NIOS Class 10th Arthashastra Chapter 5. अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएं

NIOS Class 10th Arthashastra Chapter 5. अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएं

NIOS Class 10 Economics Chapter 5 अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएं – NIOS कक्षा 10वीं के विद्यार्थियों के लिए जो अपनी क्लास में सबसे अच्छे अंक पाना चाहता है उसके लिए यहां पर एनआईओएस कक्षा 10th अर्थशास्त्र अध्याय 5. (अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएं) के लिए समाधान दिया गया है. इस NIOSClass 10 Economics Chapter 5. Central Problems of an Economy की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. इसे आप अच्छे से पढ़े यह आपकी परीक्षा के लिए फायदेमंद होगा .हमारी वेबसाइट पर NIOS Class 10 Economics के सभी चेप्टर के सलुसन दिए गए है .

NIOS Class 10 Economics Chapter 5 Solution – अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएं

प्रश्न 1. अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएं उत्पन्न होती हैं, क्योंकि
(i) बाजार में अनेक वस्तुओं का विक्रय होता है।
(ii) सरकार निर्णय लेती है।
(iii) श्रम की कमी
(iv) आवश्यकताओं की बहुतायत तथा संसाधनों की दुर्लभता ।
उत्तर- (iv) आवश्यकताओं की बहुतायत तथा संसाधनों की दुर्लभता ।

प्रश्न 2. आर्थिक व्यवहार में चयन आधारभूत होता है, क्योंकि
(i) लोगों को यह चयन करना कठिन होता है कि वे क्या चाहते हैं?
(ii) लोगों की आवश्यकताओं की तुलना में संसाधन दुर्लभ हैं।
(iii) लोग विवेकयुक्त व्यवहार करते हैं। (iv) वस्तु की कीमत चयन पर निर्भर करती है।
उत्तर- (ii) लोगों की आवश्यकताओं की तुलना में संसाधन दुर्लभ हैं।

प्रश्न 3. दुर्लभता तथा चयन एक साथ कैसे चलते हैं? व्याख्या कीजिये |
उत्तर- मानवीय आवश्यकताओं की तुलना में संसाधनों की कमी ही आर्थिक समस्याओं का मूल कारण है। असीमित आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपलब्ध संसाधन सीमित हैं और दुर्लभ संसाधनों का वैकल्पिक उपयोग संभव है, इसलिए चयन की समस्या पैदा होती है। प्रत्येक अर्थव्यवस्था को मूल आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है और यह निर्णय करना पड़ता है कि उपलब्ध या दुर्लभ संसाधनों का प्रयोग उत्पादक वस्तुओं (मशीनों, औजार, ट्रैक्टर आदि) या उपभोक्ता वस्तुओं (दाल, चावल, गेहूँ, कपड़ा आदि) के लिए किया जाए. इसलिए, मनुष्य को असीमित आवश्यकताओं और सीमित साधनों के मध्य सामंजस्य बनाना पड़ता

प्रश्न 4. ऐसा क्यों क जाता है कि स्वतंत्र बाजार आर्थिक प्रणाली सबसे कुशल संसाधनों के बंटवारे को सुनिश्चित करती है ?
उत्तर – स्वतंत्र बाजार आर्थिक व्यवस्था में संसाधनों का वितरण व्यक्तिगत स्वार्थों के अनुरूप होता है। स्वतंत्र बाजार अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं को चुनने के लिए कोई केंद्रीय निकाय नहीं होता। मांग और पूर्ति की स्वतंत्र शक्ति बाजार की सभी आर्थिक गतिविधियों को नियंत्रित करती है। उत्पादक और उपभोक्ताओं के मध्य आर्थिक रणनीतियों का समन्वय उत्पादन के लिए उपलब्ध दुर्लभ साधनों (भूमि, श्रम, पूंजी) का प्रयोग निर्धारित करता है।

उपभोक्ताओं की मांगों पर सभी उत्पादक उत्पाद बनाते हैं। इस तरह, स्वतंत्र बाजार में उत्पादकों को पैसा मिलता है और ग्राहक अपनी मांग के अनुसार वस्तुएं पाने से पूरी तरह से संतुष्ट होते हैं। इसलिए यह माना जाता है कि स्वतंत्र बाजार आर्थिक प्रणाली सबसे कुशल संसाधनों को प्रदान करती है. फिर भी, व्यावहारिक रूप से, स्वतंत्र बाजार आर्थिक प्रणाली का मूल उद्देश्य अधिकतम लाभ प्राप्त करना है, जिससे समाज कल्याण के मुद्दों का कोई महत्त्व नहीं रहता।

प्रश्न 5. प्रत्येक की एक उपयुक्त उदाहरण सहित तीन केन्द्रीय समस्याओं की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ हैं-
(1) क्या उत्पादन किया जाए?
(2) कैसे उत्पादन किया जाए और ?
(3) किसके लिए उत्पादन किया जाए?

