NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 12 आपदाएँ और उनका प्रबंध

NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 12 आपदाएँ और उनका प्रबंध

NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 12 आपदाएँ और उनका प्रबंध – आज हम आपको एनआईओएस कक्षा 12 पर्यावरण विज्ञान पाठ 12 आपदाएँ और उनका प्रबंधके प्रश्न-उत्तर (Disasters and Their Management Question Answer) के बारे में बताने जा रहे है । जो विद्यार्थी 12th कक्षा में पढ़ रहे है उनके लिए यह प्रश्न उत्तर बहुत उपयोगी है. यहाँ एनआईओएस कक्षा 12 पर्यावरण विज्ञान अध्याय 12 (आपदाएँ और उनका प्रबंध) का सलूशन दिया गया है. जिसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप NIOSClass 12th Environmental Science 12 आपदाएँ और उनका प्रबंध के प्रश्न उत्तरोंको ध्यान से पढिए ,यह आपकी परीक्षा के लिए फायदेमंद होंगे.

NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 12 Solution – आपदाएँ और उनका प्रबंध

प्रश्न 1. परिभाषित कीजिए—
(i) बाढ़
(ii) भूकंप
(iii) चक्रवात
(iv) सुनामी
उत्तर- (i) बाढ़ – वर्षा के कारण या बाँध टूट जाने पर नदियों और जल संकायों में पानी का स्तर बढ़ जाने के कारण पानी का चारों ओर फैलकर बड़े क्षेत्र को जलमग्न कर देना बाढ़ कहलाता है। बाढ़ का अंतराल व आकार नियमित नहीं होता ।

(ii) भूकंप – भूकंप पृथ्वी की अविकृत चट्टानों में जमा हुई ऊर्जा का अचानक बाहर निकलना होता है । भूकंप के कारण पृथ्वी अचानक हिल जाती है।

(iii) चक्रवात- चक्रवात एक विनाशकारी तूफान है। चक्रवात एक प्रकार की तेज हवाएँ हैं, जो निम्न वायुमण्डलीय दबाव के शांत केन्द्र के चारों ओर तीव्रता से घूमती हैं।
(iv) सुनामी – सुनामी आकस्मिक समुद्री लहरें हैं, जो कि अंत: समुद्री भूकंप के कारण पैदा होती हैं।

प्रश्न 2. बाढ़ को रोकने के कोई दो उपाय बताइए ।
उत्तर – बाढ़ को वन्यारोपण से व बाँध बनाकर रोका जा सकता है। वन्यारोपण बाढ़ के पानी को बहने से रोकता है, क्योंकि वन वर्षा के पानी को भूमि में ले जाने में सहायता करते हैं। बाढ़ को बाँध बनाकर रोका जा सकता है, क्योंकि बाँध में अतिरिक्त पानी को एकत्रित किया जाता है। अतिरिक्त नदियों की गाद निकालकर, उनकी गहराई बढ़ाकर व तटों की चौड़ाई बढ़ाकर, नालों, तालाबों व झीलों आदि में जल संग्रह क्षमता बढ़ाकर भी बाढ़ को रोका जा सकता है।

प्रश्न 3. सुनामी का कोई एक दुष्प्रभाव बताइए ।
उत्तर- सुनामी समुद्री तट को तोड़कर किनारों पर भूमि पर आ सकती है और बस्तियाँ फसलें और अन्य संपत्ति को बहाकर ले जाती है। सुनामी देश में जीवन, संपत्ति आदि को नुकसान पहुँचाती है, लोगों को घायल करती है तथा कभी न समाप्त होने वाले मनोविज्ञान को प्रभावित करती है।

प्रश्न 4. चक्रवात सामान्यतः बाढ़ के बाद क्यों आते हैं?
उत्तर – सामान्यतः बाढ़ के बाद चक्रवात आते हैं, क्योंकि चक्रवात के समय भारी वर्षा होती है तथा बाढ़ के बाद उस क्षेत्र में चक्रवात आता है।

प्रश्न 5. समुद्र में कौन-से परिवर्तन आते हैं, जिनके कारण सुनामी का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है?
उत्तर – समुद्र की सीधी, क्रमिक, अनिश्चित रूप से घटती-बढ़ती लहरों का समुद्र की सतह पर बहुत दूरी तक पैदा होकर एक घेरे का रूप लेने से सुनामी का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है

