NIOS Class 10 Home Science Chapter 8 संक्रामक रोग तथा जीवनशैली रोग
NIOS Class 10 Home Science Chapter 8 संक्रामक रोग तथा जीवनशैली रोग – आज हम आपको एनआईओएस कक्षा 10 गृह विज्ञान पाठ 8 संक्रामक रोग तथा जीवनशैली रोग के प्रश्न-उत्तर (Communicable and Life Style Diseasesases Question Answer) के बारे में बताने जा रहे है । जो विद्यार्थी 10th कक्षा में पढ़ रहे है उनके लिए यह प्रश्न उत्तर बहुत उपयोगी है. यहाँ एनआईओएस कक्षा 10 गृह विज्ञान अध्याय 8 (संक्रामक रोग तथा जीवनशैली रोग) का सलूशन दिया गया है. जिसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप NIOSClass 10th Home Science 8 संक्रामक रोग तथा जीवनशैली रोग के प्रश्न उत्तरोंको ध्यान से पढिए ,यह आपकी परीक्षा के लिए फायदेमंद होंगे.
NIOS Class 10 Home Science Chapter 8 Solution – संक्रामक रोग तथा जीवनशैली रोग
प्रश्न 1. संक्रामक रोगों और गैर-संक्रामक या जीवन शैली रोगों में अंतर बताएँ ।
उत्तर- संक्रामक रोग–एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है; जैसे – हैजा, एंफ्लूएंजा, पोलियो, मोतीझरा । गैर संक्रामक रोग-एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है-जैसे-गठिया, कैंसर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप ।
प्रश्न 2. शाजिया एक मेले में गई और वहाँ उसने मक्खियाँ व धूल लगा खाना खाया। अगले दिन उसे उल्टी व दस्त होने लगे और पैरों में दर्द होने लगा । ये लक्षण क्या दर्शाते हैं? आप रोगी की देखरेख के लिए क्या कदम उठाएँगे?
उत्तर- ये लक्षण दर्शाते हैं कि शाजिया को हैजा हुआ है। ऐसी स्थिति में उसकी देखभाल करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाएँगे-
(i) रोगी को तरल पदार्थ जैसे उबला पानी, दाल का पानी और रस भरपूर मात्रा में दें ।
(ii) रोगी को ऐसा भोजन दें, जो आसानी से पच जाए, जैसे खिचड़ी और दही ।
(iii) भोजन में ज्यादा मिर्च-मसाले नहीं होने चाहिए ।
(iv) रोगी को O.R.S. का घोल भी देना चाहिए ।
प्रश्न 3. जीवनशैली रोगों से वित्तीय बोझ पड़ता है और राष्ट्र की प्रगति बाधित होती है। कैसे?
उत्तर – जीवनशैली रोग होने का प्रमुख कारण हमारी अपनी लापरवाही होती है। पौष्टिक आहार न करना, व्यायाम न करना, अधिक जंक फूड खाना आदि, जीवनशैली रोगों को बढ़ावा देते हैं। ये रोग दीर्घकालीन होते हैं, जैसे- मधुमेह, उच्च रक्तचाप, गठिया आदि। इसलिए जीवनभर के लिए इन रोगों से वित्तीय बोझ बढ़ जाता है। इस प्रकार के रोग युवा वर्ग या उत्पादक आयु वर्ग में दिखाई दे रहे हैं। इससे उत्पादकता तथा देश के विकास में कमी आती है।
प्रश्न 4. निम्नलिखित प्रत्येक विषय पर एक स्लोगन बनाएँ-
(क) सुरक्षित पेयजल का महत्त्व।
(ख) शारीरिक गतिविधियों का संवर्धन |
उत्तर- (क) ‘स्वच्छ जल – स्वस्थ जीवन’
(ख) ‘सभी कार्य स्वयं करें तथा अपने शरीर को स्वस्थ रखें। ‘
संक्रामक रोग तथा जीवनशैली रोग के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1. प्रतिरक्षा किसे कहते हैं ? प्रतिरक्षा के प्रकारों का वर्णन करो।
उत्तर – किसी रोग का प्रतिरोध करने की शरीर की क्षमता को प्रतिरक्षा कहते हैं ।
प्रतिरक्षा के प्रकार – प्रतिरक्षा निम्न प्रकार की हो सकती है-
1. प्राकृतिक
2. उपार्जित
