NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 24 पर्यावरणीय प्रभाव की समीक्षा (मूल्यांकन )

NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 24 पर्यावरणीय प्रभाव की समीक्षा (मूल्यांकन )

NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 24 पर्यावरणीय प्रभाव की समीक्षा (मूल्यांकन ) – ऐसे छात्र जो NIOS कक्षा 12 पर्यावरण विज्ञान विषय की परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते है उनके लिए यहां पर एनआईओएस कक्षा 12 पर्यावरण विज्ञान अध्याय 24 पर्यावरणीय प्रभाव की समीक्षा (मूल्यांकन )के लिए सलूशन दिया गया है. यह जो NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 24 Environmental Impact Assessment दिया गया है वह आसन भाषा में दिया है. ताकि विद्यार्थी को पढने में कोई दिक्कत न आए. इसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आपNIOSClass 12 Environmental Science Chapter 24 पर्यावरणीय प्रभाव की समीक्षा (मूल्यांकन) के प्रश्न उत्तरों को ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे.

NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 24 Solution – पर्यावरणीय प्रभाव की समीक्षा (मूल्यांकन)

प्रश्न 1. EIA को परिभाषित कीजिए व उसका विस्तार कीजिए ।
उत्तर – EIA किसी भी विशेष विकास प्रक्रिया द्वारा उत्पन्न हुई पर्यावरणीय समस्याओं एवं खतरों को आँकने का साधन है। EIA-Environmental Impact Assessment (पर्यावरणीय प्रभाव की समीक्षा)

प्रश्न 2. EIA की आवश्यकता क्यों है? एक या दो वाक्यों में इसका उत्तर दीजिए ।
उत्तर – EIA प्रस्तावित विकास योजनाओं या कार्यक्रमों के पर्यावरणीय प्रभाव के मूल्यांकन में सहायक है तथा उन्हीं कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने की अनुमति दी जाएगी, जिनमें प्रदूषण आदि को कम करने की युक्तियाँ शामिल हों।

प्रश्न 3. EIA के महत्त्वपूर्ण पहलू क्या हैं?
उत्तर – EIA के महत्त्वपूर्ण पहलू निम्न हैं-
(i) जोखिम का संचालन,
(ii) पर्यावरण का संचालन,
(iii) पदार्थ के तैयार होने के बाद का प्रबंधन ।

प्रश्न 4. पर्यावरणीय अनुमति का क्या अर्थ है ?
उत्तर – पर्यावरणीय अनुमति कार्य को आगे बढ़ाने का संकेत है जो कि भारत सरकार की पर्यावरण और वन मंत्रालय की प्रभाव समीक्षा एजेंसी द्वारा प्रदान किया जाता है, जिन्हें आमतौर पर निम्नलिखित श्रेणियों में बाँटा जाता है-
(i) उद्योग.
(ii) खनन
(iii) तापीय ऊर्जा संयंत्र,
(iv) नदी घाटियों की परियोजनाएँ.
(v) बनावट और CRZ.
(vi) नाभिकीय शक्ति परियोजनाएँ। m

प्रश्न 5. ऐसी तीन योजनाओं के नाम बताइए, जिनके लिए अनुमति आवश्यक है।
उत्तर – योजनाएँ, जिन्हें सरकार की अनुमति आवश्यक हैं- उद्योग, खनन, तापीय ऊर्जा संयंत्र, नदी घाटी परियोजनाएँ, नाभिकीय ऊर्जा योजनाएँ आदि ।

प्रश्न 6. EIA के किन्हीं दो पर्यावरणीय घटकों के नाम बताइए |
उत्तर- वायु पर्यावरण
(i) परिवेश वायु की गुणवत्ता ।
(ii) वायु की गति, दिशा, आर्द्रता आदि।
(iii) योजना से संभावित निष्कासित सामग्री की मात्रा ।
(iv) निष्कासित प्रदूषण सामग्री का क्षेत्र पर प्रभाव ।
(v) प्रदूषण नियंत्रण की चाह वायु की गुणवत्ता की प्रामाणिकता ।

प्रश्न 7. EIA के विभिन्न चरणों की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – EIA के विभिन्न चरण निम्न हैं- छानबीन, पैमाना तय करना, मूलरेखा आँकड़ों का संकलन, प्रभावों की भविष्यवाणी, EIA रिपोर्ट व दुष्प्रभाव कम करने के कदम, लोक सुनवाई, निर्णय लेने की प्रक्रिया, प्रबंधन व पर्यावरण संचालन को लागू करना तथा जोखिम का संचालन।

