Class 11 Sociology (समाज का बोध) Chapter 1 – समाज में सामाजिक संरचना, स्तरीकरण और सामाजिक प्रक्रियाएँ

Class 11 Sociology (समाज का बोध) Chapter 1 – समाज में सामाजिक संरचना, स्तरीकरण और सामाजिक प्रक्रियाएँ

NCERT Solutions For Class 11 Sociology (समाज का बोध) Chapter 1समाज में सामाजिक संरचना, स्तरीकरण और सामाजिक प्रक्रियाएँ – ऐसे छात्र जो कक्षा 11 समाजशास्त्र विषय की परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते है उनके लिए यहां पर एनसीईआरटी कक्षा 11 समाजशास्त्र (समाज का बोध) अध्याय 1 (समाज में सामाजिक संरचना, स्तरीकरण और सामाजिक प्रक्रियाएँ) के लिए सलूशन दिया गया है.यह जो NCERT Solution for Class 11 Sociology (Understanding Society) Chapter 1 Social Structure Stratification and Social Processes in Society दिया गया है वह आसन भाषा में दिया है .ताकि विद्यार्थी को पढने में कोई दिक्कत न आए . इसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है.इसलिए आपClass 11th Sociology Chapter 1 समाज में सामाजिक संरचना, स्तरीकरण और सामाजिक प्रक्रियाएँके प्रश्न उत्तरों को ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे.

TextbookNCERT
ClassClass 11
SubjectSociology (समाज का बोध)
ChapterChapter 1
Chapter Nameसमाज में सामाजिक संरचना, स्तरीकरण और सामाजिक प्रक्रियाएँ

पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (Textual Questions)

प्रश्न 1. कृषि तथा उद्योग के सन्दर्भ में सहयोग के विभिन्न कार्यों की आवश्यकता की चर्चा कीजिए ।

उत्तर. अगर हम कोई भी कार्य करना चाहते हैं तो उसमें किसी न किसी के सहयोग की आवश्यकता तो होती है क्योंकि कोई भी व्यक्ति अकेले ही सभी कार्य नहीं कर सकता है। अगर हम उदाहरण लें कृषि की तो यह अकेले व्यक्ति के लिए तो मुमकिन ही नहीं है। ज़मीन जोतने, बीज लगाने, पानी देने, फसल काटने तथा उत्पादन बेचने के लिए और व्यक्तियों की सहायता की तो बहुत ही आवश्यकता होती है। अगर और व्यक्ति सहयोग न करें तो कृषि का कार्य तो नामुमकिन है । इसी प्रकार उद्योगों में भी हज़ारों व्यक्ति एक-दूसरे से सहयोग करते हैं तथा उत्पाद का निर्माण करते हैं। जैसे कि कार बनाने के उद्योग में कोई टायर बनाता है, कोई चैसी, कोई लाइट, कोई सीटें, कोई गियर बॉक्स इत्यादि । इस प्रकार एक कार बनाने में हज़ारों प्रकार के कार्य होते हैं तथा एक व्यक्ति सभी कार्य नहीं कर सकता है। इसके लिए हज़ारों व्यक्तियों के सहयोग की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 2. क्या सहयोग हमेशा स्वैच्छिक अथवा बलात् होता है ? यदि बलात् है तो क्या मंजूरी प्राप्त होती है अथवा मानदण्डों की शक्ति के कारण सहयोग करना पड़ता है ? उदाहरण सहित चर्चा करें।

उत्तर. कई बार सहयोग स्वैच्छिक होता है तथा कई बार बलात् होता है। यह तो स्थिति पर निर्भर करता है । उदाहरण के तौर पर कृषि के कार्य घर के सभी व्यक्ति सहयोग देते हैं ताकि उत्पादन अच्छा प्राप्त किया जा सके। यह स्वैच्छिक सहयोग है क्योंकि इससे घर में समृद्धि आएगी। परन्तु कई बार व्यक्ति को सहयोग बलात् देना पड़ता है तथा उसमें व्यक्ति की मंजूरी नहीं बल्कि मानदण्डों की शक्ति के कारण सहयोग देना पड़ता है । उदाहरण के तौर पर कोई व्यक्ति काम करना नहीं चाहता बल्कि बिना काम किए ही सब कुछ प्राप्त करना चाहता है । परन्तु घर के बड़े बुजुर्ग उसे काम करने को मजबूर करते हैं तथा कहते हैं कि अगर कार्य न किया तो घर से निकाल दिया जाता है। व्यक्ति को मजबूरी से कार्य करना पड़ता है तथा यह ही बलात् सहयोग है।

