NIOS Class 10 Social Science Chapter 7 ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लोकप्रिय जन प्रतिरोध

NIOS Class 10 Social Science Chapter 7 ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लोकप्रिय जन प्रतिरोध

NIOS Class 10 Social Science Chapter 7 Popular Resistance to the British Rule – आज हम आपको एनआईओएस कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान पाठ 7 ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लोकप्रिय जन प्रतिरोध के प्रश्न-उत्तर (British Shasan ke Viruddh Lokpriya Jan Pratirodh Question Answer) के बारे में बताने जा रहे है । जो विद्यार्थी 10th कक्षा में पढ़ रहे है उनके लिए यह प्रश्न उत्तर बहुत उपयोगी है. यहाँ एनआईओएस कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान अध्याय 7 (ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लोकप्रिय जन प्रतिरोध) का सलूशन दिया गया है. जिसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप NIOSClass 10th Social Science 7 ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लोकप्रिय प्रतिरोध के प्रश्न उत्तरोंको ध्यान से पढिए ,यह आपकी परीक्षा के लिए फायदेमंद होंगे.

NIOS Class 10 Social Science Solution Chapter 7

प्रश्न 1. किसानों तथा जनजातीय विद्रोहों के दो समान लक्षणों की व्याख्या करें।

उत्तर- खेतीहर किसानों और जनजातियों को अपनी भूमि से बाहर निकालने से वे अपनी भूमि पर मजदूर बन गए। विभिन्न करों ने उनका जीवन बर्बाद कर दिया था। किसानों और जनजातीय लोगों की स्थिति खराब हो गई क्योंकि अंग्रेजी नीतियों ने भारत की पारंपरिक कृषि प्रणाली, आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था और समुदायों को बर्बाद कर दिया। स्थिति से बचने के लिए किसानों और जनजातीय समूहों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया। जिन आंदोलनों ने औपनिवेशिक व्यवस्था के खिलाफ काम किया था, वे गैर-आपैनिवेशिक थे।

प्रश्न 2. किस प्रकार राजनीतिक और सामाजिक-धार्मिक कारक 1857 के विद्रोह का कारण बने ?
उत्तर – 1857 ई. की क्रान्ति के राजनैतिक कारण इस प्रकार थे-

(1) कर – विमुक्त भूमि पर कब्जा – अंग्रेजों ने कर-विमुक्त भूमि पर नियन्त्रण करके किसानों के हृदय में विद्रोह की भावना भर दी थी।

(2) वेलेजली की सहायक सन्धि-लार्ड वेलेजली ने सहायक सन्धि अपनाकर देशी राजाओं के राज्य ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिये
थे।

(3) नाना साहब के साथ अन्याय – डलहौजी ने नाना साहब की पेंशन, उपाधि तथा जागीरें छीन ली थीं।

(4) मुगल बादशाह के साथ दुर्व्यवहार – मुगल बादशाह बहादुरशाह अंग्रेजों से काफी नाराज था, क्योंकि अंग्रेजों ने उसे नजराना भेंट देना बन्द कर दिया था। अंग्रेजों ने मुगल बादशाह की पेंशन एक लाख से घटाकर मात्र सत्रह हजार रुपये कर दी थी ।

(5) डलहौजी की लैप्स की नीति- जब लॉर्ड डलहौजी ने विलय नीति का अनुसरण किया, तब समस्त देशी शासक यह समझ गये कि अंग्रेज हमारा अस्तित्व ही खत्म करना चाहते हैं। अतः समस्त देशी शासक इस क्रान्ति के नेता बन गये।

(6) निष्कासित सैनिकों की बेकारी – देशी राज्यों के जो सैनिक सेना से निष्कासित कर दिये गये थे, वे क्रान्तिकारियों से मिल गये थे क्योंकि देशी राजाओं की सेना को भी समाप्त कर दिया गया
था।