प्रश्न 8. भारत के उन छ: क्षेत्रीय कार्यालयों का नाम बताइए, जो निष्कासित योजनाओं की अनुमति का कार्य करते हैं।
उत्तर- भारत में छः क्षेत्रीय कार्यालय- पर्यावरण तथा वन मंत्रालय, शिलांग, भुवनेश्वर, चण्डीगढ़, बंगलौर, लखनऊ तथा भोपाल, जो कि निष्कासित योजनाओं को अनुमति देने का कार्य करते हैं।

प्रश्न 9. पर्यावरणीय अनुमति या अस्वीकृति पत्र प्रमाणित होने में कौन-कौन से चरण शामिल हैं?
उत्तर- पर्यावरण अनुमति या अस्वीकृति पत्र में प्रमाणित होने में निम्न चरण शामिल हैं- एकमात्र विंडो निकास, समय-सारणीबद्ध पदार्थ तथा तैयार होने के बाद की मानीटरिंग ।

प्रश्न 10. वन योजनाओं के विकास की अनुमति कौन देता है?
उत्तर- भारत सरकार का वन मंत्रालय वन योजनाओं के विकास की अनुमति देता है।

प्रश्न 11. सरकार के अतिरिक्त EIA के दो अन्य भागीदार हैं, उनके नाम बताइये ।
उत्तर – सरकार के अतिरिक्त EIA के दो अन्य भागीदार विकासकर्त्ता और आम जनता हैं।

प्रश्न 12. कथन ‘EIA का मूल्यांकन तभी संभव है जब EIA की रिपोर्ट विश्वसनीय हो’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर– ‘ EIA का मूल्यांकन तभी संभव है जब EIA की रिपोर्ट विश्वसनीय हो’ का अर्थ है- EIA रिपोर्ट, EIA की प्रक्रिया और प्रणाली के बिल्कुल अनुरूप होनी चाहिए।

पर्यावरणीय प्रभाव की समीक्षा (मूल्यांकन) के महत्त्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1. EIA क्या है?
उत्तर – EIA किसी भी विशेष विकासीय क्रिया द्वारा उत्पन्न हुई पर्यावरणीय समस्याओं एवं खतरों को आँकने का एक साधन है। पर्यावरणीय प्रभाव की समीक्षा, साधन या मूल्यांकन के लिए प्रस्तावित विकास प्रक्रियाओं और मानवीय प्रक्रियाओं से उत्पन्न होने वाली पर्यावरणीय समस्याओं और चुनौतियों को जानने की कोशिश की जाए। विकासीय परियोजनाएँ किसी भी देश की आर्थिक उन्नति व प्रगति के अभिन्न अंग हैं। विकासीय परियोजनाओं व कार्यक्रमों को पर्यावरण पर दुष्प्रभाव से संरक्षण के लिए उसके लागूकरण के पहले EIA का करना आवश्यक हो गया है।

प्रश्न 2. EIA महत्त्वपूर्ण क्यों है?
उत्तर – EIA एक ऐसा उपकरण है जो प्रस्तावित विकास योजनाओं या कार्यक्रमों के पर्यावरणीय प्रभाव के मूल्यांकन में मदद करता है, जिससे उन्हें आगे बढ़ाया जा सकेगा। जिसमें प्रदूषण कम करने की योजनाएं हों। EIA एक ऐसा उपकरण है, जो न केवल निर्णायक प्रक्रिया को बेहतर बनाता है, बल्कि यह भी बताता है कि निर्माणाधीन कार्यक्रम पर्यावरणीय रूप से मजबूत है कि नहीं, पारितंत्र में शामिल है या नहीं, और प्रजनन क्षमताओं की सीमा के अधीन है या नहीं।

प्रश्न 3. पर्यावरण संरक्षण के विरुद्ध विकास की महत्ता का विवरण दीजिए।
उत्तर – विकास प्रक्रियाओं का पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव मापन करने का एक उपकरण EIA है । यह उपकरण किसी प्रस्तावित योजना को बनाने के लिए पर्यावरणीय प्रभाव का पूरा विश्लेषण करता है। मानव की विकासशील प्रवृत्ति ने प्राकृतिक पर्यावरण को बहुत बदल दिया है। नियोजन बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि मानव क्रियाएँ विकासोन्मुख हैं। मानव पर्यावरण को प्रबंधन से अधिक लाभदायक बनाता है। इसमें पर्यावरण के जैविक और अजैविक घटकों के संतुलित विकास की भी पर्याप्त संभावनाएँ बताई गई हैं। यह नियोजन, पुनरावलोकन, मूल्यांकन, विकल्पन, सीमित संसाधनों का उपभोग और प्राथमिकताओं में बदलाव की जरूरत है।

