NIOS Class 10 Psychology Chapter 11 किशोरावस्था और इसकी चुनौतियाँ
NIOS Class 10 Psychology Chapter 11 किशोरावस्था और इसकी चुनौतियाँ – आज हम आपको एनआईओएस कक्षा 10 मनोविज्ञान पाठ 11 किशोरावस्था और इसकी चुनौतियाँ के प्रश्न-उत्तर (Adolescence and its Challenges Question Answer) के बारे में बताने जा रहे है । जो विद्यार्थी 10th कक्षा में पढ़ रहे है उनके लिए यह प्रश्न उत्तर बहुत उपयोगी है. यहाँ एनआईओएस कक्षा 10 मनोविज्ञान अध्याय 11 (किशोरावस्था और इसकी चुनौतियाँ) का सलूशन दिया गया है. जिसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप NIOSClass 10th Psychology Chapter 11 किशोरावस्था और इसकी चुनौतियाँ के प्रश्न उत्तरोंको ध्यान से पढिए ,यह आपकी परीक्षा के लिए फायदेमंद होंगे.
NIOS Class 10 Psychology Chapter 11 Solution – किशोरावस्था और इसकी चुनौतियाँ
प्रश्न 1. किशोर के रूपान्तरण के नमूने को निर्धारित करने वाले कारकों की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – किशोर के रूपान्तरण के नमूने को निर्धारित करने वाले कारक हैं-संक्रमण की गति, संक्रमण की लम्बाई, प्रशिक्षण में रुकावट, निर्भरता की स्थिति, अस्पष्ट स्थिति, विवादित माँगें, यथार्थ स्थिति तथा प्रेरणा |
प्रश्न 2. किशोरावस्था क्या है? एक किशोर को किन विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है ?
उत्तर – जब एक व्यक्ति बच्चे के वयस्क बनने में, शारीरिक एवं मनोवैज्ञानिक रूप से रूपान्तरित होता है, तो उसे किशोरावस्था कहते हैं। शारीरिक परिवर्तन और विचलन से सम्बन्धित सम्स्याएँ, समाज द्वारा उत्पन्न समस्याएँ इत्यादि ।
प्रश्न 3. किशोरों के विकासात्मक कार्यों में सम्मिलित है-
(क) विवाह और परिवार के लिए तैयारी
(ख) खिसकना और रेंगना
(ग) बच्चों जैसे व्यवहार का प्रदर्शन
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर- (क) विवाह और परिवार के लिए तैयारी |
प्रश्न 4. रॉबर्ट हेविंगहर्स्ट ने कितने विकासात्मक कार्यों का उल्लेख किया था?
(क) 10
(ख) 6
(ग) 9
(घ) 8
उत्तर- (क) 10
प्रश्न 5. किशोरावस्था कैसे एक तीव्र शारीरिक विकास और लिंग विकास की अवस्था होती है, व्याख्या कीजिए ।
उत्तर- क्योंकि इस अवस्था में ऊँचाई और भार में वृद्धि, कंकाल और मांसपेशियों का विकास, लिंग हॉर्मोन, यौन विकास, शक्ति और कौशल में वृद्धि होती है।
प्रश्न 6. लिंग भूमिका की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – लिंग से पुरुषों एवं स्त्रियों की पहचान की जाती है । लिंग की भूमिका पुरुषों और महिलाओं की अपेक्षित भूमिकाओं तथा उनके व्यवहारों से सम्बन्धित है। समाज में लिंग भूमिका की मान्यता हमारे व्यवहार को जीवन भर प्रभावित करती है।
किशोरावस्था और इसकी चुनौतियाँ के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1. किशोरावस्था के दौरान प्राथमिक और माध्यमिक लक्षण क्या हैं?
