NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 5. पारितंत्र
NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 5 पारितंत्र – ऐसे छात्र जो NIOS कक्षा 12 पर्यावरण विज्ञान विषय की परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते है उनके लिए यहां पर एनआईओएस कक्षा 12 पर्यावरण विज्ञान अध्याय 5 (पारितंत्र) के लिए सलूशन दिया गया है. यह जो NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 5 Ecosystem दिया गया है वह आसन भाषा में दिया है . ताकि विद्यार्थी को पढने में कोई दिक्कत न आए. इसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आपNIOSClass 12 Environmental Science Chapter 5 पारितंत्र के प्रश्न उत्तरों को ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे.
NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 5 Solution – पारितंत्र
प्रश्न 1. पारितंत्र के अजैविक घटकों की सूची बनाइए ।
उत्तर- पारितंत्र के अजैविक घटक भौतिक, अकार्बनिक तथा कार्बनिक पदार्थ होते हैं।
प्रश्न 2. पारितंत्र के जैविक घटकों की सूची बनाइए ।
उत्तर – पारितंत्र के जैविक घटक उत्पादक, उपभोक्ता तथा अपघटक हैं।
प्रश्न 3. पारितंत्र में अपघटकों की क्या भूमिका है?
उत्तर- पारितंत्र में अपघटक पोषक तत्त्वों के पुनर्चक्रण के लिए महत्त्वपूर्ण हैं, क्योंकि अपघटक मृत कार्बनिक पदार्थ तथा मृत पौधों और जंतुओं के अपघटन में सहायता करते हैं।
प्रश्न 4. (i) प्राकृतिक पारितंत्र और (ii) मानव निर्मित पारितंत्रों के दो-दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर – प्राकृतिक पारितंत्र के उदाहरण- तालाब, झील एवं वन हैं। मानव निर्मित पारितंत्र के उदाहरण – कृषि तथा जलकृषि हैं।
प्रश्न 5. पादप प्लवक क्या हैं?
उत्तर- पादप प्लवक एक जलीय पारितंत्र में सूक्ष्म दर्शीय तैरने वाले पादप हैं।
प्रश्न 6. आप तालाब में अपघटकों की तलाश कहाँ करेंगे?
उत्तर – तालाब में अपघटक तालाब की तलहटी में मिलेंगे।
प्रश्न 7. तरणक, जंतु प्लवकों से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर – जंतु प्लवक पानी में स्वतंत्र रूप से तैरने वाले जीव हैं जबकि तरणक जलीय जंतु हैं और अपनी इच्छा से तैर सकते हैं जैसे – मछली ।
प्रश्न 8. तालाब की तलहटी में रहने वाली मछलियाँ अपना भोजन कहां से प्राप्त करती हैं?
उत्तर- तालाब की तलहटी में रहने वाली मछलियाँ अपना भोजन तली में रहने वाले भृंग, माइट, घोंघे तथा क्रस्टेशियन आदि से प्राप्त करती हैं।
प्रश्न 9. एक साधारण खाद्य श्रृंखला बनाइए ।
उत्तर – एक साधार खाद्य श्रृंखला है- घास चूहा सांप गिद्ध वन हिरण बाघ
प्रश्न 10. खाद्य जाल क्या होता है?
उत्तर- खाद्य जाल किसी पारितंत्र मे एक-दूसरे से संयोजित खाद्य श्रृंखलाओं का एक नेटवर्क है या किसी क्षेत्र की खाद्य श्रृंखलाएं परस्पर संयोजित होकर खाद्य जाल बनाती हैं।
प्रश्न 11. उल्टे पिरामिड के उदाहरण दीजिए ।
उत्तर- उल्टे पिरामिड के उदाहरण वृक्ष के या तालाब के संख्या पिरामिड हैं।
प्रश्न 12. कौन-सा पिरामिड किसी पारितंत्र की पोषक संरचना का वास्तविक चित्र प्रस्तुत करता है?
उत्तर– ऊर्जा पिरामिड किसी पारितंत्र की पोषक संरचना का वास्तविक चित्र प्रस्तुत करता है।
प्रश्न 13. खाद्य श्रृंखला में ऊर्जा स्थानांतरण का 10% नियम क्या है?
