NIOS Class 10 Arthashastra Chapter 24 उपभोक्ता जागरूकता

NIOS Class 10 Arthashastra Chapter 24 उपभोक्ता जागरूकता

NIOS Class 10 Economics Chapter 24 उपभोक्ता जागरूकता – आज हम आपको एनआईओएस कक्षा 10 अर्थशास्त्र पाठ 24 उपभोक्ता जागरूकता के प्रश्न-उत्तर (Consumer Awareness Question Answer) के बारे में बताने जा रहे है । जो विद्यार्थी 10th कक्षा में पढ़ रहे है उनके लिए यह प्रश्न उत्तर बहुत उपयोगी है. यहाँ एनआईओएस कक्षा 10 अर्थशास्त्र अध्याय 24 (उपभोक्ता जागरूकता) का सलूशन दिया गया है. जिसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप NIOSClass 10th Arthashastra 24 उपभोक्ता जागरूकता के प्रश्न उत्तरोंको ध्यान से पढिए ,यह आपकी परीक्षा के लिए फायदेमंद होंगे.

NIOS Class 10 Economics Chapter24 Solution – उपभोक्ता जागरूकता

प्रश्न 1. उपभोक्ता जागरूकता की आवश्यकता क्यों
उत्तर – उपभोक्ता जागरूकता आवश्यक है ताकि वे शोषित नहीं हों और उनकी रुचियों को सुरक्षित रखें। उपभोक्ताओं को उत्पादन क्रियाओं पर से सरकारी नियंत्रण को हटाने के बाद बाजार पर नियंत्रण और अनुशासन की आवश्यकता महसूस हुई। उत्पादक और विक्रेता दोनों को माल की गुणवत्ता, भंडारण और कीमतों में पारदर्शिता रखना चाहिए, ताकि ग्राहक जागरूकता बनी रहे।

प्रश्न 2. एक पीड़ित उपभोक्ता के रूप में शिकायत करने के लिए आपको क्या करना चाहिये ?
उत्तर – पीड़ित उपभोक्ता के रूप में शिकायत करने के लिए हमें निम्नलिखित बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए-आवश्यक है।
1. पीड़ित उपभोक्ता के पास खरीदे गए उत्पाद के नकद भुगतान की रसीद या बिल अवश्य होना चाहिए।
2. शिकायत हेतु गारंटी कार्ड होना भी अति आवश्यक
3. किसी उत्पादक या व्यापारी द्वारा ठगे गए उपभोक्ता, उपभोक्ता अदालत में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
4. उपभोक्ता अदालत में पीड़ित उपभोक्ता अपने मामले की पैरवी स्वयं कर सकता है।
5. पीड़ित उपभोक्ता को शिकायत दर्ज कराने के लिए किसी कानूनी औपचारिकता को पूरा करने की आवश्यकता नहीं होती ।
6. उपभोक्ता को शिकायत दर्ज करने से पूर्व शिकायत की श्रेणी का भी पता होना चाहिए, जैसे खराब सेवा या व्यापार आचरण आदि ।
7. यदि पीड़ित उपभोक्ता नीचे की अदालत के निर्णय से सन्तुष्ट न हो, तो वह 30 दिन के अंदर उच्च अदालत
8. हालांकि, अगर ऐसा होता है, तो पीड़ित उपभोक्ता निरर्थक में अपील कर सकता है। हो, तब अदालत 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगा सकती है।
अतः: पीड़ित ग्राहक को शिकायत करने से पहले सभी महत्वपूर्ण बातों पर विचार करना चाहिए।

प्रश्न 3. भारत में उपभोक्ता संरक्षण व्यवस्था का वर्णन करो।
उत्तर- 1986 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम भारत सरकार ने बनाया था। उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने और उनके विवादों को हल करने के लिए इस कानून ने जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कुछ समितियां बनाई हैं। इनके माध्यम से उपभोक्ताओं के हितों का बचाव किया जाता है और शिकायतों को सरल, तुरंत और कम लागत में हल किया जाता है। इन एजेंसियों को शिकायतों को तीन महीने में हल करने का आदेश दिया गया है। राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर उपभोक्ता मामले के लिए इस कानून ने अलग-अलग उपभोक्ता अधिकारों के विभाग बनाए हैं।

