NIOS Class 10 Psychology Chapter 6. स्मृति
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NIOS Class 10 Psychology Chapter6 Solution – स्मृति
प्रश्न 1. स्मृति के तीन प्रकारों की संक्षेप में व्याख्या कीजिए ।
उत्तर- मनोवैज्ञानिक शोधों – अनुसंधानों के आधार पर यह तथ्य उभरकर सामने आया कि स्मृति एक अकेली अवस्था नहीं है । इसकी एक से अधिक अवस्थाएं होती हैं यानी कहा जा सकता है कि स्मृति के कई स्तर, कई प्रकार हो सकते हैं, लेकिन अत्यधिक स्वीकृत प्रारूप के अनुसार स्मृति की सामान्यतया तीन मुख्य प्रणालियाँ मानी जा सकती हैं-
(क) सांवेदिक स्मृति
(ख) अल्पकालिक स्मृति
(ग) दीर्घकालिक स्मृति
यहाँ सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन प्रणालियों द्वारा सूचनाएं क्रमशः संप्रेषित की जाती हैं; अगर इन पर ध्यान नहीं दिया जाता, तो सूचनाएं प्रणाली में फिर से प्रवेश करती हैं। ये प्रणाली निम्नलिखित सारणी से समझा जा सकती हैं: किसी वस्तु को अपनी आंखों से कुछ दूरी पर रखें, सांवेदिक स्मृति प्रणाली में। कुछ समय इसे देखें। वस्तुत: देखना है। अब आंखें बंद करके अनुभव कीजिए कि उस वस्तु का स्पष्ट चित्र आपके सामने कितनी देर तक रहता है। इस तरह, किसी वस्तु का स्पष्ट चित्र (मानसिक चित्र) दिखाई देना बंद होने के आधे सेकंड तक व्यक्ति की सांवेदिक स्मृति में रहता है। इसका मतलब यह है कि सांवेदिक स्मृति में सांवेदिक जानकारी बहुत कम समय के लिए उपलब्ध रहती है और यह निहित संवेदना के प्रकार पर निर्भर करती है। अनुभव हमें बताता है कि हर संवेदना की अपनी अलग-अलग सांवेदिक स्मृति होती है। चाक्षुष स्मृति पक्षिक स्मृति है, जबकि चाक्षुष तंत्रिका चाक्षुष स्मृति है।
जैसा कि उपर्युक्त सारणी में दिखाया गया है, पाक्षिक स्मृति दो सेकंड तक टिक सकती है, जबकि चाक्षुष स्मृति आधे सेकंड तक टिक सकती है। हमारे मस्तिष्क में संवेदना तंत्र में रखे गए कई सूचनाएं सांवेदिक स्मृति में आती हैं, लेकिन उनमें से अधिकांश समाप्त हो जाते हैं, ध्यान नहीं दिया जाता है और फिर अगली अवधि में प्रवेश करते हैं।
प्रश्न 2. लघुकालिक स्मृति की विशेषताओं की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – प्रयोग रूप में देखा जा सकता है कि यदि हम यह ध्यान से सोचें कि कौन-सी चीज हमारी चाक्षुष चेतना को सबसे अधिक आकृष्ट करती है, तो हम पाते हैं कि कुछ चीजें हमारी रुचि, पसंद और खुशी को प्रभावित करती हैं या उनके अनुरूप होती हैं, वे सबसे अधिक आकृष्ट करती हैं। इसी तरह ध्वनि की अनुभूति का पता चलेगा। वह हमारी अल्पकालिक स्मृति का आधार बन जाएगा। अल्पकालिक स्मृति एक अन्य प्रकार की स्मृति है। इस तरह की स्मृति में अपेक्षाकृत छोटी मात्रा में जानकारी अक्सर २०-३० सेकंड तक रहती है। यह एक स्मृति व्यवस्था है जिसे हम अपनी टेलीफोन डायरी में नोट करके किसी का फोन नंबर डायल करते हैं। यदि पहली बार फोन नहीं मिलता तो शायद हम फोन नंबर भूल जाते हैं. लेकिन अगर कई बार फोन नहीं मिलता तो बार-बार डायल करने से नंबर लंबे समय तक स्मृति में रहता है।
मनोवैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकाला कि अल्पकालिक स्मृति भण्डार अब एक निष्क्रिय प्रभाव वाले क्षेत्र से अधिक है। उदाहरण के लिए, किसी व्यक्ति का फोन नंबर याद रखना। इसके विपरीत, यह जानकारी का सक्रिय संसाधन है। इन्हीं परिणामों से अल्पकालिक स्मृति को कामकाजी या सक्रिय स्मृति कहा जाता है। इसका सीधा अर्थ है कि कुछ सक्रिय प्रक्रिया, जैसे साधारण गणना, अल्पकालीन स्मृति के दौरान घटती रहती हैं।
जैसा कि नाम से भी स्पष्ट है, अल्पकालिक स्मृति क्षमता सीमित है (जादुई संख्या 7+2 कहा जाता है), यानी यदि इकाइयों की संख्या एक बार में 5 से 9 है, तो यह सीमा है। स्पष्ट रूप से, कोई व्यक्ति एक बार में 9 अंक तक (या अधिक) याद रख सकता है। अतः इकाइयों की संख्या बढ़ने पर नई जानकारी पहले से उपलब्ध जानकारी को स्थानांतरित करती है यही कारण है कि 7 से 9 अंक वाले फोन नंबर को याद रखना आसान होता है। आजकल, मोबाइल का प्रचलन बढ़ता जा रहा है और मोबाइल नंबर अक्सर 10 अंकों के होते हैं, इसलिए इसे बढ़ाकर 10 तक माना जा सकता है। हाल ही में मेरे एक दोस्त ने मुझे अपना मोबाइल नंबर [9891454850] दिया। डायरी देखकर मैंने उसे फोन किया, तो पहली बार मुझे उसके नंबर याद आए, लेकिन बाद में आवश्यकता पड़ने पर मुझे 98, 45, 48 और 50 याद आए। मैं अतिरिक्त स्थान के अंक भूल गया। मैं उस समय अपने दोस्त को फोन नहीं कर सका।
घर पर, मैंने डायरी से अंकों को फिर से देखा तो 98 के बाद 91 अंक (मैं पहले इन्हें भूल गया था) याद आए। मैं अब यह संख्या नहीं भूलता। इसका कारण यह है कि संख्या याद रखने की क्षमता को गुच्छन प्रक्रम से बढ़ाया जा सकता है, जैसा कि मैंने किया है।मोबाइल संख्या अक्सर 98 से शुरू होती है, जिसमें 91 को एक साथ याद रखना आसान है. इसके बाद, 45, 48 और 50 दोहराने से, 3-2 की वृद्धि दर से, याद रखना आसान होता है। ऐसे ही 12 अंक (1947, 2013, 1948) भी याद आ सकते हैं। सीधी बात है: 1947 में देश आजाद हुआ, लेकिन 1948 में गांधी जी को मार डाला गया। इनके बीच की संख्या 2013 ई. का तेरहवां वर्ष है, और इस गुच्छन प्रक्रम में अंक 1947 से 1948 तक हैं। गुच्छित करके अंक याद करना आसान है।
प्रश्न 3. विस्मरण के मुख्य कारणों की सूची बनाइए ।
उत्तर – जब किसी को कुछ जानना होता है, तो उसे याद करना कभी-कभी बहुत मुश्किल होता है, लेकिन वास्तव में वह जानना भूल चुका होता है। इसलिए उसे नीचे देखना या शर्मिन्दा होना पड़ता है। असल में, हम अधिकांश जानकारी को याद रखने योग्य नहीं समझते और सिर्फ भावनात्मक स्मृति में रहते हैं इनमें बहुत सी महत्वपूर्ण जानकारी शामिल है और इससे अधिक नहीं। परीक्षा के दौरान भी, हम जो याद करना चाहते हैं, उसे याद नहीं कर पाते। इस अक्षमता पर विचार करने से प्रश्न उठता है कि ऐसा क्यों होता है? क्या कारण है कि हम समय पर कुछ याद नहीं कर पाते? क्या असली विस्मरण है? मनोवैज्ञानिकों ने इस क्षेत्र में विस्मरण की प्रक्रिया को कई तरह से समझाया है। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:-
