभोज्य पदार्थ के रूप में अन्य जीवित या मृत पौधों या जंतुओं से ग्रहण करते हैं, विषमपोषी जीव (Heterotrophs) कहलाते हैं।
उदाहरण- युग्लीना को छोड़कर सभी जंतु। अमरबेल,जीवाणु, कवक आदि।
उत्तर- प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री कार्बन-डाइऑक्साइड तथा जल है।पौधे कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण से प्राप्त करते है और जल भूमि से।
उत्तर- हमारे आमाशय में हाईडरोक्लोरिक अम्ल उपस्थित होता है .यह अम्ल अमाशय में अम्लीय माध्यम का निर्माण करता है . इसी की मदद से एंजाइम अपना कार्य करता है . HCl अम्ल हमारे भोजन में उपस्थित रोगाणुओं को नष्ट कर देता है.अम्ल आमाशय में भोजन को पचाने में सहायता करता है .
उत्तर- एंजाइम वे जैव उत्प्रेरक होते हैं जो जटिल पदार्थों को सरल पदार्थों में बदल ने में सहायता प्रदान करते हैं। ये पाचन क्रिया में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा के पाचन में सहायक बनते हैं।इस प्रकार से सरल पदार्थ छोटी आंत द्वारा अवशोषित कर लिए जाते है
उत्तर –क्षुद्रांत्र पाचित भोजन को अवशोषित करने का मुख स्थान है। क्षुद्रांत्र की आंतरिक भित्ति/अस्तर अंगुली जैसी संरचनाओं/प्रवर्ध में विकसित होते हैं जिन्हें दीर्घ रोम कहते हैं। ये अवशोषण का सतही क्षेत्रफल बढ़ा देते हैं। दीर्घ रोम में रुधिर वाहिकाओं की बहुतायत होती है, जो भोजन को अवशोषित करके शरीर की प्रत्येक कोशिका तक पहुँचाते हैं।
उत्तर- जलीय जीव जल में घुली हुई ऑक्सीजन का श्वसन के लिए उपयोग करते हैं। जल में घुली हुई ऑक्सीजन की मात्रा वायु में उपस्थित ऑक्सीजन की मात्रा की तुलना में बहुत कम है। इसलिए जलीय जीवों के श्वसन की दर स्थलीय जीवों की अपेक्षा अधिक तेज़ होती है। मछलियाँ अपने मुँह के द्वारा जल लेती हैं और बल-पूर्वक इसे क्लोम तक पहुँचाती हैं। वहाँ जल में घुली हुई ऑक्सीजन को रुधिर प्राप्त कर लेता है।
उत्तर-ग्लूकोज़ के ऑक्सीकरण से ऊर्जा प्राप्त होती है और यह श्वसन प्रक्रिया के लिए प्रमुख कच्ची सामग्री के रूप में कार्य करता है। यह ऑक्सीजन की उपलब्ध मात्रा तथा जीव के प्रकार पर निर्भर करता है।
(i) सभी जीवों में ग्लाइकोलिसिस होती है जसिमें ग्लूकोज़ पाइरुवेट में बदलता है, जो तीन कार्बन वाला यौगिक है। यह प्रक्रिया जीवद्रव में होती है।
(ii) अवायवीय (अनॉक्सी) श्वसन जो ईस्ट में होता है पायरूवेट एथेनॉल तथा CO2में परिवर्तित होता है तथा कुछ मात्रा में ऊर्जा भी उतसर्जित होती है।
(iii) जब हम व्यायाम करते हैं या दौड़ लगाते हैं, तो माँसपेशियों में पायरूवेट लैक्टिक अम्ल में परिवर्तित होता है तथा कुछ ऊर्जा उतसर्जित होती है।
(iv) जब पाइरुवेट का ऑक्सीकरण, ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा में होता है तो इससे CO2तथा H2O बनता है तथा प्रचुर मात्रा में ऊर्जा उत्सर्जित होती है।
ग्लूकोज़ का पूर्ण ऑक्सीकरण माइटोकॉन्ड्रिया में होता है।
उत्तर- जब हम श्वास अंदर लेते हैं तब हमारी पसलियाँ ऊपर उठती हैं और डायाफ्राम चपटा हो जाता है। इस कारण वक्षगुहिका बढ़ी हो जाती है और वायु फुफ्फुस के भीतर चली जाती है। वह विस्तृत कूपिकाओं को भर लेती है। रुधिर सारे शरीरसे CO, को कूपिकाओं में छोड़ने के लिए लाता है। कुपिका रुधिर वाहिका का रुधिर कूपिका वायु से ऑक्सीजन लेकर शरीर | की सभी कोशिकाओं तक पहुँचाता है। श्वास चक्र के समय जब वायु अंदर और बाहर होती है तब फुफ्फुस वायु का अवशिष्ट आयतन रखते हैं। इससे ऑक्सीजन के अवशोषण और कार्बन डाइऑक्साइड के मोचन के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है।
उत्तर- जब हम श्वांस अन्दर लेते हैं तब हमारी पशलियाँ ऊपर उठती हैंlवे बाहर की झुक जाती हैंlइसी समय डायफ्राम की पेसियां संकुचित तथा उदर पेशियाँ शिथिल हो जाती है इससे वक्षीय गुहा का क्षेत्रफल बढ़ता है और साथ हि फुफ्फुस का क्षेत्रफल भी बढ़ जाता है जिसके परिणामस्वरूप श्वसन पथ से वायु अन्दर आकर फेफड़े में भर जाती हैl
tq sir