यह कानून का सबसे महत्त्वपूर्ण हिस्सा यह है कि यह देश, राज्य और जिला स्तर पर उपभोक्ता अदालत नामक तीन स्तरीय प्रणाली बनाने का आदेश देता है। यह राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के नाम से जाना जाता है। कानून में यह सबसे ऊपरी अदालत है और यह सिर्फ दिल्ली में कार्य करती है। राज्य स्तर पर इसे राज्य उपभोक्ता आयोग कहते हैं। तीसरे स्तर पर, जिला अदालतें या मंच सबसे महत्वपूर्ण अदालतें होती हैं। ये सभी अदालतें उपभोक्ताओं द्वारा उत्पादकों या व्यापारियों के खिलाफ दर्ज की गई शिकायतों को सुनती हैं।

प्रश्न 4. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधान दो बताओ।
उत्तर- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के महत्त्वपूर्ण प्रावधान इस प्रकार हैं-
CPA – उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम – (1986)
ECA-अनिवार्य वस्तु अधिनियम – (1955)
SWMA-वजन और माप के मान का अधिनियम- (1976)
PFA – खाद्य पदार्थ मिलावट निरोधक अधिनियम – (1954)

प्रश्न 5. भारत में उपभोक्ता के अधिकारों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिये |
उत्तर – उपभोक्ताओं के ऐसे अधिकार जिन्हें कानून के अनुसार व्यापारी समुदाय को ध्यान में रखना आवश्यक है, निम्नलिखित हैं-
1. उपभोक्ताओं को सुरक्षा का अधिकार है। कि वे अपने जीवन और संपत्ति को खतरे में डालने वाली वस्तुओं की बिक्री से बच सकें।
2. सूचना का अधिकार – इसके अंतर्गत गुणवत्ता, मात्रा, शुद्धता, स्तर और मूल्य आदि आते हैं।
3. चयन का अधिकार- उपभोक्ता के पास अनेक वस्तुओं और सेवाओं के समूह में से प्रतियोगी कीमतों पर अपना चयन करने का अधिकार है।
4. उपभोक्ताओं के हितों से जुड़ी संस्थाएं या संगठन सुनवाई का अधिकार रखते हैं।
5. शिकायतें निपटाने का अधिकार – उपभोक्ताओं के शोषण व अनुचित व्यापारिक क्रियाओं के विरुद्ध निदान और शिकायतों का सही प्रकार से निपटाने का अधिकार होना चाहिए।
6. उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार- इनमें उपभोक्ता हित से जुड़े प्रसंगों और वस्तुओं की जानकारी सम्मिलित होती है।

प्रश्न 6. एक उत्तरदायी उपभोक्ता के रूप में आपको क्या करना चाहिए?
उत्तर – एक उत्तरदायी उपभोक्ता को अपने अधिकारों के साथ-साथ अपने दायित्वों का भी अवश्य ध्यान रखना चाहिए। अतः एक उत्तरदायी उपभोक्ता को निम्नलिखित दायित्व अवश्य पूरे करने चाहिए-

1. हरित उपभोक्ता होना- हमारे सभी ग्राहकों को केवल उन उत्पादों का प्रयोग करना चाहिए जो पर्यावरण को दूषित नहीं करते, क्योंकि ये उत्पाद उपयोग के बाद आसानी से मिट्टी और पानी में मिल सकते हैं, और ग्राहकों को हमेशा पर्यावरणीय वाहनों और सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करना चाहिए।

2. धोखे के विज्ञापनों से सावधान रहना – यद्यपि विज्ञापन हमारे जीवन का अभिन्न अंग माने जाते हैं, परन्तु उपभोक्ताओं को सदैव धोखे के विज्ञापनों से सावधान रहने की आवश्यकता होती है।