(i) क्षय- कुछ मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि बढ़ती आयु के साथ शारीरिक अंगों की कमी नहीं होती, बल्कि स्मृति चिह्न भी धुंधले पड़ने लगते हैं या गायब होने लगते हैं। किंतु इस विचार की व्याख्या में यह नहीं समझा जा सकता कि कुछ स्मृतियां हमेशा के लिए समाप्त हो जाती हैं, जबकि कुछ स्मृतियां अच्छी तरह से संरक्षित रहती हैं। यदि इस तरह विचार किया जाए, तो समय बीतने को विस्मरण के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता; हालांकि, आयु के बढ़ते प्रभाव को अनदेखा भी नहीं किया जा सकता।
(ii) बाधा (व्यतिकरण ) – विस्मरण सिद्धान्त को व्यतिकरण या बाधा कहते हैं। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि स्मृति में अत्यधिक कमी समय के साथ-साथ स्मृति अवशेषों के धूमिल होने या नष्ट होने से नहीं होती; इसके बजाय, यह सीखने के बाद बीतने वाली अवधि में क्या अतीत होता है, इसके कारण होती है। मनोवैज्ञानिकों ने व्यवहार को दो श्रेणियों में विभक्त किया है:
(क) अग्रोन्मुख व्यतिकरण
(ख) पृष्ठोन्मुख व्यतिकरण
(क) अग्रोन्मुख व्यतिकरण – इस बाधा के कारण होने वाले विस्मरण को इस रूप में देख सकते हैं कि जब पहले वाली सूचना (ज्ञान) तात्कालिक सूचना के लिए बाधा उत्पन्न करे, एक व्यक्ति जिसने दस वर्ष तक राजदूत मोटर साइकिल चलाई। इसके बाद वैस्पा एलएमएल ले लिया। राजदूत मोटर साइकिल में स्टार्टर किक बायीं तरफ है, व्यक्ति को बायीं तरफ से मोटर साइकल स्टार्ट करने का अभ्यास हो गया। अब स्कूटर स्टार्ट करते समय ( स्कूटर में स्टार्टर किक दायीं तरफ है) भी वह व्यक्ति पिछले अभ्यास के कारण बायीं तरफ ही किक लगाने की भूल करता है, इसलिए पुरानी आदत अधिक समय तक स्थायी बनी रह सकती है। इस प्रकार, अग्रोन्मुखी व्यतिकरण व्यक्ति द्वारा सीखी पुरानी आदत के शक्तिशाली व्यतिकरण के कारण नयी पद्धति या नई आदत को न सीख पाने के कारणों (अभ्यस्त न हो पाने के कारणों) की व्याख्या करता है।
(ख) पृष्ठोन्मुख व्यतिकरण – यह स्थिति को पृष्ठोन्मुख व्यतिकरण कहते हैं, जब तात्कालिक (वर्तमान) सूचना पूर्वकाल या पहले याद की गई सूचना के स्मरण में बाधक बनती है। उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति एक दिन फ्लोर गियर वाली फियेट कार चलाता है और अगले दिन हैण्ड गियर वाली गाड़ी चलाता है, तो उसका हाथ बाएं गियर के भ्रम में ऊपर आ जाता है। जब हैण्डगियर का अभ्यास फ्लोर गियर में होता है, तो पृष्ठोन्मुखी व्यतिकरण की कोटि में व्यतिकरण होगा।