प्रकृति निरंतर प्रयास करती रहती है कि पारिस्थितिक संतुलन और नियमबद्धता कायम रहे। औद्योगीकरण, प्रौद्योगिकीकरण, संचार और परिवहन के साधनों में वृद्धि, कृषि भूमि का विस्तार, वनोन्मूलन, नगरीकरण और प्राकृतिक संसाधनों का अनियंत्रित दोहन आदि ने पर्यावरण की समस्त व्यवस्थाओं को अव्यवस्थित कर दिया है। पर्यावरण प्रबंधन मनुष्य-पर्यावरण संबंध सुधारना है। मानव एवं पर्यावरण के मध्य संबंध को फिर से बनाया जा सकता है, जैसे कि प्राकृतिक संसाधनों का दोहन पर प्रतिबंध लगाना, पर्यावरण का संरक्षण करना, नियमन करना और पुनर्जनन करना, आदि।

प्रश्न 4. EIA के तीन केन्द्रीय मूल्यों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – EIA के तीन केन्द्रीय मूल्य निम्न हैं-
(i) एक प्रभावी EIA क्रिया केन्द्रित, समयबद्ध, व्यय प्रभाव और समीक्षा को पूर्ण समझाने लायक होती है।
(ii) EIA का मुख्य उद्देश्य एक ही है- विकास योजना के निर्माण व लागूकरण के दौरान पर्यावरण की हानि की किसी भी स्थिति को समाप्त करना।
(iii) EIA रिपोर्ट और उसमें पाई गई जानकारी विश्वसनीय हो।

प्रश्न 5. EIA के कानूनी आधारों को बताइए ।
उत्तर – EIA की प्रक्रिया का प्रारूप इस प्रकार होना चाहिए कि उसके निर्देशों का मूल रूप से कानूनी व नीतिपूर्वक पालन किया जाना चाहिए। EIA के कानूनी आधार निम्न हैं-
• स्पष्ट प्रावधान के साथ एक प्राथमिक पर्यावरणीय साधन के रूप में सेवा प्रदान करना ।
• संभावी पर्यावरणीय प्रभावों के सब प्रस्तावों की ओर स्थायी रूप से लागू ।
• वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग तथा प्रदूषण कम करने की युक्तियों का सुझाव |
• प्रबंधन व मूल्यांकन की क्रियाविधियों को सम्मिलित करना।
• EIA पर्यावरणीय स्वास्थ्य और नियोजित विकास योजनाओं के सामाजिक प्रभावों से अवगत कराती है। इस प्रकार यह पर्यावरण को विकास के साथ जोड़ती है। EIA का लक्ष्य पर्यावरणीय दृष्टि से सुरक्षित व संपोषित विकास से सुरक्षित संपोषि को बढ़ावा देना है।

प्रश्न 6. पर्यावरणीय अनुमति का क्या मानक है ?
उत्तर – पर्यावरणीय अनुमति के निम्न मानक हैं-
सिंगल विंडो अनुमति – जब कभी किसी योजना को वन संरक्षण कानून 1980 के तहत पर्यावरणीय अनुमति के साथ-साथ विकास की आवश्यकता हो, तब दोनों के प्रस्तावों को एक साथ मंत्रालय के संबंधित विभागों को दे देना चाहिए।

समयावधि – एक बार जब परियोजना अधिकारियों से सब जरूरी कागजात और आँकड़े मिल जाते हैं और लोक सुनवाई हो चुकी होती है, तब पर्यावरण की दृष्टि से योजना की समीक्षा व मूल्यांकन 90 दिनों में पूरा कर लिया जाता है और मंत्रालय का निर्णय इसके बाद के 30 दिनों के भीतर पहुँचा दिया जाता है।

परियोजना के पूर्ण होने के बाद की प्रक्रिया को मॉनीटर करना- जब भी किसी योजना को पर्यावरणीय अनुमति प्राप्त होती है तब मामला दर मामले के आधार पर समीक्षा कमेटी द्वारा सुझावों व शर्तों का अनुबंधन होता है। परियोजना के आयोजित होने के पश्चात् परियोजना के प्रस्तावक को इसके लिए स्वीकृति देना अनिवार्य होता है।

