NIOS Class 10th Business Studies Chapter 20. उद्यमिता

NIOS Class 10th Business Studies Chapter 20. उद्यमिता

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NIOS Class 10 Business Studies Chapter20 Solution – उद्यमिता

प्रश्न 1. उद्यमशीलता’ की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर -नए विचारों को खोजने, बनाने और उन्हें जीवन देने का कार्य उद्यमशीलता है। इस मामले में निम्नलिखित बातें महत्वपूर्ण हैं:
उद्यमशीलता को एक कार्य की तरह देखा जाता है, जिसमें बाजार में उपलब्ध अवसरों की खोज और उनका उपयोग किया जाता है। उद्यमी अवसरों का प्रयोग करते हैं और विचारों को लागू करते हैं। उद्यमिता में नवीनतम और सृजनात्मक तरीके लागू किए जाते हैं। उद्यमी प्रबंधन भी करते हैं। एक उद्यमी अपने क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ बनने की कोशिश करता है।

प्रश्न 2. उद्यमी के कोई तीन गुण बताइए |
उत्तर – उद्यमी के गुण-
1. अगुआई – व्यापार जगत में अवसर आते-जाते रहते हैं। एक उद्यमी काम करना चाहिए। उसे काम शुरू कर अवसर का फायदा उठाना चाहिए। अवसर एक बार खो देने पर दोबारा नहीं आते। इसलिए उद्यमी पहल करने की क्षमता है।
2. जोखिम उठाने की शक्ति– जोखिम व्यवसाय में अनिवार्य है। व्यवसायी सफल और असफल हो सकते हैं। अन्य शब्दों में, हर व्यवसाय में मुनाफा नहीं होना चाहिए। व्यक्ति को व्यवसाय करने से रोकता है क्योंकि यह तत्व है। लेकिन उद्यमी को हर समय जोखिम उठाने और व्यवसाय चलाने में सफल होना चाहिए।
3. अनुभव से सीखने की योग्यता – उद्यमी गलती कर सकते हैं। लेकिन एक बार गलती करने पर फिर से ऐसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसा होने पर बहुत नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिए गलतियों से सबक लेना चाहिए। एक उद्यमी को अनुभव से भी सीखने की क्षमता होनी चाहिए।

प्रश्न 3. एक उद्यमी बनने के महत्व को समझाइए |
उत्तर – व्यवसाय में व्यक्ति विशेष बहुत महत्वपूर्ण है। उद्यम किसी समुदाय, वर्ग, लिंग या धर्म से सीमित नहीं हैं। यह भी आयु सीमा नहीं है। व्यवसाय करने के लिए कोई भी प्रतिभाशाली व्यक्ति योग्य है। उपर्युक्त संदर्भ में एक उद्यमी बनने का महत्त्व इस प्रकार है-
1. एक उद्यमी स्वतंत्र व्यक्ति होता है जिसके पास जीविका की खोज के पर्याप्त क्षेत्र होते हैं।
2. उद्यमी स्वतंत्र रूप से निर्णय लेता है तथा उनको कार्यान्वित करता है।
3. एक उद्यमी को आत्माभिव्यक्ति और अपने सपनों को साकार करने के अवसर मिलते हैं, जिसके लिए वह कुछ अलग तरीके से काम करता है।
4. नौकरी की तुलना में उद्यमी को अपने कार्य से अधिक संतोष प्राप्त होता है, क्योंकि प्रयत्न और परिणाम में प्रत्यक्ष सम्बन्ध होता है।
5. एक उद्यमी दूसरे व्यक्तियों के लिए भी रोजगार के अवसर प्रदान करता है।
6. एक उद्यमी देश के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान कर सकता है।
7. एक उद्यमी अपने व्यक्तिगत लक्ष्यों को प्राप्त करता है तथा समाज के हित में कार्य करता है।
8. वह सब कुछ कर सकता है, एक विजेता बनना, अपने लक्ष्यों को पूरा करना और दुनिया को अपनी सफलताओं को दिखाना।

प्रश्न 5. अभिप्रेरणा किस प्रकार सफलता की कुंजी है ? वर्णन कीजिए।
उत्तर- वास्तव में, सफलता का आधार अभिप्रेरणा है। जीवन के हर क्षेत्र में इसकी जरूरत है। हम किसी काम को करने के लिए प्रेरित होने पर ही दम लेते हैं। उदाहरण के लिए, कभी-कभी हम किसी रोचक कहानी में इतने खो जाते हैं कि उसे समाप्त करने से पहले सो नहीं पाते। अभिप्रेरणा ही इस प्रकार की रुचि को जन्म देती है। एक सफल उद्यमी के पास यह गुण होना चाहिए।