(ग) अभिप्रेरित व्यतिकरण – मनोविज्ञान के पिता सिगमण्ड फ्रायड कहे जाते हैं। उनका कहना है कि भूलना या विस्मृत करना प्रायः अभिप्रेरित होता है। इसका मुख्य तर्क यह है कि दुःखदायी, निराशाजनक या भयानक परिस्थितियां अक्सर भुलाने योग्य होती हैं। फ्रायड का कहना है कि इन्हें भुला देना चाहिए, इसलिए ये सूचनाएं और घटनाएं अवदमित हो जाती हैं। इसे रक्षा प्रक्रिया में शामिल किया जाता है, क्योंकि जो घटना या सूचना याद आने पर हमें मानसिक कष्ट या अप्रसन्नता देती है, उसे भुला देना ही श्रेयस्कर है।
(घ) उद्दीपक कूट संकेतक – आधुनिक मनोविज्ञानवेत्ताओं के अध्ययन से पता चला है कि सूचनाओं के कूट संकेतक की प्रक्रिया और सन्दर्भ धारणा दोनों महत्वपूर्ण हैं। यह दिखाया गया है कि हमारे अनुभव किसी परिस्थिति में उपस्थित हैं और निश्चित रूप से संकेतिक हैं। यदि बाद में उन्हें याद करते समय स्थितियां मूल कूट संकेतन की तरह होती हैं, तो स्मृति बनी रहती है।
(ङ) संसाधन के स्तर – इस वर्ग में भी विस्मरण होता है। हम सीखने की प्रक्रिया पर पूरा ध्यान देते हैं। पूरी गहराई से जाकर उसका संसाधन करते हैं, लेकिन यदि हम इसके विपरीत सीखने की इस प्रक्रिया में चीज पर पूरा ध्यान नहीं दे पाते या उपेक्षा करते हैं, तो हम सिर्फ सतही स्तर पर ध्यान दे सकते हैं। विस्मरण भी इस तरह पूरी गहराई पर संसाधन न मिलने से हो सकता है।
स्मृति अन्य के महत्त्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1. स्मृति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- स्मृति एक गतिशील और व्यापक तंत्र का परिणाम है जो हर व्यक्ति में विद्यमान है। यदि कोई हमसे किसी प्रसिद्ध कलाकार या नेता का नाम पूछे तो उसे बताने में कुछ सेकंड भी नहीं लगेगा। ऐसा ही होता है जब बचपन के मित्रों, उनसे संबंधित घटनाओं, पारिवारिक सदस्यों, संबंधियों और अन्य विभिन्न घटनाओं को सामने आते ही एक याद आती है और मन में अनगिनत पुरानी यादें घूमती हैं। ये सब स्मृतियां ही हैं जो एक व्यक्ति के मस्तिष्क पटल पर एक साथ उभर आती हैं और इन्हें कभी भूलता नहीं है।
मानव स्मृति में अद्भुत शक्ति, क्षमता और सामर्थ्य है। वेदों को श्रुति ग्रन्थ भी कहा जाता है, जैसा कि हम सभी जानते हैं। जब तक चारों वेद लिपिबद्ध नहीं हो गए थे, ये सभी ग्रंथ मौखिक रूप से कण्ठस्थ रहा करते थे। इन्हें सुनकर हर पीढ़ी ने उनका पालन किया। वेदों को श्रुति ग्रन्थ कहा गया क्योंकि ये वेद मौखिक रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी बाँटते थे। यह वैदिक ज्ञान काफी समय तक स्मृति में रह गया। मानव की शक्ति इस स्मृति गुण से आती है।
परिभाषा के अनुसार, धारणा एक विशिष्ट प्रक्रिया है, और स्मृति सूचना भंडारण में मौजूद कई प्रक्रियाओं का एक संग्रह है। प्रत्याशित रूप से सक्रिय मानसिक व्यवस्था, संज्ञानात्मक मनोवैज्ञानिक स्मृति को स्मरण और संकेतन करती है। स्मृति प्रक्रिया को स्पष्ट रूप से नहीं देखा जा सकता। यह अध्ययन धारणा के मापन से अप्रत्यक्ष रूप से ही संभव है, इसलिए इसे स्मृति सूचनाओं के एकत्रीकरण का ऐसा प्रक्रम कहा जा सकता है, जिसमें से विवरणों, सन्दर्भों, घटनाओं, विचारों और सूचनाओं को आवश्यकतानुसार पुनर्प्राप्त किया जा सकता है।