उत्तर- खाद्य श्रृंखला में ऊर्जा स्थानांतरण के 10% नियम के अनुसार प्रत्येक पोषण स्तर पर स्थानांतरित होने वाली ऊर्जा पूर्ववर्ती पोषण स्तर का केवल 10% होती है। 10% का नियम पारिस्थितिक दक्षता से संबंधित है।
प्रश्न 14. लिंडमेन दक्षता का सूत्र दीजिए ।
उत्तर – लिंडमेन दक्षता का सूत्र-
प्रश्न 15. खाद्य श्रृंखलाओं के अध्ययन का क्या महत्त्व है?
उत्तर- पारितंत्र में रहने वाले विभिन्न जीवों के बीच संबंधों और उनके पोषण संबंधों को समझने में खाद्य श्रृंखलाओं का अध्ययन मदद करता है। भोजन चक्रण और खाद्य श्रृंखला दोनों ऊर्जा प्रवाह हैं। अंत में, यह भूजैव रासायनिक चक्र और पोषण चक्र को समझाता है।
प्रश्न 16. तलछट चक्र क्या है?
उत्तर- तलछट एक भू-जैव-रासायनिक चक्र है। मृदा या वायुमण्डल, जो पोषक तत्त्वों का भरपूर भंडार रखते हैं, इसका मुख्य घटक हैं। तलछटों में पहले चक्र में कम प्रतिरोधी खनिज और चट्टान होते हैं. दूसरे चक्र में, जब ये पदार्थ फिर से कार्य करते हैं, तो कम प्रतिरोधी खनिज निकल जाते हैं और स्थायी उत्पाद उनकी जगह लेते हैं। तलछट चक्र में छोटे तलछट अपने स्थान से बाहर निकलते हैं और उनके ऊपर प्रतिरोधी खनिज आते हैं।
प्रश्न 17. गैसीय चक्र का एक उदाहरण दो ।
उत्तर – गैसीय चक्र का उदाहरण कार्बन चक्र तथा नाइट्रोजन चक्र है।
प्रश्न 18. भंडार के रूप में कार्य क्यों करते हैं?
उत्तर – वन भंडार के रूप में कार्य करते हैं, क्योंकि वनों के वृक्षों की आयु लंबी होती है तथा उनके द्वारा कार्बन स्थिरीकरण का चक्र काफी धीमा होता है।
प्रश्न 19. एक सहजीवी नाइट्रोजन स्थिरीकरण जीवाणु का नाम बताइए ।
उत्तर – राइजोबियम जीवाणु नाइट्रोजन स्थिरीकरण का कार्य करता है।
प्रश्न 20. अवक्षेपण क्या है?
उत्तर- जब जलवाष्प पृथ्वी से वाष्पीकृत होकर वातावरण में जाते हैं, तो संघनित होकर बादल बनाते हैं, तब इस क्रिया को अवक्षेपण कहते हैं।
पारितंत्र के महत्त्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. निम्नलिखित की परिभाषा दीजिए-
(i) स्वपोषी (ii) विषमपोषी (iii) प्राथमिक मांसाहारी (iv) मृतजीवी (v) सर्वाहारी
उत्तर- (i) स्वपोषी – वे जीव आत्मनिर्भर और उत्पादक हैं। जो सरल पदार्थों से जटिल कार्बनिक पदार्थों, जैसे प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेट्स बनाते हैं। इनमें से अधिकांश हरे पौधे हैं, जो सौर ऊर्जा के उपयोग से प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया द्वारा अकार्बनिक पदार्थों को रासायनिक पदार्थ (भोजन) में बदल देते हैं। इन्हें खाद्य श्रृंखला में उत्पादक कहते हैं, जैसे भूमि पर पौधे या जल में कवक। स्वपोषी भोजन बनाते समय वायुमण्डल से कार्बन डाइ आक्साइड कम होता है। पानी को कुछ स्वपोषी भोजन बनाने में नहीं उपयोग करते हैं।
(ii) विषमपोषी – विषमपोषी जीवों को भोजन के लिए स्वपोषी जीवों पर निर्भर करना कहा जाता है। शाकाहारी, मांसाहारी और सर्वाहारी सभी विषमपोषी जीव हैं।
(iii) प्राथमिक मांसाहारी- ऐसे जंतु जो अपने भोजन के लिए शाकाहारी जंतुओं को खाते हैं, उन्हें प्राथमिक मांसाहारी कहते हैं, जैसे-बिल्ली, शेर, कुत्ता, सांप आदि ।