3. गुणवत्ता प्रमाणित उत्पाद खरीदना – कोई भी माल खरीदते समय उपभोक्ताओं को सामान की गुणवत्ता अवश्य देखनी चाहिए। इसके साथ ही सामान या सेवा की गारंटी भी देखनी चाहिए। जहां तक संभव हो, गारंटी कार्ड अवश्य लेना चाहिए। अच्छा तो यह होगा कि गारंटी के निशान वाला सामान ही खरीदा जाए; जैसे- आई. एस. आई. एगमार्क, वूलमार्क आदि ।

4. खरीद के बिल या रसीद की मांग करना – जहां तक संभव हो, खरीदे गए सामान व सेवा की रसीद अवश्य लेनी चाहिए।

5. उपभोक्ता जागरूकता संगठन का निर्माण करना – उपभोक्ताओं को एक ‘उपभोक्ता जागरूकता संगठन’ बनाना चाहिए। सरकार और अन्य संस्थाओं द्वारा उपभोक्ताओं की समस्याओं के लिए बनाए गए विभिन्न कमेटियों में इस संस्था को शामिल किया जाता है।

6. समस्या की शिकायत अवश्य करना – कितने भी कम मूल्य का सामान हो, ग्राहक को अपनी असली समस्या बतानी चाहिए। इससे समाज को फायदा होगा। उपभोक्ता संगठनों से भी सहायता ली जा सकती है।

प्रश्न 7. भारत में उपभोक्ता आंदोलन के सम्मुख दो मुख्य चुनौतियों की व्याख्या करो ।
उत्तर – भारत में उपभोक्ता आन्दोलनों को निम्नलिखित चुनौतियों का सामना करना पड़ता है-
(क) जनाधिक्य
(ख) सांस्कृतिक विभिन्नता तथा अशिक्षा ।

उपभोक्ता जागरूकता के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में वर्तमान में शामिल महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं की चर्चा कीजिए ।
उत्तर – उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में वर्तमान में कुछ अन्य उपाय शामिल किए गए हैं, जो इस प्रकार हैं-

1. उपभोक्ताओं को यह निश्चय करने की अनुमति दी जाती है कि वे कहां संरक्षण प्राप्त करना चाहते हैं ।
2. कोई कम्पनी अपनी पसंद के न्यायालय में न्याय प्राप्त करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती।
3. उपभोक्ता को भी कम्पनी की सेवा प्रदाताओं पर मुकदमा चलाने की अनुमति मिलती है, जो बैंकों, बीमा कंपनियों आदि को अपनी व्यक्तिगत जानकारी देते हैं।
4. स्थावर संपदा के विकासकर्ताओं पर उपभोक्ता न्यायालयों में मुकदमा चलाया जा सकता है अगर वे व्यापारी हैं।
5. ई-कॉमर्स वेबसाइटों या फोन पर खरीद-बिक्री करने वाली विदेशी कंपनियां अपने उत्पादों को भारत में नहीं बेच सकतीं।

प्रश्न 2. मूल्य वृद्धि कर (VAT) से आप क्या समझते है?
उत्तर- सरकार प्रत्येक उत्पाद पर कर लगाती है, जिससे सरकार को कर के रूप में कुछ पैसा या धन मिलता है। मूल्य वृद्धि कर (VAT) इसका नाम है। VAT के कारण उत्पादों का मूल्य बढ़ता है, लेकिन उपभोक्ता को इससे कम नुकसान होता है क्योंकि वे उत्पाद की शिकायत के रूप में बिल का उपयोग कर सकते हैं।

प्रश्न 3. उपभोक्ता की शिकायत के निराकरण हेतु कार्य अर्थ संस्थाओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिए
उत्तर – नई दिल्ली में उपभोक्ता मामलों के प्रभारी केन्द्रीय मंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय स्तर पर एक केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण परिषद (CCPC) है। हर राज्य में एक राज्य उपभोक्ता संरक्षण परिषद (SCPC) है, जिसका नेतृत्व राज्य सरकार में उपभोक्ता मामलों के प्रभारी राज्य मंत्री करता है। भारत में उपभोक्ता न्यायालयों के तीन स्तर हैं। हर राज्य में जिला उपभोक्ता फोरम सबसे नीचे है। देश में वर्तमान में लगभग 604 जिला अदालतें हैं। राज्य उपभोक्ता विवाद संरक्षण आयोग (SCDRC) बीच में है। देश में कुल 35 राज्य संस्थाएं हैं। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद संरक्षण आयोग (NCDRC) देश भर में उपभोक्ता विवाद में सस्ता, शीघ्र और सरल न्याय प्रदान करता है। केंद्रीय और राज्य सरकारें इन अदालतों के काम के बारे में नीतियां बनाने के लिए जिम्मेदार हैं।