प्राकृतिक प्रतिरक्षा जन्म से ही होती है और यह केवल किन्हीं विशेष बीमारियों के लिए होती है । स्वस्थ, स्वच्छ वातावरण और अच्छी आदतों से भी शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता आती है । हम रोग की प्रतिरक्षा दो प्रकार उपार्जित कर सकते हैं-
(i) प्राकृतिक रूप से प्राप्त प्रतिरक्षा – जब हम किसी रोग से ग्रस्त होते हैं, तो हमारे शरीर में प्रतिपिंड होते हैं, जो रोगाणुओं से लड़ने के लिए विकसित होते हैं. ये प्रतिपिंड रोग निदान होने पर रक्त में रहते हैं और भविष्य में बीमारी के संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। इसी तरह हम प्राकृतिक बचाव भी उपार्जित कर सकते हैं। उपार्जित प्रतिरक्षा आजीवन हो सकती है, जैसे खसरा या चेचक, या यह थोड़े समय के लिए भी रह सकती है, जैसे वाइरस बुखार। अर्जित प्रतिरक्षा का सिद्धान्त ही कृत्रिम प्रतिरक्षा का मूल है।
(ii) कृत्रिम रूप से उपार्जित प्रतिरक्षा – जब रोग के कमजोर रोगाणुओं को टीके द्वारा रोगी के शरीर में प्रविष्ट करा दिया जाता है; तो उस रोग के आक्रमण की रोकथाम के लिए रक्त में प्रतिपिंड विकसित होते हैं । उपार्जित प्रतिरक्षा उत्पन्न करने के लिए हमारे पास टीकाकरण प्रतिरक्षण नामक कार्यक्रम हैं । बच्चों के स्वस्थ जीवन के लिए यह अनिवार्य है ।
प्रश्न 2. रोग फैलने के चार साधनों की सूची बनाइए ।
उत्तर – रोग फैलने के चार साधन निम्न प्रकार हैं-
(i) भोजन व जल – भोजन और जल को ढकने से रोगाणुओं से संदूषित होने और रोग फैलने की संभावना है। गंदे हाथों और बर्तनों से भोजन और जल को पकाने, परोसने या संचित करने से संदूषण हो सकता है। रोगाणुओं को भोजन पर ले आने वाली मक्खियां गंदगी और कूड़े के ढेरों से आती हैं। पीने का जल भी सुरक्षित जगह से आना चाहिए। नल से जल पीना सुरक्षित है। कुछ खास तरीकों से नल का पानी साफ किया जाता है, जिससे रोगाणु मर जाते हैं। फिर हमें वह जल मिलता है। आमतौर पर कुओं, तालाबों, सरिताओं और यहाँ तक कि हैंड पम्प का जल असुरक्षित है। बीमारियां फैलाने वाले रोगाणु उसमें रहते हैं। पोलियो, हैजा, टायफॉयड आदि बीमारियां इसी तरह फैलती हैं।
(ii) वायु– जब इन्फ्लुएंजा, डिप्थीरिया, खसरा, गलसुआ (मम्प्स) आदि रोगों से पीड़ित व्यक्ति खांसता है या जोर से बोलता है अथवा छींकता है, तो रोग ग्रस्त व्यक्ति बीमारी के रोगाणु हवा में छोड़ देता है। जब आप उस हवा में सांस लेंगे, तो ये रोगाणु आपके शरीर में प्रवेश कर जाएंगे। इससे आपको भी रोग लग सकता है । भीड़ वाले स्थानों, कम हवादार घरों, सिनेमा घरों और इसी तरह के अन्य स्थानों पर वायु में इन रोगाणुओं के विद्यमान होने की संभावना अधिक होती है ।
(iii) सम्पर्क – संक्रामक रोग सम्पर्क द्वारा भी फैल सकते हैं । यह सम्पर्क निम्न प्रकार का हो सकता है –
(a) प्रत्यक्ष सम्पर्क
(b) अप्रत्यक्ष सम्पर्क
प्रत्यक्ष सम्पर्क का अर्थ है – रोगी को वास्तव में छूना । जब आप किसी ऐसी चीज का प्रयोग करते हैं, जिसे रोगी पहले प्रयोग कर चुका है; जैसे- कंघा, तौलिया, कप आदि, तो इसे अप्रत्यक्ष सम्पर्क कहते हैं ।
(iv) कीड़े-मकोड़े – मक्खियां कूड़े-कचरे और गंदगी के ढेरों से अपने शरीर पर रोगाणु लेकर जिस भोजन पर बैठती हैं, उसे संदूषित कर देती हैं । इनसे हैजा जैसे रोग फैलते हैं । मच्छरों से मलेरिया होता है।
प्रश्न 5. एड्स का वाइरस किस प्रकार फैलता है ?