(1) क्या अथवा कौन-सी वस्तुओं की किन मात्राओं में उत्पादन होगा ? – अर्थव्यवस्था में उपलब्ध संसाधन दुर्लभ हैं, लेकिन वैकल्पिक उपायों का उपयोग संभव है। इसलिए, यह निर्णय लेना होगा कि किन-किन और सेवाओं का उत्पादन किया जाएगा। यह आवश्यक नहीं है कि हर अर्थव्यवस्था सभी चीजों को स्वयं बनाये। इसलिए, यह निर्धारित करना महत्वपूर्ण होगा कि कितनी उपभोक्ता वस्तुओं (खाद्य सामग्री) और विलासिता की वस्तुओं (वाहन) बनाई जाएं। हम इसे दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि समाज को निर्धारित करना होगा कि वह कितनी बंदूकों और कितनी मक्खन बनाएगा। अर्थव्यवस्था को दूसरा रास्ता चुनना होगा, तो उसे दूसरे कामों से संसाधन निकालकर अपना पसंदीदा काम करना होगा।

यह तय करना होगा कि “क्या उत्पादन हो” के निर्णय के बाद कितनी मात्रा में हर वस्तु का उत्पादन होता है, जैसे डबलरोटी, मक्खन, कपड़ा, सब्जियां, चीनी, खाद, कोयला, तेल, बिजली, मशीनरी, प्रतिरक्षा उपकरण आदि। सभी आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं को प्रत्येक अर्थव्यवस्था नहीं बना सकती। इसलिए उसे अपनी पसंद के अनुसार चुनना पड़ता है। वर्तमान और भविष्य में समाज द्वारा किए गए उपभोक्ता वस्तुओं और पूंजीगत पदार्थों के बारे में निर्णय निर्णायक होगा। भविष्य में अधिक उपभोग संभव होगा, अगर पूंजीगत पदार्थों, तकनीकी नवाचारों, शोध और विकास के लिए अधिक संसाधन खर्च किए जाएंगे और वर्तमान में उपभोग कम किया जाएगा।

(2) वस्तुओं का उत्पादन कैसे होगा ? – उत्पादन प्रणाली दूसरी महत्वपूर्ण चिंता है। अर्थात् कौन, किन संसाधनों और प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके उत्पादन कार्य पूरा करेगा? किसी भी वस्तु का उत्पादन कई तरह से किया जा सकता है। कुटीर उद्योगों की तरह बहुत छोटी और काम पर आधारित प्रणाली से लेकर विशालकाय, स्वचालित मशीनों की पूंजी पर आधारित प्रणाली तक प्रौद्योगिकी का रूप बदल सकता है। इसलिए तकनीक और उत्पादन के पैमाने पर भी निर्णय लेना होगा।

(3) उत्पादन किसके लिए होगा ? – तीसरी मूलभूत समस्या है- उत्पादन किसके लिए किया जाए? यह अर्थव्यवस्था में उत्पादित राष्ट्रीय आय के विभाजन से जुड़ी है। जैसे ही क्या और कैसे के प्रश्नों का निपटारा होता है, उत्पादन प्रक्रिया शुरू हो जाती है। यह उत्पादन विभिन्न संसाधनों के सहयोग से होता है। अतः अगला प्रश्न यही होगा कि उपभोग के लिए उपलब्ध वस्तुओं और सेवाओं में से किसको क्या और कितना मिलेगा ? दूसरे शब्दों में, राष्ट्रीय उत्पादन का उत्पादक संसाधनों, व्यक्तियों और परिवारों में किस प्रकार विभाजन होगा। यह विभाजन विषमतापूर्ण भी हो सकता है या फिर प्रायः सभी को सामान्य सुविधाएं दिलाने वाला समतापूर्ण विभाजन भी हो सकता है। उत्पादन किसके लिए होगा – प्रश्न के समाधान के लिए विभिन्न व्यक्तियों के बीच विभाजन का निर्णय लेना होगा।

अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएं के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1. आर्थिक समस्याएं क्यों पैदा होती हैं?
उत्तर- संसाधनों की दुलर्भता मानवीय आवश्यकताओं से अधिक है। असीमित आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संसाधन सीमित हैं। हां, उन संसाधनों का दूसरा उपयोग संभव है। चयन की समस्या ही नहीं उठती अगर संसाधन भी असीमित होते या उनका केवल एक ही प्रयोग संभव होता।