प्रश्न 6. मनुष्य की लापरवाही के कारण होने वाली तीन आपदाओं के नाम बताइए ।
उत्तर – मनुष्य की लापरवाही के कारण होने वाली आपदाएँ आग, दुर्घटनाएँ (रेल, सड़क, हवाई) व औद्योगिक दुर्घटनाएँ हैं।

प्रश्न 7. सड़क दुर्घटनाओं से कैसे बचा जा सकता है?
उत्तर- सड़क दुर्घटनाओं से ट्रैफिक नियम अपनाकर, स्कूटर या मोटर साइकिल चलाते समय हैलमेट पहनकर लाल बत्ती को पार न करके, पैदल रोड क्रॉस करते समय जेबरा क्रॉसिंग का उपयोग करके, अपनी लेन में गाड़ियाँ चलाकर तथा शराब न पीकर गाड़ी चलाकर बचा जा सकता है।

प्रश्न 8. रसायनों का भंडारण रिहायशी इलाकों से दूर क्यों करना चाहिए?
उत्तर- औद्योगिक दुर्घटनाओं से बचने के लिए रसायनों का भंडारण रिहायशी इलाकों से दूर करना चाहिए।

प्रश्न 9. आग की आपदा के कोई दो कारण बताइए ।
उत्तर- आग की आपदा के कारणों में बिजली की तारों में शॉर्ट-सर्किट, ज्वलनशील पदार्थों का भंडारण, जली हुई दियासिलाई या सिगरेट इधर-उधर फेंकना, विस्फोटक रसायनों का भंडारण या स्थानांतरण आदि आते हैं।

प्रश्न 10. HIV/AIDS जैसी बीमारियों को आपदा क्यों कहा जाता है?
उत्तर- HIV/AIDS जैसी बीमारियों को भी आपदा कहा जाता है, क्योंकि ये बहुत बड़ी जनसंख्या को प्रभावित करती हैं तथा इनसे खतरा भी काफी होता है।

प्रश्न 11. आपदा प्रबंधन के चार घटकों के नाम लिखिए।
उत्तर- आपदा प्रबंधन के चार घटक निम्न हैं-
(i) तैयारी (Preparedness) – समाज और संस्थाएँ आपदा के दुष्प्रभावों का सामना करने के लिए तैयार हैं या नहीं।
(ii) प्रतिक्रिया (Response) – पूर्वानुमान से, आपदा के समय और आपदा के तुरंत बाद आपदा के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए किए गए उपाय / कार्यवाही ।
(iii) पुन: प्राप्ति (Recovery ) – इसमें भौतिक ढाँचे के पुनः निर्माण के साथ आर्थिक और भावनात्मक पुनरुद्धार भी कहा जाता है।
(iv) रोकथाम (Prevention ) – आपदा की भीषणता को रोकने या कम करने के उपाय करने चाहिए।

प्रश्न 12. समुदाय स्तर पर आपदा प्रबंधन क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर – समुदाय स्तर पर आपदा प्रबंधन बहुत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि आपदा से पहले व तुरंत बाद के कुछ घंटे जीवन रक्षा व मालहानि रक्षा के लिए बहुत कठिन होते हैं। यदि समाज आपदा के बारे में जागरूक है, तो यह बहुत सहायक होता है । कोई भी बाहरी सहायता आपदा के समय पहुँचने में समय लेती है, परंतु समाज और आस-पड़ोस आपदा स्थल पर सबसे पहले पहुँचता है। आपदा प्रबंधन को समाज व समुदाय को आपदा से निपटने के लिए प्रशिक्षित करना चाहिए NCDM जिससे वे आपदा के समय जीवन रक्षा कर सकें।

प्रश्न 13. NCDM को परिभाषित कीजिए।
उत्तर – NCDM आपदा प्रबंधन की राष्ट्रीय कमेटी है, जो भारत सरकार द्वारा स्थापित की गई है, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं। NCDM आपदा प्रबंधन को मजबूत करती है तथा क्रियान्वित करती है।