प्रश्न 6. एक उद्यमी के विभिन्न कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – एक उद्यमी के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-
1. उद्यम के अवसरों की पहचान – विश्व भर में व्यापार करने के कई अवसर हैं। शिक्षा, खाना, फैशन, आदि उनकी मानवीय आवश्यकताएँ निरंतर बदलती रहती हैं। उद्यमी इन अवसरों को तुरंत हासिल करता है, जबकि आम आदमी इन्हें नहीं जानता। यही कारण है कि एक उद्यमी को नवीनता, सृजनात्मकता और शक्ति की ओर बढ़ने के लिए कान और आँखें खुली रखनी चाहिए।

2. विचारों को कार्यान्वित करना – एक उद्यमी को अपने विचारों को कार्यान्वित करने की क्षमता होनी चाहिए। वह बाजार की माँग को पूरा करने में सहायक विचारों और उत्पादों के व्यवहारों की जानकारी एकत्रित करता है। उसे लक्ष्य प्राप्ति के लिए इन सूचनाओं का उपयोग करना होगा।

3. संभाव्यता अध्ययन – उद्यमी प्रस्तावित उत्पाद तथा सेवा के बाजार का अध्ययन करता है, भविष्य की समस्याओं पर विचार करता है और उत्पाद की मात्रा, संख्या तथा लागत के साथ-साथ उपक्रम को चलाने के लिए आवश्यकताओं की पूर्ति के स्थानों का पता लगाता है। व्यवसाय की योजना या प्रोजेक्ट रिपोर्ट, इन सभी क्रियाओं की योजना है।

4. संसाधन उपलब्ध कराना – व्यवसाय को चलाने के लिए आवश्यक साधनों को उपलब्ध कराना उद्यमी का महत्त्वपूर्ण कार्य है।

5. उद्यम की स्थापना – व्यवसाय शुरू करने वाले व्यक्ति को कई कानूनी प्रक्रियाएं पूरी करनी पड़ती हैं। उसे उचित स्थान चुनना होगा। डिजाइन बनाना, मशीन लगाना और बहुत कुछ करना होगा।

6. प्रबन्ध – उद्यमी भी एक महत्त्वपूर्ण काम करते हैं: उद्यम बनाना। उसे मानव, माल, वित्त, माल और सेवाओं का प्रबंधन करना होगा। उसे भी प्रत्येक माल और सेवा का विपणन करना होगा ताकि विनियोग किए धन से उचित लाभ मिल सके। ठीक प्रबंध ही लक्ष्य हासिल कर सकता है।

7. वृद्धि एवं विकास – व्यवसायी को लक्ष्य प्राप्त करने के बाद अगला ऊँचा लक्ष्य खोजना होता है। उद्यमी किसी लक्ष्य को पूरा करने के बाद संतुष्ट नहीं होता, बल्कि अधिक उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास करता रहता है।

प्रश्न 7. एक बॉल पेन बनाने के लिए लघु उद्योग की स्थापना करते समय आप किन-किन कारकों को ध्यान में रखेंगे? विस्तार से लिखिए ।
उत्तर – लघु उद्योग की स्थापना करते समय निम्नलिखित कारकों को ध्यान में रखा जायेगा-
1. लघु व्यवसाय स्थापित करना कोई भी व्यक्ति लघु व्यवसाय को स्थापित कर सकता है-
(i) वह पुराना उद्यमी हो सकता है अथवा नवीन ।
(ii) उसे व्यवसाय चलाने का अनुभव हो सकता है और नहीं भी।
(iii) वह शिक्षित हो सकता है और अशिक्षित भी।
(iv) उसकी पृष्ठभूमि ग्रामीण हो सकती है अथवा शहरी ।

2. धन का प्रबंध – इस बात पर भी विचार किया जाता है कि व्यवसाय को चलाने के लिए कुल कितनी पूँजी की आवश्यकता होगी तथा पूँजी किन स्रोतों से एकत्रित की जायेगी । व्यवसाय को है। चलाने के लिए स्थायी एवं कार्यशील पूँजी की आवश्यकता होती

3. व्यवसाय का चुनाव– जब उद्यमी सोचना शुरू कर देता है कि उनका व्यवसाय क्या करना चाहिए, यह व्यवसाय करने की प्रक्रिया है। वह बाजार की आवश्यकताओं और व्यावसायिक अवसरों को देख सकता है। वह वर्तमान वस्तु या उत्पाद को चुन सकता है या किसी नए उत्पाद पर विचार कर सकता है। उसे व्यवसाय की लाभप्रदता और पूँजी निवेश पर गंभीरता से विचार करना होगा। इसके बाद व्यवसायी को निर्णय लेना चाहिए कि कौन सी दिशा सही होगी।