1. मानवीय आवश्यकताओं की सीमा असीमित है और इनमें से समस्याओं का जन्म होने के तीन कारण हैं: प्रत्येक व्यक्ति कई तरह से संतुष्ट हो सकता है। संसाधन असीमित होते तो भी कोई समस्या नहीं होती। फिर सभी की सभी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए असीमित मात्रा में सामान और सेवाएं बनाई जा सकती हैं। आय का वितरण और उत्पादन की प्रौद्योगिकी भी कोई समस्या नहीं होगी। इसलिए कोई भी वस्तु आर्थिक वस्तु नहीं है। सूर्य के प्रकाश और शुद्ध वायु से सभी वस्तुएं निःशुल्क होतीं।

2. संसाधनों की कमी है। यह सीमा परिमाणिक है। आज का औसत भारतीय अर्द्ध-शताब्दी पूर्व की अपेक्षा कहीं अधिक उपभोग कर पा रहा है, लेकिन समस्याएं बनी हुई हैं। 1. साधनों को मानवीय और गैर-मानवीय वर्गों में बांटा जा सकता है। हम संसाधनों की दुर्लभता को ही सर्वव्यापी लक्षण मानते हैं, हालांकि संसाधनों की प्रचुरता भी समस्याओं का कारण हो सकती है।

3. संसाधनों का दूसरा उपयोग संभव है। यह धन की कमी का तीसरा महत्वपूर्ण कारक बन जाता है। समाज को अपनी रुचि निर्धारित करनी पड़ती है क्योंकि सभी आवश्यकताओं को एक साथ नहीं पूरा किया जा सकता है।

प्रश्न 2. पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में संसाधनों के आवंटन की समस्या का समाधान किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तर- पूंजीवादी अर्थव्यवस्था एक स्वतंत्र आर्थिक प्रणाली है, जिसमें अधिकतम लाभ कमाना बाजार की सभी आर्थिक गतिविधियों का लक्ष्य है और उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व है। पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में बाजार और उत्पादन प्रक्रिया को नियंत्रित करने के लिए कोई केंद्रीय निकाय नहीं होता। उत्पादन क्षेत्र में काम करने वाले लोगों, जैसे कृषक, विनिर्माता, उत्पादक, आदि, बाजार की मांग और पूर्ति की स्वतंत्र शक्तियों के अनुसार अपनी आर्थिक गतिविधियां निर्धारित करते हैं। उत्पादन के संसाधन; भूमि, श्रम, धन आदि पर निजी स्वामित्व है और सभी उत्पादक केवल उन्हीं वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करते हैं, जिनकी मांग होती है। संक्षेप में, पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
(क) अधिकतम लाभ का उद्देश्य
(ख) न्यूनतम प्रति इकाई लागत पर अधिकतम वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन
(ग) उपभोक्ताओं की मांग के अनुरूप वस्तुओं और सेवाओं की बाजार में आपूर्ति ।

प्रश्न 3. मिश्रित अर्थव्यवस्था में केन्द्रीय समस्याओं का समाधान कैसे किया जाता है ?
उत्तर – मिश्रित अर्थव्यवस्था में, सरकार बाजार में काम करती है। सरकार वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन को उपभोक्ता और उत्पादकों की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने का प्रयास करती है। मिश्रित आर्थिक प्रणाली बाजार आर्थिक प्रणाली के लाभों को आयोजित आर्थिक प्रणाली के लाभों के साथ जोड़ने की कोशिश करती है। वर्तमान में, विश्व की सभी अर्थव्यवस्थाएं न तो पूरी तरह से केन्द्रीय रूप से नियंत्रित हैं और न स्वतंत्र हैं क्योंकि उनका मूल लक्ष्य सर्वोत्तम सामूहिक हितों की पूर्ति करना है। विश्व के अधिकतर देशों में मानव कल्याण और सामूहिक हितों की पूर्ति हेतु सबसे अधिक प्रयास किए जा रहे हैं, इसलिए मिश्रित अर्थव्यवस्था में मुख्य समस्याओं का समाधान नियोजित और स्वतंत्र दोनों आर्थिक प्रणालियों से किया जाता है।

प्रश्न 4. केन्द्रीय समस्या के समाधान में आयोजन की भूमिका का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर- समाजवादी अर्थव्यवस्थाओं में संसाधन सरकार के पास हैं। समाज की सुरक्षा करना अधिकारियों का काम है। केन्द्रीय आयोजन अधिकारी संसाधनों का उपयुक्त आबंटन करते हैं और आवश्यकताओं और उपलब्धता का लेखा-जोखा लगाते हैं। ये अधिकारी भी निर्धारित करते हैं कि किस उत्पाद का उत्पादन होगा और कितना उत्पादन होगा। “वस्तुएं कैसे उत्पादित होंगी” का समाधान भी आयोजन अधिकारी संसाधनों के भरपूर और कुशल प्रयोग के लक्ष्य के अनुसार करते हैं। राष्ट्रीय उत्पादन को आयोजन अधिकारी विषमताओं को सीमित करने के लिए विभाजित करते हैं। केंद्रीय आयोजन अधिकारी नवीन निर्देश प्रणाली का पालन करते हुए केंद्रीय समस्याओं को हल करते हैं, न कि कीमत प्रणाली।