आपदाएँ और उनका प्रबंध के महत्त्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1. बाढ़ क्यों आती है?
उत्तर- बाढ़, वर्षा के दिनों में नदियों, जल स्रोतों और जलाशयों में अधिक पानी आने से अचानक और निरंतर किसी क्षेत्र का जलमग्न हो जाना है। बाढ़ सिर्फ भारी वर्षा, चक्रवात, सुनामी, बर्फ का पिघलना या बाँधों का टूटना से होती है। कई बार प्राकृतिक और मानव निर्मित जलाशयों में पानी बहने के रास्ते में कोई ग्लेशियर या बर्फ आ जाते हैं, जिससे मार्ग बंद हो जाता है, जिससे पानी पीछे की ओर मुड़ जाता है और बाढ़ का कारण बनता है। चक्रवातों से समुद्री बाढ़ होती है। नदियों और तालाबों में गाद जमने और जल भंडार में दरार पड़ने के कारण भी बाढ़ की घटनाओं और तीव्रता में वृद्धि होती है।

प्रश्न 2. बाढ़ के प्रभावों को किस प्रकार कम कर सकते हैं?
उत्तर- बाढ़ के प्रभाव को कम करने के लिए वन्यारोपण, बाँध बनाना, नदियों की गाद निकालकर उनकी गहराई बढ़ाना और तटों की चौड़ाई बढ़ाई जा सकती है। वन्यारोपण करके बहने वाले जल का स्तर भी कम होगा। जंगल बारिश के पानी को जमीन में जाता है। जिससे पानी का अनावश्यक बहना कम होता है और जमीन का जलस्तर पुनः स्थिर होता है। बांधों के निर्माण से बाढ़ के जल में कमी आती है और पानी का भंडारण होता है। पानी बाँधों द्वारा एकत्रित होता है, इसलिए नीचे नदियों तक नहीं पहुँच पाता। बाँध से एकत्रित पानी सीधे नदियों तक पहुँचने पर बाढ़ हो सकती है। नियंत्रित रूप से बाँधों से पानी निकाला जाता है।

नदियों, नहरों और नालों से गाद निकालकर तटों को चौड़ा करने से उनमें अधिक पानी भरने की क्षमता बढ़ती है। बाढ़ से होने वाली हानि को काफी हद तक रोका जा सकता है तथा कम किया जा सकता है यदि बाढ़ नियंत्रण की उचित योजना और उचित प्रबंधन के तरीकों का नियोजित ढंग से पालन किया जाए।

प्रश्न 3. हमारे देश में सूखा इतना सामान्य क्यों है?
उत्तर- हमारे देश में कम वर्षा के कारण सूखा इतना आम है। मानसून, जिसे पूर्वानुमानित नहीं किया जा सकता, हमारे देश में वर्षा के कारण कुछ क्षेत्रों में पर्याप्त वर्षा नहीं होती। कुछ महीनों के लिए वर्षभर में लगातार बारिश होती है। पिछले कुछ समय में सूखे की संख्या में वृद्धि हुई है, जिसकी मुख्य वजह पर्यावरणीय अवक्रमण और वनोन्मूलन है।

प्रश्न 4. सूखे के दुष्प्रभावों से कैसे बचा जा सकता है ?
उत्तर – सूखे के बुरे प्रभावों से बचने के लिए, वर्षा का नियमित रिकॉर्ड रखना, जलाशयों और पानी के भंडारों, नदियों और अन्य जल स्रोतों में पानी की उपलब्धता का निरीक्षण करना चाहिए। पानी की माँग कम होने पर पानी की खपत भी कम होनी चाहिए। पानी की खपत को कम करने के लिए बहुत से जल संरक्षण उपायों को लागू करना चाहिए। इसके लिए, पानी को सावधानी से और कुशलता से प्रयोग करना, इसे बेकार होने से बचाना और इसे छोटे और अन्य कार्यों के लिए दो बार प्रयोग करना अच्छे उपाय हैं।

कृषि में बुवाई और सिंचाई के प्रभावी उपायों को अपनाना चाहिए। इसके लिए कम पानी वाले फसलों को लगाना चाहिए। पानी की उपलब्धता बढ़ाना चाहिए, इसके लिए वर्षा जल को एकत्रित करना चाहिए। वर्षा जल एकत्रीकरण का अर्थ है कि सभी तरफ से बहने वाले पानी एक जगह एकत्रित होकर भंडारण किया जाए या पानी इतना नीचे गिर जाए कि भूमिगत जल स्तर बढ़ जाए।