उत्तर – एड्स एक बहुत गम्भीर बीमारी है । यह बीमारी गत कुछ वर्षों में ही सामने आई है । यह एक ऐसे वाइरस से होती है, जो शरीर के प्राकृतिक सुरक्षा तंत्र पर आक्रमण करता है । एड्स का वाइरस निम्नलिखित प्रकार से फैलता है-
(i) संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन-संबंध से ।
(ii) शारीरिक तरल पदार्थों (फ्लूइड ) का आदान-प्रदान जैसे आवश्यकता पड़ने पर खून चढ़ाना ।
(iii) टीका आदि लगाते समय संक्रमित सूइयों का प्रयोग ।
(iv) संक्रमित माँ से बच्चे तक – गर्भावस्था और जन्म के दौरान।
स्मरण रहे कि एड्स निम्नलिखित से नहीं फैलती-
(i) हाथ मिलाने से ।
(ii) सामाजिक चुम्बन से ।
(iii) एक ही शौचालय प्रयोग करने से ।
(iv) संक्रमित व्यक्ति के पास खड़े होने से ।
(v) वायु के माध्यम से अर्थात छींकने, खांसने आदि से ।
(vi) रोगी के बर्तन अर्थात् कप, गिलास, प्लेट आदि के प्रयोग से ।
(vii) तरण-ताल या सार्वजनिक स्नानगृह से ।
(viii) भोजन या जल से ।
प्रश्न 6. संक्रामक रोगों की रोकथाम के आठ उपा लिखिये।
उत्तर – रोगों की रोकथाम के उपाय तथा सामान्य देखभाल-
(i) रोगी का निजी वस्तुएं अर्थात कपड़े, बर्तन अन्य लोगों के सामान से अलग रखे जाने चाहिए ।
(ii) सभी खाद्य पदार्थों को यहाँ तक कि बचे-खुचे पदार्थों को भी, कटी हुई सब्जियों, फलों, मिठाइयों आदि को ढक कर रखना चाहिए ।
(iii) प्रयोग करने से पहले फलों और सब्जियों को धो लीजिए ।
(iv) खाद्य पदार्थ, दूध या पानी रखने से पहले सभी बर्तनों को धो लीजिए ।
(v) खाना पकाने और खाने से पहले तथा शौच के बाद हाथ अवश्य धोए ।
(vi) आपका घर और कार्य करने का स्थान हवादार होना चाहिए, ताकि धूप और हवा पर्याप्त मात्रा में अन्दर सके
(vii) यहाँ-वहाँ मत थूकिए । खांसी आने पर अपने नाक और मुंह पर रूमाल रख लीजिए ।
(viii) बच्चों को अनेक बीमारियों से बचाने के लिए उनके जन्म के बाद उन्हें उपयुक्त टीके लगवाने चाहिए ।
सामान्य देखभाल
(i) रोग बढ़ने की प्रतीक्षा किए बिना तुरंत डॉक्टर की सलाह लीजिए ।
(ii) डॉक्टर की सलाह पर अमल करें । वह जो भी दवाई कहे, उसे समय पर लीजिए ।
(iii) रोगी को डॉक्टर की सलाह के अनुसार आहार दीजिए ।
(iv) यह ध्यान रहे कि रोगी को पर्याप्त आराम मिल रहा है ।
(v) रोगी का कमरा साफ-सुथरा होना चाहिए ।
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