प्रश्न 2. स्मृति प्रणालियों की दीर्घकालिक स्मृति (एल.टी.एम.) को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- दीर्घकालिक स्मृति स्मृति अवस्था (प्रणाली) है जिसमें कोई भी जानकारी लंबे समय तक संचित रह सकती है। इसका समय अनंत है। यह व्यवस्था ऐसी है कि इसमें कल, परसों, माह, वर्ष या वर्षों पहले की घटनाएं याद रह सकती हैं। तथ्यात्मक जानकारी को याद रखने की क्षमता सिर्फ इस दीर्घकालिक स्मृति से मिलती है। विभिन्न विषयों, विचारों, विवादों और प्रेम-प्रसंगों को याद रख सकता है।
यह एक निरंतर अभ्यास प्रक्रिया है; दूसरे शब्दों में, जब कोई जानकारी पर ध्यान देकर सक्रिय रूप से अभ्यास करता है, तो जानकारी दीर्घकालिक स्मृति में आती है, जब उस पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। और जब आने वाली सांवेदिक जानकारी पर ध्यान नहीं दिया जाता, सामग्री धुंधली हो जाती है और जल्दी ही स्मृति से चली जाती है।
यह स्पष्ट है कि व्यक्ति कुछ जानकारी पर ध्यान देता है और कुछ पर नहीं। यह व्यक्तिगत रूप से अलग-अलग व्यक्तिगत रुचि, अनुभव, संस्कार प्रवृत्ति या दृष्टिकोण पर निर्भर करता है। “चयनात्मक ध्यान”, या किसी वस्तु, व्यक्ति या घटना (सूचना) पर चयनात्मक दृष्टि से ध्यान देना, अपने जीवन के कुछ विशिष्ट पहलुओं पर ध्यान देना है। अल्पकालिक स्मृति में अक्सर जानकारी दोहराई जाती है। उस सूचना को दीर्घकालिक स्मृति में स्थानांतरित करने में बार-बार दोहराना सबसे अच्छा है।
प्रश्न 3. स्मृति में सुधार के उपायों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर – सामान्यतः प्रत्येक व्यक्ति अपनी स्मृति को बढ़ाना चाहता है ताकि वह अधिक से अधिक सूचनाओं और तथ्यों को याद रख सके । मनोवैज्ञानिकों ने भी स्मृति वृद्धि की दिशा में अध्ययन व खोज करते हुए या पाया कि थोड़े-से प्रयास से ही याददाश्त को बढ़ाना संभव हो सकता है और हरेक व्यक्ति के लिए अध्ययनों के आधार पर प्रकाश आई कुछ युक्तियां निम्नलिखित रूप में उपयोगी पाई गईं-
(i) गहन संसाधन
(ii) सावधानीपूर्वक ध्यान देना
(iii) व्यतिकरण में कमी करना
(iv) वितरित अभ्यास
(iv) स्मृति में सहायक युक्तियों का उपयोग
(vi) आशुलिपि संकेत का उपयोग
यहां इन्हें विस्तार से देखा जा सकता है-
(i) गहन संसाधन – गहन संसाधन की दिशा में सक्रिय होना चाहिए यदि कोई कुछ सीखना चाहता है और उसे दीर्घकालिक स्मृति स्तर तक ले जाना चाहता है। गहन संसाधन के लिए सावधानीपूर्वक योजना बनाई जाएगी तथा जानकारी का पूरा अर्थ समझा जाएगा। इसके बाद, इस नए ज्ञान को अपने पुराने ज्ञान से जोड़ा जाएगा। इस प्रकार प्रत्येक नई जानकारी व्यक्ति की स्मृति और सीखने में मदद करेगी। इस प्रक्रिया को अपनाने से व्यक्ति अपनी स्मृति में सुधार महसूस करने लगेगा, क्योंकि स्मृति में किसी भी चीज (सामग्री) की गहराई पर निर्भर करता है। अर्थ के दृष्टिकोण से गहरा स्तर बहुत महत्वपूर्ण है।