प्रश्न 5. सुनामी क्या है?
उत्तर- सुनामी का अन्त: यह समुद्री भूकंप से होता है जो समुद्र सतह से 50 किमी से कम दूरी पर होता है। समुद्री लहरें निरंतर सुनामी पैदा करती हैं। सुनामी की लहरें समुद्र की सतह पर बहुत दूरी पर पैदा होती हैं और चौड़े घेरे की तरह फैलती हैं। सुनामी भी भूस्खलन या ज्वालामुखी फटने से होती है। सुनामी की लहरें 10 मीटर लंबी हो सकती हैं। ज्वार-भाटा सुनामी लहर नहीं होता। लहरों का तल उथला होता जाता है जैसे-जैसे वे महाद्वीपीय तटों की ओर बढ़ती हैं, और लहरों के घर्षण से उनकी तीव्रता और वेग कम होते जाते हैं। वेग कम होने से लहरें 50 मीटर या उससे भी अधिक हो जाती हैं। सुनामी का प्रभाव जगह-जगह अलग होता है। भूकंप तटीय क्षेत्रों को वैज्ञानिक खतरे की चेतावनी दे सकते हैं।

प्रश्न 6. हमारे देश में महामारियाँ क्यों पायी जाती हैं?
उत्तर – हमारे देश में महामारी का कारण कूड़े के ढेरों, प्रदूषित जल और रोगजनकों के संक्रमित रोगों के कीटाणुओं से होता है। बीमारी फैलने का मुख्य कारण स्वच्छता का सही प्रबंध नहीं है। स्वच्छता न होने से जल दूषित हो जाता है, जिससे बीमारी फैलाने वाले कीटाणु पनपते और विकसित होते हैं। बीमारी भी बदलते मौसम से होती है। बदलता मौसम कीटों के प्रजनन के लिए सही समय है। जनसंख्या बढ़ने से रोगजनक कीट एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से फैलते हैं। महामारी में बहुत से लोग अचानक मिलते हैं। किसी भी आपदा (जैसे बाढ़, भूकंप और कोई बड़ी दुर्घटना) के बाद संक्रमण से फैलने वाले रोगों के एकदम फैलने की संभावना बहुत अधिक होती है।

प्रश्न 7. आग के प्रभाव को कम करने पर एक लेख लिखें।
उत्तर – आग की मार को कम करने के लिए अग्निशमन यंत्रों को रखना और उनका उपयोग करना अनिवार्य है। आग लगने पर अलार्म लगाना चाहिए। ज्वलनशील पदार्थों और रसायन का उपयोग और भंडारण बहुत सावधानीपूर्वक करना चाहिए। घर से निकलते समय बिजली और गैस के सभी उपकरणों को सावधानीपूर्वक बंद कर देना चाहिए। एक सॉकेट में एक से अधिक प्लग नहीं लगाने चाहिए। घर के अंदर कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। बच्चों को ज्वलनशील पदार्थों से दूर रहना चाहिए। बिजली की तारों या लाइटिंग बल्बों पर कोई सजावट नहीं होनी चाहिए। जब कोई आग लगती है, तो आपको तुरंत फायर ब्रिगेड को फोन करना चाहिए।

प्रश्न 8. औद्योगिक दुर्घटनाओं से होने वाली क्षति संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर- औद्योगिक दुर्घटनाएँ आग और विषाक्त रसायनों या खतरनाक रसायनों के रिसाव से होती हैं या औद्योगिक कंपनियों में होती हैं। औद्योगिक दुर्घटनाएं जीवन और संपत्ति को नुकसान पहुंचाती हैं। औद्योगिक दुर्घटना भी हो सकती है यदि कोई दुर्घटना उद्योगों में उत्पादित माल या किसी क्रिया से होती है। मानव हत्या, यांत्रिक गड़बड़ी या भू-संबंधी खतरे, जैसे भूकंप और बाढ़, भी रसायन रिसाव का कारण हो सकते हैं। किसी उद्योग में आग मनुष्य की गलती से या बिजली के शॉर्ट सर्किट से भी हो सकती है।