1857 ई. की क्रान्ति के सामाजिक कारण निम्न प्रकार थे-

(1) नवीन शिक्षा – भारतीय जनता यह समझती थी कि पाश्चात्य शिक्षा देकर अंग्रेज हमें ईसाई बनाना चाहते हैं, इसलिये भारतीय जनता ने अंग्रेजी शिक्षा का विरोध किया।

(2) सामाजिक प्रथाओं पर प्रतिबन्ध – कट्टर हिन्दू अंग्रेजों का विरोध कर रहे थे, क्योंकि अंग्रेजों ने सामाजिक प्रथाओं पर प्रतिबन्ध लगा दिया था।

(3) उच्च वर्ग के लोगों की प्रतिष्ठा को धक्का – अंग्रेजों की नीतियों से उच्च वर्ग के लोगों की प्रतिष्ठा गिर गई थी। उन्होंने भारतीयों के समस्त पद तथा उपाधियां समाप्त कर दीं, जिससे भारतीयों की प्रतिष्ठा को काफी धक्का लगा।

(4) भारतीयों की सामाजिक व्यवस्था में हस्तक्षेप – विधवा विवाह का प्रचलन तथा सती प्रथा को रोकना आदि कार्यों में अंग्रेजों भारतीय सामाजिक व्यवस्था में हस्तक्षेप किया, जिसके कारण समस्त भारतीय जनता अंग्रेजों के विरुद्ध हो गई।

(5) भारतीय संस्कृति का ह्रास – भारत में ब्रिटिश सत्ता आ जाने के कारण भारतीय संस्कृति पर गहरा आघात लगा, क्योंकि अंग्रेज पाश्चात्य संस्कृति का प्रचार करना चाहते थे ।

1857 ई. की क्रान्ति के धार्मिक कारण निम्न प्रकार थे-

(1) जेल में अलग-अलग बर्तनों की व्यवस्था की समाप्ति – अंग्रेजों ने जेलों में अलग बर्तन रखने की व्यवस्था को पूर्णतः समाप्त कर दिया था। इससे भारतीयों को धर्म परिवर्तन की आशंका हुई।

(2) कारतूसों का प्रयोग- ब्रिटिश सरकार ने भारतीय सैनिकों ने ऐसे कारतूसों का प्रयोग करवाया, जिनमें ‘गाय तथा सूअर की चर्बी’ होने की अफवाह थी ।

( 3 ) सती प्रथा का निषेध – लॉर्ड विलियम बैंटिक ने सती प्रथा को समाप्त कर दिया था। इससे भारतीय क्रोधित हो गए, क्योंकि वे इस प्रथा को पवित्र मानते थे।

(4) विधवा-विवाह संबंधी कानून-अंग्रेजों ने विधवा-विवाह का प्रचलन कर दिया था। भारतीयों ने इसे धर्म में हस्तक्षेप माना ।

(5) ईसाई धर्म का प्रचार – भारतीयों को इसाई बनाने के लिए सभी नौकरियों में ईसाई जाति को प्राथमिकता दी जाती थी । ईसाई धर्म के प्रचार से भारतीयों में विद्रोह की भावना पैदा हो गई।

(6) सम्पत्ति के उत्तराधिकार संबंधी नियम में परिवर्तन – 1857 में अंग्रेजों ने एक एक्ट पास किया, जिसमें यह व्यवस्था की गई कि ‘यदि कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन करता है, तो उसको अपनी पैतृक सम्पत्ति में अधिकार होगा।’ इस एक्ट ने भारतीयों की प्राचीन व्यवस्था को पूर्णतः समाप्त कर दिया।

प्रश्न 3. 1857 के विद्रोह के महत्त्व की चर्चा करें।
उत्तर – 1857 का विद्रोह हालांकि अपने निर्धारित उद्देश्यों में सफल नहीं कहा जा सकता, अपितु इस आंदोलन ने आम जनता को तथा देशी शासकों को परस्पर जोड़ दिया था। इस एकता से ब्रिटिश शासन घबरा गया था। उसने अपनी दमनकारी नीतियां तीव्र कर दीं। दूसरी ओर भारत की जनता भी आजादी प्राप्त करने के लिए कृतसंकल्प हो गई थी। जिसने आगामी आंदोलनों को मजबूत नींव प्रदान करने का कार्य किया।

