NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 17 मृदा एवं भूमि संरक्षण
NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 17. मृदा एवं भूमि संरक्षण – आज हम आपको एनआईओएस कक्षा 12 पर्यावरण विज्ञान पाठ 17 मृदा एवं भूमि संरक्षण के प्रश्न-उत्तर (Conservation Of Soil And Land Question Answer) के बारे में बताने जा रहे है । जो विद्यार्थी 12th कक्षा में पढ़ रहे है उनके लिए यह प्रश्न उत्तर बहुत उपयोगी है. यहाँ एनआईओएस कक्षा 12 पर्यावरण विज्ञान अध्याय 17 (मृदा एवं भूमि संरक्षण) का सलूशन दिया गया है. जिसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप NIOSClass 12th Environmental Science 17 मृदा एवं भूमि संरक्षण के प्रश्न उत्तरोंको ध्यान से पढिए ,यह आपकी परीक्षा के लिए फायदेमंद होंगे.
NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 17 Solution – मृदा एवं भूमि संरक्षण
प्रश्न 1. मृदा को पारिभाषित कीजिए।
उत्तर- मृदा एक प्राकृतिक वस्तु है जिसमें धातुएं आदि मिली होती हैं, परन्तु वे अपने असली रूप से भिन्न होती हैं। इस प्रकार मृदा भूपर्पटी की वह सबसे ऊपरी परत है जिसकी खुदाई एवं जुताई की जा सकती है तथा उसमें पौधे लगाए जाते हैं।
प्रश्न 2. ऐसी दो प्राकृतिक एजेंसियों के नाम बताइए, जिनके कारण मृदा अपरदन होता है।
उत्तर – पानी तथा जल दो प्राकृतिक एजेंसियां हैं, जिनके कारण मृदा अपरदन होता है।
प्रश्न 3. समुद्रतटीय अपरदन क्या होता है?
उत्तर – समुद्र तट के सहारे सहारे होने वाला मृदा का अपरदन तटीय अपरदन कहलाता है। यह अपरदन समुद्री लहरों की क्रिया एवं समुद्र की धरातल की ओर भीतरी गति के कारण होता है।
प्रश्न 4. पृष्ठीय सर्पण क्या होता है?
उत्तर – पृष्ठीय सर्पण को आसानी से देखा नहीं जा सकता परन्तु इसका प्रभाव आसानी से दिखाई देता है। अत्यधिक वेग से चलने वाली पवन के द्वारा धरातल पर मृदा का उड़ जाना पृष्ठीय सर्पण कहलाता है।
प्रश्न 5. वायु अपरदन के कारण सड़कें एवं कृषि क्षेत्र किस प्रकार नष्ट हो जाते हैं?
उत्तर- वायु अपरदन के कारण पवन के द्वारा उड़ाए गए मृदा कण अत्यधिक मात्रा में सड़क एवं कृषि क्षेत्रों पर एकत्रित हो जाते हैं। मृदा के शिथिल कण निम्नलिखित तीन तरीकों से वायु के द्वारा उड़ जाते हैं तथा एक स्थान से दूसरे स्थान पर चले जाते हैं-
(i) अवसादन–थोड़ी-थोड़ी अवधि के बाद पवन के साथ उड़ जाना।
(ii) निलंबन – निलंबित कणों के रूप में लंबी दूरी तक मृदा का उड़ जाना।
(iii) पृष्ठ विसर्पण – अत्यधिक वेग से चलने वाली पवन के द्वारा धरातल पर मृदा का उड़ जाना।
प्रश्न 6. ऐसी तीन मानव गतिविधियों के नाम बताइए जो मृदा अपरदन करती हैं।
उत्तर – तीन मानव गतिविधियाँ जो मृदा अपरदन के लिए जिम्मेदार हैं – कृषि, वनोन्मूलन, परिवहन, सड़कें व मानव कालोनियाँ ।
प्रश्न 7. एकल कृषि क्या है?