(iv) मृतजीवी- ऐसे सूक्ष्म जीव जो अपनी ऊर्जा मृत कार्बनिक पदार्थों से प्राप्त करते हैं, उन्हें मृतजीवी कहते हैं, जैसे- फफूंद, जंगली मशरूम आदि। ये पौधों तथा जंतुओं के मृत अपघटित और मृत कार्बनिक पदार्थ को सड़ रहे पदार्थों पर अपने शरीर के बाहर एंजाइमों का स्राव करके ग्रहण करते हैं। खाद्य श्रृंखला में इनकी अहम भूमिका होती है।
(v) सर्वाहारी- ऐसे जीव जो पौधों और जंतुओं दोनों को खाते हैं, उन्हें सर्वाहारी जीव कहते हैं, जैसे-भालू, मनुष्य, सुअर आदि ।
प्रश्न 2. निम्न कथनों के लिए कारण बताइए-
(i) हमें गर्मियों के दिनों में ट्यूब लाइट के निकट अधिक छिपकलियाँ दिखाई देती हैं।
उत्तर- हमें गर्मियों के दिनों में ट्यूब लाइट के निकट अधिक छिपकलियाँ दिखाई देती हैं, क्योंकि गर्मी के दिनों में वातावरण में कीट-पतंगों की संख्या बढ़ जाती है जो कि रोशनी के निकट रहना पसन्द करते हैं तथा छिपकलियाँ इनका भोजन (भक्षण) करती हैं।
(ii) ऊर्जा पिरामिड कभी उल्टे नहीं होते।
उत्तर- ऊर्जा पिरामिड कभी भी उल्टे नहीं होते, क्योंकि ऊर्जा पिरामिड प्रत्येक पोषण स्तर पर ऊर्जा प्रवाह दिखाते हैं तथा हमेशा ऊर्जा का प्रवाह नीचे से अर्थात उत्पादन से उपभोक्ता की ओर होता है। प्रत्येक पोषण स्तर में नीचे से ऊपर की ओर जाने में ऊर्जा हानि
होती है।
(iii) हम वायुमण्डलीय नाइट्रोजन को प्रत्यक्ष रूप से उपयोग में नहीं ला सकते।
उत्तर – क्योंकि पौधे नाइट्रोजन को अमोनिया के रूप में ग्रहण करते हैं, हम वायुमण्डलीय नाइट्रोजन को प्रत्यक्ष रूप से नहीं उपयोग कर सकते। नाइट्रोजन स्थिरीकरण में गैसीय नाइट्रोजन अमोनिया में बदल जाता है, जिसे पौधे उपयोग करते हैं। नाइट्रोजन यौगिकों का विभाजन होता है और फिर से वायुमण्डल में नाइट्रोजन के रूप में प्रवेश करता है।
(iv) अप्रकाशी क्षेत्र में कार्बन डाइआक्साइड का सांद्रण अत्यधिक होता है।
उत्तर- अप्रकाशी क्षेत्र में कार्बन डाइआक्साइड का सांद्रण अत्यधिक होता है, क्योंकि इस क्षेत्र में प्रकाश नहीं होता तथा प्रकाश की अनुपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण क्रिया नहीं होती, जिससे आक्सीजन की मात्रा प्रभावित होती है तथा कार्बन डाइआक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है।
(v) खाद्यश्रृंखलाओं में सोपानों की संख्या सीमित होती है।
उत्तर- खाद्य श्रृंखलाओं में सोपानों की संख्या सीमित है क्योंकि प्रत्येक सोपान में ऊर्जा स्थानांतरण की प्रक्रिया में ऊष्मीय ऊर्जा का एक हिस्सा खर्च हो जाता है, जो अगले पोषण स्तर के लिए उपलब्ध नहीं हो पाती है।
प्रश्न 3 पारितंत्र क्या है? इसके संरचनात्मक घटकों के नाम लिखिए।
उत्तर- प्रकृति में जीवों के विभिन्न समुदाय एक पारिस्थितिक इकाई के रूप में रहते हैं और एक-दूसरे के साथ और अपने भौतिक पर्यावरण के साथ सहयोग करते हैं। यह पारितंत्र कहलाता है। एक पारितंत्र के जैविक और अजैविक भागों के बीच होने वाली जटिल अंतःक्रियाएं पारितंत्र में जैविक (पौधे, सूक्ष्मजीव, जीव-जन्तु) और अजैविक (हवा, पानी, मृदा खनिज) घटक हैं। खाद्य श्रृंखला और ऊर्जा प्रवाह आपस में एक-दूसरे से जुड़े हैं।
प्रश्न 4. अपघटक को परिभाषित कीजिए तथा किसी पारितंत्र को बनाए रखने में इनकी क्या भूमिका है?
