NIOS Class 10 Social Science Chapter 12 भारत में कृषि

NIOS Class 10 Social Science Chapter 12 भारत में कृषि

NIOS Class 10 Social Science Chapter 12 Agriculture in India – आज हम आपको एनआईओएस कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान पाठ 12 भारत में कृषि के प्रश्न-उत्तर (Agriculture in India Question Answer) के बारे में बताने जा रहे है । जो विद्यार्थी 10th कक्षा में पढ़ रहे है उनके लिए यह प्रश्न उत्तर बहुत उपयोगी है. यहाँ एनआईओएस कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान अध्याय 12 (भारत में कृषि) का सलूशन दिया गया है. जिसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप NIOS Class 10th Social Science 12 भारत में कृषि के प्रश्न उत्तरों को ध्यान से पढिए ,यह आपकी परीक्षा के लिए फायदेमंद होंगे.

NIOS Class 10 Social Science Chapter 12 Solution – भारत में कृषि

प्रश्न 1. भारतीय कृषि की किन्हीं चार प्रमुख विशेषताओं को समझाइए |
उत्तर – भारत में कृषि की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
(i) कृषि भारत का प्रमुख व्यवसाय है। 2001 में भारत की जनसंख्या के 63 प्रतिशत लोग इससे रोजगार तथा आजीविका अर्जित कर रहे थे।
(ii) कृषि से ज्यादातर उद्योगों को कच्चा माल मिलता है।
(iii) भारत देश की अधिकांश राष्ट्रीय आय का स्रोत कृषि है।
(iv) अधिकांश मनुष्य तथा पशुओं के लिए आहार कृषि से ही प्राप्त होता है।
(v) भारत के अधिकांश तीज-त्योहार, वैशाखी, बसंत पंचमी आदि कृषि से संबंधित हैं।

प्रश्न 2. चावल और गेहूँ की खेती के लिए भौगोलिक परिस्थितियों की तुलना कीजिए ।
उत्तर- गेहूँ और चावल भारत की दो प्रमुख फसलें हैं। मानूसनी जलवायु में चावल एक प्रमुख खाद्यान्न व उपज है। भारत के तटीय क्षेत्रों में चावल उगाया जाता है। यहाँ चावल की खेती प्राचीन है। 33 प्रतिशत क्षेत्र में चावल उगाया जाता है। भारत, चीन के बाद विश्व में चावल उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। भारत विश्व चावल उत्पादन का 21% है। कृषि के लिए निम्नलिखित भौगोलिक परिस्थितियां आवश्यक हैं:-

(i) तापमान- चावल उष्ण कटिबन्ध की उपज है । इसकी फसल के लिए ऊँचे तापमान की आवश्यकता होती है । इसके लिये 20° से 27° से.ग्रे. तापमान आवश्यक होता है ।

(ii) वर्षा-चावल के लिये अधिक नमी की आवश्यकता होती है । इसके लिये 100 से 200 सेमी. वर्षा जरूरी होती है । धान के पौधे पानी से भरे खेतों में लगाये जाते हैं ।

(iii) मिट्टी- चावल के लिए डेल्टाई मिट्टी सबसे अच्छी है। यह चिकनी कछारी मिट्टी में बढ़ता है। चावल की बढ़िया फसल के लिए हरी खादों और रासायनिक खादों का प्रयोग करें।

(iv) श्रम – पानी से भरे खेतों में एक व्यक्ति ही काम कर सकता है, इसलिए चावल की खेती के लिए अधिक कर्मचारियों की जरूरत होती है। महिलाएं और बच्चे धान के पौधे रोपते हैं।

चावल उत्पादक क्षेत्र – भारत के प्रमुख चावल उत्पादक राज्य निम्नलिखित हैं- तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखंड, उत्तरांचल, छत्तीसगढ़, पंजाब, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, असम और महाराष्ट्र |

व्यापार – भारत चावल का बड़ा निर्यातक देश है जिससे उसे विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। उसका बासमती चावल विश्व के लोगों को खूब पसंद है ।

गेहूँ – भारत में गेहूँ एक महत्वपूर्ण खाद्यान्न है। गेहूँ का नाम अन्नराजा है। इसमें अधिक प्रोटीन और पोषक तत्व हैं। गेहूँ भारत के कृषि योग्य क्षेत्र के 10% पर उगाया जाता है। 13409 हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूँ बोया जाता है। भारत विश्व में गेहूँ उत्पादन का 3.5% करता है। गेहूँ खेती के लिए निम्नलिखित भौगोलिक परिस्थितियां आवश्यक हैं.