उत्तर – एकल कृषि ऐसी कृषि होती है जिसमें एक खेत में एक ही किस्म की फसल वर्ष दर वर्ष लगाई जाती है।
प्रश्न 8. एकल कृषि से मृदा अपरदन क्यों होता है? एक कारण बताइए ।
उत्तर- एक खेत में एक ही किस्म की फसल वर्ष दर वर्ष लगाने पर कटाई के पश्चात् खेत को खाली छोड़ दिया जाता है।
वर्षा का जल कटाई के पश्चात् मिट्टी में अवशोषित नहीं होता तथा मृदा अपरदन का कारण बन जाता है।
प्रश्न 9. भवन निर्माण मृदा अपरदन को किस प्रकार बढ़ावा देता है।
उत्तर- भवन निर्माण में भूमि का बहुत बड़ा भाग खोदा जाता है। निर्माण कार्यों में भूमि को बहुत खलल में डाला जाता है जो कि मृदा अपरदन को बढ़ावा देता है तथा यह प्राकृतिक सीवर व्यवस्था को भी कम कर देता है।
प्रश्न 10. निम्नलिखित में प्रत्येक के लिए एक से तीन शब्द तक लिखिए-
(1) भूमि से सबसे ऊपरी मृदा कणों का शिथिल एवं स्थानांतरित हो जाना ।
(2) भूमि की गुणवत्ता विकृत होने के कारण फसल उत्पादन में कमी।
(3) मृदा निर्माण का पहला चरण जो एक भौतिक रासायनिक प्रक्रम है, जिसके द्वारा चट्टानें अपने खनिज अवयवों में टूट जाती हैं।
(4) पानी के बहाव के कारण नदियों के तटों से मृदा अपरदन।
(5) कृषि पादपों, चारा पादपों, वन्य वृक्षों, पालतू पशुओं एवं मछलियों की मानव जनित किस्में, जिन्हें उत्पादन वृद्धि के उद्देश्य से विभिन्न प्रजनन तकनीकों द्वारा तैयार किया जाता है।
(6) पीड़कों को मारने के लिए उपयोग किए जाने वाले विषाक्त रसायन ।
(7) खाद्य श्रृंखला द्वारा जीवों में रसायनों के सांद्रण में उत्तरोत्तर वृद्धि ।
उत्तर- ( 1 ) मृदा अपरदन
(2) भूमि अपक्षीर्णन
(3) अपक्षयण
(4) परत अपरदन
(5) अधिक उपज वाली किस्में HYV
(6) जैवनाशी
(7) जैव आवर्धन ।
प्रश्न 11. बहुकिस्मी खेती मृदा अपरदन को किस प्रकार रोकती है?
उत्तर- विभिन्न किस्में विभिन्न समय पर एक ही खेत में उगाई जाती हैं इसलिए इन किस्मों को काटने व बोने का समय अलग-अलग होता है। परिणामस्वरूप खेत अनावृत्त नहीं रहता इसलिए बहुकिस्मी खेती मृदा अपरदन को रोकती है।
प्रश्न 12. लेडी बर्ड बीटल एवं कॉटनी कुशन स्केल में से कौन पीड़क है तथा कौन परभक्षी है?
उत्तर – लेडी बर्ड बीटल परभक्षी है जबकि कॉटनी कुशन स्केल पीड़क है।
प्रश्न 13. सूक्ष्म जीव मृदा अपरदन का किस प्रकार प्रतिरोध करते हैं?
उत्तर – सूक्ष्म जीव पोलीसैकेराइड उत्पन्न करके मृदा अपरदन रोकते हैं जो कि मृदा कणों को आपस में बाँधे रखते हैं। पोलीसेकेराइड कार्बनिक पदार्थ का अपघटन करने पर बनता है। पोलिसैकेराइड मृदा कणों को एक-दूसरे से चिपका देते हैं तथा मृदा अपरदन रुक जाता है।
मृदा एवं भूमि संरक्षण के महत्त्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. मृदा अपरदन को परिभाषित कीजिए ।
उत्तर– मृदा अपरदन का अर्थ है भूपर्पटी से ऊपरी परत जो कि मृदा व चट्टानों से बनी होती है, का प्राकृतिक क्रिया जैसे हवा व जल से अपरदन होना तथा उसके बाद किसी अन्य स्थान पर जमा होना । मृदा अपरदन एक प्राकृतिक क्रिया है फिर भी मानव गतिविधियों ने मृदा अपरदन की दर को बढ़ा दिया है। अतिरिक्त अपरदन से मरुस्थलीकरण को बढ़ावा मिलता है, भूमिक्षरण होता है जिससे उत्पादकता कम होती है, जल निकायों में गाद इक्ट्ठी हो जाती है तथा भूमि की ऊपरी उपजाऊ परत उड़ जाती है। मृदा अपरदन के प्राथमिक कारण वायु तथा जल हैं।
प्रश्न 5. वायु द्वारा मृदा अपरदन के क्या परिणाम होते हैं?
