NIOS Class 10th Arthashastra Chapter 2. मानवीय आवश्यकताएं

NIOS Class 10th Arthashastra Chapter 2. मानवीय आवश्यकताएं

NIOS Class 10 Economics Chapter 2 मानवीय आवश्यकताएं – जो विद्यार्थी NIOS 10 कक्षा में पढ़ रहे है ,वह NIOS कक्षा 10 अर्थशास्त्र अध्याय 2 मानवीय आवश्यकताएं यहाँ से प्राप्त करें .एनआईओएस कक्षा 10 के छात्रों के लिए यहाँ पर Economics विषय के अध्याय 2 का पूरा समाधान दिया गया है। जो भी अर्थशास्त्र विषय में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते है उन्हें यहाँ पर एनआईओएस कक्षा 10 अर्थशास्त्र अध्याय 2. (मानवीय आवश्यकताएं) का पूरा हल मिल जायेगा। जिससे की छात्रों को तैयारी करने में किसी भी मुश्किल का सामना न करना पड़े। इस NIOS Class 10 Economics Solution Chapter 2 Human Needs की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी अच्छे कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है.

NIOS Class 10 Economics Chapter2 Solution – मानवीय आवश्यकताएं

प्रश्न 1. इच्छाओं को आवश्यकताओं में बदलने के लिये दो उदाहरण दीजिये ।
उत्तर- हम सभी चाहते हैं कि घर, कपड़े, कार, कंप्यूटर आदि हों। संसाधन इन सभी चीजों को पाने के लिए आवश्यक हैं। अतः जरूरतें हमारे द्वारा पूरा किए जा सकने वाले इच्छाओं को कहते हैं । जैसे –
(1 ) धन की उपलब्धता ।
(2) किसी वस्तु या सेवा के लिए मानवीय लालसा या इच्छा।

प्रश्न 2. आवश्यकताओं का उदय और प्रसार किस प्रकार होता है? एक उदाहरण की सहायता से समझाइये |
उत्तर- मानव को प्राचीन काल में आग, धातु, कृषि के बारे में कोई ज्ञान नहीं था, इसलिए वह प्रकृति पर निर्भर था। उसकी जरूरतें केवल भोजन, आवास और कपड़े तक थीं। लेकिन मानव की जरूरतें भोजन, आवास और कपड़े से बढ़कर आधुनिकता और विलासिता में बदल गईं। वह अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए लगातार नई चीजें बनाता है।

प्रश्न 3. सभी आवश्यकताओं की तुष्टि सम्भव नहीं है। समझाइये क्यों?
उत्तर – मनुष्य की अनंत आवश्यकताएं ही विश्व में मौजूद सभी आर्थिक हलचलों का मूल है। मनुष्य अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करता है, अर्थात खेती, मजदूरी, नौकरी, व्यवसाय, आदि। साथ ही, वह सभी आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकता, जो उसकी सबसे बड़ी चुनौती है।
इस तरह, आवश्यकता, प्रयास और धन का आर्थिक चक्र निरंतर चलता रहता है। आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण संसाधन भूमि, श्रम, पूंजी तथा उद्यम हैं। अतः संसाधन दुर्लभ और सीमित हैं, लेकिन आवश्यकताएं अनंत हैं। कुल मिलाकर, सभी आवश्यकताओं को पूरा करना संभव नहीं है।

प्रश्न 4. आवश्यकताओं की चार मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिये ।
उत्तर – आवश्यकता की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

1. आवश्यकताएं असीमित होती हैं- मानवों की आवश्यकताएं अनंत हैं। एक आवश्यकता पूरी होने के बाद दूसरी आवश्यकता पैदा होती है। मानव जीवन में आवश्यकता का यह चक्र निरंतर चलता रहता है। मानवीय आवश्यकताएं कभी समाप्त नहीं होती। यही कारण है कि अगर कोई साइकिल खरीदता है, तो वह स्कूटर, कार या कुछ भी खरीदना चाहेगा।