इससे संसाधन की गहराई निर्भर करती है। कि सामग्री को स्मरण करने के लिए कितना प्रशिक्षण दिया गया है ज्यादा अभ्यास करने पर उसे याद करना आसान होगा। उदाहरण के लिए, बचपन में प्राथमिक कक्षाओं में (सामान्यतया 1 से 3 तक) गिनती याद करना सीखा गया। सारी कक्षा अक्सर अंतिम घंटे में एक पंक्ति में खड़ी रहती थी। दीवार पर बैठकर बच्चे बार-बार 10 से 20 तक की गिनती दोहराते थे. फिर 100 तक की गिनती दोहराते थे. यह अभ्यास हर दिन किया जाता था, और बच्चे इसे हर दिन याद कर लेते थे। पहाड़ों को याद करने के लिए भी इसे अपनाया जाता था। यह धारणा थी कि बच्चों को पहाड़ी पर अभ्यास करने से पहले सीधा पहाड़ा याद आता था, बाद में कटवां पहाड़ा। तब कैलकुलेटर और कम्प्यूटर नहीं थे। सब कुछ जुटाना था। ये सब कक्षा में निरंतर अभ्यास से हुआ था। जितना अधिक अभ्यास किया जाएगा, उतना ही अधिक आसानी से उसे याद करना होगा।
(ii) सावधानीपूर्वक ध्यान देना– किसी भी विषय या सामग्री को सीखने के पीछे आम तौर पर यह भाव बना रहता है कि वह सीखना सूचना के रूप में व्यक्ति की दीर्घकालिक स्मृति में जाएगा और लंबे समय तक बनी रहेगी। इसके लिए, सीखी जाने वाली जानकारी को सावधानीपूर्वक याद रखने के लिए सतर्क और सचेत रहना आवश्यक है। आप सीख रहे किसी भी सामग्री को यहाँ एक उदाहरण देख सकते हैं: यदि कोई विद्यार्थी पाठ पढ़ रहा है और चाहता है कि उसकी तथ्यपरक जानकारी उसे लंबे समय तक याद रहें, तो उसे पाठ के दौरान नोट बुक में महत्वपूर्ण स्थानों पर ध्यान देना चाहिए और विषय के बढ़ते क्रम में बदलते सन्दर्भों को याद करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। कठिन स्थानों को समझना चाहिए, खासकर उनका अर्थ जानकर। इस तरह, छात्र की स्मृति में पठित सामग्री बहुत समय तक बनी रहेगी। परीक्षा के दौरान वह एक बार फिर से याद आ जाएगा।
(iii) व्यतिकरण (बाधा) कम करना – हम जानते हैं कि बाधा या व्यतिकरण पक्ष विस्मरण का एक प्रमुख कारण होता है, इसलिए इससे बचना चाहिए या उचित समाधान खोजना चाहिए। यह आम तौर पर देखा गया है जब कोई कुछ सीखता है, तो उसमें जितनी समानता होती है, उतनी ही ज्यादा बाधा उत्पन्न होने की संभावना भी बढ़ जाती है, इसलिए ऐसा करना चाहिए कि एक समय में एक ही चीज सीखकर दूसरी के लिए कुछ समय दें। मान लीजिए, आपको एक भाषा सीखनी है, तो आपको उसे एक-एक समय में सीखना होगा, और अगर आप दोनों भाषाओं को साथ-साथ सीखना होगा, तो आप दोनों को अलग-अलग पढ़ेंगे, ताकि एक भाषा का दूसरे पर प्रभाव न पड़े। इस प्रकार सीखने में व्यतिकरण से बच सकते हैं।
(iv) वितरित अभ्यास – थोड़ा-थोड़ा सीखना (वितरित करना) याद रखने के लिए अच्छा है। एक बड़ा अध्याय को तीन भागों में बांटें। उसके उपखण्ड बनाकर उसे याद रखें: हर बार एक भाग करें। यह पूरी तरह याद करने के बाद, अध्याय के अगले तीन भागों की ओर बढ़ें, क्योंकि इसमें सीखी गई जानकारी उस अध्याय के अगले भागों को याद रखने में मूल ज्ञान का काम करेगी। ध्यान रहे कि सीखते या याद करते समय चीजों को रटने की बजाय उन्हें समझकर याद करें।