तापमान-गेहूँ शीतोष्ण जलवायु में बढ़ता है। इसलिए भारत में शीत ऋतु में इसे उगाया जाता है। गेहूँ को बोने के लिए 10° से 15° सेल्सियस तापमान और साफ हवा चाहिए। इसे पाला, कोहरा और धुँधला मौसम बुरा लगता है।

वर्षा-गेहूँ की फसल 50 से 100 सेमी की वर्षा चाहती है। वर्षा धीरे-धीरे होनी चाहिए। भारत में जाड़ों में वर्षा नहीं होने के कारण गेहूँ सिंचाई से उगाया जाता है।

मिट्टी – दोमट मिट्टी गेहूँ की फसल के लिए सर्वश्रेष्ठ है। यह हल्की दोमट, बलुई दोमट और काली मिट्टी में भी उगाया जाता है। इसके लिये समतल, उपजाऊ जमीन चाहिए। कम्पोस्ट और रासायनिक खादों का इस्तेमाल भी फायदेमंद होता है।

उत्पादन क्षेत्र – भारत में गेहूँ का उत्पादन उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र आदि राज्यों में होता है.

व्यापार – भारत अब गेहूँ का निर्यात करने की स्थिति में है ।

प्रश्न 3. चाय और कॉफी की खेती के लिए किन्हीं चार भौगोलिक परिस्थितियों को पहचाने और लिखें।
उत्तर – कॉफी – भारत की कॉफी अच्छी है। यमन से आने वाली अरेबिका कॉफी भारत में उत्पादित की जाती है। यह बेहतर होने के कारण विदेशों में अधिक मांग है। कॉफी उत्पादन के लिए कुछ भौगोलिक परिस्थितियां निम्नलिखित हैं:-

तापमान – कॉफी के लिए गर्म तथा नम जलवायु चाहिए, जिसमें 15 से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान होना चाहिए।

वर्षा- कॉफी की खेती के लिए 150 से 250 सेमी वर्षा चाहिए।

मृदा – लौह और कैल्शियम जैसे खनिजों से भरपूर मृदा कॉफी की खेती के लिए चिकनी बलुई मिट्टी उपयुक्त है।

श्रम – कॉफी की खेती के लिए कुशल एवं सस्ते श्रम की जरूरत होती है।

वितरण – कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु भारत में कॉफी उत्पादन के प्रमुख राज्य हैं। आजकल सबसे लोकप्रिय पेय चाय है। एक प्रकार की झाड़ी की पत्तियां चाय बनाती हैं। यह असम राज्य में जंगली था । भारत में अंग्रेजों ने खेती का शुभारंभ किया। व्यापारिक उत्पादों में चाय सबसे अधिक विदेशी मुद्रा कमाती है। 6600 चाय बाग भारत में 3 लाख हेक्टेयर जमीन पर हैं। भारत विश्वव्यापी चाय उत्पादन का 45% बनाता है।

उपज की दशाएँ – चाय की खेती के लिये निम्नलिखित भौगोलिक दशाओं की आवश्यकता होती है :

तापमान -चाय समशीतोष्ण जलवायु की उपज है । इसके लिए गर्म – तर जलवायु की आवश्यकता होती है। चाय के लिये 24° सेग्रे० 30° सेग्रे० ताप आवश्यक है । चाय के पौधों को तेज धूप, कोहरा पाला हानि पहुँचाते हैं ।

वर्षा– चाय उगाने के लिये 150 से 200 सेमी० वर्षा आदर्श मानी गई है । वर्षा समान रूप से वर्ष भर हल्की बौछारों के रूप में होनी चाहिए । गहरी बलुआई मिट्टी चाय की खेती के लिये उत्तम मानी गई है।

श्रम – चाय के बाग लगाने, उनकी देखभाल करने, पत्तियाँ चुनने, उन्हें कारखानों तक ले जाने के लिए पर्याप्त श्रमिकों की आवश्यकता होती है । भारत में 8 लाख श्रमिक चाय की खेती में लगे हैं ।

चाय उत्पादक क्षेत्र – उत्तरी भारत में चाय का उत्पादन अधिक होता है। उत्तर भारत का 67% चाय उत्पादक है। दक्षिणी भारत में ३३% चाय उगाई जाती है। निम्नलिखित भारत के चाय उत्पादक राज्य हैं: असम, बंगाल, तमिलनाडु, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश, बिहार आदि

प्रश्न 4. भारतीय कृषि द्वारा सामना की जाने वाले किन्हीं तीन प्रमुख चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए ।
उत्तर- भारतीय कृषि की तीन मूलभूत चुनौतियां इस प्रकार हैं-
1. भारतीय कृषि का सबसे बड़ा संकट जनसंख्या में वृद्धि है। 2021 में भारत की कृषि भूमि का प्रति व्यक्ति औसत 1/5 हेक्टेयर से 1/10 हेक्टेयर होने की संभावना है। है
2. वनों और चारागाहों की कमी मृदा की प्राकृतिक उर्वरता को कम करती है। इसे किसानों की गरीबी और वैज्ञानिक तकनीकी ज्ञान की कमी ने और बढ़ा दिया है।
3. भारत में किसानों की जोतें आर्थिक रूप से फायदेमंद नहीं हैं। यह इतने छोटे हैं कि अपने परिवार को भी नहीं पाल सकते।

प्रश्न 5. खाद्य सुरक्षा की अवधारणा को समझाइए | यह भोजन में आत्मनिर्भरता से किस प्रकार अलग है?
उत्तर- खाद्य सुरक्षा का अर्थ है भोजन की सुरक्षा। भारत में गेहूँ, चावल, ज्वार, बाजरा और अन्य खाद्यान्नों की पर्याप्त पैदावार होती है और देश को खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर बनाया गया है, लेकिन इन्हें नष्ट होने से बचाने और सुरक्षित रखने की बड़ी समस्या है। भारत में खाद्यान्न भण्डारण की व्यवहारिक तकनीक का विकास नहीं हुआ है। अकाल जैसे हालात का सामना करने के लिए खाद्य भण्डारण महत्वपूर्ण है। आत्मनिर्भरता के लिए खाद्य भण्डारण आवश्यक है। भारत को कई देशों की सहायता करनी चाहिए क्योंकि वह गुट-निरपेक्ष आंदोलन का नेता है। खाद्य भण्डारण मुद्रा को बचाता है।

भारत में कृषि के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1. रोपण कृषि से क्या तात्पर्य है? कोई तीन विशेषताएं
उत्तर- इस प्रकार की कृषि में लंबे-चौड़े क्षेत्र में एक ही फसल उगाई जाती है। रोपण कृषि की प्रमुख फसलें, चाय, रबड़, कॉफी, गन्ना, केला आदि हैं।
विशेषताएं –
(i) रोपण कृषि बड़े क्षेत्र में की जाती है।
(ii) इसमें ज्यादा पूँजी और श्रमिकों की आवश्यकता होती है।
(iii) इससे प्राप्त फसल उद्योग में कच्चे माल के रूप में प्रयोग की जाती है।
(iv) इस कृषि में वार्षिक फसल की जगह कई वर्ष अथवा निरंतर रहने वाले पौधों अथवा वृक्षों के बाग लगाए जाते हैं।

प्रश्न 2. ऐसे उद्योगों के नाम लिखें, जो कृषि के कच्चे माल पर आधारित हैं।
उत्तर- कृषि के कच्चे माल पर आधारित उद्योग हैं- जूट उद्योग, सूती वस्त्र उद्योग, रेशम उद्योग, प्रसंस्करण उद्योग, घरेलू उद्योग, पशुपालन, मुर्गी पालन, आदि ।

प्रश्न 3. केन्द्र तथा राज्यों सरकारों ने स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद कृषि की दशा को सुधारने के लिए कौन से कदम उठाए ?
उत्तर- केन्द्र तथा राज्य सरकारों ने भारतीय कृषि की दशा सुधारने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए-
1. खेतों की चकबंदी की गई है।
2. जमींदारी प्रणाली को समाप्त किया गया है।
3. उच्च उत्पादकता वाले बीज प्रयोग में लाए गए हैं।
4. कीटों और बीमारियों पर नियंत्रण किया गया है।
5. नई सिंचाई योजनायें शुरू की गई हैं।
6. उत्पादन वृद्धि के लिए विभिन्न तकनीकों का प्रयोग किया जा रहा है।

प्रश्न 4. 1947 में भारत के विभाजन ने जूट उद्योग पर क्या प्रभाव डाला?
उत्तर- 1. भारत का 1947 में विभाजन हुआ। भारत और पाकिस्तान इसके दो हिस्से बन गए। पश्चिम बंगाल में अधिकांश जूट उद्योग हैं, लेकिन अधिकांश बांग्लादेश (पूर्व पाकिस्तान) में बनाया गया है। इससे कच्चा माल की उपलब्धता घटी। भारत को कच्चा माल खरीदने के लिए विदेशी मुद्रा चाहिए थी।

2. 1947 से 1971 तक, पाकिस्तान भारत से प्रतिस्पर्धा करता रहा। 1971 में बांग्लादेश बनने के बाद भारत जूट का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है।

प्रश्न 5. जूट उद्योग के पुनरुत्थान के लिए सरकार ने क्या कदम उठाये हैं?
उत्तर- जूट उत्पादन के लिए सरकार ने निम्न कदम उठाये हैं-
1. अधिक उत्पादन देने वाले बीजों के पुनरुत्थान प्रयोग, जैसे – PRO 7835 का अनुसंधान जूट संस्थान ने किया है।
2. अधिक अच्छा पौधा उत्पादन शुरू किया गया है।
3. रासायनिक खाद का प्रयोग तथा वैज्ञानिक विधियों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

प्रश्न 6. जैव तकनीक से किसान किस प्रकार फायदा उठाते हैं? यह कैसे सतत पोषणीय पर्यावरण में सहायक है ?
उत्तर – किसानों के लिए जैव तकनीक निम्नलिखित रूप से लाभदायक है-
1.इससे प्रति एकड़ उत्पादन में वृद्धि और फसलों में आनुवंशिक संशोधन किया जा सकता है।
2. इस तकनीक से फसलों को कीड़ों और बीमारियों से बचाया जा सकता है।
3. इससे कीटनाशकों और जैवनाशकों का उपयोग कम होगा।
4. संशोधित आनुवंशिक बीजों को बहुत कम पानी चाहिए।
5. इस तकनीक का उपयोग उत्पादन लागत को कम करता है। 6: इससे दोनों अमीर और गरीब किसानों को अधिक लाभ होता है, और पर्यावरण को निरंतर सुरक्षा और पोषण मिलता रहता है।

प्रश्न 7. वैश्वीकरण का भारतीय कृषि पर क्या प्रभाव पड़ा है ? वर्णन करें।
उत्तर – वैश्वीकरण एक नई प्रवृत्ति है जिसका उद्देश्य अपनी अर्थव्यवस्था को अन्य देशों की अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ना है। भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण का प्रभाव-
1. अब भारतीय कृषक खुले औद्योगिक वातावरण में प्रवेश कर चुके हैं। अब उन्हें अन्य देशों के किसानों से अधिक उत्पादन और गुणवत्ता मिलनी चाहिए।
2. हमें उन्नत उपकरण और कुशल श्रम के साथ-साथ अनुकूल जलवायु परिस्थितियों का उपयोग करके वैश्विक बाजार में अपना स्थान बनाना होगा।

प्रश्न 8. भारत के पास चावल उत्पादन के अन्तर्गत सबसे बड़ा क्षेत्र है, फिर भी यह विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक नहीं
है। कारण लिखें।
उत्तर- 1. भारत में धान की पौध रोपाने की प्राचीन विधि है। जिसे हाथ से किया जाता है।
2. भारत में चावल की कृषि के लिये मशीनों के स्थान पर हाथ से काम किया जाता है जबकि चीन में मशीनों से चावल की कृषि की जाती है। इसलिए चीन में प्रति एकड़ पैदावार भारत से अधिक है।
3. श्रम प्रधान तथा लंबी समय प्रक्रिया के कारण भारत में चावल का प्रति एकड़ उत्पादन कम है।
4. भारत में रासायनिक खाद का उपयोग तथा उन्नत बीजों का प्रचलन अभी कम है।
5. भारत में आज भी यह कई स्थानों पर निर्वाह कृषि के रूप में की जाती है जबकि चीन, कोरिया जैसे देशों में इसे व्यापारिक कृषि
के रूप में किया जाता है।

प्रश्न 7. भारत में कपास उत्पादन की भौगोलिक दशाओं एवं उत्पादक राज्यों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर- कपास एक रेशे वाली उपज है, जिसका उपयोग सूती वस्त्र बनाने में किया जाता है। यह भारत का सबसे बड़ा बाजार है। भारत ही कपास का मूल देश है। भारत विश्व का 21% प्रतिशत कपास उत्पादक क्षेत्र है। यहाँ विश्व की 8% कपास उत्पादित होती है।

उपज की दशायें – कपास एक उष्ण कटिबन्ध उत्पाद है। इसके लिए उच्च तापमान और अधिक वर्षा की जरूरत है। तापमान— कपास की उपज 20 से 30 डिग्री सेल्सियस के ताप पर बनती है। इसके लिए 200 दिनों तक शुष्क, वर्षाहीन मौसम चाहिए। इसकी फसल को ओला और पालक नुकसान पहुंचाते हैं। कपास के पौधों को समुद्री नम हवा बहुत अच्छी लगती है।

वर्षा – कपास के पौधों को 100-150 सेमी की वर्षा चाहिए। वर्षा लगातार और हल्की होनी चाहिए। पौधों की जड़ों में पानी रुकना नहीं चाहिए। कपास लावा मिट्टी में बहुत पैदा होता है। कपास के लिए काले रंग की ढालू भूमि चाहिए।

श्रम- कपास की खेती में काम करने हेतु भारी मात्रा में सस्ते श्रमिकों की आवश्यकता होती है । उत्पादक राज्य-महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, हरियाणा आदि ।

प्रश्न 9. भारत में जूट उत्पादन की दशायें एवं उत्पादन के क्षेत्र बताइये ।
उत्तर– आवश्यक भौगोलिक दशाएँ – जूट की कृषि के लिए निम्नलिखित भौगोलिक दशाओं की आवश्यकता पड़ती है-
तापमान – जूट मानसूनी जलवायु या उष्णार्द्र क्षेत्रों में पैदा होता है। यह पौधा दोनों उष्ण तथा नम जलवायु में उगाया जाता है, लेकिन सभी उष्णार्द्र क्षेत्रों में नहीं उगाया जाता, क्योंकि इसके कई मानवीय और आर्थिक लाभ हैं । जूट के पौधे ऊँचे तापमान चाहता है। यह आम तौर पर 27 से 37 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर खेती करता है।

वर्षा – जूट के पौधे को अधिक आर्द्र जलवायु चाहिए। जूट का पौधा अधिक वर्षा में तेजी से बढ़ता है। Jute खेतों में हर समय जल होना चाहिए। यह आम तौर पर 125 सेमी से 250 सेमी की वर्षा वाले क्षेत्रों में बोया जाता है, लेकिन 75 से 100 सेमी की वर्षा वाले क्षेत्रों में सिंचाई का उपयोग किया जाता है।

मिट्टी – जूट की खेती, क्योंकि इसका पौधा मिट्टी की उर्वरा शक्ति को शीघ्र ही नष्ट कर देता है, अत्यंत उपजाऊ मिट्टी की जरूरत है। जूट दोमट मिट्टी में उगाई जाती है, जो चिकनी और बलुआई होती है। जूट के लिए डेल्टाई और कछारी मिट्टी सबसे अच्छी हैं। डेल्टाई क्षेत्र में हर साल नवीन कांप मिट्टी का जमाव होता है, जिससे वह अधिक उपजाऊ हो जाता है। दूसरे डेल्टाई मिट्टी में उर्वरक नहीं चाहिए

मानवीय श्रम- जूट के बोने, काटने तथा पौधों से रेशा प्राप्त करने के लिए सस्ते एवं अधिक संख्या में श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है । यही कारण है कि जूट की खेती एशिया के सघन जनसंख्या वाले देशों में ही की जाती है ।

जूट उत्पादक क्षेत्र – भारत विश्व में जूट उत्पादन में पहले स्थान पर है। यहाँ दुनिया की जूट की 40% उगाई जाती है। भारत में स्वतंत्रता के बाद जूट का उत्पादन बहुत बढ़ा है। जूट खेती के लिए यहाँ सभी आवश्यक भौगोलिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं। भारत में जूट की खेती गंगा और ब्रह्मपुत्र की घाटियों और डेल्टाओं में की जाती है । यहाँ प्रति हेक्टेयर 1887 किग्रा. जूट का उत्पादन होता है। पश्चिमी बंगाल 58%, असम 18%, बिहार 14% के साथ देश का लगभग 90% जूट उत्पादन करता है। उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा, मेघालय और आन्ध्र प्रदेश अन्य प्रमुख राज्य हैं ।

प्रश्न 10. हरित क्रांति को सफल बनाने के उपायों की विवेचना कीजिए।

उत्तर – हरित क्रांति को सफल बनाने के उपाय-
1. कृषि उत्पादन से सम्बन्धित सभी सरकारी विभागों में उचित समन्वय स्थापित किया जाना चाहिए ।
2. उर्वरकों के वितरण की उचित व्यवस्था होनी चाहिए ।
3. उर्वरकों के प्रयोग के विषय में किसानों को उचित प्रशिक्षण सुविधाएँ उपलब्ध होनी चाहिए ।
4. उपयुक्त व उत्तम बीजों के विकास को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए ।
5. फसल बीमा योजना, शीघ्रता एवं व्यापकता से लागू की जानी चाहिए ।
6. कृषि-साख का सही प्रबंध होना चाहिए। कृषकों को तत्काल और सस्ती ब्याज दर पर फसलोत्पादन ऋण मिलना चाहिए।
7. सिंचाई सुविधाओं का विस्तार किया जाना चाहिए ।
8. भूक्षरण से होने वाली क्षति को रोकने के उचित प्रयत्न किए जाने चाहिए
9. कृषि उपज के विपणन की उचित व्यवस्था होनी चाहिए ।
10. भूमि का गहनतम व अधिकतम उपयोग किया जाना चाहिए ।
11. कृषकों को उचित प्रशिक्षण व निर्देशन दिया जाना चाहिए ।
12. भूमि सुधार कार्यक्रमों का शीघ क्रियान्वयन किया जाना चाहिए।
13. छोटे किसानों को विशेष सुविधाएँ दी जानी चाहिए ।
14. प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार होना चाहिए ।
15. ग्राम पंचायतों, सरकारी संस्थाओं, सामुदायिक विकास खण्डों, विभागों और साख संस्थाओं में उचित समन्वय होना चाहिए ।

प्रश्न 11. भारत में गन्ना उत्पादन की भौगोलिक दशाओं और इसके उत्पादक राज्य बताइये ।
उत्तर – भारत में गन्ना एक बड़ी व्यापारिक फसल है। भारत गन्ना देश है। भारत विश्व के गन्ने क्षेत्र का 37% है। भारत विश्व में गन्ने उत्पादन में पहला है। चीनी, गुड़ और खांड गन्ने से बनाए जाते हैं।

भौगोलिक दशायें – गन्ना एक गर्म कटिबन्ध का उत्पाद है। परन्तु इसे अर्द्ध उष्ण जलवायु वाले क्षेत्रों में भी खेला जाता है कृषि के लिए निम्नलिखित भौगोलिक परिस्थितियां आवश्यक हैं:

तापमान – गन्ने की खेती ऊँचे तापमान की जरूरत है। इसके लिए 20 से 25 डिग्री तापमान चाहिए। इसे अधिक शीत और पाला नुकसान पहुंचाते हैं। सिंचाई से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में गन्ना उत्पादित किया जाता है।

वर्षा – इसके लिये 158 से 200 सेमी. वर्षा आवश्यक होती है।

मिट्टी- गन्ना चिकनी मिट्टी या उपजाऊ दोमट में आसानी से उगाया जा सकता है। गन्ने के लिए चूना और फास्फोरस की मिट्टियाँ अच्छी हैं। इसके लिए खाद भी चाहिए। गन्ना समतल, भुरभुरी, उपजाऊ जमीन पर बोया जाता है।

श्रम – गन्ने की खेती में काम करने के लिए पर्याप्त कर्मचारियों की आवश्यकता होती है। गन्ना एक साल में तैयार होने वाली फसल है। यह मार्च में बोया जाता है और नवंबर में फसल खराब हो जाती है।

उत्पादन क्षेत्र – भारत का 76% गन्ना उत्तर भारत में उगाया जाता है । भारत का प्रति एकड़ उत्पादन कम है । भारत में प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य निम्नलिखित हैं- उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश आदि प्रमुख राज्य हैं ।

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