NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 23 पर्यावरणीय विधान
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NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 23 Solution – पर्यावरणीय विधान संरक्षण
प्रश्न 1. पर्यावरण संबंधी समस्याओं को सुलझाने के लिए कानूनों की क्यों आवश्यकता है?
उत्तर – पर्यावरण के दुरुपयोग रोकने के लिए और इसे अवक्रमित होने से बचाने के लिए कानून की आवश्यकता है।
प्रश्न 2. कानूनों का लागूकरण क्यों आवश्यक है ?
उत्तर- मानव स्वास्थ्य और समाज को पहले से ही कई पर्यावरणीय समस्याएं जोखिम में डाल रही हैं। पर्यावरणीय प्रभाव स्रोत क्षेत्र से बाहर भी फैलते हैं। प्रभावी कानूनों की जरूरत है ताकि पर्यावरण को दुरुपयोग और अवक्रमण से बचाया जा सके। इसे प्रभावी ढंग से लागू करना भी आवश्यक है, ताकि जंगल माफिया, शिकारियों, प्रदूषकों और पर्यावरणीय संसाधनों को अत्यधिक शोषण से बचाया जा सके।
प्रश्न 3. सन् 1972 का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन किस विषय पर आधारित था ?
उत्तर- सन् 1972 का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन मानवीय पर्यावरण पर आधारित था ।
प्रश्न 4. यह सम्मेलन कहाँ हुआ था ?
उत्तर – यह सम्मेलन सन् 1972 में स्टाकहोम में हुआ था।
प्रश्न 5. EPA किस वर्ष में पारित हुआ था ?
उत्तर- EPA (Environment Protect Act) सन् 1986 में भोपाल गैस त्रासदी के बाद पारित हुआ था।
प्रश्न 6. वायु प्रदूषण को कम करने की दृष्टि से किस ईंधन को दिल्ली के सार्वजनिक यातायात के वाहनों में अनिवार्य कर दिया गया है?
उत्तर – सार्वजनिक यातायात के वाहनों के लिए CNG को अनिवार्य कर दिया गया है, जिसने दिल्ली में वायु प्रदूषण कम कर दिया है।
प्रश्न 7. किस देश की सन् 1984 से वन्य नीति है?
उत्तर- भारत में सन् 1984 से वन्य नीति है। यह नीति वनों तथा वन्य जीवन की सुरक्षा के लिए बनाई गई।
प्रश्न 8. पहला वन अधिनियम किस वर्ष में पारित हुआ था?
उत्तर- पहला वन अधिनियम सन् 1927 में पारित हुआ था। इस कानून के अनुसार वनों के उत्पाद तथा लकड़ी आदि पर कर लगाया गया। यह एक्ट चार प्रकार की श्रेणियों में लगाया गया- आरक्षित वन, ग्रामीण वन, सुरक्षित वन तथा अन्य प्राइवेट वन ।
प्रश्न 9. उस संगठन का नाम बताइए जिसकी पूर्व अनुमति उन विदेशियों के लिए आवश्यक है जो कि जैविक संसाधनों, उससे जुड़े ज्ञान को पाना चाहते हैं ।
उत्तर – राष्ट्रीय जैव विविधता आयोग ऐसा संगठन है जिसकी पूर्व अनुमति उन विदेशियों के लिए आवश्यक है जो कि जैविक संसाधनों, उससे जुड़े ज्ञान को पाना चाहते हैं।
प्रश्न 10. अन्तर्राष्ट्रीय पर्यावरणीय कानूनों को पारिभाषित कीजिए ।
उत्तर – कोई भी अन्तर्राष्ट्रीय कानून समिति या अन्तर्राष्ट्रीय संस्था राष्ट्रीय कानून समिति की तरह नहीं बनाई गई है। बहुद्देशीय स्तर के कुछ मुद्दों का संबोधन उन नीतियों समझौतों व संधियों का मिला-जुला कार्य है, जिन्हें अन्तर्राष्ट्रीय पर्यावरण संबंधी ‘कानून नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 11. प्रोटोकॉल क्या है?
उत्तर – प्रोटोकॉल एक ऐसी अंतर्राष्ट्रीय सहमति है, जो स्वयं अपने बल पर तो खड़ी होती है, परन्तु इसका मौजूदा समझौतों के साथ गहरा संबंध भी है।
प्रश्न 12. वैश्विक उष्मण के लिए कौन-सी गैसें जिम्मेदार है?
