NIOS Class 10th Business Studies Chapter 17. उपभोक्ता : अधिकार एवं उत्तरदायित्व
NIOS Class 10th Business Studies Chapter 17 उपभोक्ता : अधिकार एवं उत्तरदायित्व– ऐसे छात्र जो NIOS कक्षा 10 Business Studies विषय की परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते है उनके लिए यहां पर एनआईओएस कक्षा 10 व्यवसाय अध्ययन अध्याय 17 (उपभोक्ता : अधिकार एवं उत्तरदायित्व) के लिए सलूशन दिया गया है. यह जो NIOS Class 10 Business Studies Chapter 17 Rights and Responsibilities of Consumers दिया गया है वह आसन भाषा में दिया है . ताकि विद्यार्थी को पढने में कोई दिक्कत न आए. इसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप NIOS Class 10 Business Studies Chapter 17 उपभोक्ता : अधिकार एवं उत्तरदायित्व के प्रश्न उत्तरों को ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे.
NIOS Class 10 Business Studies Chapter 12 Solution – उपभोक्ता : अधिकार एवं उत्तरदायित्व
प्रश्न 1. उपभोक्ता की परिभाषा बताइए ।
उत्तर– वह व्यक्ति जो वस्तुओं और सेवाओं को अपने लिए या दूसरों के लिए खरीदता है, एक उपभोक्ता कहलाता है। स्थायी वस्तुएँ और दैनिक उपभोग की वस्तुएँ दोनों शामिल हैं। जबकि यातायात, बिजली, सिनेमा देखना आदि भुगतान योग्य सेवाएं हैं।
हम उपभोक्ता को किसी को बताते हैं जो वस्तुओं और सेवाओं का चयन करता है, उनका मूल्य चुकाता है और फिर उनका उपयोग अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए करता है। उपभोक्ता है।
प्रश्न 2. वस्तुओं के उपभोक्ता एवं सेवाओं के उपभोक्ता में अन्तर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – वस्तुओं और सेवाओं का उपभोग करने में एक बड़ा अंतर है कि पहले वस्तुओं की भौतिक जांच की जा सकती है, लेकिन सेवाओं की निरंतरता और विश्वसनीयता की जांच नहीं की जा सकती है। उदाहरण के लिए, कोई एक टीवी खरीदता है, तो वह इसे देख सकता है।और यह कैसे काम करता है देखें; इसकी तस्वीर, गुणवत्ता, आवाज और अन्य विशेषताओं। यद्यपि, बिजली की वोल्टेज को हर समय स्थिर नहीं रखा जा सकता। नमूने के तौर पर, आप किसी खाने की वस्तु का स्वाद जानकर उसे खरीद सकते हैं या फिर फलों को खरीदने से पहले देख सकते हैं कि वे बहुत पके हुए नहीं हैं। परन्तु आप इसकी जांच नहीं कर सकते कि एक स्कूटर या टैक्सी ड्राइवर चौकन्ना रहेगा, कि चलचित्र में कोई दुर्घटना नहीं होगी या कि चित्र और आवाज पूरे समय ठीक रहेंगे।
साथ ही, ग्राहक क्रय की गई वस्तुओं को कुछ समय बाद या तुरंत प्रयोग कर सकते हैं। मशीनें अनाज को हर हफ्ते संग्रह कर सकती हैं, उदाहरण के लिए। नियमित मरम्मत करें, तो रेफ्रिजरेटर कई वर्षों तक चलेगा। परन्तु परिवहन, मरम्मत, बिजली, टेलीफोन और फिल्म क्षेत्रों में ऐसा नहीं हो सकता।
प्रश्न 3. उपभोक्तावाद की अवधारणा का वर्णन कीजिए।
उत्तर – निर्माता, व्यापारी विक्रेता और सेवा प्रदाताओं के उपभोक्ताओं के प्रति उचित और ईमानदारीपूर्ण (नैतिक) व्यवहार सुनिश्चित करना उपभोक्तावाद है। यह आंदोलन किसी उपभोक्ता, आंदोलनकारी या उपभोक्ता समितियों का प्रयत्न माना जा सकता है जो बाजार में व्याप्त दुराचार के बारे में लोगों को जागरूक करने और उनके हितों की रक्षा करने की कोशिश करता है।
यह अभियान सफल होगा अगर लोग अपने अधिकारों और दायित्वों को जानते हैं जब वे वस्तुओं और सेवाओं का उपयोग करते हैं।
प्रश्न 4. उपभोक्ता शिक्षा के अधिकार के रूप में उपभोक्ताओं को किन बातों की शिक्षा की आशा करनी चाहिए?