2. आवश्यकताओं की प्रकृति विविधतापूर्ण होती है– आवश्यकताओं का स्वरूप समय, स्थान और परिस्थिति से बदलता है। आवश्यकता की प्रकृति और स्वरूप को फैशन, रीति-रिवाज, विज्ञापन आदि भी प्रभावित करते हैं। सामाजिक उत्थान और आवश्यकताएं भी प्रभावित होती हैं। उदाहरण के लिए, मोबाइल फोन, कंप्यूटर, कार आदि का समाज में रुचि बढ़ती जा रही है क्योंकि आय बढ़ी है। आवश्यकता पर स्थान, मौसम आदि भी प्रभाव डालते हैं।

3. कई आवश्यकताओं का बार-बार अनुभव होता है – हमारे दैनिक जीवन में हमें बार-बार कई आवश्यकताएं पूरी होती हैं। जब आप उनकी तुष्टि करते हैं, तो आपको फिर से उनकी आवश्यकता महसूस होती है। एक उदाहरण भूख-प्यास है।

4. प्रगति के कारण आवश्यकताओं में बदलाव – विकास और प्रगति की आवश्यकताओं में बदलाव का जवाब देते हैं। उदाहरण के लिए, मनुष्य पहले हाथ के पंखे प्रयोग करता था, लेकिन समय के साथ कूलर, एयरकंडीशनर आदि ने उनकी जगह ले ली। डाक पत्र (Post-end) से इंटरनेट तक की यात्रा आवश्यकताओं में बदलाव का ही उदाहरण है।

प्रश्न 5. वर्तमान आवश्यकताएं भावी आवश्यकताओं से अधिक महत्त्वपूर्ण होती हैं, एक उदाहरण द्वारा सिद्ध कीजिये ।
उत्तर- मनुष्य अपनी वर्तमान आवश्यकताओं को अपनी भावी आवश्यकताओं से अधिक महत्व देते हैं। अर्थात वह अपनी वर्तमान आवश्यकताओं पर अधिक ध्यान देता है। भावी आवश्यकताओं की पूर्ति उसके लिए महत्वपूर्ण नहीं रहती। वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति ही उसकी पहली प्राथमिकता है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति अपनी पुत्री को विवाह करना, उसे बुढ़ापे में सुख-सुविधा देना आदि की तुलना में अपनी वर्तमान आवश्यकताओं को कम महत्व देता है। इसलिए, भावी आवश्यकताओं से अधिक वर्तमान आवश्यकताएं महत्वपूर्ण हैं।

प्रश्न 6. संसाधन आवश्यकताओं की तुष्टि कैसे करते हैं?
उत्तर – संसाधन मानव निर्मित या प्राकृतिक हो सकते हैं। हम जानते हैं कि वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन और प्रदान करना ही मनुष्यों की अनंत आवश्यकताओं को पूरा करने का एकमात्र उपाय है। प्राकृतिक संसाधन उत्पादन का एकमात्र उपाय है। प्राकृतिक संसाधनों में भूमि, श्रम, पूंजी, उद्यम आदि शामिल हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, एक किसान को खाद्यान्नों का उत्पादन करने के लिए कई महत्वपूर्ण संसाधन चाहिए, जैसे बीज, खाद और उर्वरक।

इसी तरह, सभी वस्तुओं और सेवाओं को बनाने के लिए संसाधन की आवश्यकता होती है। लेकिन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपलब्ध संसाधन सीमित या दुर्लभ हैं, जो हमारी सबसे बड़ी आर्थिक समस्या है। इसलिए उपलब्ध और वर्तमान संसाधनों का कुशलतापूर्वक और युक्तिसंगत उपयोग किया जाना चाहिए।

प्रश्न 7. आर्थिक तथा गैर-आर्थिक आवश्यकताओं में भेद कीजिये ।
उत्तर- आर्थिक आवश्यकताएं वे वस्तुएं और सेवाएं हैं जिन्हें हम बाजार से खरीदकर लाते हैं और अपनी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। नौकरानी को खाना बनाना, एलपीजी सिलिंडर खरीदना आदि एक उदाहरण हैं। गैर-आर्थिक आवश्यकताएं हैं वे आवश्यकताएं जिनकी पूर्ति हम बिना किसी शुल्क के करते हैं। उदाहरण: हवा में सांस लेना और पत्नी को घर साफ करना