प्रश्न 5. आर्थिक समस्याओं की प्रकृति को समझाइये |
उत्तर- आर्थिक समस्याएं मानवीय आवश्यकताओं की तुलना में संसाधनों की दुर्लभता से उत्पन्न होती हैं। असीमित आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संसाधन सीमित हैं। हां, उन संसाधनों का दूसरा उपयोग संभव है। चयन की समस्या ही नहीं होती अगर संसाधन भी असीमित होते या उनका केवल एक ही उपयोग संभव होता।

प्रश्न 6. अर्थव्यवस्था की तीन केन्द्रीय समस्याएं बताइए | क्या केन्द्रीय और मुख्य समस्याओं में कोई अंतर होता है ?
उत्तर – अर्थव्यवस्था की तीन केन्द्रीय समस्याएं निम्नलिखित हैं-
1. क्या उत्पादन किया जाए?
2. कैसे उत्पादन किया जाए और ?
3. किसके लिए उत्पादन किया जाए?
अर्थव्यवस्था की मुख्य समस्याओं से केंद्रीय समस्याएं अलग हैं। किसी भी अर्थव्यवस्था की मूल समस्याएं केन्द्रीय समस्याएं होती हैं। मुख्य समस्याओं से केंद्रीय समस्याएं अलग हैं। केन्द्रीय समस्याएं कई कारणों से उत्पन्न होती हैं और हर अर्थव्यवस्था में उनका प्रकार अलग होता है। किसी भी अर्थव्यवस्था में मौसम, भौगोलिक स्थिति, मानवीय और गैर-मानवीय संसाधनों की उपलब्धता, रस्मों और परंपराओं, कानूनों, रुचियों और आय में अंतर सबसे बड़ी समस्याएं हैं।

प्रश्न 7. निम्नलिखित कथनों के सामने सत्य और असत्य लिखें –
1. अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याओं को अर्थव्यवस्था के कार्य भी कहा जाता है।
2. केन्द्रीय और मुख्य समस्याएं एक ही बात दर्शाती हैं।
3. सभी अर्थव्यवस्थाओं की मुख्य समस्याएं एक जैसी होती हैं।
4. सभी अर्थव्यवस्थाओं की केन्द्रीय समस्याएं एक जैसी होती हैं।
5. ‘क्या’ की केन्द्रीय समस्या साधनों की विपुलता के कारण पैदा होती है।
6. अर्थव्यवस्था में अन्य प्रयोगों से संसाधन निकाले बिना
ही किसी एक वस्तु का उत्पादन बढ़ाना संभव होता है।
उत्तर- 1. सत्य 2. असत्य 3. असत्य 4. सत्य 5 असत्य 6. असत्य ।

प्रश्न 8. रिक्त स्थान भरें-
1. विभिन्न समाज या अर्थव्यवस्थाएं केन्द्रीय समस्याओं को ……………….. विधि से सुलझाती हैं।
(समान / अलग-अलग)
2. कीमत प्रणाली बाजार में ……… और………. शक्तियों
(मांग/पूर्ति/आय)
3. एक पूंजीवादी या स्वतंत्र उद्यम व्यवस्था में केन्द्रीय समस्याओं का समाधान ………………..द्वारा किया जाता है।
(कीमत प्रणाली/केन्द्रीय योजना)
4. कीमत प्रणाली आय के विभाजन के …………………… ………….. पक्ष पर ध्यान नहीं देती।
(नैतिक/अनैतिक)
5. समाजवादी व्यवस्था में केन्द्रीय समस्याएं…,……………….सुलझाई जाती हैं।
( मांग और पूर्ति की शक्ति / केन्द्रीय आयोजन अधिकारी)

उत्तर- 1. अलग-अलग 2. मांग, आपूर्ति 3. कीमत प्रणाली 4. नैतिक 5. केन्द्रीय आयोजन अधिकारी ।

इस पोस्ट में आपको NIOS Class 10 Economics Chapter 5 Central Problems of an Economy Nios class 10 economics chapter 5 solutions Nios class 10 economics chapter 5 notes Nios class 10th arthashastra chapter 5 question answer Nios class 10th arthashastra chapter 5 pdf nios class 10 economics notes pdf Nios class 10th arthashastra chapter 5 mcq एनआईओएस कक्षा 10 अर्थशास्त्र अध्याय 5 अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याएं से संबंधित काफी महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर दिए गए है यह प्रश्न उत्तर फायदेमंद लगे तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और इसके बारे में आप कुछ जानना यह पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट करके अवश्य पूछे.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top