(v) स्मृति में सहायक युक्तियों का प्रयोग – संकेत चिह्न कुछ सूत्र हैं जो किसी भी सामग्री, घटना या जानकारी को याद रखने के लिए उपयोग किए जाते हैं। स्मृति चिह्न याद करने में मदद करने वाले ये संकेत चिह्न हैं। जब किसी को किसी जगह पहली बार जाना पड़ा, तो उसे (जो अक्सर बहुत लोग करते हैं) उस जगह को पहचानने के लिए कुछ याद रखना चाहिए, जैसे किसी दुकान, सिनेमा, गली का नाम, होटल, अस्पताल आदि, ताकि फिर कभी वहां जाना पड़े तो भटकना न पड़े। वह स्थान आसानी से मिल जाएगा। जब आप किसी से घर का मकान का पता पूछते हैं, तो वह अक्सर कहता है, “मकान नं. तो ध्यान नहीं है,”
लेकिन मैं वहां गया हूँ, मैं उस जगह अवश्य पहुंचूँगा। ऐसा हुआ है: हमारे एक दोस्त के पिता की मृत्यु हो गई। हमें उनकी अंत्येष्टि में जाना था। नंगला ठकरान था स्थान। मैं एक बार वहां गया था। मित्रों सहित मैं पुराने स्मृति चिह्नों पर भरोसा करके वहां पहुंच गया। इस तरह, स्मृति में सहायक तंत्रों का उपयोग भी सीखने में लाभकारी होता है।
(vi) आशुलिपि (शॉर्टहैण्ड) संकेत- स्टैनोग्राफर या स्टैनोटाइपिस्ट आशुलिपि को संकेत भाषा मानते हैं। ये लोग इस संकेत लिपि में व्यापक भाषणों को नोट करते हैं, फिर इन्हें विस्तार देकर पूरा पाठ बनाते हैं। याद करके सीखने में भी इस कला का उपयोग किया जा सकता है। याद करने के लिए वस्तुओं की लंबी सूची बनाने के लिए कोई व्यक्ति अपना शॉर्टहैंड कूट संकेतक बना सकता है. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि सूर्य हम तक सात रंग की किरणों का प्रकाश पहुँचाता है, जो एकरंगी प्रक्रम से हमें सफेद दिखाई देता है, लेकिन प्रकाश असल में कई रंगों से बना है।
अंग्रेजी में इस रंग क्रम को ‘विबग्योर’ VIBGYOR-
V-वायलेट, I-इंडिगो, B-ब्ल्यू, G-ग्रीन, Y-येलो, O-ऑरेंज
तथा R-रैड के संक्षेप रूप में जाना जाता है।
प्रश्न 4. स्मृति प्रकारों के आधुनिक दृष्टिकोण को बताइए।
उत्तर- आधुनिक मनोवैज्ञानिकों ने स्मृति को प्रमुख चार प्रकारों
में विभाजित किया है-
(क) अर्थपरक स्मृति
(ख) घटनापरक स्मृति
(ग) विधिपरक स्मृति
(घ) अधिस्मृति
इन्हें विस्तार से निम्नवत् देखा जा सकता है
(क) अर्थपरक – इसके अंतर्गत ज्ञान, अर्थ एवं सामान्यीकृत अनुभव आते हैं। जो कुछ भी हम पुस्तकों और संसार की घटनाओं के बारे में सूचनाओं से सीखते हैं, वह सब इनमें सन्निहित होता है।
(ख) घटनापरक- इसमें व्यक्ति के व्यक्तिगत अनुभव शामिल हैं। दिन में आप बहुत कुछ करते हैं। वे आपके अपने अनुभव हैं। इस तरह के अनुभवों की स्मृति केवल आपके पास है। ये सब घटनाओं की स्मृति हैं।
(ग) विधिपरक – इसका सम्बन्ध कुछ निश्चित चीजों अथवा क्रियाओं को संपादित करने के तरीकों या क्रियाओं के करने के ढंग की स्मृति से है।