प्रश्न 4. उपभोक्ता सरंक्षण हेतु कार्यरत वैबसाइटों का उल्लेख कीजिए |
उत्तर – उपभोक्ता पीड़ा (www.consumer.grievance.com) भारत की उपभोक्ता मार्गदर्शक परिषद (www.cgs_india.org),
सामान्य उद्देश्य (www.commoncauseindia.org) और उपभोक्ता अदालत (www.consumer.org.in), www. banking_ombudsman.rbi.org.in, www.irdaindia.org. www.incometaxindia.gov.in, www.trai.gov.in

प्रश्न 5. भारत में उपभोक्ता आन्दोलन में सम्मिलित मुख्य विषय क्या हैं? प्रकार हैं-
उत्तर- भारत में उपभोक्ता आन्दोलन के प्रमुख विषय इस

1. ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोक्ता जागरूकता -वैश्वीकरण और उदारीकरण ने आज ग्रामीण बाजारों को बढ़ाया है। इसके अलावा, ग्रामीण उपभोक्ता अक्सर अशिक्षित और अज्ञानी होते हैं, इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोक्ता जागरूकता की अधिक जरूरत है।

2. समय से न्याय दिलाना– सरकार ने 2003 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत न्याय में देरी की समस्या को समाप्त करने का प्रयास किया है, क्योंकि न्याय में देरी का अर्थ है – न्याय को नकारना ।

प्रश्न 6. उपभोक्ता शिकायत के मुख्य आधारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – उपभोक्ता शिकायत के अन्तर्गत सेवा में कमी, अपूर्णता, गुणवत्ता में कमी या अपर्याप्तता, निष्पादन की प्रकृति और तरीका आदि आधारों को शामिल किया जा सकता है।

प्रश्न 7. उपभोक्ता सजगता / जागरूकता का क्या अर्थ
उत्तर – एक उपभोक्ता को अपने उपभोग की वस्तुओं और सेवाओं के विषय में संपूर्ण जानकारी होनी चाहिए । इसी को उपभोक्ता सजगता कहते हैं।

प्रश्न 8. भारत में वस्तुओं का मानकीकरण करने है? वाली दो संस्थाओं के नाम लिखिए।

उत्तर – भारत में वस्तुओं का मानकीकरण करने वाली दो संस्थाएं हैं-
1. भारतीय मानक ब्यूरो (ISI) तथा
2. एगमार्क ।

प्रश्न 9. उपभोक्ता कौन होता है ?
उत्तर- प्रत्येक व्यक्ति जो किसी वस्तु का उपभोग करता है, उपभोक्ता कहलाता है।

प्रश्न 10. उपभोक्ता अदालत क्या है ?
उत्तर – उपभोक्ता के हितों की रक्षा के लिए राष्ट्रीय, राज्य एवं जिला स्तर पर एक तीन स्तरीय व्यवस्था को उपभोक्ता अदालत कहा जाता है।

प्रश्न 11. एगमार्क स्कीम किसके द्वारा संचालित की गई? एगमार्क किन वस्तुओं पर चिह्नित किया जाता है?
उत्तर- एगमार्क खेती के उत्पाद कानून (1937), जिसे 1986 में संशोधित किया गया है, के अधीन कार्य करता है। यह स्कीम भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के अधीन मार्केटिंग एवं इंटेलिजेंस निदेशालय द्वारा संचालित होती है। एगमार्क शहद, मसालों आदि पर चिह्नित किया जाता है।