उत्तर- कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2), मीथेन (CH4), नाइट्रोजन डाई आक्साइड (NO2), CFCs तथा जल वाष्प (Water Vapour) जो कि औद्योगीकरण तथा जीवाश्म ईंधन के जलने से उत्सर्जित होते हैं।
पर्यावरणीय विधान के महत्त्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. पर्यावरणीय विधेयक क्या हैं तथा वे पर्यावरण के संरक्षण व बेहतरी के लिए कैसे महत्त्वपूर्ण हैं?
उत्तर – हमारे देश के संविधान में कहा गया है कि पर्यावरण की रक्षा करो, उसे बचाओ और अपने देश के वन और वन्य जीवों की रक्षा करो। यह हर नागरिक की जिम्मेदारी बन जाती है। कि वन, झील, नदियाँ और वन्य जीवों को हमारे प्राकृतिक पर्यावरण में सुरक्षित रखें। पर्यावरण को बचाने के लिए मजबूत कानून होना चाहिए। इन कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि पर्यावरण को और अधिक प्रदूषित होने से बचाया जा सके। पर्यावरणीय समस्याओं का प्रभाव स्रोत क्षेत्र से बाहर भी फैलता है।
प्रभावी कानूनों की आवश्यकता होती है ताकि पर्यावरण को दुरुपयोग और अवक्रमण से बचाया जा सके। प्रभावी कानूनों की जरूरत है ताकि लोभी लोगों, जंगल के माफिया संगठनों, शिकारियों, प्रदूषकों और पर्यावरणीय संसाधनों को अत्यधिक शोषण से बचाया जा सके। पर्यावरण समस्याएं सिर्फ स्थानीय नहीं हैं; वे विश्वव्यापी हैं। इस तरह, पर्यावरण कानून राष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण हैं।
प्रश्न 2. राष्ट्रीय विधेयक और अन्तर्राष्ट्रीय विधेयक क्या हैं? वे कैसे एक-दूसरे से भिन्न हैं ?
उत्तर – राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण को बेहतर बनाने और सुधारने के लिए बहुत कुछ किया गया है। 1972 में स्टॉकहोम में संयुक्त राष्ट्र की मानवीय पर्यावरण कान्फ्रेंस के बाद भारत का संविधान संशोधित किया गया, जिसमें पर्यावरण को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया था। अनुच्छेद 511 के अनुसार, भारत के सभी नागरिकों का कर्तव्य है कि वनों, झीलों, नदियों और वन्य जीवों का संरक्षण करें और वन्य जीवों के प्रति प्रेम का भाव विकसित करें। अनुच्छेद 48 के अनुसार, राज्य पर्यावरण और वन्य जीवन का संरक्षण करने के लिए जिम्मेदार है। 1986 में भोपाल गैस दुर्घटना के बाद पर्यावरण संरक्षण अधिनियम बनाया गया। दिल्ली का वायु प्रदूषण पिछले कुछ वर्षों में कम हुआ है, क्योंकि सार्वजनिक वाहनों के लिए ब्छळ अनिवार्य कर दिया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय कानून- राष्ट्रीय आयोगों द्वारा पारित नियमों की तरह अंतर्राष्ट्रीय आयोगों को कोई अधिकार नहीं है, और किसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था को वैश्विक स्तर पर साधनों पर नियंत्रण करने का अधिकार नहीं है। अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संबंधी कानूनों की नीतियों, समझौतों और संधियों का संयोजन बहुत से मुद्दों को हल करता है। प्रोटोकॉल के अनुसार, जलवायु समझौते के सिद्धांतों और मुद्दों में जलवायु प्रोटोकॉल भी शामिल है।
प्रश्न 3. संक्षेप में कुछ प्रदूषण संबंधी कानूनों (Acts) का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- केन्द्रीय सरकार, पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम के अनुसार, सभी स्रोतों से प्रदूषण को नियंत्रित करना, कम करना तथा औद्योगिक इकाइयों से सभी प्रकार का प्रदूषण कम करना है। उद्योगों से उत्सर्जित गैसों, आदि के लिए मानक बनाना चाहिए, जिससे अधिक होने पर चालान कटना चाहिए, जैसा कि पर्यावरण कानूनों ने कहा है। खतरनाक अपशिष्ट प्रबंधन अधिनियम के अनुसार, खतरनाक अपशिष्टों की उत्पत्ति पर नियंत्रण, उन्हें एकत्र करना, प्रबंधन करना तथा उन्हें कैसे निष्कासित किया जाए। जीन तकनीक और जेनेटिक इंजिनियर जीव कोशिका को पर्यावरण और स्वास्थ्य सुधार में उपयोग किया जा सकता है।
पब्लिक इंश्योरेंस अधिनियम के अनुसार, सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों को तत्काल मदद दी जानी चाहिए। राष्ट्रीय पर्यावरण कानून के अनुसार, खतरनाक अपशिष्टों या नाभिकीय उत्सर्जन से घायल व्यक्ति की संपत्ति का नुकसान भरपाया जाना चाहिए। जैविक और अजैविक अपशिष्टों को स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं में एकत्र करने और निपटाने के लिए बायोमेडिकल अपशिष्ट अधिनियम का पालन किया जाना चाहिए।