उत्तर- वायु द्वारा मृदा अपरदन के परिणाम निम्नलिखित हैं-
(i) वायु अपरदन के कारण कार्बनिक पदार्थ, चिकनी मिट्टी तथा गाद सहित मृदा के सूक्ष्म कण निलंबन के रूप में एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँच जाते हैं तथा कम उपजाऊ पदार्थ बच जाते हैं।
(ii) मृदा की उत्पादन क्षमता कम हो जाती है, क्योंकि अधिकतर छोटे पादप पोषक तत्व, जो छोटे कोलाड्डी मृदा खंड में बँधे होते हैं, वे नष्ट हो जाते हैं।
(iii) वायु अपरदन के कारण सड़कों एवं उपजाऊ कृषि क्षेत्रों को हानि पहुँचती है, क्योंकि हवा द्वारा उड़ाए गए मृदा कण अधिक मात्रा में इन स्थानों पर इकट्ठे हो जाते हैं।
प्रश्न 6. मानवीय क्रियाकलापों द्वारा मृदा अपरदन के विभिन्न कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- मानवीय गतिविधियाँ मृदा अपरदन के लिए उत्तरदायी हैं, जैसे-
(i) वनोन्मूलन – मृदा अपरदन का कारण वृक्षों का काटना और गिराना और वन्य वनस्पतियों का सफाया है। मृदा और पौधों के बीच का सूक्ष्म संबंध खत्म हो जाता है जब भूमि और पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। मृदा की ऊपरी उपजाऊ परत क्षतिग्रस्त होती है। वनोन्मूलन और मृदा अपरदन दोनों जलीय तंत्र को प्रभावित करते हैं ।
(ii) कृषि- मृदा अपरदन में कृषि एक प्रमुख घटना है। कृषि में फसलों को उगाया जाता है, काटा जाता है और जमीन को फिर से जुटाया जाता है। भूमि कभी-कभी अनावृत्त हो जाती है और मृदा अपरदन होता है। कृषि मृदा जलीय और वायु अपरदन करती है। मृदा बह जाने से कृषि योग्य स्थानों पर एक धीमी प्रक्रिया द्वारा परत अपरदित होती है, जिससे मरुस्थलीकरण की स्थिति उत्पन्न होती है और भूमि की उर्वरता कम होती है।
(iii) अतिचारण– घास के मैदानों में अत्यधिक पशु चरने और खुरों से जमीन को रौंदने से वनस्पति नष्ट हो जाती है। भूमि की अनियमितता या पर्याप्त वनस्पति आच्छादन न होने से मृदा जल और वायु के प्रति बहुत संवेदनशील हो जाती है, जो मृदा अपरदन को जन्म देता है।
(iv) आर्थिक गतिविधियाँ – आर्थिक क्रिया-कलापों के कारण भी मृदा अपरदन होता है। जैसे भूमि से उपयोगी प्राकृतिक संसाधनों को निकालने के कारण भूमि तो गंभीर रूप से बाधित होती है तथा इससे मृदा अपरदन होता है।
(v) विकास कार्य – विभिन्न विकास कार्यों, जैसे- भवन निर्माण, परिवहन, संचार, मनोरंजन आदि के कारण भी मृदा अपरदन होता है। भवन निर्माण अन्य किसी भी निर्माण के दौरान त्वरित मृदा अपरदन होता है, क्योंकि इनके कारण भूमि अत्यधिक असंतुलित हो जाती है। इसके साथ-साथ प्राकृतिक जल विकास तंत्र भी बाधित होता है।
प्रश्न 7. कृषि रसायनों के उपयोग से भूमि किस प्रकार अपक्षीर्णित हो जाती है ?
उत्तर- किसान फसलों की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए मृदा में पीड़कनाशकों और उर्वरक डालते हैं। पौधे जमीन से पोषण लेते हैं। फसलों की पुनरावृत्ति करने से मृदा में पोषक तत्वों की कमी होती है, इसलिए समय-समय पर रासायनिक उर्वरकों का उपयोग किया जाता है ताकि मिट्टी में पोषक तत्वों का पुनर्भरण किया जा सके; हालांकि, पीड़कनाशकों और रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग कई समस्याओं को जन्म देता है। वर्तमान कृषि में उपयोग किए जाने वाले अधिकांश रासायनिक उर्वरक में पोटेशियम, नाइट्रोजन और फास्फोरस जैसे पोषक तत्व शामिल हैं।
NPK की अत्यधिक मात्रा मृदा में मिलाने से पादप मिट्टी से सूक्ष्म पोषकों का अधिक अवशोषण होता है. इससे मृदा में कॉपर, जिंक, लौह और अन्य सूक्ष्म पोषकों की मात्रा कम हो जाती है और मृदा की उत्पादन क्षमता कम हो जाती है। वर्षा जल के साथ पौधों द्वारा उपयोग नहीं किए गए उर्वरक जल निकायों में बहते हैं, जिससे सुपोषण या शैवाल वृद्धि की स्थिरता होती है और जलीय जीवों को नुकसान होता है। रासायनिक उर्वरक भूमिगत जलवाही स्तर में अवशोषित होते हैं। इसके सांद्रण पेयजल में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा करता है।
प्रश्न 8.HYV क्या है? ये भूमि को किस प्रकार अपक्षीर्णित करती है?