उत्तर– अपघटक बैक्टीरिया और कवक एंजाइमों को शरीर से बाहर स्राव करके मृत पौधों, जंतुओं और कार्बनिक पदार्थों को सड रहे पदार्थों पर ग्रहण करते हैं। अपघटन एक क्रिया है जिसे अपघटक कार्बनिक और अन्य अकार्बनिक पदार्थों को अपघटित करते हैं। पौधों द्वारा अपघटन से निकाले गए या स्रावित पदार्थ फिर से उपयोग में लाए जाते हैं और वायुमण्डलीय CO2 को प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा भोजन में बदलते हैं।
प्रश्न 5 पारितंत्रों की प्रकृति गतिक क्यों होती है? किसी पारितंत्र में विभिन्न कार्यात्मक घटकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – पारितंत्रों की कार्य प्रणाली ऊर्जा प्रवाह पर आधारित होने से उनकी प्रकृति गतिक है। विभिन्न खाद्य श्रृंखलाएं मिलकर खाद्य जाल बनाती हैं, जो पारितंत्र में संतुलन बनाए रखती है। ऊर्जा प्रवाह पर पारितंत्र के सभी जीवित संघटक निर्भर हैं। ऊर्जा प्रवाह भी पारितंत्र के जैविक और अजैविक तत्वों के संचरण में महत्वपूर्ण है। ऊर्जा एक ही ओर बहती है। इसलिए पारितंत्र गतिक हैं। दो समूहों में पारितंत्र के घटक हैं:
(i) जैविक घटक तथा (ii) अजैविक घटक ।
जैविक घटक – ये तीन वर्ग माने जाते हैं-
(i) उत्पादक (Producer) – पारितंत्र के लिए पूरा भोजन निर्माण हरे पौधे प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा करते हैं। हरे पौधे उत्पादक या स्वपोषी कहलाते हैं, क्योंकि ये इस प्रक्रिया के लिए मिट्टी से जल एवं पोषक तत्त्व तथा वायु से CO2 प्राप्त करते हैं व सूर्य से सौर ऊर्जा अवशोषित करके क्लोरोफिल की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा भोजन का निर्माण करते हैं।
(ii) उपभोक्ता (Consumers) – उपभोक्ता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपने भोजन के लिए पौधों पर निर्भर रहते हैं इसलिए इन्हें विषमपोषी भी कहते हैं। भोजन ग्रहण करने के अनुसार उपभोक्ता को तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है।
(क) शाकाहारी – जो केवल हरे पौधों व अनाज को ही खाते हैं, जैसे- गाय, हिरन, बकरी, खरगोश आदि ।
(ख) मांसाहारी – जो अपने भोजन में अन्य जंतुओं को खाते हैं, जैसे-बिल्ली, कुत्ता, शेर आदि ।
(ग) सर्वाहारी – जो अपने भोजन में पौधे व अन्य जन्तुओं दोनों को खाते हैं, जैसे- मानव, सुअर, भालू आदि ।
(iii) अपघटक (Decomposers) – ये अधिकतर बैक्टीरिया (जीवाणु) और कवक होते हैं जो कि पौधों तथा जंतुओं के मृत पदार्थों पर निर्भर रहते हैं इसलिए इन्हें मृतपोषी भी कहते हैं। ये जीव सड़ रहे कार्बनिक व अकार्बनिक पदार्थों को अपने शरीर के बाहर एंजाइमों का स्राव करके ग्रहण करते हैं तथा पोषक चक्रों में अहम भूमिका निभाते हैं। को तीन वर्गों में विभाजित किया गया है-