प्रश्न 4. रामसर अधिवेशन और माँट्रियल प्रोटोकाल क्या है ? संक्षेप में विवरण दीजिए।
उत्तर – रामसर अधिवेशन— एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता पारित हुआ जो आर्द्र भूमि के संरक्षण और उपयोग के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का एक ढाँचा बनाता है। इस समझौते का उद्देश्य जलीय भूमि की क्षति को रोकना है और पेड़-पौधों, पशुओं और उनसे संबंधित पर्यावरणीय प्रक्रियाओं को बचाना है।
मांट्रियल प्रोटोकॉल— संयुक्त राष्ट्र संघ का पर्यावरणीय कार्यक्रम 1977 से चल रहा है। UNEP के तत्त्वावधान में सन् 1985 में ओजोन संरक्षण पर विश्वव्यापी अधिवेशन हुआ था। सन् 1987 में, विभिन्न देशों ने पदार्थों के मांट्रियल प्रोटोकॉल पर सहमति व्यक्त की, जिसका उद्देश्य ओजोन परत को बचाने था। तब से अब तक इसे पाँच बार संशोधित किया गया है।
बीजिंग (1999), वियना (1995), मांट्रियल (1997), कोपनहोगन (1992) और लंदन (1990) प्रोटोकॉल का लक्ष्य था कि मानव निर्मित विकिरणों का प्रयोग, जो ओजोन परत को खराब करते हैं, को कम करना और समाप्त करना चाहिए। ओजोन परत को खराब करने वाले सभी पदार्थ क्लोरीन और ब्रोमीन हैं।
प्रश्न 5. सन् 1986 में पारित पर्यावरण संरक्षण विधेयक का वर्णन कीजिए।
उत्तर – सन् 1986 में पर्यावरण संरक्षण विधेयक पारित हुआ। पर्यावरणीय प्रदूषण में किसी भी ठोस, द्रव या गैसीय पदार्थ या प्रदूषक की ऐसी मात्रा में उपस्थिति शामिल है जो पर्यावरण को हानि पहुँचा सकती है। केन्द्र को गुणवत्ता बचाव, कम करने और पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण में भी सक्षम करना है, जैसा कि सेक्शन 3 (1) में बताया गया है।
केंद्रीय सरकार पर्यावरण की गुणवत्ता, प्रदूषकों के नियंत्रण के मापदंड, औद्योगिक स्थलों का नियंत्रित संचालन, संकटदायी या खतरा पैदा करने वाले पदार्थों का नियंत्रण, दुर्घटनाओं से बचाव और पर्यावरण प्रदूषण से संबंधित जानकारी जुटाने का काम करती है। ·
• पर्यावरण हवा, पानी, भूमि, मनुष्यों, अन्य जीव-जंतुओं, पौधों, जीवाणुओं व प्रकृति में संपत्ति में आपसी संबंध शामिल हैं।
• पर्यावरणीय प्रदूषण का अर्थ है किसी भी ठोस, द्रव अथवा गैसीय तत्त्व या प्रदूषक का ऐसी मात्रा में विद्यमान होना, जो कि पर्यावरण को हानि पहुँचाता है।
• पर्यावरणीय प्रदूषण का अर्थ है पर्यावरण में किसी भी हानिकारक तत्त्व या पर्यावरणीय प्रदूषक की उपस्थिति ।
• किसी भी वस्तु को सहेजने का अर्थ है-उत्पाद को बनाना, उसकी क्रिया, निपटान, पैकिंग, एकत्रीकरण, परिवहन उपयोग, इकट्ठा करना, समाप्त करना, एक पदार्थ से दूसरे में बदलना।
• खतरनाक पदार्थ का अर्थ है, जो किसी वस्तु को बनाने या रखने में अन्य जीवों के लिए भी खतरा हो ।
प्रश्न 6. जैविक विविधता विधेयक का मुख्य लक्ष्य क्या है और इसकी मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर – जैविक विविधता कानून का मुख्य उद्देश्य भारत की जैविक विविधता को बचाना है और विदेशी लोगों और संस्थाओं द्वारा हमारी जानकारी के बिना इसका प्रयोग रोकना है। जैविक संपदा की लूट को रोका जाना इस नीति का उद्देश्य है। जैविक संसाधनों का प्रयोग करने वाले किसी भी विदेशी व्यक्ति या संस्था को NBA से पूर्व अनुमति लेनी होगी। भारतीय व्यक्ति या संगठन को भी NBA की अनुमति लेनी होगी अगर वे विदेशी व्यक्ति या संगठन के साथ अनुसंधान या जैविक संसाधन का आदान-प्रदान करते हैं।
भारत में जैविक साधनों का उपयोग करने की पूरी स्वतंत्रता है, खासकर औषधीय और अनुसंधान उद्देश्यों के लिए, भारतीय मूल के नागरिकों और स्थानीय लोगों, इनमें वैद्य और हकीम भी शामिल हैं। जैविक विविधता पर आधारित सम्मेलन को 5 जून 1992 को रियो डी जेनेरियो में संयुक्त राष्ट्र संघ के पर्यावरण एवं विकास पर हुए सम्मेलन में पारित किया गया था। सन् 1994 में भारत ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किया, जो CBD के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जैविक विविधता के संरक्षण और राष्ट्रीय स्तर पर इसके कार्यान्वयन को स्पष्ट करता है।
प्रश्न 7. जलवायु अधिवेशन के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?