प्रश्न 7. किन योजनाओं के लिए पर्यावरण अनुमति अनिवार्य हो जाती है?
उत्तर – प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित विकास का मूल्यांकन करने के लिए EIA एक महत्वपूर्ण प्रबंधन समिति है। भारत की पर्यावरण और मंत्रालय की समीक्षा एजेंसी पर्यावरणीय अनुमति या कार्यान्वयन का संकेत देती है। केन्द्रीय सरकार किसी भी योजना की अनुमति चाहती है। उद्योग, खनन, तापीय ऊर्जा संयंत्र, नदी घाटी परियोजनाएँ, बनावट, तटीय नियंत्रण का क्षेत्र (CRZ) और नाभिकीय ऊर्जा परियोजनाएँ इनमें शामिल हैं।

प्रश्न 8. EIA के अधीन किस-किस की समीक्षा होती है?
उत्तर – विकास प्रत्यक्ष प्रभावों के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग, बिल्डिंग बनाना, बिल्डिंग बनाने वाले संसाधनों के उपयोग, अतिरिक्त भूमि का उपयोग, खनन, औद्योगीकरण आदि के परोक्ष रूप से भी प्रभाव होता है। EIA पर्यावरणीय प्रभावों की समीक्षा करता है-
• वर्तमान पर्यावरणीय स्थिति की समीक्षा |
• पारितंत्र के विभिन्न कारकों की समीक्षा |
• प्रस्तावित योजना के आरंभ होने से पहले उसके पर्यावरणीय दुष्प्रभावों का विश्लेषण ।
• पडोस में रहने वाले लोगों पर पड़ने वाले प्रभाव।

प्रश्न 9. EIA की विशेषज्ञ कमेटी की संघटना में कौन-कौन शामिल हैं?
उत्तर – EIA की विशेषज्ञ कमेटी की संघटना निम्न है-
1 पारितंत्र प्रबंधन समिति,
2. वायु / जल प्रदूषण नियंत्रण,
3. जल संसाधन प्रबंधन,
4. जंतुजात / पादपजात का संरक्षण व प्रबंधन,
5. भूमि प्रयोग का नियोजन,
6. सामाजिक विज्ञान/पुनर्वास,
7. योजना का निरीक्षण,
8. पारिस्थितिकी विज्ञान,
9. पर्यावरणीय स्वास्थ्य,
10. विषय क्षेत्र विशेषज्ञ,
11. स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि / पर्यावरण संबंधी मुद्दों से जुड़े व्यक्ति ।

प्रश्न 10. EIA प्रक्रिया के विभिन्न अंगों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – EIA की प्रक्रिया एवं विधि में कई घटक शामिल हैं- EIA प्रक्रिया को करने की विधि-
(i) प्राथमिक व द्वितीयक स्रोतों से मूलरेखा के आँकड़ों का एकत्रीकरण करना ।
(ii) गणितीय मॉडल व पिछले अनुभवों पर आधारित प्रभावों की संभावनाओं की भविष्यवाणी ।
(iii) विकास के प्रभाव बनाम औसत व्यय के लाभ का मूल्यांकन ।
(iv) योजना के प्रबंधन व हानि कम करने के प्रयासों के आर्थिक व्यय का गणितीय मूल्यांकन ।
(v) प्रभावों को न्यूनतम स्तर तक लाने में पर्यावरणीय संचालन योजनाओं की तैयारी |
(vi) प्रबंधन की योजना व दुष्प्रभावों को न्यूनीकरण तक रखने के आर्थिक व्यय का गणितीय अनुमान लगाना।
EIA प्रक्रिया के मुख्य चरण – EIA एक चक्रीय प्रक्रिया होती है-

छानबीन – किसी प्रोजेक्ट की योजना की छानबीन निवेश का पैमाना, स्थिति और विकास के प्रकार के लिए की जाती है तथा प्रोजेक्ट को वैधानिक अनुमति की आवश्यकता है।
पैमाना तय करना– योजना के संभावी प्रभाव, प्रभाव के क्षेत्र, दुष्प्रभाव कम करने की संभावनाएँ और प्रबंधन की आवश्यकता है।
मूलरेखा आँकड़ों का एकत्रीकरण-मूलरेखा आँकड़े अध्ययन में क्षेत्र के पर्यावरण का निरीक्षण करना होता है।