(i) भौतिक कारक (Physical Factor ) – पारितंत्र में सूर्य का प्रकाश, तापमान, वर्षा आर्द्रता तथा दाब भौतिक कारक हैं, जो पारितंत्र में जीवों की वृद्धि को सीमित और स्थिर बनाए रखते हैं।
(ii) अकार्बनिक कारक – पारितंत्र में कार्बन डाइआक्साइड, नाइट्रोजन, आक्सीजन, फास्फोरस, सल्फर, जल, चट्टान, मिट्टी तथा अन्य खनिज अकार्बनिक पदार्थ हैं, जो प्रकाश संश्लेषण क्रिया में सहयोग करते हैं।
(iii) कार्बनिक पदार्थ – पारितंत्र में प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा संश्लेषित पदार्थ कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, लिपिड तथा ह्यूमिक पदार्थ कार्बनिक पदार्थ हैं, जो सजीव तंत्र के मूलभूत अंग हैं इसलिए ये जैविक तथा अजैविक घटकों के बीच की मुख्य कड़ी हैं।
प्रश्न 6. पारिस्थतिक पिरामिड क्या होता है? ऊर्जा पिरामिड तथा संख्या पिरामिड की परिभाषा दीजिए तथा इनके मध्य अंतर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – किसी पारितंत्र में पोषण स्तरों का आलेखीय निरूपण पारिस्थितिक पिरामिड कहलाता है। इनकी आकृति पिरामिड की तरह होती है। पोषण स्तर किसी जीव में उपस्थित कार्बनिक पदार्थ की मात्रा होती है। पारिस्थितिक पिरामिड प्रत्येक सोपान पर कितना पोषण है, यह दिखाता है। पारिस्थितिक पिरामिड उत्पादक अर्थात पौधों से शुरू होता है तथा भिन्न पोषण स्तरों, जैसे- शाकाहारी, प्राथमिक मांसाहारी, द्वितीयक मांसाहारी, तृतीयक मांसाहारी शीर्षस्थ मांसाहारी होता है। शीर्षस्थ स्तर, खाद्य श्रृंखला में सबसे ऊपर होता है । पारिस्थितिक पिरामिड तीन प्रकार के होते हैं- संख्या पिरामिड, जीव द्रव्यमान पिरामिड तथा ऊर्जा पिरामिड ।
1. संख्या पिरामिड– यह प्रत्येक पोषण स्तर पर जीवों की मात्रा दिखाता है। उदाहरण के लिए, घास को खाने वाले शाकाहारी जीवों की संख्या मांसाहारी जीवों की तुलना में अधिक होती है, जबकि घास के मैदान में घास की संख्या कम होती है। जब शाकाहारी उत्पाद प्राथमिक उत्पादों से अधिक होते हैं, तो संख्या पिरामिड उलटी हो जाती है।
2. जीव द्रव्यमान पिरामिड – यह प्रत्येक पोषण स्तर पर खड़ी फसल की कुल जीव सहति को दिखाता है। खड़ी फसल की जीव सहति समय पर सजीव पदार्थ की मात्रा है। यह किलो कैलोरी/एकांक क्षेत्रफल या ग्राम/यूनिट क्षेत्रफल के द्वारा व्यक्त किया जा सकता है। स्थलीय पारितंत्र में जीव सहंति पिरामिड सीधा होता है, लेकिन जलीय पारितंत्र में यह उल्टा हो सकता है।
3. ऊर्जा पिरामिड – यह पिरामिड प्रत्येक पोषण स्तर पर ऊर्जा की कुल मात्रा दिखाता है। ऊर्जा को किलो कैलोरी, एकांक क्षेत्र और एकांक समय द्वारा व्यक्त किया जाता है। ऊर्जा पिरामिड कभी सीधे नहीं हो सकते। ऊष्मा क्षय पिरामिड के प्रत्येक स्तर पर होता है, जिससे ऊर्जा नीचे से ऊपर बहती है।