प्रश्न 8. ‘ आवश्यकताओं में विकास के साथ परिवर्तन और विस्तार होता है।’ समझाइये |
उत्तर – मानव की मूलभूत मानवीय आवश्यकताएं समय के साथ बदल गई हैं, लेकिन आवश्यकताएं मानव जीवन का अभिन्न अंग हैं, जिनकी पूर्ति में मनुष्य जीवित रहता है। पुराना आदमी जंगलों में कंदराओं में रहता था। वह वस्त्रों की बहुत कम आवश्यकता रखता था और भूख लगने पर कंद-मूल या पशुओं का मांस खाता था। लेकिन धीरे-धीरे उसने आग खोजी और खाना पकाना शुरू किया। फलत: स्वाद का पता चलते ही उसकी भोजन संबंधी आवश्यकताओं में वृद्धि हुई, और उसने नए खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल शुरू किया।

वह पशुपालक से कृषक बन गया जब आग का आविष्कार हुआ। परिधान के मामले में भी परिवर्तन आया, और पहिए के आविष्कार ने उसकी मांग को और भी बढ़ा दिया। उसने वस्त्रों की बुनाई और कताई शुरू की, और आज तक उसने कई नए कपड़े बनाए हैं। इसी तरह, समय के साथ मानव कंदराओं से निकलकर झोंपड़ी में रहने लगा और आज सुविधापूर्ण घरों और भवनों का निर्माण करने लगा है।

प्रश्न 9. हमें अपनी आवश्यकताओं को सीमित क्यों करना चाहिये ?
उत्तर – हम सभी जानते हैं कि मानवीय आवश्यकताएं अनंत हैं और इन आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु उपलब्ध संसाधन सीमित हैं, इसलिए भारतीय दर्शन के मतानुसार मनुष्य को अपनी आवश्यकताओं को सीमित करने की आवश्यकता है। मानवीय आवश्यकताओं को सीमित करने के सन्दर्भ में निम्नलिखित कारण हैं-
1. व्यक्ति की आवश्यकताएँ पूर्ण न होने पर उसे कष्ट तथा दुःख का अनुभव होता है।
2. समाज में वर्ग संघर्ष की सम्भावना रहती है।
3. आध्यात्मिक विकास के साथ-साथ आवश्यकताओं के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
4. आवश्यकताओं में वृद्धि होने से व्यक्ति आवश्यकताओं की पूर्ति के प्रति समर्पित रहता है, जो गलत है।

उपर्युक्त कारणों से स्पष्ट है कि यदि व्यक्ति पूर्ण सन्तुष्टि प्राप्त करना चाहता है, तो आवश्यकताओं में कमी करनी चाहिए।

मानवीय आवश्यकताएं के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1. आवश्यकता की संक्षिप्त परिभाषा दीजिए ।
उत्तर- संतुष्टि देने वाली चीजों की इच्छा करना आवश्यक है। दूसरे शब्दों में, आवश्यकताएं वे इच्छाएं हैं जिनकी पूर्ति करने के लिए हमारे पास पर्याप्त संसाधन हैं और हम उन संसाधनों को खर्च करने को तत्पर हैं।

प्रश्न 2. इच्छा और आवश्यकता में भेद कीजिए ।
उत्तर – आवश्यकता और इच्छा में निम्नलिखित भेद हैं-

इच्छाआवश्यकता
1. किसी वस्तु की कामना या अभिलाषा करना इच्छा

2. इच्छाएं अनंत होती हैं। कहलाती है।

3. इच्छाओं की संतुष्टि क्रय करने की क्षमता पर निर्भर करती है।

1. संतुष्टिदायक चीजों की इच्छा ही आवश्यकता होती है।

2. आवश्यकताएं निरन्तर प्रसारमान होती हैं।

3. केवल वे इच्छा ही आवश्यकता होती हैं. जिन्हें तुष्ट करने के लिए हमारे पास साधन हों तथा उन्हें व्यय करने की तत्परता भी हो।