(घ) अधिस्मृति- यह स्मृति के लिए स्मृति है। हम केवल चीजों या घटनाओं को ही याद नहीं करते, बल्कि यह भी याद करते हैं कि हम क्या याद कर सकते हैं। लोगों की अपनी स्मृति की समझ अच्छी या बुरी हो सकती है।
प्रश्न 5. स्मरण के किसी एक चरण का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – सीखना अनुभव के फलस्वरूप नए व्यवहारों का अर्जन है, तो स्मृति सूचनाओं के भण्डारण या संचयन का ऐसा प्रक्रम है जिसमें आवश्यकतानुसार सूचनाओं को पुनर्प्राप्त अथवा स्मरण किया जा सकता है। यह सूचना भण्डारण में निहित कई प्रक्रियाओं का समुच्चय है। इसके प्रमुख रूप से तीन कारण होते हैं-
(i) सांवेदिक स्मृति
(ii) अल्पकालिक स्मृति
(iii) दीर्घकालिक स्मृति
सांवेदिक स्मृति – किसी वस्तु को कुछ समय तक ध्यानपूर्वक देखना अब आंख बंद करके देखें कि हम उस वस्तु को अपने मस्तिष्क में कितनी देर तक संरक्षित रख सकते हैं. हम पाते हैं कि हम केवल आधे सेकंड तक उस वस्तु को अपने मस्तिष्क में संरक्षित रख सकते हैं। यानी किसी वस्तु का स्पष्ट मानसिक चित्र उद्दीपन होने के लगभग आधा सैकण्ड तक ही सांवेदिक स्मृति में सांकेतिक जानकारी अल्प समय तक उपलब्ध रहती है, जो निहित संवेदना के प्रकार पर निर्भर करता है। प्रत्येक संवेदना की अपनी विशिष्ट सांवेदिक स्मृति होती है। ध्वनि संबंधी स्मृति को श्राविक स्मृति कहा जाता है, जबकि चाक्षुष तंत्रिका को चाक्षुष स्मृति कहा जाता है।
श्राविक स्मृति दो से तीन सेकंड तक रहती है, जबकि चाक्षुष स्मृति आधा सेकंड तक रहती है। सांवेदिक स्मृति हमारी सांवेदिक पंजिका से बहुत सारी जानकारी लेती है। सूचीबद्ध जानकारी नहीं देने से अधिकांश जानकारी समाप्त हो जाती है। जो कुछ इसी आधे घंटे में नष्ट हो जाता है, वह सांकेतिक स्मृति श्रेणी में आता है। जो लुप्त होने से बच जाता है, यानी व्यक्ति के ध्यान में रहता है, अगले चरण, या अल्पकालिक स्मृति कोटि में जाता है।
प्रश्न 6. स्मृति लोप से आप क्या समझते हो ?
उत्तर – जब कोई व्यक्ति किसी सूचना को याद कर पाने में असमर्थता अनुभव करता है, यही विस्मरण या स्मृति लोप कहलाता है। सामने पूर्व-परिचित व्यक्ति को देख कर पहचानने में असमर्थता, परीक्षा में प्रश्नपत्र देखकर प्रश्न याद करने में असमर्थता इस विस्मरण या स्मृति लोप के ही उदाहरण हैं। स्मृति लोप के प्रमुख कारकों में निम्नलिखित कारक प्रमुख रूप से प्रभावित करते हैं-
(i) क्षय – समय बीतने के साथ स्मृति चिह्नों का ह्रास |
(ii) व्यतिकरण- पहले सीखी गई चीज कई बार बाद में सीखने वाली चीज में बाधा बनती है। अग्रोन्मुखी व्यतिकरण और जब बाद में सीखी गई चीज पूर्व सीख के याद रखने में बाहर हो, पृष्ठोन्मुख लोप कहलाता है।
(iii) अभिप्रेरित विस्मरण – हमारे भूलने वाली अधिकांश घटनाएं सन्दर्भ अक्सर अभिप्रेरित होते हैं, क्योंकि अक्सर कष्टदायी व भयावह स्थितियां भुला दी जाती हैं या अवदमित कर दी जाती हैं।
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