उत्तर – भारत में उपभोक्ता न तो पूरी तरह से अपने अधिकारों को जानते हैं और न ही इतने सक्षम और सक्षम हैं कि न्यायालय से न्याय प्राप्त कर सकें। बाजार में अपराधों और उपभोक्ताओं के शोषण को रोकने के लिए उनका प्रशिक्षण अनिवार्य है। यह उद्देश्य पूरा करने के लिए, सरकारी नीति निर्धारकों, उपभोक्ता संगठनों और शिक्षण संस्थाओं से आशा की जाती है कि वे उपभोक्ताओं को निम्नलिखित विषयों पर शिक्षित करें:
(i) गैरकानूनी व्यापार क्रियाओं को नियंत्रित करने के लिए बनाए गए कानून; और
(ii) बेईमान उत्पादकों और व्यापारियों द्वारा अपनाई जाने वाली नीतियाँ जो उपभोक्ताओं को धोखा दे
(iii) उपभोक्ता किस तरह अपने अधिकारों की रक्षा कर सकता है
(iv) शिकायत करते समय क्या करना चाहिए
प्रश्न 5. उपभोक्ता के विभिन्न अधिकारों को समझाइए ।
उत्तर – उपभोक्ता के अधिकार (Rights of Consumers) – नीचे उपभोक्ता के उन अधिकारों की व्याख्या की गई है, जिन्हें भारत सरकार ने मान्यता दी है-
1. सुरक्षा का अधिकार -ऐसे उत्पादों तथा सेवाओं के विपणन (विज्ञापन) के विरुद्ध सुरक्षा का अधिकार है जो उपभोक्ता के जीवन या उसकी सम्पत्ति के लिए खतरनाक हैं। उदाहरण के लिए, नकली या खराब दवाइयां या अन्य वस्तुएं, खराब बिजली के उपकरण (जैसे प्रैस, मिक्सी, पंखे, फ्रिज, एयर कंडीशनर, कूलर, आदि), मिलावटी खाद्य सामग्री (जैसे मसाले, दूधा, मक्खन, जैम, आदि)
2. उपभोक्ता को सूचना पाने का अधिकार है, जिससे वे किसी वस्तु या सेवा को खरीदने से पहले उचित निर्णय ले सकें, जैसे गुणवत्ता, मात्रा, शुद्धता, स्तर या श्रेणी तथा मूल्य। उपभोक्ता को वस्तु के उपयोग के दौरान सुरक्षा उपायों का भी ध्यान रखना चाहिए। उपभोक्ता को इस सम्बन्ध में जहाँ भी आवश्यकता हो, सूचना दी जानी चाहिए।
3. चयन का अधिकार – बाजार में प्रत्येक ग्राहक को अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए सही सामान चुनने का अधिकार है, बिना किसी दबाव के। उसे कोई विशिष्ट उत्पाद चुनने को दुकानदार, निर्माता या विक्रयकर्त्ता नहीं बाध्य कर सकता। साथ ही, उसे प्रतिस्पर्धी कीमतों पर ये वस्तुएं खरीदने का अधिकार है।
4. सुनवाई का अधिकार– उपभोक्ता को उपयुक्त मंचों पर और दोषी व्यवसायी के सामने अपनी बात कहने का अधिकार है यदि कोई गलत व्यवहार या सौदा हुआ है, या कोई अन्यायपूर्ण या अनैतिक लेनदेन हुआ है। आजकल, कुछ संगठनों ने उपभोक्ता सेवा केंद्र में शिकायतों को सुनने का प्रबंध बनाया है।
5. शिकायत निवारण मांगने का अधिकार– यदि किसी ग्राहक को अनुचित व्यवहार, जैसे अधिक मूल्य वसूलना, कम गुणवत्ता वाले अथवा असुरक्षित उत्पादों को बेचना, वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति में नियमितता की कमी, या दोषपूर्ण अथवा मिलावटी वस्तुओं के कारण कोई हानि या चोट पहुँचना, तो उसे उनके इलाज करने का अधिकार है। उसे दोषपूर्ण वस्तुओं की जगह एक अन्य वस्तु या बिक्रेता से मूल्य वापसी मिलने का अधिकार है। उचित न्यायालय में भी उसे कानूनी समाधान मिलने का अधिकार है। यह अधिकार उपभोक्ताओं को यकीन दिलाता है कि उनकी शिकायतें उचित रूप से सुनवाई जाएंगी। इस अधिकार में उपभोक्ता को उचित क्षतिपूर्ति देने का भी प्रावधान है यदि उसे आपूर्तिकर्त्ता या विनिर्माता की गलती से कोई हानि या समस्या होती है।
प्रश्न 6. उपभोक्ता किसे कहते हैं? उपभोक्ता के दायित्व क्या हैं?