उत्तर- ग्रीन हाऊस प्रभाव पृथ्वी के भविष्य की सबसे बड़ी चुनौती है। जलवायु अधिवेशन का मुख्य उद्देश्य ग्रीन हाऊस प्रभाव को कम से कम स्तर पर लाना है, जिससे मानव के लिए खतरनाक पर्यावरण को बचाया जा सके। सन् 1992 में UNFCCC ने पर्यावरण परिवर्तन का एक संदेश दिया जो कि मनुष्य के लिए हानिकारक है। भारत ने 21 मार्च सन् 1994 में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें कहा गया है कि पर्यावरण परिवर्तन की हानियाँ रोकने के प्रयत्न किए गए।
प्रश्न 8. निम्नलिखित पर संक्षिप्त नोट लिखिए-
(1) जल विधेयक
(2) वायु विधेयक
(3) वन्य जीवन विधेयक
(4) वन विधेयक ।
उत्तर- (1) जल विधेयक- 1977 में जल सेस कानून पारित किया गया था। केन्द्रीय व राज्य प्रदूषण बोर्डों ने जल सेस कानून को पारित किया था, जिसका उद्देश्य धन जुटाना था। यह कानून स्थानीय अधिकारियों और कुछ निश्चित उद्योगों को पानी के लिए कर देना पड़ता है, जो प्रदूषण को कम करने के लिए आर्थिक स्तर का प्रेरक है। इस कर से मिली राशि जल कानून को लागू करने में खर्च की जाती है। एकत्रण व्यय काटने के बाद, राज्यों और केन्द्रीय बोर्ड को आवश्यक धन मिलता है, जैसा कि जल विधेयक 1974 में है। 2003 में अंतिम संशोधन हुआ था।
(2) वायु विधेयक – 1981 में इसे मंजूरी दी गई। यह विधेयक सब उद्योगों को वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्रों में काम करने की अनुमति देता है। राज्यों को आसपास की वायु की गुणवत्ता को नोट करने और केन्द्रीय बोर्ड से सलाह लेने के बाद उद्योगों और वाहनों के लिए प्रदूषित वायु का मापदंड बनाने का अधिकार दिया गया है। नियमों का उल्लंघन करने वाले उद्यमों को या तो बंद कर दें या सिर्फ बिजली व पानी की आपूर्ति को रोक दें. बोर्डों को यह अधिकार है।
(3) वन्य जीवन विधेयक- सन् 1972 में संसद ने जीवन कानून को पारित किया। इस कानून के अंतर्गत जंगली पशुओं व पक्षियों के शिकार पर नियंत्रण, वन्य जीवन से भरपूर अभयारण्यों एवं नेशनल पार्कों की स्थापना, जंगली पशुओं के व्यापार पर नियंत्रण, पशु उत्पादन आदि शामिल हैं व कानून के उल्लंघन पर कानूनी सजा का प्रावधान है।
(4) वन विधेयक – पहले वन अधिनियम को सन् 1927 में पारित किया गया। इसको पारित करने के तीन कारण थे- वनों से संबंधित कानूनों को सुदृढ़ करना, वन्य पदार्थों का परिवहन, लकड़ी और अन्य वन्य पदार्थों पर कर लगाना। इस अधिनियम का संशोधन कर केन्द्र सरकार ने सन् 1986 में वन संरक्षण नियम में यह प्रावधान किया कि इन वनों की संपदा का गैर-वन्य उद्देश्यों के प्रयोग के लिए अपवर्तन केन्द्रीय सरकार की पूर्व अनुमति द्वारा होना चाहिए।
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