प्रश्न 3. आवश्यकताएं सदैव वृद्धिमान क्यों होती हैं?
उत्तर- आवश्यकताओं में वृद्धि होती है क्योंकि लोगों को संस्कृति, बौद्धिक विकास, नई चीजों और खोजों की जानकारी, बेहतर जीवन बदलाव की इच्छा और जनकल्याण की भावना बढ़ी है। दूसरे शब्दों में, मानव की प्रगति आवश्यकताओं को बढ़ाती है। दूसरे शब्दों में, यह कहा जा सकता है कि आवश्यकताएं निरंतर बढ़ती रहती हैं क्योंकि बेहतर जीवन की आकांक्षा, अधिक ज्ञान, नई खोजें आदि। उदाहरण के लिए, मनुष्य पहले रेडियो पर निर्भर था, लेकिन टेलीविजन के आविष्कार ने मनुष्य की आवश्यकताओं को बढ़ाकर इसे भी शामिल कर लिया।

प्रश्न 4. मानवीय आवश्यकताओं में वृद्धि के लिए जिम्मेदार तत्त्वों की व्याख्या करें।
उत्तर- मानवीय आवश्यकताओं में समाज के विकास के साथ-साथ बहुत वृद्धि हुई है। इसके लिए अनेक कारक उत्तरदायी हैं-
1. परिवर्तन की इच्छा -मानवीय आवश्यकताओं का विस्तार परिवर्तन की इच्छा से होता है। प्रत्येक क्षेत्र में मानव सदैव बदलाव चाहता है; जैसे कपड़े, परिवहन, घर आदि। इन सभी के लिए वह अधिक सुविधा चाहता है।

2. ज्ञान की वृद्धि – ज्ञान की वृद्धि से मानवीय आवश्यकताओं और उनकी प्रकृति भी बढ़ती जाती है। जैसे, पहले लोग सादे कपड़े पहनते थे, लेकिन कपड़े के डिजाइन में बदलाव के कारण आज लोग कई तरह के कपड़े पहनते हैं।

3. अच्छे ढंग से जीने की इच्छा-मानव की आवश्यकताओं में वृद्धि होने के कारण; जैसे साइकिल की जगह स्कूटर लेना। इसी तरह सादा भोजन की जगह स्वादिष्ट और चटपटे भोजन की इच्छा, आदि

4. सांस्कृतिक परिवर्तन – सांस्कृतिक परिवर्तनों के माध्यम से भी मानवीय आवश्यकताओं में वृद्धि हुई है।

5. नई-नई खोजें एवं आविष्कार – नए खोजों तथा आविष्कारों ने मानव जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाया है, जिससे मानव की आवश्यकताएं बढ़ी हैं।

6. सामुदायिक जीवन – सामुदायिक जीवन की अवधारणा के कारण भी मानवीय आवश्यकताएं बढ़ी हैं।

प्रश्न 5. क्या आप सहमत हैं कि आवश्यकताएं परस्पर निर्भर होती हैं?

उत्तर – आवश्यकताएं दोनों पर निर्भर हैं। उदाहरण के लिए, कार चलाने के लिए व्यक्ति को पेट्रोल, ब्रेक का तेल, मिस्त्री और ड्राइवर की सेवाएं चाहिए। इसलिए यह स्पष्ट है। क्योंकि आवश्यकताएं परस्पर निर्भर हैं, यानी एक दूसरे से संबंधित हैं।

प्रश्न 6. हमारी आवश्यकताओं की संवृद्धि का संसाधनों पर कैसे प्रभाव पड़ता है?

उत्तर– आवश्यकताओं की वृद्धि संसाधनों पर विपरीत प्रभाव डालती है। संसाधन आवश्यकताओं से अधिक हैं। असीमित आवश्यकताओं की पूर्ति में इन सीमित संसाधनों का उपयोग किया जाएगा, तो वे पूरी तरह समाप्त हो जाएंगे। संसाधनों का अत्यधिक प्रयोग गुणवत्ता को कम करता है। संसाधनों का अधिक प्रयोग प्रदूषण को जन्म देता है। औद्योगिक रूप से विकसित कई क्षेत्रों में तो अपशिष्ट पदार्थों का ढेर पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों पर जमा होने लगा है। कारखानों और वाहनों से निकलने वाला धुआं मिट्टी और नदियों में जाता है। संसाधन, जैसे कचरा, खराब हो रहे हैं। इससे हमारी उत्पादन क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। मानव जीवन की गुणवत्ता भी इस प्रदूषण से प्रभावित होगी।