संख्या पिरामिड तथा ऊर्जा पिरामिड में अन्तर
संख्या पिरामिड | ऊर्जा पिरामिड | |
1. | यह प्रत्येक पोषण स्तर पर जीवों की संख्या को दर्शाता है। | यह प्रत्येक पोषण स्तर पर ऊर्जा की कुल मात्रा को दर्शाता है। |
2. | कुछ मामलों में संख्या पिरामिड उल्टा भी हो सकता है। | ऊर्जा पिरामिड कभी भी उल्टे नहीं होते। |
प्रश्न 7. नाइट्रोजन चक्र के विभिन्न चरणों को क्रमानुसार लिखिए।
उत्तर- नाइट्रोजन चक्र में विभिन्न यौगिकों में बदल जाता है। यह बदलाव दोनों भौतिक और जीव वैज्ञानिक है। जबकि नाइट्रोजन का प्रत्यक्ष उपयोग नहीं किया जा सकता, हमारे वायुमण्डल का लगभग 79% नाइट्रोजन है। नाइट्रोजन चक्र के लिए पाँच मुख्य प्रक्रियाएँ होती हैं-
1. नाइट्रोजन स्थिरीकरण- नाइट्रोजन स्थिरीकरण में वायुमण्डलीय नाइट्रोजन, हाइड्रोजन के साथ मिलकर अमोनिया में परिवर्तित हो जाती है। यह अमोनिया पौधों द्वारा उपयोग में लाई जाती है। वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण तीन विधियों से होता है-
(i) वायुमण्डलीय स्थिरीकरण- नाइट्रोजन के स्थिरीकरण बिजली का चमकना, दहन तथा ज्वालामुखीय गतिविधियां सहायक होती हैं।
(ii) औद्योगिक स्थिरीकरण-आणविक नाइट्रोजन, उच्च तापमान तथा उच्च दाब पर परमाणविक नाइट्रोजन में विभाजित हो जाती है, जो हाइड्रोजन से संयोग करके अमोनिया बना लेती है।
(iii) जीवाणुओं द्वारा स्थिरीकरण-दो प्रकार के जीवाणु नाइट्रोजन स्थिरीकरण में सहायता करते हैं।
(a) सहजीवी बैक्टीरिया – दलहनी पौधों की ग्रन्थिकाओं में राइजोबियम नाइट्रोजन स्थिरीकरण करते हैं।
(b) मुक्त रूप से रहने वाले बैक्टीरिया – वायुमण्डलीय अथवा घुलनशील नाइट्रोजन को हाइड्रोजन के साथ संयोजित करके अमोनिया का निर्माण करते हैं, जैसे-नास्टाक, एजेटोबेक्टर, साएनो बैक्टीरिया |
2. नाइट्रीकरण – नाइट्रोसोमोनास तथा नाइट्रोकोक जीवाणु अमोनिया को नाइट्रेट तथा नाइट्राइट में परिवर्तित कर देते हैं। मृदा में पाया जाने वाला एक अन्य जीवाणु नाइट्रोबेक्टर भी नाइट्रेट को नाइट्राइट में परिवर्तित कर सकता है।
3. स्वांगीकरण-स्वांगीकरण प्रक्रिया में पौधों द्वारा स्थिर की गई नाइट्रोजन कार्बनिक अणुओं, जैसे-प्रोटीन DNA, RNA आदि में परिवर्तित की जाती है। ये अणु पौधों तथा जंतुओं के ऊतकों का निर्माण करते हैं।
4. अमोनीकरण – सभी जीव-जन्तु नाइट्रोजन अपशिष्ट पदार्थ जैसे यूरिया तथा यूरिक अम्ल उत्पन्न करते हैं। इन अपशिष्ट पदार्थ तथा जीवों के मृत अवशेषों को बैक्टीरिया के वापिस अकार्बनिक अमोनिया में परिवर्तित कर देते है। इस प्रक्रिया को अमोनीकरण कहते हैं। इस प्रक्रिया में अमोनीकारक बैक्टीरिया सहायता करते हैं।