उत्तर – यद्यपि उपभोक्ता को कानून द्वारा अधिकार दिए गए हैं, फिर भी उनके पास कुछ कर्तव्य भी हैं। उदाहरण के लिए, यदि उपभोक्ता सुनवाई के अधिकार का प्रयोग करना चाहते हैं, तो उनका यह भी कर्तव्य है कि वे अपनी समस्याओं को जानें और संबंधित जानकारी प्राप्त करते रहें। उपभोक्ता को सही वस्तु का सही मूल्य चुनने के बारे में सावधानी बरतनी चाहिए, साथ ही किसी प्रकार की चोट या हानि को रोकने के लिए उनका उपयोग कैसे करें, शिकायतों के निवारण अधिकार का उपयोग करते हुए। उपभोक्ता के कर्तव्यों में मुख्य रूप से निम्नलिखित शामिल हैं:
1. स्वयं सहायता का दायित्व -उपभोक्ता से जहाँ तक संभव हो वस्तु के बारे में जानकारी और निर्णय लेने के लिए विक्रेता पर निर्भर करना चाहिए। उपभोक्ता को धोखा देने से बचने के लिए, वह उत्तरदायी होना चाहिए। सूचित ग्राहक अपने हितों पर अधिक ध्यान दे सकता है। नुकसान या क्षति के बाद उसे दूर करने की बजाय, प्रारंभ में सतर्क रहना और अपने आप को तैयार करना सबसे अच्छा है।
2. लेन-देन का प्रमाण – यह भी उपभोक्ता की जिम्मेदारी है कि वह विक्रेता से खरीद का प्रमाण प्राप्त करे और स्थायी वस्तुओं के खरीद संबंधित कागज को सुरक्षित रखे। उदाहरण के लिए, आपको क्रय करते समय विक्रेता से रोकड़ पर्ची, या कैश मेमो, मिलना चाहिए। यदि ग्राहक किसी कमी की शिकायत करना चाहता है, तो उसके पास खरीद का प्रमाण होना चाहिए. तभी वह वस्तु की मरम्मत या उसे बदलने का दावा कर सकता है। इसी तरह, विक्रेता टीवी, रेफ्रिजरेटर और अन्य स्थायी सामान खरीदने पर आश्वासन/गारंटी कार्ड देते हैं। यह कार्ड खरीदने के बाद पुरजे के प्रतिस्थापन या मरम्मत की सेवा मुफ्त में प्राप्त करने का अधिकार देता है।
3. उचित दावा- उपभोक्ता को शिकायत करते समय और हानि या क्षति होने पर उचित दावा करना चाहिए। नियमित रूप से, उपभोक्ता न्यायालय में अपने निवारण अधिकार का उपयोग करता है। ऐसे भी मामले सामने आए हैं जिनमें उपभोक्ता ने बिना साक्षात्कार के क्षतिपूर्ति की बड़ी रकम का दावा किया है। इससे बचना चाहिए क्योंकि यह अनुचित है।
4. उत्पाद अथवा सेवाओं का उचित उपयोग – गांरटी अवधि के दौरान कुछ उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं का दुरुपयोग करते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि वे बाद में बदल जाएंगे। ऐसा करना उनके लिए अनुचित है। उन्हें वस्तुओं को अपने आप की वस्तु समझकर उनका उपयोग करना चाहिए। उपभोक्ता को उपर्युक्त कर्तव्यों के अलावा अन्य कर्तव्यों का सामना करना होगा। उन्हें विनिर्माता, व्यापारी और सेवा प्रदाता के साथ किए गए समझौते का सख्ती से पालन करना चाहिए। उधार क्रय का भुगतान समय पर करना चाहिए। उन्हें बिजली और पानी के मीटरों, बसों और रेलगाड़ियों की सीटों से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। यदि एक उपभोक्ता अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने को तैयार या इच्छुक है, तो वह अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर सकता है।
प्रश्न 7. स्थायी सम्पत्तियों के क्रय करने पर उपभोक्ता को कौन से प्रपत्रों को सम्भालकर रखना चाहिए?