प्रश्न 12. वस्तुओं और कम्पनियों पर अंकित ISO चिह्नन क्या दर्शाता है ?
उत्तर- वस्तुओं और कंपनियों पर अंकित ISO चिह्न दर्शाता है कि वह विशेष उद्योग या उत्पाद समूह या संस्थाएं विशिष्ट स्तर के मानकों पर आधारित है।

प्रश्न 13. उपभोक्ता सुरक्षा कानून, 1986 क्यों बनाया गया?
उत्तर – उपभोक्ताओं के हितों को संरक्षित करने, उनकी शिकायतों को सरल तथा कम खर्च में दूर करने के लिए सरकार ने उपभोक्ता सुरक्षा कानून 1986 बनाया था।

प्रश्न 14. भारत में उपभोक्ता संरक्षण की वकालत क्यों की जा रही है?
उत्तर- उपभोक्ता संरक्षण का विचार भारत में बहुत पुराना है। उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा के लिए योजनाबद्ध आंदोलन निश्चित रूप से एक नवीन विचार है। 1980 के उत्तरार्द्ध और 1990 के पूर्वार्द्ध में अर्थव्यवस्था के उदारीकरण में वृद्धि से यह विकसित हुआ। जब उदारीकरण और वैश्वीकरण की नीतियों को लागू किया गया, सरकार ने अपने आप को उत्पादन से बाहर निकाल दिया और निजी क्षेत्र को उत्पादन करने के लिए प्रेरित किया, तो बाजार में अब बहुत नियंत्रण और अनुशासन की आवश्यकता हुई।

उपभोक्ता को वस्तुओं की खरीद-विक्रय और स्वास्थ्य और सुरक्षा के बारे में जानकारी चाहिए। आजकल खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता केवल उनके पोषण संबंधी गुणों पर नहीं, बल्कि लोगों की सुरक्षा पर भी निर्भर करती है। खराब और मिलावटी भोज्य पदार्थ शरीर में पोषक तत्वों की कमी और कई बीमारियाँ पैदा करते हैं। इसलिए उपभोक्ताओं को अधिक जागरूक होना चाहिए था।

प्रश्न 15. भारत में वस्तुओं के मानकीकरण के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का विस्तृत वर्णन करें।
उत्तर- उपभोक्ता की भलाई के लिए सरकार ने बहुत कुछ किया है। सरकार ने कुछ संस्थाओं को बनाया है जो उत्पादों की गुणवत्ता की जाँच करते हैं, विभिन्न उत्पादों के लिए मानक बनाते हैं और उन्हें लागू करते हैं। यह काम भारतीय मानक ब्यूरो और भारत एगमार्क द्वारा किया जा रहा है। बी.आई. एस. (पूर्व में ISI, भारतीय मानक संस्थान) का मुख्यालय नई दिल्ली में है। इसका प्रमुख कार्य वैज्ञानिक आधार पर उपभोक्ता व औद्यौगिक सामान के मानक बनाना है। साथ ही, निर्धारित मापदंड को पूरा करने वाले उत्पादों को भी प्रमाणित करना इसका काम है।

ISI लाइसेंसधारी व्यापारियों और उत्पादकों को बार-बार जाँच की जाती है। उपभोक्ता बीआईएस के निकटतम क्षेत्रीय कार्यालय में शिकायत दर्ज कर सकते हैं अगर उन्हें उत्पाद की गुणवत्ता पर कोई संदेह है। यह एगमार्क खेती के उत्पाद कानून (1937), 1986 में संशोधित, के अधीन काम करता है। भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के अधीन मार्केटिंग एंड इंटेलिजेंस निदेशालय (DMI) इस कार्यक्रम को संचालित करता है। यह चिह्न शहद और मसाले पर दिखाई देता है।

प्रश्न 16. उपभोक्ता के अधिकारों की रक्षा के लिए किए गए उपायों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए तीन उपाय किए गए हैं- कानूनी, प्रशासनिक एवं तकनीकी । कानूनी उपायों में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम लागू करना शामिल है। इस संबंध में अन्य कानूनों में भी संशोधन किया गया है।

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