प्रश्न 7. उदाहरणों सहित अनिवार्यता सुविधा और विलासिता के बीच अंतर की व्याख्या करें।
उत्तर– अनिवार्यता सुविधा और विलासिता के बीच निम्नलिखित अंतर हैं-

अनिवार्यतासुविधा विलासिता
1. ये मानव की मूलभूत आवश्यकताएं होती हैं।1. ये जीवन की अपेक्षाकृत गौण आवश्यकताएं होती हैं।1. ये बहुत जरूरी नहीं होती, फिर भी इनकी लागत बहुत अधिक होती है।
2. इनकी तुष्टि अनिवार्य है।2. इनकी तुष्टि से जीवन अपेक्षाकृत सुखमय हो जाता है। 2. ये मानव जीवन के लिए जरूरी नहीं होतीं।
3. इनके बिना जीवन निर्वाह करना असंभव है। गरीब से गरीब व्यक्तिको भी इनकी पूर्ति करनी ही पड़ती है। 3. इनके बिना जीवन निर्वाह असंभव नहीं होता, बल्कि इनके प्रयोग से जीवनस्तर सुधरता है।3. इनके प्रयोग से मानव की प्रतिष्ठा बढ़ती है तथा उसके अहं तुष्टिहोती है।
उदाहरण-भोजन, वस्त्र एवं आवास उदाहरण- कूलर अच्छा स्वादिष्ट खाना,स्कूटर आदि। उदाहरण महंगी कारें, महंगा फर्नीचर तथा साज-सज्जा का सामान आदि।

प्रश्न 8. व्यक्तिगत तथा सामूहिक आवश्यकताओं में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर- व्यक्तिगत या निजी आवश्यकताएं व्यक्तिगत जरूरतें हैं। जैसे कम्प्यूटर, वीडियो गेम, फुटबॉल और साइकिल की जरूरतें सामूहिक आवश्यकताएं सामूहिक या सामुदायिक रूप से आवश्यक होती हैं और उनका उपभोग सामूहिक रूप से किया जाता है। जैसे – अस्पताल, पार्क या परिवहन के सार्वजनिक साधन ।

प्रश्न 9. व्यक्तिगत कारक आवश्यकताओं के वर्गीकरण को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
उत्तर- आवश्यकताओं का वर्गीकरण व्यक्तिगत कारकों द्वारा प्रभावित होता है। इसका सम्बन्ध व्यक्ति के विशेष लगाव तथा रुचि से होता है। व्यक्ति की इन प्रवृत्तियों के निन्नलिखित कारण हैं-
1. मनुष्य की आय अथवा आर्थिक परिस्थितियां आवश्यकताओं को प्रभावित करती हैं।
2. धार्मिक व्यक्ति की आवश्यकताएं सामान्य रूप से कम होती हैं।
3. आवश्यकताओं का विभाजन समाज में रहन-सहन से होता है; जैसे-कम आय वाले व्यक्ति की अधिकांश धन आवश्यक चीजों पर खर्च होता है।
4. रुचि एवं स्वभाव भी व्यक्तिगत रूप से आवश्यकता को प्रभावित करते हैं।
5. आदतों के आधार पर भी आवश्यकताओं का वर्गीकरण सम्भव हैं।
6. व्यक्ति का व्यवसाय भी उसकी आवश्यकताओं को प्रभावित करता है।

इस पोस्ट में आपको Nios class 10th arthashastra chapter 2 solutions Nios class 10th arthashastra chapter 2 question answer Nios class 10th arthashastra chapter 2 pdf Nios class 10th arthashastra chapter 2 notes Nios class 10 economics chapter 2 mcq एनआईओएस कक्षा 10वीं अर्थशास्त्र अध्याय 2. मानवीय आवश्यकताएँ एनआईओएस कक्षा 10 अर्थशास्त्र अध्याय 2 समाधान से संबंधित काफी महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर दिए गए है यह प्रश्न उत्तर फायदेमंद लगे तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और इसके बारे में आप कुछ जानना यह पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट करके अवश्य पूछे.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top