प्रश्न 4. 1857 के विद्रोह के मुख्य नेताओं के नाम लिखिए और क्यों उन्होंने विद्रोह में भाग लिया? एक सारिणी बनाइए ।
उत्तर – 1857 की क्रान्ति के विद्रोह के प्रमुख नेताओं में थे- बाहदुरशाह जफर, बेगम हजरत महल, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, नाना साहब, कुंवर सिंह, तांत्या टोपे आदि। इस क्रान्ति में सक्रिय रूप से भाग लेने वालों में अजीमुल्ला, रंगरोजी बापू भी प्रमुख थे। क्रांति की पृष्ठभूमि तैयार करने वालों में बेगम हजरत महल, अली नकी खां आदि थे। भारत के प्रायः समस्त क्षेत्रों में क्रान्ति की लहर दौड़ गई थी। राजनैतिक, सैनिक सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और धार्मिक आदि समस्त क्रान्तिकारी कार्यों के लिए बेचैनी अनुभव कर रहे थे। जब सैनिकों का असंतोष बढ़कर सीमाएं छोड़कर प्रस्फुटित हुआ, तब क्रान्ति का बिगुल बज उठा ।

प्रश्न 5. क्या आप सोचते हैं कि 1857 के विद्रोह ने अंग्रेजों और उनके भारत में शासन पर कोई प्रभाव डाला? स्थिति का विश्लेषण करते हुए अपनी प्रतिक्रिया दें।

उत्तर – ब्रिटिश शासन को 1857 के विद्रोह से पता चला कि वे भारतीयों पर अधिक समय तक शासन नहीं कर पाएंगे। इसलिए उन्होंने दोहरी नीति अपनाई: एक ओर सुधार करने की कोशिश की और दूसरी ओर ‘फूट डालो, राज करो’ की कोशिश की। उनके सुधारों से भी भारतीय जनता में जागृति की लहर आई, जिसने आजादी की ओर बढ़ते कदमों को गति दी।

प्रश्न 6. ( क ) दिए गए भारत के भौगोलिक मानचित्र पर निम्नलिखित विद्रोहों के क्षेत्रों को अंकित करें-
1. फकीर और संन्यासी विद्रोह,
2. संथाल विद्रोह,
3. मुंडा विद्रोह,
4. जयंतिया तथा गारो विद्रोह ।

उत्तर – 1. फकीर और संन्यासी विद्रोह – इस विद्रोह का तात्कालिक कारण था – हिन्दुओं और मुसलमानों दोनों में से तीर्थस्थलों पर जाने वाले तीर्थयात्रियों पर अंग्रेजी सरकार द्वारा लगाए जाने वाले प्रतिबंध |

2. संथाल विद्रोह – इसमें अंग्रेज अधिकारी और जमींदार उन्हें सामान उधार लेने और फसल के समय भारतीय ब्याज के साथ वापस करने के लिए मजबूर करते थे। नतीजतन, उन्हें बार-बार महाजनों को अपनी फसल के अलावा हल, बैल और अंत में जमीन भी देना पड़ा।

3. मुंडा विद्रोह – अंग्रेजों ने जंगलों की सफाई करने से संबंधित मुंडाओं के पारंपरिक विशेषाधिकारों को नष्ट कर दिया था, जिसके खिलाफ उन्हें यह विद्रोह करना पड़ा।

4. जयंतिया तथा गारो विद्रोह – कुछ गांवों को अंग्रेजों ने जयंतिया और गारो में जला दिया था। जयंतियाओं के नेता यू कियांग नाँगवा को गिरफ्तार कर लिया गया और सार्वजनिक रूप से फांसी दे दी गई।

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