4. संगठन का स्वरूप- एकाकी व्यापार और साझेदारी कम्पनी संगठन के कुछ उदाहरण हैं। आपकी आवश्यकताओं के अनुसार सबसे अच्छा स्वरूप चुनना चाहिए। लघु उद्योग एकाकी व्यापार या साझेदारी हो सकता है।

5. स्थिति – व्यवसाय शुरू करने के लिए स्थान चुनते समय बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। एक उद्यमी अपने स्थान पर या किराये पर व्यवसाय शुरू कर सकता है। वह स्थान किसी बाजार, व्यापारिक कॉम्प्लेक्स या औद्योगिक जमीन में हो सकता है। उद्यमी को स्थान-विषयक निर्णय लेते समय कई कारकों पर विचार करना चाहिए, जैसे बाजार की निकटता, श्रम की उपलब्धता, यातायात की सुविधा, बैंकिंग और संवहन सुविधाएँ आदि। कारखाने को ऐसे स्थान पर स्थापित करना चाहिए, जहाँ कच्चे माल की आपूर्ति का स्रोत हो और जहाँ रेलवे और सड़क परिवहन की सुविधाएं उपलब्ध हैं। एक मोहल्ले या बाजार में फुटकर व्यवसाय शुरू करना चाहिए।

6. श्रम की उपलब्धता – उद्यम सुगमता से स्थापित होना चाहिए।

प्रश्न 1. व्यवसाय के नीचे दिये पहलुओं के सम्बन्ध में उद्यमियों को किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
(क) वित्तीयन ।
उत्तर – वित्तीय प्रबंधन करना उसे दैनिक खर्चों और स्थायी संपत्ति खरीदने के लिए आवश्यक धन का ध्यान रखना चाहिए। वह कई बैंकों की सहायता ले सकता है।

(ख) स्थान का निर्धारण ।
उत्तर- उद्यमी को अपने व्यवसाय का स्थान चुनते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह आसानी से कच्चे माल और सरकारी प्रोत्साहनों से लाभ प्राप्त कर सकेगा।

(ग) मशीन एवं उपकरण ।
उत्तर– मशीन और उपकरणों का चयन करते समय पूँजी की उपलब्धता, उत्पादन की प्रकृति, बिक्री के बाद की सेवाएँ आदि बातों को ध्यान में रखना चाहिए।

(घ) श्रम शक्ति ।
उत्तर– योग्य और सक्रिय लोगों को विभिन्न कार्यक्षेत्रों में पहचानकर उन्हें उद्यम में भाग लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

प्रश्न 2. किसी देश की अर्थव्यवस्था के विकास में उद्यमिता के महत्त्व को बताइये ।
उत्तर – उद्यमिता किसी भी देश के आर्थिक विकास के लिए अनिवार्य है। उन्हें नवप्रवर्तन की पहल करने वाले और देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले उद्यमी कहते हैं। निम्नलिखित तथ्यों से उनका महत्व समझा जा सकता है:

(i) उद्यमिता से लोगों की क्रय शक्ति बढ़ती है और रोजगार के अवसर बढ़ते हैं।
(ii) लोगों के निवेश और बचत को एकत्रित करके पूँजी-निर्माण में मदद करता है ।
(iii) देश में समान क्षेत्रीय विकास को प्रोत्साहित करता है ।
(iv) धन का एकाधिकार होने से रोकता है

प्रश्न 3. व्यवसाय के विचार के जन्म लेने के पश्चात हैं? द्यमियों द्वारा किये जाने वाले प्रमुख कार्य कौन-कौन से हैं-

उत्तर – व्यवसाय के विचार के जन्म लेने के पश्चात उद्यमियों द्वारा किये जाने वाले कार्य निम्नलिखित हैं-
(क) व्यवसाय का चयन – व्यवसाय चुनने से पहले, उद्यमी बाजार का अध्ययन करेगा ताकि पता चले कि उसके उत्पाद या सेवा को बाजार में ग्राहकों द्वारा स्वीकार किया गया है या नहीं। यह करने के लिए उसे संभाव्यता अध्ययन करना होगा. इस अध्ययन में वह प्रस्तावित वस्तुओं और सेवाओं की माँग, लागत का अनुमान लगाएगा, और इस बात का अनुमान लगाएगा कि उसका कार्य लाभप्रद है या नहीं।

(ख) व्यावसायिक उद्यम के स्वरूप का चयन – व्यवसाय का आकार स्वरूप का चुनाव करता है। कम्पनी बड़े उद्यमों के लिए संगठन का चयन करेगी, जबकि छोटे उद्यमों के लिए साझेदारी या एकल स्वामित्व का चयन किया जा सकता है।