प्रश्न 3. क्या आप भारतीय समाज से संघर्ष के विभिन्न उदाहरण ढूंढ़ सकते हैं ? चर्चा कीजिए ।

उत्तर. भारतीय समाज में संघर्ष के बहुत से उदाहरण हमारे सामने हैं । जाति प्रथा, साम्प्रदायिकता, अलग-अलग धर्मों में संघर्ष, ज़मीन जायदाद के लिए संघर्ष, स्त्री के लिए संघर्ष, अपने विचारों को ऊंचा साबित करने के लिए संघर्ष इत्यादि जैसे कई उदाहरण हैं जिनसे भारतीय समाज में संघर्ष के विभिन्न उदाहरण हम देख सकते हैं। असल में भारतीय समाज विविधताओं से भरपूर है तथा इन विविधताओं के कारण देश के अलग-अलग समूहों में छोटी-छोटी बात पर संघर्ष चलता ही रहता है। विभिन्न जातियों में संघर्ष, विभिन्न धर्मों में संघर्ष, विचारों का टकराव, ज़मीन जायदाद के लिए संघर्ष की घटनाएं हम साधारणतया समाचार-पत्रों में पढ़ सकते हैं।

प्रश्न 4. संघर्ष को किस प्रकार कम किया जाता है ? इस विषय पर उदाहरण सहित निबन्ध लिखिए ।

उत्तर. संघर्ष को बड़ी ही आसानी से खत्म किया जा सकता है। अगर लोग अपनी रूढ़िवादी सोच, तंग विचार, व्यक्तिगत स्वार्थ इत्यादि को छोड़ दें तो संघर्ष तो समाज में से बिल्कुल ही खत्म हो सकता है । हरेक व्यक्ति में अधिक सम्पत्ति इकट्ठा करने की लालसा होती है, अपनी जाति को उच्च साबित करने की इच्छा होती है, अपने विचारों की प्रौढ़ता सुनने की लालसा होती है जिस कारण व्यक्तियों तथा समूहों में संघर्ष उत्पन्न हो जाता है। इस संघर्ष के कारण ही समाज में अफरा-तफरी उत्पन्न हो जाती है तथा समाज अस्त-व्यस्त हो जाता है। समाज को बचाने के लिए व्यक्ति को अपने व्यक्तिगत हितों को त्याग कर सामूहिक हितों के बारे में सोचना पड़ेगा। अगर ऐसा होने लग जाए तो समाज में संघर्ष उत्पन्न ही न हो तथा यह समाज में से खत्म ही हो जाए ।

प्रश्न 5. ऐसे समाज की कल्पना कीजिए जहां कोई प्रतियोगिता नहीं है, क्या यह सम्भव है ? अगर नहीं तो क्यों ?

उत्तर. हम ऐसे समाज की कल्पना कर ही नहीं सकते जहां पर कोई प्रतियोगिता न हो। अगर ऐसा हो जाए तो सभी व्यक्तियों को समान रूप से प्राप्त होने लग जाएगा । व्यक्ति को बिना प्रतियोगिता के ही सब कुछ प्राप्त होने लग जाएगा। इस स्थिति में वह प्रयत्न करना ही बन्द कर देगा जिससे समाज की प्रगति भी थम जाएगी। इस प्रकार समाज की प्रगति के लिए प्रतियोगिता आवश्यक है। हम ऐसे समाज के बारे में सोच भी नहीं सकते जिसमें प्रतियोगिता न हो।

प्रश्न 6. अपने माता-पिता, बड़े-बुजुर्गों तथा उनके समकालीन व्यक्तियों से चर्चा कीजिए कि क्या आधुनिक समाज सही मायनों में प्रतियोगात्मक है अथवा पहले की अपेक्षा संघर्षों से भरा है और अगर आपको ऐसा लगता है तो आप समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य में इसे कैसे समझाएँगे ?

उत्तर. विद्यार्थी इस प्रश्न पर घर तथा कक्षा में चर्चा करें।

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