उत्तर – स्थायी संपत्ति खरीदने पर ग्राहक को विक्रेता से संपत्ति से जुड़े सभी कागजात मिलने चाहिए। भुगतान करने के लिए रसीद लेनी चाहिए। कुछ वस्तुओं, जैसे टीवी या रेफ्रेरिजरेटर, खरीदने पर विक्रेता एक गारंटी/विश्वास कार्ड देता है। यह कार्ड खरीदने के बाद पुर्जे की मरम्मत या प्रतिस्थापन की सेवा मुफ्त देता है।
प्रश्न 1. उपभोक्ता – शिक्षा के अधिकार के अन्तर्गत आप कौन-कौन सी सूचना प्राप्त करना चाहेंगे?
उत्तर- (क) अनुचित व्यापारिक गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए आवश्यक कानून
(ख) व्यापारियों और उत्पादकों द्वारा उपभोक्ता को धोखा देने के तरीके
(ग) ग्राहक शिकायत करते समय क्या करते हैं
प्रश्न 2. उपभोक्ता की जागरूकता के स्तर में वृद्धि हेतु सरकार द्वारा प्रारम्भ किये गये विभिन्न प्रचार उपायों का वर्णन कीजिये ।
उत्तर- मात्र एक उपभोक्ता शोषण को रोक सकता है। इस तरह की गलतियाँ उपभोक्ता कर सकते हैं। साथ ही, वे उपभोक्ता संगठनों और सरकारी निकायों से भी मदद ले सकते हैं। उपभोक्ता सुरक्षा के लिए व्यावसायिक व्यवहार या स्वयं नियमन की जरूरत नहीं; इसके लिए लोगों को जागरूक करना, शिक्षित करना और मार्गदर्शन देना होगा। यही कारण है कि सरकार ने उपभोक्ता जागरूकता को बढ़ाने के लिए लोक अदालत, जनहित याचिकाएँ, शिकायत निवारण फोरम एवं उपभोक्ता संरक्षण परिषद, जागरूकता कार्यक्रम, उपभोक्ता संगठन, उपभोक्ता कल्याण कोष और वैधानिक उपाय सहित कई प्रचार कार्यक्रम शुरू किए हैं।
लेकिन इनमें से कोई भी उपभोक्ताओं को सीधे मदद नहीं करता। इसलिए कुछ कानूनों में संशोधन हुए हैं, जिससे उपभोक्ता व्यक्तिगत रूप से और उपभोक्ता संघों को कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ दीवानी और फौजदारी अदालतों में कार्रवाई करने का अधिकार मिल गया है।
प्रश्न 3. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अनुसार वस्तु एवं सेवाओं का अर्थ समझाइये ।
उत्तर- 1986 के वस्तु विक्रय अधिनियम में, “वस्तु” शब्द का मतलब है। इसमें मुद्रा, खड़ी फसल, स्टॉक, शेयर और सभी प्रकार की चल संपत्ति शामिल हैं। हर प्रकार की सेवा, जो संभावित उपयोगकर्ताओं को उपलब्ध है, शब्द “सेवा” का अर्थ है। इनमें बैंकिंग, वित्त, आवास निर्माण, बीमा, मनोरंजन, परिवहन, बिजली एवं अन्य ऊर्जा, बोर्डिंग एवं लॉजिंग, आमोद-प्रमोद आदि सेवाएँ शामिल हैं। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम डॉक्टरों, इंजीनियरों, ऑर्किटेक्टों, वकीलों आदि की सेवाओं को शामिल करता है।
प्रश्न 4. उपभोक्ताओं के उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिये ।
उत्तर – उपभोक्ताओं के उत्तरदायित्व निम्नलिखित हैं-
1. गुणवत्ता के प्रति जागरूकता,
2. लेन-देन का प्रमाण प्राप्त करना,
3. वास्तविक समस्याओं की शिकायत,
4. भ्रामक विज्ञापनों से सावधान रहना,
5. चयन करने से पहले विभिन्न प्रकार की वस्तुओं के निरीक्षण का उत्तरदायित्व,
6. उपभोक्ता को अपने अधिकारों का ज्ञान होना,
7. उत्पाद का सही उपयोग ।
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