उत्तर- HYV का अर्थ है, अधिक उपज देने वाली फसलें । इसमें कृषि की उन्नत विधियों का प्रयोग करके प्रति हैक्टेयर प्रति फसल अधिक उत्पादन प्राप्त किया जाता है। ये पादपों, मछलियों और जीवों की उन्नत किस्में होती हैं। HYV विभिन्न प्रजनन तकनीकों द्वारा तैयार की जाती हैं ताकि उत्पादन में वृद्धि हो सके। अत्यधिक सिंचाई के कारण रासायनिक उर्वरक व पीड़कनाशक बहकर मिट्टी में मिल जाते हैं तथा भूमि को अपक्षीर्णित करते हैं। रासायनिक उर्वरकों में नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटेशियम होते हैं, जिससे अन्य सूक्ष्म पोषक, जैसे- कॉपर, जिंक आदि की कमी हो जाती है तथा पीड़कनाशक भोजन में जहर घोलते हैं।
प्रश्न 9. मृदा अपरदन एवं भूमि अपक्षीर्णन को कैसे रोका जा सकता है?
उत्तर- वृक्षारोपण और खेती की नई तकनीकें और मृदा अपरदन को रोका जा सकता है। वायु अपरदन को कम करने के लिए वृक्षारोपण इस प्रकार करना चाहिए कि वे वायु के वेग को कम कर सकें। मृदा अपरदन को कम करने के लिए कुछ कृषि तकनीकें भी उपयोगी हैं। वायु की दिशा में लंबवत फसलें उगाने से मिट्टी का वायु द्वारा अपरदन कम होता है। ढलान के साथ खेत की जुताई करने से मृदा अपरदन कम होता है। स्ट्रिप खेती मृदा अपरदन को रोकती है, जिसमें फसल को दूर-दूर बनी पंक्तियों में बोया जाता है और दूसरी फसल को पंक्तियों के मध्य में इस प्रकार बोया जाता है कि पूरी जमीन ढक जाए।
मृदा अपरदन भी सीढ़ीदार खेती से कम होता है। यह खड़ी ढलानों पर सीढ़ियां बनाता है। खेत की समयानुसार व ऋतुनुसार जुताई भी मृदा अपरदन को कम करने में मदद करती है। मृदा अपरदन भी गैर-जुताई खेती से रोका जा सकता है। मृदा अपरदन भी बहुकिस्मी खेती से रोका जा सकता है। मृदा में कार्बनिक पदार्थ डालने से भी मृदा अपरदन कम होता है। इसमें फसल के कूड़े को हल चलाकर मृदा में मिलाया जाता है। मृदा में सूक्ष्म जीव कार्बनिक पदार्थ को अपघटित करके पौलिसैकेराइड बनाते हैं। ये चिपचिपे होकर मृदा कणों में गोंद बनाते हैं, जिससे मृदा कण एक-दूसरे से चिपके रहते हैं और अपरदन को रोकते हैं।
प्रश्न 10. उन नवीन कृषि तकनीकों को बताइए जिनके द्वारा मृदा अपक्षीर्णन को रोका जा सकता है?
उत्तर- रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों एवं पीड़कनाशकों के हानिकारक प्रभावों को देखते हुए नई कृषि तकनीकें व जैव कृषि तथा हरित खाद, जैव उर्वरक व जैविक पीड़क नियंत्रण का उपयोग किया गया।
जैव कृषि अथवा हरित खाद- इसमें नाइट्रोजन के लिए रासायनिक उर्वरकों की जगह प्राकृतिक उपायों का उपयोग किया जाता है। दलहन पौधों की जड़ नाइट्रोजन स्थिरीकरण बैक्टीरिया का उपयोग करती है। कृषि अपशिष्टों और गाय का गोबर जैसे जैविक उर्वरक भी मृदा में पोषक तत्वों की मात्रा को बढ़ाते हैं। इससे रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग कम करना और उनके विषाक्त प्रभाव को कम करना संभव है।
जैव उर्वरक – उपजाऊ मृदा में सूक्ष्म जीव आवश्यक हैं। ये मृदा संरचना का विकास करते हैं। ये मृदा की भौतिक अवस्थाओं को सुधारते हैं और पोषक तत्वों को बढ़ाते हैं। जैव उर्वरक के रूप में सूक्ष्म जीवों की कई किस्मों का उपयोग फसल के खेतों की पोषकता में सुधार करने के लिए किया जाता है।
जैविक नियंत्रण– जैविक पीड़क नियंत्रण किसान प्राकृतिक परजीवियों और परभक्षी का उपयोग करते हैं। रासायनिक कीटनाशकों का इसमें उपयोग नहीं किया जाता। उदाहरण के लिए, लेडी बर्ड बीटल शिकारी कॉटनी कुशन स्केल कीटों को नियंत्रित करती है। पीड़कनाशकों के घातक प्रभाव को इस प्रकार खाद्य श्रृंखला में प्रवेश करने से रोका जाता है। इससे जैविक पीड़क नियंत्रक मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा असर को रोकते हैं।
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