1984 में भोपाल में मिथाइल आइसोसाइनेट का रिसाव हुआ, जिससे लगभग 2,500 लोग मारे गए और 2 लाख घायल हुए। रसायन प्लांट का विस्फोट, आग या विनाशक रसायन का रिसाव भी इमारतों को खराब कर सकता है। गैस रिसाव तेजी से और दूर तक फैलता है। विस्फोट या आग से हुई यांत्रिक क्षति से कई लोग मर जाते हैं या विषाक्त हो जाते हैं। हवा में घुला हुआ जहरीला रसायन आँखों से, त्वचा से और खाने से शरीर में प्रवेश करता है। प्रदूषक का असर स्थायी है और तुरन्त दिखाई देता है। औद्योगिक क्षेत्र और आसपास की बस्ती सबसे अधिक खतरे में होते हैं जब कोई औद्योगिक दुर्घटना होती है।

इन दुर्घटनाओं से पास के क्षेत्र में रहने वाले लोगों और कर्मचारियों के अलावा अन्य जीवन और फसलें बुरी तरह प्रभावित होती हैं। रसायन वातावरण और जल संकायों में घुलने से भी पर्यावरण प्रदूषित होता है। चक्कर आना, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन और दीर्घकालीन प्रभाव में कैंसर, हार्ट अटैक, मस्तिष्क की क्षति, अंग विकृति, प्रजनन विकृति और बच्चों में जन्मजात दोष इस प्रदूषण से तुरन्त दिखने वाले लक्षण हैं।

प्रश्न 9. आपदा प्रबंधन में समाज को जोड़ने से क्या लाभ हैं?
उत्तर – आपदा प्रबंधन में समाज को शामिल करने से कई फायदे हैं। विपत्ति से पहले और बाद के घंटे जीवन बचाने और नुकसान को कम करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। बाहरी सहायता प्राप्त करने में ज्यादातर आपदा स्थल पर समय लगता है। विपत्ति के दौरान सबसे पहले पड़ोस से मदद मिलती है। आपदा की स्थिति में सहायता देने वाले लोगों को मेडिकल और अन्य घटनाओं को समझने और सँभालने के लिए पर्याप्त प्रशिक्षण और कौशल नहीं होते। सामुदायिक स्तर पर प्रबंधन का लक्ष्य स्थानीय लोगों को आपातकालीन परिस्थितियों का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए प्रशिक्षित करना है। समुदाय प्रबंधन को लोगों की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए, प्रशिक्षित समुदाय के सदस्यों को प्रशिक्षित करना चाहिए।

प्रश्न 10. आपदा प्रबंधन में सरकार का क्या योगदान है ?
उत्तर- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में भारत सरकार ने आपदा प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय कमेटी (NCDM) बनाई। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कार्यक्रम इस राष्ट्रीय कमेटी के प्रस्तावों पर आधारित होगा, जो प्राकृतिक आपदा प्रबंधन तथा प्रतिक्रिया तंत्र को सहायता देगा। NDP भी सरकार को आपदा प्रबंधन में मजबूत करता है। आपदा प्रबंधन में सरकार का योगदान-

(i) प्रांत और जिले की आपदा प्रबंधन योजना का विकास।
(ii) आपदा खतरा प्रबंधन और प्रतिक्रिया योजना का विकास, ग्राम पंचायत शहरी स्थानीय स्तर पर ।
(iii) सभी स्तरों पर आपदा प्रबंधन टीम बनाई जाए और इनमें सभी कमेटी और टीमों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व भी उचित अनुपात में होना चाहिए।
(iv) सभी स्तरों पर आपदा प्रबंधन टीम की क्षमता बढ़ाई जाए। प्राथमिक उपचार, शरणस्थलों का प्रबंधन, पानी और सफाई, बचाव और विकास में महिलाओं को विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
(vi) आपदा संवेदित स्थानों में इमारतों में चक्रवात और भूकंप प्रतिरोधक क्षमता वाले यंत्र लगाने चाहिए।
(vi) आपदा प्रबंधन योजना और स्थानीय स्वयं सरकारी विकास योजनाओं का परस्पर तालमेल होना चाहिए।

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