5. विनाइट्रीकरण – नाइट्रेट का फिर से नाइट्रोजन में परिवर्तन विनाइट्रीकरण कहलाता है। विनाइट्रीकरण जीवाणु मिट्टी में अन्दर गहराई में जल तालिका (Water Table) के नजदीक रहते हैं। क्योंकि ये आक्सीजन मुक्त माध्यम में रहना पसंद करते हैं। नाइट्रोजन स्थिरीकरण की विपरीत प्रक्रिया विनाइट्रीकरण होती है।
प्रश्न 8. निम्न जीव तालाब पारितंत्र में रहते हैं – स्पाइटोगाइरा, यूग्लीना, हाडड्रा, डैफ्नीया, संधिपाद लार्वा, बास तथा सनफिश । एक खाद्य जाल बनाओ तथा प्रत्येक का पोषण स्तर पता लगाओ ।
उत्तर- पोषण स्तर, खाद्य श्रृंखला में प्रत्येक स्तर पर सोपानों की संख्या बताते हैं, जैसे- प्रथम स्तर पर पौधे आते हैं जो कि उत्पादक शाकाहारी → प्राथमिक मांसाहारी ….. उत्पादक हैं, द्वितीय स्तर पर शाकाहारी, तृतीय एवं चतुर्थ स्तर पर प्रथम स्तर पर मांसाहारी ।
स्पाइरोगाइटा हरे कवक की एक जीनस है। ये ताजे पानी में पाए जाते हैं तथा स्पाइरोगाइटा की 400 से भी अधिक स्पीशीज पाई जाती हैं। कवक अपना भोजन स्वयं बना सकते हैं इसलिए इन्हें प्रथम स्तर पर उत्पादक की तरह रखा जाता है। युग्लीना को भी प्रथम पोषक स्तर पर उत्पादक की तरह रखा जाता है।
यूग्लीना भोजन के एक कण के चारों ओर सिमट जाता है फिर उसे सटक लेता है। जब सूर्य प्रकाश काफी होता है, तब हाइड्रा द्वितीयक उपभोक्ता हैं, प्राथमिक उपभोक्ता प्रत्यक्ष उत्पादक को खाता है। हाइड्रा प्राथमिक उपभोक्ताओं को खाते हैं, यह अपना भोजन प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा बनाता है। जैसे – डैनिया । हाइड्रा मुख्यतः छोटे जलीय जीवों जैसे डैनिया तथा साइक्लोपस को खाते हैं। कुछ हाइड्रा प्रजातियाँ सहजीविता में भी रहती हैं, जैसे एक कोशिकीय कवक के साथ। ये कवक हाइड्रा द्वारा उनके शिकारियों द्वारा रक्षित होते हैं और बदले में हाइड्रा को प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा तैयार भोजन देते हैं।
डैनिया द्वितीयक उपभोक्ता हैं, जो एक कोशिकीय कवक यीस्ट तथा जीवों पर जीवित रहते हैं। ये प्रथम पोषक स्तर पर हैं। कीट तथा मोलस्क इन छोटे जीवों पर जीवित रहते हैं तथा पानी में रहने वाले सूक्ष्म जीवों पर मेढ़क केंचुए तथा अन्य एम्फीबियम खाद्य जाल में अगले स्तर पर रहते हैं। प्राथमिक उपभोक्ता मछलियाँ बड़ी मछलियों को बनाती हैं, जैसे मेट्रो फिश तथा ब्लुगिल्स जो कि अपने भोजन में छोटी मछलियाँ लेती हैं। बास खाद्य जाल में द्वितीयक उपभोक्ता की तरह रहते हैं, क्योंकि वे भी प्राथमिक गेम फिश को खाते हैं।
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