उत्तर – किशोरावस्था मूलतः बाल्यावस्था से वयस्क होने का समय है। वर्तमान युग में शारीरिक बदलाव तेजी से होते हैं। 11 से 19 वर्ष की उम्र में यह स्थिति होती है। किशोर बालक में होने वाले परिवर्तन उन्हें नए सामाजिक कर्तव्यों का पालन करने की जरूरत बनाते हैं। इसलिए किशोरों को कई समस्याएं आती हैं। माना जाता है कि किशोरावस्था का चरण तारुण्य या वयसंधि से प्रारंभ होता है, और 19 वर्ष की आयु होते-होते किशोर पूर्ण हो जाता है और किशोरी पूर्ण युवती हो जाती है।
स्त्रियों में प्रजनन क्षमता के प्रारंभिक विकास की यह उम्र बारह से चौदह वर्ष होती है, लेकिन परिपक्वता (पुष्ट गर्भधारण क्षमता) 18 वर्ष की आयु तक ही आ पाती है। इस दृष्टि से, लड़कियों में मासिक धर्म 12-13 वर्ष की आयु से ही शुरू होता है, जो इस बात का संकेत है कि लड़की गर्भधारण करने के योग्य हो गई है। युवक में इस आयु में दाढ़ी मूछें, गुप्तांगों और बगल में बाल आ जाते हैं। युवतियों के स्तन पुष्ट होते हैं और उनके गुप्तांग और बगलों पर बाल आने लगते हैं। स्त्रियों (युवतियों) में मासिक स्राव की शुरुआत की तरह, युवकों में सोते समय वीर्यपात होता है। ये पूरी तरह से युवा या युवा होने के संकेत हैं।
जैसा कि पहले कहा गया है, किशोरावस्था तारुण्य से वयस्कता तक का समय है। यह मध्य बाल्यावस्था की अवधि है जब बालक निर्भरता से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता है, इसलिए भौतिक और सामाजिक परिवर्तनों के प्रति समायोजन की आवश्यकता होती है, जो बाल्यावस्था को वयस्क व्यवहार से अलग करता है।
वयसंधि की अवस्था को एक लड़की लगभग 13 वर्ष की आयु तक प्राप्त कर लेती है, जबकि एक लड़का उससे एक साल बाद यानी 14 वर्ष की आयु में प्राप्त करता है।
प्रश्न 2. किशोरावस्था में होने वाले गुणात्मक परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर – बच्चे को उत्तर-मध्य बाल्यावस्था से किशोरावस्था में आने पर न सिर्फ शारीरिक परिवर्तन होते हैं, बल्कि उनमें गुणात्मक परिवर्तन भी होते हैं जो उसे अलग बनाते हैं। भविष्य में समायोजन और व्यक्तित्व को ये बदलाव प्रभावित करते हैं। बौद्धिक या संज्ञानात्मक वृद्धि-मध्य बाल्यावस्था बालक 11 वर्ष की आयु का होने का संकेत है। वह लगभग प्राइमरी पूरी करके लगभग छठी-सातवीं कक्षा में आधारभूत (बेसिक) शिक्षा के सोपान पर चढ़ता है। हाट-बाजार में काम करना, कुछ बड़े होते बच्चों के साथ, घर के कामों में थोड़ा गंभीर और जिम्मेदार समझा जाता है। इस प्रकार, किशोरावस्था में पदार्पण करते हुए व्यक्ति के बौद्धिक विकास में महत्वपूर्ण बदलाव देखने लगते हैं। इस स्थिति में वह अमूर्त कल्पना करने योग्य हो जाता है। गुणात्मक चिन्तन महान विचार के रूप में प्रस्तुत होते हैं। किशोर चिन्तन की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित होती हैं-
(i) कई कारकों को एक साथ जोड़ना तथा समस्या का समाधान करना।
(ii) एक कारक के प्रभाव को दूसरे कारक पर देखना।
(iii) संभाव्यता के आधार पर कारकों को जोड़ना या उन्हें अलग करना।
प्रश्न 3. किशोरावस्था के विकास को प्रभावित करने वाले कारकों का उल्लेख करते हुए आरेख प्रस्तुत कीजिए ।
उत्तर – किशोरावस्था को प्रमुखतया तीन कारक प्रभावित करते हैं-
(क) व्यक्तिगत कारक
(ख) पारिवारिक कारक
(ग) सामुदायिक कारक
(क) व्यक्तिगत कारक – देखा यह गया है कि बालक का स्वभाव, बुद्धि, संप्रेषण कौशल तथा सामाजिक कौशल मुख्य रूप से व्यक्तिगत कारक के रूप में प्रभाव डालते हैं।
(ख) पारिवारिक कारक – इस कोटि में मुख्य रूप से बालक का घर-परिवार, माता-पिता, भाई-बहन और उनके साथ व्यवहार और व्यवहार प्रभावी हैं। इसमें किशोरावस्था में बच्चे का विशेष ध्यान या घर-परिवार के अन्य लोगों से बच्चे का लगाव सबसे अधिक प्रभावित होता है। यदि घर में तीन से अधिक बच्चे हैं और बड़ा बच्चा अपने छोटे भाई बहनों पर नियंत्रण रखता है, तो वह किशोरावस्था में नेतृत्व करने में सक्षम होगा। किंतु किशोर को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए परिवार से बाहर आधार खोजना पड़ सकता है यदि माता-पिता किशोर होते बच्चे को टोका-टाकी करते हैं और उसे कठोर अनुशासन देते हैं। ऐसे में छोटे भाई-बहनों पर उसका क्रोध दिखाई देगा। इस आयु में भावना, अपनापन और लगाव बहुत महत्वपूर्ण हैं।
(ग) सामुदायिक कारक – सामुदायिक कारक भी घर-परिवार से बाहर किशोरों को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों में शामिल हैं, क्योंकि किशोरावस्था में किशोर का दायरा परिवार से बाहर है; प्रभावी आदर्श व्यक्तित्व (रोल मॉडल) और प्रसार माध्यम (जैसे रेडियो और दूरदर्शन) महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। किशोर देश-दुनिया के समाचार प्रसार माध्यम से प्राप्त करता है। तीनों ही कारकों से स्पष्ट है कि किशोर केवल अपने कौशल, क्षमता और विवेक से तीनों प्रभावों को संतुलित करके सफल और स्वस्थ विकास कर सकता है। आप इसे निम्नलिखित आरेख में दिखा सकते हैं: