NIOS Class 10 Social Science Chapter 11 जैव विविधता

NIOS Class 10 Social Science Chapter 11 जैव विविधता

NIOS Class 10 Social Science Chapter 11 Bio – Diversity – जो विद्यार्थी NIOS 10 कक्षा में पढ़ रहे है ,वह NIOS कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान अध्याय 11 यहाँ से प्राप्त करें .एनआईओएस कक्षा 10 के छात्रों के लिए यहाँ पर Social Science विषय के अध्याय 11 का पूरा समाधान दिया गया है। जो भी सामाजिक विज्ञान विषय में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते है उन्हें यहाँ पर एनआईओएस कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान अध्याय 11. (जैव विविधता)का पूरा हल मिल जायेगा। जिससे की छात्रों को तैयारी करने में किसी भी मुश्किल का सामना न करना पड़े। इस NIOS Class 10 Social Science Solution Chapter 11 Biodiversity की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी अच्छे कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है.

NIOS Class 10 Social Science Chapter 11 Solution – जैव विविधता

प्रश्न 1. जैव विविधता को परिभाषित कीजिए । प्राकृतिक वनस्पति, वन्य जीवन और सूक्ष्म जीवों के बीच आपसी संबंधों की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – जैव विविधता एक स्थान की पारिस्थितिकी तंत्र, जीन और प्रजातियों की कुल संख्या है। इसमें पारिस्थितिकी तंत्र, प्रजाति और आनुवंशिक विविधता शामिल हैं। जैव विविधता का एक छोटा सा हिस्सा जानवरों और पौधों से बनता है। जैव विविधता में बहुत से अदृश्य सूक्ष्म जीव शामिल हैं।

वनस्पति और वन्य जीवन हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के बहुमूल्य संसाधन हैं। लकड़ी हमें पौधे से मिलती है। दोनों जानवरों और मनुष्यों को आश्रय देते हैं। ऑक्सीजन बनाते हैं। प्राकृतिक आपदाओं, जैसे बाढ़, तेज हवाओं को रोकने में मदद करते हैं और भूमिगत पानी को स्टोर करते हैं। हमें वन्य जीव दूध, मांस, खाल और ऊन देते हैं। पक्षियों का भोजन कीड़े हैं, जो अपघटन रूप में काम करते हैं। गिद्ध वातावरण को साफ करने का काम करता है। सभी जीवन एक छोटे या बड़े पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने में महत्वपूर्ण हैं।

प्रश्न 2. भारत में उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन की विशेषताओं और वितरण का संक्षेप में वर्णन कीजिए ।
उत्तर- इस तरह के वन भारत के उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जहाँ वार्षिक औसत वर्षा 200 सेमी से अधिक है। इन क्षेत्रों में उच्च तापमान है। साल भर ये वन हरे-भरे रहते हैं। इनमें वृक्ष लम्बे और घने होते हैं, जैसे विषुवत रेखीय वन। इन वनों में बाँस, रबड़, महोगनी तथा आम के वृक्ष उगते हैं। 45 लाख हैक्टेयर में ये वन हैं। ये हिमालय, पश्चिमी घाट, नीलगिरि और अण्डमान निकोबार द्वीपसमूह में हैं । इन वृक्षों की लकड़ी कठोर है।

प्रश्न 3. भारत में नम पर्णपाती वन और शुष्क पर्णपाती वनों में अंतर किन्हीं दो बिन्दुओं में कीजिए ।
उत्तर- नम पर्णपाती वनों के वृक्ष बहुत सघन और हरे-भरे होते हैं। इन वृक्षों के नीचे विषैले जीव-जन्तु और दलदल पाए जाते हैं। तुलना में इसके शुष्क पर्णपाती वनों के वृक्ष छोटे, कम घने और गर्मियों में अपनी पत्तियां गिरा देते हैं। इन वनों के नीचे जंगली जानवर रहते हैं।

प्रश्न 4. भारत में जैव आरक्षित क्षेत्र की स्थापना के लिए तीन उद्देश्य बताइए ।
उत्तर- भारत सरकार ने 15 जीवमंडल सुरक्षा बनाई हैं, जो एक बड़ा प्राकृतिक निवास स्थान हैं और अक्सर एक या अधिक राष्ट्रीय पार्क या वन्यजीवन अभयारण्य हैं। संरक्षित क्षेत्रों में वनस्पतियों और जानवरों के अलावा मानव समुदाय भी रहते हैं। इन्हें स्थापित करने के निम्नलिखित प्रमुख उद्देश्य हैं:-
1. पौधों, जानवरों और सूक्ष्म जीवों के जीवन की विविधता और अखण्डता संरक्षण |
2. क्षेत्रों में पर्यावरण के अनुकूल टिकाऊ जीवन को बढ़ावा देने के लिए।
3.पारिस्थितिकी संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए, अनुसंधान, शिक्षा, जागरूकता और ऐसे क्षेत्रों में जीवन जीने का प्रशिक्षण |

प्रश्न 5. जैव विविधता के नुकसान का मुख्य कारण क्या है ? किन्हीं चार कारणों को बताइए ।
उत्तर – भारत में जैव-विविधता को कम करने वाले कारकों का वर्णन इस प्रकार है-
1. वन्य प्राणियों का आवास छिनना-वनों के काटे जाने से वन्य प्राणियों के आवास छिन गये हैं।
2. वन्य प्राणियों का शिकार – औपनिवेशिक काल में प्राणियों की खाल आदि के लिए उनका अंधाधुंध शिकार किया गया।
3. पर्यावरण प्रदूषण आदि – पर्यावरणीय प्रदूषण, विष देना और जंगलों की आग से भी जैव-विविधता को हानि पहुँचती है।
4. वनों की अत्यधिक कटाई- जैव विविधता का प्रमुख कारण है वनों की ज्यादा से ज्यादा कटाई करना ।

प्रश्न 6. उपयुक्त कारणों के साथ प्राकृतिक वनस्पति, वन्य जीवन और सूक्ष्मजीवों के संरक्षण के लिए आवश्यकता की पुष्टि कीजिए।
उत्तर- यदि हम प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीवन संरक्षण चाहते हैं तो हमें उसी संदर्भ में देखना होगा, जैसे हम उनका दोहना करते हैं। इसके निम्नलिखित कारण हैं-
1. वनस्पति जैव विविधता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जानवरों और कुछ सूक्ष्म जीवों को आवास, भोजन और ऑक्सीजन की कमी से मरना पड़ता है।
2. जल चक्र में वनस्पति महत्वपूर्ण हैं। पौधे जमीन से पानी खींचकर पत्तियों के माध्यम से हवा में जलवाष्प के रूप में छोड़ देते हैं। यही कारण है कि वनस्पति जमीन और वातावरण के मध्य एक बंधन प्रदान करती है।
3. वनस्पति ऑक्सीजन देते हैं और हवा में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड को प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से निकालते हैं। वनस्पति भी हवा में मौजूद अन्य प्रदूषकों को सोख लेती हैं।
4. पौधों की जड़ें मिट्टी को पानी और हवा में उड़ रही धूल से बचाती हैं।
5. ग्रीनहाउस प्रभाव में वनस्पति स्थिर और संतुलित होती है। विपरीत, वनस्पति साफ करने से कार्बन डाई आक्साइड का अधिक उत्पादन होता है, जो ग्रीनहाउस गैस का मुख्य कारण है।
6. वन्यजीव संतुलित भोजन बनाए रखने में महत्वपूर्ण हैं। ये स्थान पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में बहुत उपयोगी हैं।
7: अदृश्य सूक्ष्म जीवों को सफाई करने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। मिट्टी की औषधीय क्षमता में सुधार और उर्वरता में सुधार के हैं।

जैव विविधता के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1. मानव तथा अन्य जीवधारी एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते हैं तथा एक दूसरे का हिस्सा हैं। उदाहरण द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर- जटिल पारिस्थितिकी तंत्रों का निर्माण मानव द्वारा किया जाता है। इसमें हम भी शामिल हैं। उदाहरण के लिए, जल जो हम पीते हैं, मृदा जो हमें अनाज देती है, वायु जिसमें हम सांस लेते हैं, पौधे, पशुओं और सूक्ष्मजीवों को फिर से बनाते हैं।

प्रश्न 2. संकटग्रस्त जातियाँ क्या होती है ? उदाहरण दें।
उत्तर- वे जातियाँ जिनके समाप्त होने का संकट है, उन्हें संकटग्रस्त जातियाँ कहते हैं। यदि इनको लुप्त करने वाली परिस्थितियाँ बनी रहती हैं तो इनका जीवित रहना मुश्किल है। इस प्रकार की जातियों के उदाहरण हैं- काला हिरण, मगरमच्छ, भारतीय जंगली गधा, गैंडा, शेर-पूंछ वाला बंदर आदि ।

प्रश्न 3. वनों के विनाश के लिए उपनिवेशी वन नीति को किस प्रकार दोषी माना जाता है?
उत्तर- उपनिवेशी सरकार की वृक्षारोपण नीति ने वन-संपदा को बहुत हानि पहुँचाई। ब्रिटिश सरकार ने लाभ के लिए बहुत सारे वृक्ष लगाए। उदाहरण के तौर पर, पाईन के रोपण ने हिमालयन ओक और रोडोडेंड्रोन वनों को नुकसान पहुँचाया है।

प्रश्न 4. भारतीय वन्य जीवन सुरक्षा नियम के क्या उद्देश्य थे? तथा इसे कब लागू किया गया ?
उत्तर- 1972 में भारतीय वन्य जीवन सुरक्षा अधिनियम जारी किया गया था। मुख्य लक्ष्य था वन्यजीवों के शिकार, उनके घरों की सुरक्षा और अवैध व्यापार पर प्रतिबंध लगाना।

प्रश्न 5. भारत में वनों के खत्म होने के क्या कारण हैं?
उत्तर- वन विनाश के निम्नलिखित कारण हैं: भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ी है। इसलिए नए घरों की जरूरत है। इसलिए गाँवों और शहरों को बढ़ाने के लिए वन काटा जा रहा है। सरकारी और निजी संस्थाओं दोनों ने कई विकास कार्य किए हैं। हर जगह सड़कें, अस्पताल, स्कूल, कार्यालय और व्यापारिक संस्थान बन रहे हैं। इन कामों को करने के लिए वनों को काटा जा रहा है। रेलवे में स्लीपर, डिब्बा और फर्नीचर के लिए लकड़ी की माँग लगातार बढ़ने से वन संरक्षण प्रभावित हो रहा है। वन भूमि को कृषि भूमि में बदलने का एक प्रमुख कारण वन क्षरण है।
व्यापारिक तथा वैज्ञानिक वानिकी के उपयोग से वन, विशेषकर घने वन क्षतिग्रस्त होते हैं। भारत में वन संसाधनों का क्षरण बड़े पैमाने पर उद्योगों, अन्य उद्योगों और खनन कार्यों की वृद्धि से हो रहा है।

प्रश्न 6. वन्य प्राणियों को संरक्षण की आवश्यकता पर एक नोट लिखें।
उत्तर – ज्यादातर पौधे और प्राणी प्रजातियां, जैसे सरीसृप, स्तनधारी, पक्षी, जलचर और उभयचर, विलुप्त होने के कगार पर हैं। उपनिवेशकाल में लागू हुई नीतियाँ केवल कुछ प्रजातियों को लाभ पहुंचाती रही हैं। इनके अंतर्गत केवल उन प्रजातियों को बढ़ावा दिया गया, जिनसे व्यापारिक और वाणिज्यिक लाभ हुआ, जैसे सागौन वृक्ष लगाना या चीड़ के वृक्षों का जंगल खड़ा करना। हिमालय के बाज और बुरुश के जंगलों को चीड़ ने नष्ट कर दिया, जबकि सागौन के वनों ने दक्षिण भारत के वनों को नष्ट कर दिया।

अब भारत की एक तिहाई जमीन आर्द्र हो गई है। सतही जल का 70% प्रदूषित हो गया है। 40% वनस्पति समाप्त हो गया है। हजारों की संख्या में जंतु और पादप प्रजातियाँ विलुप्त होने के स्तर पर हैं या विलुप्त हो चुकी हैं, क्योंकि वन्य जीवों का निरंतर शिकार और वाणिज्यिक रूप से महत्वपूर्ण पौधों का व्यापार बढ़ा है। कृतक, भारतीय जंगली गधा, भारतीय गैंडा, शेर की पूँछ वाला वानर (मक्काक), सन गाय (मणिपुरी हिरण) आदि संकटापन्न प्रजातियाँ हैं, जैसा कि प्रकृति और प्राकृतिक संसाधन संरक्षण के अन्तर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) ने बताया है।

गंगा नदी की डाल्फिन, एशियाई हाथी और नीली भेंड़ सुभेद्य प्रजातियाँ हैं। धनेश पक्षी, रेगिस्तानी लोमड़ी, एशियाई जंगली भैंसा और ध्रुवीय भालू बहुत दुर्लभ हैं। अरुणाचल प्रदेश का मिथुन, निकोबार का कबूतर, अंडमान का जंगली सूअर और अंडमान का चैती स्थानीय प्रजातियाँ हैं। इन सभी प्रजातियों को अंतिम श्रेणी से भी बचाया जाना चाहिए। वरना, पारिस्थितिकी तंत्र इससे बहुत प्रभावित होगा।

प्रश्न 7 भारत में कौन-सी वन्य उपजातियाँ लुप्त होने के कगार पर हैं?
उत्तर- भारत में लुप्त होने के कगार पर निम्नलिखित जातियाँ हैं- चीता, पहाड़ी कोयल (Quail ), गुलाबी सिर वाली बत्तख, जंगली चित्तीदार उल्लू और मधु का इनसिंगनिस (महुआ की जंगली किस्म) पौधे शामिल हैं।

प्रश्न 8. वन्य जीवों का संरक्षण क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर- भारत में बहुत सारी वनस्पति हैं। उचित देखभाल नहीं मिलने से कई प्रजातियां या तो मर चुकी हैं या मरने वाली हैं। इन जीवों की महत्वपूर्णता को देखते हुए उनकी सुरक्षा और संरक्षण की कोशिश की जा रही है। नीलगिरि भारत का पहला वन क्षेत्र था। यह तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक से लगता है । 1986 में उद्घाटन हुआ था। नीलगिरि के बाद उत्तर प्रदेश में 1988 में नन्दादेवी को जीव-जंतु आरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया था। उस वर्ष मेघालय में तीसरे ऐसे क्षेत्र का उद्घाटन हुआ। अंडमान द्वीप समूह और निकोबार द्वीप समूह में एक और जीव आरक्षित क्षेत्र बनाया गया है। भारत सरकार इन जीव आरक्षित क्षेत्रों के अलावा अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान, गुजरात और असम में भी जीव आरक्षित क्षेत्र बनाएगी।

प्रश्न 9. ज्वारीय वनों पर एक संक्षिप्त नोट लिखो ।
उत्तर- मैनग्रोव वृक्ष ज्वारीय वनों में पाए जाते हैं। यह वृक्ष खारे पानी और ताजे पानी दोनों में पनप सकते हैं, जो उनकी एक विशिष्ट विशेषता है। ज्वारीय क्षेत्र में खारा और ताजा जल मिलते हैं। इन वनों में एक प्रसिद्ध वृक्ष है ‘सुन्दरी’। यह वृक्ष गंगा-ब्रह्मपुत्र के डेल्टा वन क्षेत्र का नाम सुन्दरवन रखता है।

प्रश्न 10. भारत की वनस्पति में इतनी विविधता क्यों है?
उत्तर- भारत की वनस्पति में पाई जाने वाली विविधता का मुख्य कारण निम्नलिखित तथ्यों में पाई जाने वाली विविधता है-
(i) उच्चावच
(ii) स्थलाकृतियां
(iii) मृदा
(iv) दैनिक तथा वार्षिक तापान्तर
(v) वर्षा की मात्रा तथा वर्षा की अवधि में अन्तर
इस विविधता के कारण हमारे देश में उष्ण कटिबन्धीय वनस्पति से लेकर ध्रुवीय वनस्पति तक सभी प्रकार की वनस्पति पाई जाती है।

प्रश्न 11. उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वनों की विशेषताएं बताइये।
उत्तर- 1. उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन लगभग सारे भारत में पाये जाते हैं । परन्तु 75 सेमी. से लेकर 200 सेमी. वर्षा वाले क्षेत्रों में इस प्रकार के वन विशेष रूप में पाये जाते हैं ।
2. आर्थिक दृष्टि से भी इन वनों का बड़ा महत्त्व है । परन्तु ये बड़ी जल्दी आग पकड़ लेते हैं । अतः इन्हें देखभाल की काफी आवश्यकता है ।
3. ये वन ग्रीष्म ऋतु में 6 से लेकर 8 सप्ताह तक अपनी पत्तियां गिरा देते हैं । परन्तु सभी जातियों के वृक्ष एक साथ अपनी पत्तियां नहीं गिराते । कीजिए।

प्रश्न 12. हिमालय की वनस्पति की पेटियों का वर्णन
उत्तर – हिमालय में वनस्पति की पत्तियाँ उर्ध्वाधर हैं। यहाँ वनस्पति की उष्ण कटिबंधीय पेटी से टुण्ड्रा की पेटी तक मिलती है। सभी पेटियाँ छह किलोमीटर ऊँची हैं। हिमालय के गिरिपाद क्षेत्रों में उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती पाए जाते हैं। यहाँ सागौन, साल और बाँस आम हैं। 1000 मीटर से 2000 मीटर की ऊँचाई पर आर्द्र पर्वतीय वन हैं । यहाँ सदाहरित चौड़ी पत्ती वाले बाँस (ओक), चेस्टनट, सेब, रोश और के वृक्ष पाए जाते हैं। समुद्र तल से 1600 मीटर और 3000 मीटर की ऊँचाई पर शंकुधारी वन की पेटी है। इसमें सिल्वरफर, स्प्रूस, सीडर और चीड़ के वृक्ष पाए जाते हैं। इससे अधिक ऊँचाई पर, यानी 3600 मीटर, अलाइन घास, झाड़ियाँ और गुल्म हैं। लाइकेन और काई की ऊँचाई इससे अधिक है।

प्रश्न 13. वनों के संरक्षण के उपाय बताइए ।
उत्तर – वनों के संरक्षण के उपाय निम्नलिखित हैं-
1. वृक्षों की अंधाधुंध कटाई पर रोक । वनरोपण के व्यवस्थित कार्यक्रमों को लागू करना । पर्वतों
2.से जलग्रहण क्षेत्रों में इस पर और भी अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
3. लोगों में वृक्षों और वनों के संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा करना ।
4. बंजर भूमि पर वन लगाना ।
5. जलावन पर निर्भरता को कम करना तथा इसके स्थान पर ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों, जैसे- सौर ऊर्जा, बायोगैस, पवन ऊर्जा आदि के उपयोग को बढ़ावा देना ।

प्रश्न 14. वन्य प्राणी अभयारण्य और जीव आरक्षित क्षेत्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – वन्य प्राणी अभयारण्य –
1. वन्य प्राणी अभयारण्य में जीवों की संकटापन्न जाति तथा उनके आवास का परिरक्षण किया जाता है ।
2. वन्य प्राणी अभयारण्यों का क्षेत्रफल कम होता है ।
3. वन्य प्राणी अभयारण्यों की संख्या अधिक होती है ।
4. वन्य प्राणी अभयारण्य का उदाहरण राजस्थान का रणथम्बर है।

जीव आरक्षित क्षेत्र –
1. जीव आरक्षित क्षेत्रों में पर्यावरण सहित जीवों की समस्त जातियों तथा वनस्पति का संरक्षण किया जाता है ।
2. जीव आरक्षित क्षेत्रों का क्षेत्रफल अधिक होता है ।
3. जीव आरक्षित क्षेत्रों की संख्या कम होती है ।
4. जीव आरक्षित क्षेत्र का उदाहरण मेघालय का नोक्रेक है ।

प्रश्न 15. भारत में पाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के वनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- भारत में वनों का वितरण सर्वत्र एकसमान नहीं है । जलवायु, मिट्टी एवं वर्षा की विभिन्नता के कारण अनेक प्रकार के वन पाये जाते हैं । इन भौगोलिक दशाओं के आधार पर भारत के वनों को निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है-

1. उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार वन – भारत के उन क्षेत्रों में, जहाँ वर्षा का वार्षिक औसत 200 सेमी. है, इस तरह के वन ऊँचे तापक्रम वाले हैं। साल भर ये वन हरे-भरे रहते हैं। इनमें वृक्ष लम्बे और घने होते हैं, जैसे विषुवत्त रेखीय वन। इन वनों में ताड़, बाँस, रबड़, महोगनी और आम के वृक्ष उगते हैं । 45 लाख हैक्टेयर में ये वन हैं। ये हिमालय, पश्चिमी घाट, नीलगिरि और अण्डमान निकोबार द्वीपसमूह में हैं । इन वृक्षों की लकड़ी कठोर है।

2. उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र मानसूनी वन – ये वन भारत के उन क्षेत्रों में हैं जहाँ 100 से 200 सेमी की वर्षा होती है । इनमें सागौन, साखू, हल्दू, चन्दन, शहतूत, पलास और अन्य मुलायम लकड़ी के वृक्ष उगते हैं। वन बहुत फायदेमंद हैं। 233 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में ये वन फैले हुए हैं। इन वनों को बिहार, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, बंगाल, तमिलनाडु तथा केरल में पाया जा सकता है। इन वनों से मूल्यवान फर्नीचर की लकड़ी मिलती है।

3. उष्ण कटिबंधीय शुष्क कंटीले वन – इस तरह के वन शुष्क क्षेत्रों में पाये जाते हैं जहाँ वर्षा का वार्षिक औसत 100 सेमी से कम होता है। ये वृक्ष लम्बी और छोटी जड़ों वाले होते हैं। इन वनों में पशुओं और गर्मियों से बचने के लिए प्रकृति ने काँटे डाले हैं। यहाँ नागफनी, खजेड़ा, रामबांस, बबूल, कीकर और खजूर के वृक्ष उगते हैं। काँटेदार झाड़ियाँ कम वर्षा वाले क्षेत्रों में उगती हैं। ये वन अयोग्य हैं। राजस्थान, दक्षिणी उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में ऐसे वन हैं ।

4. हिमालय पर्वत – हिमालय पर्वतमाला के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में वर्षा और ऊँचाई के कारण अलग-अलग जाति के वन उगते हैं। 1600 मीटर से 2700 मीटर की ऊँचाई पर समशीतोष्ण वन हैं । इनमें फर, सनोवर, देवदार और सिल्वर के वृक्ष उगते हैं। अल्पाइन वन 2700 मीटर से 3600 मीटर तक फैलते हैं। इनमें वर्च, ओक, नैपिल, चीड़ और स्प्रूस के वृक्ष होते हैं । इन्हें कठोर श से बचाने के लिए प्रकृति ने शंकुकार बनाया है। भागों में उपलब्ध हैं। इन क्षेत्रों में ज्वारभाटे का जल रहता है

5. ज्वार प्रदेशीय वन – इस तरह की वन नदी डेल्टाई है। यहाँ कठोर लकड़ी वाले वृक्ष लगते हैं। इनकी छाल नमकीन है। ज्वारीय वन हैं। इस तरह के वन भारत में गंगा, तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश, कृष्णा, गोदावरी और महानदी के डेल्टा में पाए जाते हैं। सुन्दरी नामक एक वृक्ष गंगा के डेल्टा में बहुतायत से पाया जाता है। इन वनों में फोनिक्स, नारियल, रोजीफोरा, ताड़ और अन्य वृक्ष भी उगते हैं। इनकी लकड़ी से नावें बनाई जाती हैं।

6. नदी तट के वन – नदियों के दोनों ओर शीशम, खैर, इमली आदि वृक्ष उगते हैं । नदियों के आसपास होने के कारण तटों पर बबूल और जामुन सदा हरे-भरे रहते हैं। इनका उपयोग फल व लकड़ी में होता है । पंजाब से असम तक ऐसे वन हैं । ये बहुत घने नहीं हैं।

इस पोस्ट में आपको Nios class 10 social science chapter 11 solutions Nios class 10 social science chapter 11 questions and answers Nios class 10 social science chapter 11 pdf download Nios class 10 social science chapter 11 notes pdf जैव विविधता के महत्त्वपूर्ण प्रश्न उत्तर एनआईओएस कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान अध्याय 11 जैव-विविधता समाधान एनआईओएस कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान अध्याय 11 नोट्स से संबंधित काफी महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर दिए गए है यह प्रश्न उत्तर फायदेमंद लगे तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और इसके बारे में आप कुछ जानना यह पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट करके अवश्य पूछे.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top