प्रभाव की भविष्यवाणी- सकारात्मक और नकारात्मक, प्रतिवर्ती और अप्रतिवर्ती, अस्थायी और स्थायी प्रभावों की भविष्य- वाणी।
न्यूनीकरण के चरण और EIA रिपोर्ट – EIA रिपोर्ट में बचाव व न्यूनतम करने की प्रक्रिया के कार्य और चरण शामिल होने चाहिए तथा संभावी पर्यावरण की हानि की भरपाई करने की क्षमता होनी चाहिए।
लोक सुनवाई- EIA रिपोर्ट के पूरा होने पर योजना स्थल के निकट रहने वाले लोगों और पर्यावरणीय समूहों को सूचित कर देना चाहिए।

निर्णय प्रक्रिया – EIA को ध्यान में रखते हुए EIA अधिकारीगण को विशेषज्ञों से बातचीत के जरिए अंतिम निर्णय लेना चाहिए।
मॉनीटर करना और पर्यावरण संचालन योजना को लागू करना – परियोजना के विभिन्न चरणों को मॉनीटर करते हैं। जोखिम की समीक्षा – सूचिका विश्लेषण और खतरे की संभावना और निर्देशिका |

प्रश्न 11. EIA विशेषज्ञों को किन-किन क्षेत्रों से शामिल किया जाता है।
उत्तर – EIA विशेषज्ञों को निम्न कमेटियों से शामिल किया जाता है-
1 पारितंत्र प्रबंधन समिति
2. वायु / जल प्रदूषण नियंत्रण
3. जल संसाधन प्रबंधन।
4. जंतु / जल प्रदूषण नियंत्रण
5. भूमि प्रयोग का नियोजन
6. सामाजिक विज्ञान / पुनर्वास
7. योजना का निरीक्षण
8. पारिस्थितिकी
9. पर्यावरणीय स्वास्थ्य
10. विषय क्षेत्र विशेषज्ञ
11. स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि/पर्यावरण संबंधी मुद्दों से जुड़े व्यक्ति ।

प्रश्न 12. पर्यावरणीय समीक्षा की प्रणाली के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – पर्यावरण और वन मंत्रालय किसी भी योजना की जाँच करने से पहले एक समीक्षा कमेटी बनाता है। जरूरत पड़ने पर, पर्यावरण और वन मंत्रालय के विशिष्ट मुद्दों पर निवेशकों और विशेषज्ञों से चर्चा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। योजनाओं के सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद पर्यावरण संरक्षण के उपायों का प्रस्ताव किया जाना चाहिए। जिन योजनाओं में योजनाकारों ने पूरी जानकारी दी है वहाँ 90 दिनों के भीतर निर्णय लिया जाना चाहिए।

छ: क्षेत्रीय कार्यालयों (शिलांग, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, बंगलूर, लखनऊ और भोपाल) निर्मित योजनाओं को अनुमति देते हैं। सिस्टम का मूल उद्देश्य प्रस्तावित सुरक्षा उपायों की पर्याप्तता का परीक्षण करना है और समय-समय पर उनमें सुधार करना है। CRZ अधिसूचना (1991) के निर्देशों के तहत तटीय क्षेत्रों या केंद्र शासित क्षेत्रों द्वारा योजनाएं बनाई जाती हैं। यह विभिन्न प्रक्रियाओं के संदर्भ में तटीय क्षेत्रों की पहचान और वर्गीकरण के बाद पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को अनुमति देने के लिए प्रस्तुत किया जाता है।

तब मंत्रालय इन योजनाओं की समीक्षा के लिए एक कार्यगुट बनाता है। कभी-कभी एक या अधिक प्राकृतिक संसाधन एक क्षेत्र में सीमित साधन बन जाते हैं। इससे विकास विभागों की भूमिका सीमित हो जाती है। विभिन्न क्षेत्रों में भारक क्षमता का अध्ययन पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा किया जाता है। इस अध्ययन में निम्न बातें शामिल हैं-

(i) उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों की सूची,
(ii) मौजूद पर्यावरणीय स्थितियों की तैयारी,
(iii) प्रस्तावित योजनाएँ व प्राकृतिक संसाधनों पर उनका प्रभाव,
(iv) हॉट-स्पाटों की पहचान जिसमें वायु, जल और भूमि प्रदूषण से तुरन्त जूझने की क्रियाएँ शामिल हैं,
(v) स्थिति को बेहतर करने की विकास योजना का निर्माण |

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