(ग) वित्तीयन -व्यवसाय का रूप चुनने के बाद सबसे महत्वपूर्ण काम वित्त व्यवस्था करना है। उद्यमी को भूमि, संपत्ति, मशीन और अन्य संसाधन खरीदने के लिए धन की आवश्यकता होती है। दैनिक खर्चों के लिए भी पैसा चाहिए। उद्यमी अपनी आवश्यकता का अनुमान लगाने के बाद वित्तीय संस्थानों से धन जुटा सकता है।

(घ) स्थान का निर्धारण – वित्तीय व्यवस्था करने के बाद उद्यमी को उचित स्थान चुनना होता है, जहाँ उसे अपना कार्यालय शुरू करना है। इसके लिए उसे कच्चा माल परिवहन सुविधाओं, बिजली-पानी की सुविधाओं और स्थानीय बाजार की निकटता का ध्यान रखना चाहिए।

(ङ) इकाई का आकार – कई कारक, जैसे वित्तीय, विपणन और तकनीक, व्यापार के आकार को निर्धारित करते हैं। व्यवसाय का आकार बड़ा होगा यदि उद्यमी बड़े पैमाने पर पूंजी जुटाने के लिये सक्षम होते हैं, जोखिम वहन करने का हौसला रखते हैं और यह विश्वास रखते हैं कि वे अपने उत्पादों और सेवाओं को बाजार में बेच सकते हैं।

(च) मशीन एवं उपकरण-उद्यमी को मशीन और उपकरणों का चुनाव करते समय पूँजी की उपलब्धता, उत्पादन का आकार और उत्पादन प्रक्रिया की प्रकृति को ध्यान में रखना चाहिए। साथ ही, मशीनों की मरम्मत और रखरखाव की सुविधाओं की उपलब्धता का भी ध्यान रखना चाहिए।

(छ) उपयुक्त श्रमशक्ति उद्यमी को अपने व्यापार के आकार के अनुरूप उपयुक्त योग्य व्यक्तियों का चयन करना होता है। प्रत्येक कार्य के लिये उपयुक्त व्यक्ति की पहचान करनी होती है।

प्रश्न 4. एक व्यक्ति के पास पर्याप्त धन होने से वह एक सफल उद्यमी बन सकता है। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिये ।
उत्तर – यह सही है कि किसी भी उद्यम को शुरू करने के लिए पर्याप्त पैसा चाहिए। लेकिन पर्याप्त धन केवल सफल उद्यमी नहीं बन सकता। धन केवल होने से व्यापार नहीं चलता, इसलिए धन का सही उपयोग करने वाले व्यक्ति को नए विचारों को पैदा करने के लिए एक सृजनात्मक दिमाग भी होना चाहिए। किसी व्यक्ति को सही अवसर का चुनाव करना और उसमें धन लगाना महत्वपूर्ण है। वह अनार्थिक और आर्थिक दुनिया को समझने के लिए व्यापक बाजार ज्ञान रखता है। उसे जोखिम उठाने का साहस होना चाहिए। यदि कोई बहुत सारा धन है लेकिन उसे खर्च करने की हिम्मत नहीं है, तो उसका धन मिट्टी की तरह है।

यही कारण है कि एक उद्यमी जो आत्मविश्वासी, कठोर परिश्रमी और प्रभावशाली नेता है, सफल हो सकता है। व्यापारी को हर दिन नई समस्याओं का समाधान करना चाहिए। उसमें व्यावसायिक वातावरण को पूरी तरह से समझने और समझने की क्षमता होनी चाहिए। सफल उद्यमी को कड़ी मेहनत करनी चाहिए। यही कारण है कि सिर्फ पर्याप्त धन नहीं, बल्कि यह सभी गुण भी किसी को एक सफल उद्यमी बना सकते हैं।

प्रश्न 5. उद्यमी को परिभाषित कीजिये। क्या एक प्रवर्तक एक उद्यमी कहलाएगा?

उत्तर- व्यवसाय को शुरू करने के लिए आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था करना, अवसरों की पहचान करना, जोखिम उठाना और कुछ नया करना उद्यमी का काम है। व्यवसाय को शुरू करने के लिए धन और मानव संसाधन जुटाने के अलावा, प्रवर्तक को उद्यमी भी कहा जा सकता है। किंतु प्रवर्तक वह है, जो व्यवसाय की स्थापना करता है और उसे चलाने योग्य बनाता है, जबकि उद्यमी का मुख्य कार्य जोखिम को वहन करना भी माना जाता है। वास्तव में, अधिकांश व्यावसायिक प्रवर्तक भारत में स्वयं उद्यमी या पारिवारिक व्यवसाय चलाते हैं, इसलिए उद्यमिता में प्रवर्तन भी शामिल है। उद्यमी भी मालिक और प्रबंधक होते हैं।

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